हम तो अपने मन के राजा हैं,
हमारे मन पर किसी का अधिकार थोड़ी है,
समेट लेते है अपनी ‘यादों’ को अपने मन के अंदर,
इसको सब कोई समझ सके _ इतना समझदार कोई थोड़े ही है.
हमारे मन पर किसी का अधिकार थोड़ी है,
समेट लेते है अपनी ‘यादों’ को अपने मन के अंदर,
इसको सब कोई समझ सके _ इतना समझदार कोई थोड़े ही है.