मस्त विचार 4098
तकलीफ ये नहीं के तुम्हें अज़ीज़ कोई और है,
दर्द तब हुआ जब हम नजर अंदाज किये गए..
दर्द तब हुआ जब हम नजर अंदाज किये गए..
मुफ्त में जिंदगी उदास कर बैठे..
यह जिम्मा मैंने वक़्त को दे रखा है…!!
धीरे-धीरे ही सही मगर थोड़ा बहुत हम भी आगे बढ़ लेंगे !
बुझ जाऊंगा किसी रोज़… मैं सुलगते सुलगते !!
खैर अब मुझे अभ्यास हो चुका कि अपनों को अपना ना समझने में ही भलाई है..