मस्त विचार 3201

हम जैसे लोग ही दोहरा अज़ाब { पीड़ा } झेलते हैं,

_ हमें सोचते रहने की लत जो लगी हुई है..

पीड़ा का स्रोत अगर कोई अपना हो तो..

_ हम खुल कर विलाप भी नहीं कर पाते हैं…

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