मै चैन से सोने लगा हूँ.
जिन्दगी ने वो तकलीफ है बख्सी.
मौत का खौफ खोने लगा हूँ.
काबिले भरोसे का कोई,
इन्सान नहीं मिलता.
पत्थरों से मन लगाने लगा हूँ.
लुटा रिश्तों के हाथों में इतना.
और लुटवाने कि हिम्मत खो चुका हूँ.
सच जानने कि जिद अधूरी रहेगी.
आदर्शों को अपनाना न सम्भव हुआ.
बे- परवाह अब मै सोने लगा हूँ.