मेरा ये दिल दुखाया गया, लोगों की खुशियों की खातिर.
मुझे रुलाया गया दूसरों की खातिर.
किसी ने पूछा तक नहीं कि चाहतें मेरी क्या हैं.
सपनों को मेरे जलाया गया, दूसरों की खातिर.
कभी सोचा न था कि वक़्त यूँ बेरहम हो जाएगा.
अपने बन गए गैर, चंद स्वार्थों की खातिर.
क्या कहूँ बात मै इस जमाने की .
यहाँ ज़िन्दगी जीते है लोग, सिर्फ अपनी ही खातिर.