मस्त विचार 1181 | Aug 6, 2016 | मस्त विचार | 0 comments जिन्दगी का सफ़र, है ये कैसा सफ़र कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं है ये कैसी डगर, चलते हैं सब मगर कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं. Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ