मुझे मुझ तक पहुँचने के लिए
समझ नहीं आ रहा
एक कदम आगे बढ़ाऊँ
या दो कदम पीछे
समझ नहीं पाता हूँ
जब भी निकलता हूँ
पूरा का पूरा निकलता हूँ
लेकिन फिर जहाँ पहुँचता हूँ
वहाँ मेरे अलावा बहुत कुछ होता है
समझ नहीं आता क्या रुका रहूँ यूँ ही
समझ नहीं पा रहा
एक कदम आगे बढ़ाऊँ
या दो कदम पीछे.