“उलझने हैं बहुत…सुलझा लिया करता हूँ ,
फोटो खिंचवाते वक़्त मैं अक्सर… मुस्कुरा लिया करता हूँ “
क्यूँ नुमाइश करूँ मैं अपने माथे पर शिकन की,
मैं अक्सर मुस्कुरा के इन्हें.. मिटा दिया करता हूँ..”
क्यूंकि.. “जब लड़ना है खुद को खुद ही से
हार-जीत में इसलिए कोई फ़र्क नहीं रखता हूँ
हारूं या जीतूं कोई रंज नहीं
कभी खुद को जिता देता हूँ
कभी खुद से जीत जाता हूँ….!!