मस्त विचार 3201 | Jan 26, 2022 | मस्त विचार | 0 comments हम जैसे लोग ही दोहरा अज़ाब { पीड़ा } झेलते हैं, _ हमें सोचते रहने की लत जो लगी हुई है.. पीड़ा का स्रोत अगर कोई अपना हो तो.. _ हम खुल कर विलाप भी नहीं कर पाते हैं… Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ