मस्त विचार 353

गालों पे आंसूओं की लकीर बन गई.

सोचा न था ऐसी तक़दीर बन गई.

हमने तो रेत पे ऊँगली फिराई ही थी,

देखा तो आपकी तसवीर बन गई.

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