मस्त विचार 4115
तुमने कहा था अपनी ज़िंदगी मुझे,
बिछड़कर फिर ज़िंदा कैसे रह गए.
बिछड़कर फिर ज़िंदा कैसे रह गए.
_ रूह तो उत्तरी थी जमीं पे, मंज़िल का पता लेकर..!!
_ क्योंकि झूठी उड़ान अंत में गिरावट ही देती है.
मेरा होना तेरे होने की निशानी होगा !!
_ पर हकीकत में जरुरी किसी के लिए नहीं होते..
_ बगैर जरुरत के भी साथ कौन हैं ‘असल सवाल तो यह है’
सवाल ये है कि सलीके से कौन चलता है..
काश तुझ को भी एक झलक देखूँ..