मस्त विचार 2168
सजा बन जाती है गुजरे वक़्त की यादें,
ना जाने क्यों लोग, मतलब के लिए मेहरबान होते हैं.
ना जाने क्यों लोग, मतलब के लिए मेहरबान होते हैं.
आज क्यूं बेवजह रोने लगा हूँ मैं.
बरसों से हथेलियां खाली ही रहीं मेरी.
फिर आज क्यों लगा सब खोने लगा हूँ मैं.
वो #रास नहीं आये, जिन्हें #चाहा वो साथ नहीं आये !
हम वक्त की टहनी पर…, बेठे हैं परिंदों की तरह !!
जिंदगी धूप, तुम घना साया
आज फिर दिल ने एक तमन्ना की
आज फिर दिल को हम ने समझाया
तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया हमने क्या पाया
हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यों गाया.
और दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाती है.