मस्त विचार 4360
वापस मत आना तुम अब …
मैंने तुम्हारे बगैर जीना सीख लिया है…!!
मैंने तुम्हारे बगैर जीना सीख लिया है…!!
जबकि हम अपनी बड़ी खुशियों को अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं..
तैयार हुआ तो मौसम बदल चुका था..
हमारा आंकलन हमें खुद करना चाहिये..
और कही और इसे ढूंढना संभव नही है.
अपने को ही, यूं अपने में, रोज़ निखारा करता हूं.