थोड़ी सी इबादत बहुत सा सिला देती है,
गुलाब की तरह चेहरा खिला देती है,
*दोस्तों* की याद को दिल से जाने न देना,
कभी कभी छोटी सी दुआ अर्श हिला देती है.
गुलाब की तरह चेहरा खिला देती है,
*दोस्तों* की याद को दिल से जाने न देना,
कभी कभी छोटी सी दुआ अर्श हिला देती है.