मस्त विचार 4282
“खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाऊँगा,
वरना ख़ुद्दार मुसाफ़िर हूँ…ख़ामोशी से गुजर जाऊँगा”
वरना ख़ुद्दार मुसाफ़िर हूँ…ख़ामोशी से गुजर जाऊँगा”
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी रुपए नहीं होते..
_ मेरी जिंदगी का सबसे भयानक हादसा रहा..
_ मैंने तो नाराज होना भी छोड़ दिया, देख न कितनी नाराजगी है..
वो ख़िलाफ़ रह कर क्या बिगाड़ लेंगे.