मस्त विचार – पानी तेरे कितने नाम… – 999

 पानी तेरे कितने नाम…..

पानी आकाश से गिरे तो…..बारिश,

आकाश की ओर उठे तो…..भाप,

अगर जम कर गिरे तो…..ओले,

अगर गिर कर जमे तो…..बर्फ,

फूल पर हो तो…..ओस,

फूल से निकले तो…..इत्र,

जमा हो जाए तो…..झील,

बहने लगे तो…..नदी,

सीमाओं में रहे तो…..जीवन,

सीमाएं तोड़ दे तो…..प्रलय,

आंख से निकले तो…..आंसू,

और शरीर से निकले तो…..पसीना.

ये पत्थर पानी का रास्ता रोकने आए हैं, उन्हें इसका अंदाज़ा नहीं है.

_ पत्थरों से टकराकर पानी और उफान के साथ बहता है..!!

पानी वो है जो सब कुछ छोड़कर, भुलाकर फिर से अपनी रौ में बहने लगता है और फिर से सब ओर हरियाली – खुशहाली बिखेरने लगता है.!!
जब ब्रूस ली ने कहा – पानी की तरह बनो.

_ यह वही हाँ है.. “पानी चट्टान का विरोध नहीं करता”
_ यह उसके चारों ओर बहता है, उसे आकार देता है, उसे गले लगाता है – और आगे बढ़ता है.!!

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