Man can never be a woman’s equal in the spirit of selfless service with which nature has endowed her.
निस्वार्थ सेवा की भावना से, प्रकृति ने स्त्री को जो संपन्न किया है _ उसमें पुरुष कभी भी स्त्री के बराबर नहीं हो सकता.
निस्वार्थ सेवा की भावना से, प्रकृति ने स्त्री को जो संपन्न किया है _ उसमें पुरुष कभी भी स्त्री के बराबर नहीं हो सकता.