सुख दुख मन का अफसाना है.
वैसे अकेले ही आये है और अकेले ही जाना है,
कैसा भी हो बंधन एक दिन तो टूट जाना है,
कोई कितना भी रहे पास या कितना भी रहे दूर,
सुख दुख का जलवा अपने ही मन का अफसाना है.
वैसे अकेले ही आये है और अकेले ही जाना है,
कैसा भी हो बंधन एक दिन तो टूट जाना है,
कोई कितना भी रहे पास या कितना भी रहे दूर,
सुख दुख का जलवा अपने ही मन का अफसाना है.