दुनिया में हमने खूब तमाशा देखा,
जाती हुई जवानी, आता बुढ़ापा देखा,
बदलती रुतों – रुखों का ढलता साया देखा,
जो बदले वो दुनिया, न बदला कभी वो खुदा देखा.
जाती हुई जवानी, आता बुढ़ापा देखा,
बदलती रुतों – रुखों का ढलता साया देखा,
जो बदले वो दुनिया, न बदला कभी वो खुदा देखा.