Collection of Thought 1097
अपने कानों को “साक्षी” न होने दें जो आपकी आंखों ने नहीं देखा … और अपने मुंह को वह न बोलने दें _ जो आपका दिल महसूस नहीं करता है.
अपने कानों को “साक्षी” न होने दें जो आपकी आंखों ने नहीं देखा … और अपने मुंह को वह न बोलने दें _ जो आपका दिल महसूस नहीं करता है.
अपनी महानता और भाग्य पर संदेह करना बंद करो..
खुद को सुधारने में इतना व्यस्त रहो कि आपके पास दूसरों की आलोचना करने का समय ही नहीं हो ..
आप अपने बारे में क्या सोचते हैं, यह उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं.
जैसे ही आपके मन में कुछ करने का आवेग आता है, रुकें और देखें
_ क्या यह आवेग है या यह आपके अस्तित्व का विस्तार है.
आप नकारात्मक दिमाग से सकारात्मक जीवन नहीं जी सकते..
दुनिया की सबसे बड़ी संपत्ति आपकी मानसिकता है.