।। करम ।।
बदलते मौसम में बदल नहीं जाना,
ख्वाइशों को कभी, पतंग ना बनाना ।
इन्सान की फितरत है मुकाबला,
पता नही कब कोई आकर,
तेरी डोर काट जाये।
अमीरी के किस्सों की उम्र,
जिन्दगी से ज्यादा नहीं होती,
जन्मों तक चलती है, करम की कहानी।
हवा धूप रोशनी, अट्टालिकाओं में,
कैद नहीं हो सकती,
चाहे जितने अमीर हो,
हर मुराद पूरी नहीं हो सकती,
कुछ ऐसा कर, कोई और लब भी मुस्करा दे,
किसी के अंधेरे में थोड़ी रोशनी ला दे,
ये साँसे तो है पानी का बुलबुला,
न जाने कब टूट जाये,
किसी की दुआ, पता नहीं कब,
तेरे काम आ जाये।
।। पीके ।।