बहती धारा के साथ बहो, किनारा छोड़ दो,
_ रखो यकीं खुद पे, दुनियाँ का सहारा छोड़ दो..!!
जब तक सहारे लेने की आदत नहीं छोड़ोगे,
_ दुनिया आप को अंगुलियों पर नचाती रहेगी.!!
अपने दम पर ज़िंदगी में आगे बढ़ते चले जाओ,
_ वरना सहारे तो इंसान को अपाहिज बना कर छोड़ देते हैं.!!