डूबी हैं मेरी ही उँगलियाँ मेरे ही खून में,
ये काँच के टुकड़ों पर भरोसे की सजा है.
है बहुत अजीब मगर यह सच बात है,
मैं साथ हूँ उसके जो खुद मेरे खिलाफ हैं.
होता कोई दुश्मन तो साथ उसका छोड़ देते,
पर जख्म देने वाला भी कोई मेरा खास है.
ये काँच के टुकड़ों पर भरोसे की सजा है.
मैं साथ हूँ उसके जो खुद मेरे खिलाफ हैं.
पर जख्म देने वाला भी कोई मेरा खास है.