मस्त विचार 4204
कहाँ-कहाँ से इकट्ठा करू ऐ-जिंदगी तुझको,
जिधर भी देखूं तू बिखरीं पड़ी है.
जिधर भी देखूं तू बिखरीं पड़ी है.
_ जितनी जगह मतलबी और चापलूस लोग बना लेते हैं..!!
हम अपने मन को बहुत पहले ही मार आए हैं..
मरने वालों का तो सब पूछते है वो मरा कैसे…
मैं तो इस आस पे ज़िन्दा हूँ कि मरना कब है….!!
आज में जीना सीख लो, क्योंकि कल कभी नहीं आएगा !