छोटा नही है मुझ पर एहसान तेरा अल्लाह
जो मुफ्त में है बख्शी वो शय है माशाअल्लाह…
तूने जो आँखे बख्शी है नूर ज़िन्दगी का
है आँखों से ही जिन्दा सरूर ज़िन्दगी का…।
गर आँख ही न होती तो फिर भला क्या होता
मैं बोझ ढोता फिरता मजबूर ज़िन्दगी का….।
जो हाथ तूने बख्शे है लाजवाब मौला
है इनकी मेहरबानी हूँ कामयाब मौला….
दुनिया में नही दिखता इनका जवाब मौला
देखूं इन्हें तो होता तूं बेनकाब मौला…..।
मैं अपनी मंजिलो से ताउम्र गैर होता
तूने दिया न मुझको गर दोस्त पैर होता…
ये साथ हर मुश्किल में होता नही जुदा है
तूं वाकई मौला है तूं वाकई खुदा है……।
इस जिस्म जैसा तोहफा दिखता नही है मौला
बख्शा है मुफ्त वर्ना बिकता नही है मौला…..।
है शक्ल तेरी मौला है अक्ल तेरी मौला
मेरी तमाम खुशियां है नक्ल तेरी मौला…….
*पंछी*