मैं लिखता हूँ हर रंग के लिए
अपने अंग-अंग के लिए
मैं अपना वर्तमान, भविष्य और इतिहास लिखता हूँ
सुख, दुःख, के साथ प्रेम का अहसास लिखता हूँ
बात जो अनकही है
उसको शब्दों का देकर आकार लिखता हूँ
जो दिलो में घुट गयी सबके, उसे बेज़ार लिखता हूँ
जो नियते छुपाई गई सफ़ेद-पोशी में
उनके कपडे उतार लिखता हूँ
आ गयी जिन अनुभवो से बालो में सफेदी
उन अनुभवो की कालिख उतार लिखता हूँ
कुछ तो लोग कहेंगे, कहने दो
खुदगर्ज हूँ मैं सर झुका नहीं सकता
जीवन जीकर उनको परेशान हर बार करता हूँ.