मस्त विचार 4359
दूसरों की छोटी ख़ुशी भी हमें बड़ी लगती है,
जबकि हम अपनी बड़ी खुशियों को अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं..
जबकि हम अपनी बड़ी खुशियों को अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं..
तैयार हुआ तो मौसम बदल चुका था..
हमारा आंकलन हमें खुद करना चाहिये..
और कही और इसे ढूंढना संभव नही है.
अपने को ही, यूं अपने में, रोज़ निखारा करता हूं.
पंखों को खोल क्योंकि …ज़माना सिर्फ़ उड़ान देखता है..