क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता,
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता,
कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँकी,
ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता.
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता,
कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँकी,
ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता.