मस्त विचार 880

ये चन्द पंक्तियाँ जिसने भी लिखी है, खूब लिखी है

ग़लतियों से जुदा तू भी नही,

मैं भी नही,

दोनो इंसान हैं, खुदा तू भी नही,

मैं भी नही ..

” तू मुझे ओर मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर,

अपने अंदर झाँकता तू भी नही,

मैं भी नही ” ..

” ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ,

वरना फितरत का बुरा तू भी नही, मैं भी नही.

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected