मेरा जीवन बिखर गया है……..
तुम चुन लो, कंचन बन जाऊँ
तन- मन भूखा जीवन भूखा
सारा खेत पड़ा है सूखा
तुम बरसो अब तनिक तो
मैं आषाढ़ सावन बन जाऊँ.
मेरा जीवन बिखर गया है………….
बिन धागे की सुई ज़िन्दगी
सिये न कुछ बस चुभ- चुभ जाये
कब तक सहूँ यह क्रीड़ा
इतना दो न थकान मुझे
जब तुम आओ
मैं नयन खोल न पाऊँ.
मेरा जीवन बिखर गया है…………
तुम चुन लो, कंचन बन जाऊँ.