मजबूर ये हालात इधर भी हैं, उधर भी.
कुछ मुश्किलें इधर भी हैं, उधर भी.
कहने को बहुत कुछ है, मगर किसे कहें हम.
कब तक यों ही खामोश रहें और सहें हम.
मन करता है दुनिया कि हर रस्म उठा दें.
दीवार जो दोनों तरफ है, आज गिरां दे.
पर कुछ मजबूर हालात इधर भी है, उधर भी.