मस्त विचार 2017

हमने रिश्तों पे जान वारी थी, सच कहा है खता हमारी थी.

सत्य के दुर्दिनों की मत पूछो, झूठ की आरती उतारी थी.

कुल मिलाकर है बात इतनी सी, सबको अपनी ख़ुशी ही प्यारी थी.

हमने सब कुछ ख़ुदा पे छोड़ा था, फिर तो उसकी जबाबदारी थी.

राज गद्दी थी किसकी क़िस्मत में, किसकी क़िस्मत में जाँ निसारी थी.

हाय हमको भी क्या भरोसा था, मानते हैं ये भूल भारी थी.

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