देख के रूप तेरा कुछ यूँ लगा . सोया था बरसों से अभी हूँ जगा . कर दिया अब तो हवाले तुझको . अब तो नैया पार तू लगा . कभी – कभी अज्ञान में भटक जाता हूँ . अपने ज्ञान रूप से रास्ता दिखा . आया हूँ तेरे दर, करता हूँ सजदा . कौन हूँ मै जानता नहीं . मुझे खुद ही से तू मिला.
मुझे खुद ही से तू मिला.