अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा… जहाँ लोग मिलते कम, झांकते ज़्यादा है.!!
लोग अपनी ज़िंदगी से ज़्यादा दूसरों की ज़िंदगी में झांकते हैं..
_ शायद इसलिए उनकी खुद की ज़िंदगी उलझी रहती है.!!
अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा… जहाँ लोग मिलते कम, झांकते ज़्यादा है.!!
_ शायद इसलिए उनकी खुद की ज़िंदगी उलझी रहती है.!!