Collection of Thought 608
A man’s own character is the arbiter of his fortune.
मनुष्य का अपना चरित्र ही उसके भाग्य का मध्यस्थ होता है.
मनुष्य का अपना चरित्र ही उसके भाग्य का मध्यस्थ होता है.
मौका हमें कई गलतियों को सुधारता है जिसे कारण नहीं जानता कि कैसे सुधारा जाए.
दिमाग ही सब कुछ है, आप जो सोचते हो _ वही बन जाते हो.
ऐसा नहीं है कि मैं इतना होशियार हूं, बस इतना है कि मैं समस्याओं के साथ अधिक समय तक रहता हूं.
जीवन तूफान के गुजरने का इंतजार करने के बारे में नहीं है, _ यह बारिश में नृत्य करना सीखने के बारे में है.
असंतोष प्रगति की पहली आवश्यकता है.