मुझे याद है अच्छी तरह,
मुझे हालात ने ऎसा बना दिया था.
सोचा, मेरा जीना अब व्यर्थ है.
इतनी हानि, अपमान कि चली आंधी.
और आप मिल गए मशीहा बनकर,
आपके आशीष कि थपथपाहट ने,
प्राण नए दे दिए जीवन को.
और ज़िन्दगी को नई राह मिल गयी.
मेरी तरह आपने लाखों के जीवन को संवारा है.
थक चुके थे जो ज़िंदगी कि राहों से, उन्हें उबारा है.
आप-सा कौन है, जो गले लगा ले गिरतों को.
और उन्हें मरना नहीं, जीना सिखा दिया.
सजाया है मैंने घर को, आपके ही नाम से.
मन के कछ में, गृह के हर कछ में आप हो.