मस्त विचार 090

मजबूर ये हालात इधर भी हैं, उधर भी.

कुछ मुश्किलें इधर भी हैं, उधर भी.

कहने को बहुत कुछ है, मगर किसे कहें हम.

कब तक यों ही खामोश रहें और सहें हम.

मन करता है दुनिया कि हर रस्म उठा दें.

दीवार जो दोनों तरफ है, आज गिरां दे.

पर कुछ मजबूर हालात इधर भी है, उधर भी.

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected