क्यों नहीं तू थोड़ा और, ठहर जाता है. क्यों बच्चे हो गए बड़े, इतनी जल्दी जल्दी, अभी तो मुझे खुद में ही, बचपन नजर आता है, कहाँ गया वो माँ का आँचल, कहाँ अब पिता का साया.
कहाँ है भैया की,
प्यार भरी फटकार,
खो गया कहाँ वो,
भाभीमाँ का प्यार.
कहाँ गए वो गिल्ली डंडे,
कहाँ है वो पतंगों की बहार.
खोजता है मन, उस ठेले को,
रंग बिरंगे बरफ के गोले को,
ले लो मेरे ब्रांडेड कपड़ो को,
जूतों को,
लौटा दो मेरी फटी जुराबों को,
वो स्टेट बस का घड़घड़ाना,
वो पार्क में एक दूजे के पीछे,
दौड़ना दौड़ना,
इसकी उसकी टिफ़िन
छीन कर खाना,
भूख और बढ़ाता है.
दिल को बड़ा रुलाता है
ऐ समय रुक जा, वापस आ जा,
तुझे बचपन बुलाता है …Pk
ऐ वक़्त, क्यूँ इतनी जल्दी,गुजर जाता है,