मस्त विचार 140

मेरा जीवन बिखर गया है……..

तुम चुन लो, कंचन बन जाऊँ

तन- मन भूखा जीवन भूखा

सारा खेत पड़ा है सूखा

तुम बरसो अब तनिक तो

मैं आषाढ़ सावन बन जाऊँ.

मेरा जीवन बिखर गया है………….

बिन धागे की सुई ज़िन्दगी

सिये न कुछ बस चुभ- चुभ जाये

कब तक सहूँ यह क्रीड़ा

इतना दो न थकान मुझे

जब तुम आओ

मैं नयन खोल न पाऊँ.

मेरा जीवन बिखर गया है…………

तुम चुन लो, कंचन बन जाऊँ.

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