मस्त विचार 3834

यूँ ही तो नहीं, हर ज़ख्म हमारे हिस्से आया होगा,

_ हमारी ही खताओं ने ज़रूर, इन्हें बुलाया होगा.

मस्त विचार 3832

वक्त के मुट्टी से जैसे हर पल जिंदगी छूट रही है,

_ मै वो दरख़्त हूं जिसकी रोज एक शाख़ टूट रही है…

error: Content is protected