Collection of Thought 355
अकेले खड़े रहना उन लोगों के साथ खड़े होने से बेहतर है _ जो आपको चोट पहुँचाते हैं.
अकेले खड़े रहना उन लोगों के साथ खड़े होने से बेहतर है _ जो आपको चोट पहुँचाते हैं.
आपका दिमाग ही आपके भाग्य और आपकी सफलता का एकमात्र लेखक है.
यदि कोई व्यक्ति अपने काम में बहुत ईमानदार है, तो उसे प्रशंसा के साथ – साथ दूसरों की मदद भी मिलनी तय है.
रब उनकी मदद करता है जो अपने कर्तव्यों का पालन करके अपनी मदद करते हैं.
जीवन में हर किसी को कभी न कभी पराजय की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, _ उन्हें दूर करने के लिए थोड़ा मानसिक प्रशिक्षण की आवश्यकता हो सकती है.
आलोचक आम तौर पर गलत होते हैं, या वे पंद्रह, बीस साल देर से आते हैं, _ यह बहुत शर्म की बात है, वे बहुत कुछ याद करते हैं.