मस्त विचार 062

पाँव नंगे हैं, मगर मै सफ़र पे निकला हूँ.

कौन- सी राह चलूँगा, चुनाव कर लूँगा.

मुसाफ़िर हूँ, मै भीड़ का हिस्सा नहीं.

खुली फ़िजा में, हवाओं में साँस भर लूँगा.

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