मस्त विचार 4060

मौन को सुनने वाले कान नहीं मिलते … इसलिये शब्दों से परोसता हूँ.
भाग्यशाली हैं वे लोग जिनके शब्दों के वही अर्थ समझे जाएं ..जो उन्होंने कहा,

_ लेकिन बोले गए शब्द अपनी-अपनी समझ के अनुसार समझे जाते हैं..!!

शब्दों के बाण जरा सोच कर चलाएं..

_ ये कमान से निकल कर लक्ष्य नहीं… हमारे हृदय को भेदते हैं..!!

हम अपने ही नजरिए के शिकार हैं, चाहे हम कितना भी बेहतर बनने की कोशिश करें,

_ उसका कोई फायदा नहीं है..!!

किसी बात को समझ सकने की छमता हर इंसान की अलग होती है,

_ जिन्हें चीजें “वैसी” नहीं दिखती.. जैसी आपको दिखती है..
_ तो उन्हें “दिखाने” के अथक प्रयासों में उतरने से पहले समझिये कि..
_ आपको वह बात “वैसी” दिख सकती है, जैसी उन्हें दिख रही है ?
_ अगर आपका उत्तर ना में है तो ..उनके साथ जबरदस्ती मत कीजिये,
_ “उन विषयों” पर बात उनसे कीजिये,
_ जो आपका नजरिया और आपकी बातों को समझते हों..!!

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