अँधियारा है घना, और लहू से सना, किरणों के तिनके अम्बर से चुन के अंगना मे फिर आजा री, हमने तुम पे हज़ारो सितम है किए, हमने तुम पे दुनिया भर के जुल्म है किए, हमने सोचा नहीं, तू जो उड़ जाएगी, ये जमी तेरे बिन सूनी रह जाएगी ,, किस के दम पे सजेगा हमारा अंगना ….. ओ री चिरिया !!!!
ओ री चिरिया! नन्ही सी चिरिया अंगना मे फिर आजा री,