“मन का एक पल” – 2027

“मन का एक पल”

_ “जहाँ शब्द रुक जाते हैं, वहीं मन बोलता है…”

_ “अंदर एक गीत चल रहा है, सिर्फ सुनने के लिए – समझने के लिए नहीं.!!”

“अनकहे को समझना”

_ हर भावना शब्दों में नहीं उतरती — कुछ सिर्फ़ मौन में धड़कती हैं.

_ फिर भी लोग शब्दों की मांग करते हैं, जैसे बिना बोले भाव अधूरे हों.

_ पर सच्ची समझ तो वहीं शुरू होती है, जहाँ शब्द ख़त्म हो जाते हैं.!!

“क्या मैं या और लोग बातों के पीछे छिपी भावना को महसूस कर पाते हैं, या सिर्फ़ शब्दों को ही सुनते हैं ?”

कभी-कभी जो लोग हमें तोड़ते हैं, वे अनजाने में हमें अपने असली आधार की ओर लौटा देते हैं — वो आधार जो किसी व्यक्ति पर नहीं, बल्कि अपने भीतर की स्थिरता-शांति पर टिका होता है.

— किसी के लौटने या न लौटने से उसका मूल्य नहीं घटता”

कुछ लोग सचमुच नाली के कीड़े होते हैं ;

_ चाहे आप उन्हें बाहर निकालने की कितनी भी कोशिश करो,

_ लेकिन वे हमेशा घूम फिर कर उसी जगह वापस पहुँच जाते हैं.!!

— कुछ लोग अपने भीतर की नकारात्मकता से कभी मुक्त नहीं हो पाते.

_ चाहे आप उन्हें कितना भी संभालें, समझाएँ या अवसर दें,

_ वे फिर उसी गंदगी, उसी मानसिकता में लौट जाते हैं..

— क्योंकि परिवर्तन इच्छा से नहीं, चेतना से आता है.

_ यह बहुत भारी है—उनसे वो बातें न कह पाना.. जो मै कहना चाहता हूँ..

_ क्योंकि वे हमेशा कुछ और ही चुनेंगे और मुझे इस बात का पछतावा रहेगा कि मैंने उन्हें कुछ कहा ही क्यों था.!!

“क्या मैं दूसरों को बदलने की कोशिश में अपनी शांति खो देता हूँ ?”

_ कभी-कभी बुद्धिमानी यही होती है — कि हम देख कर भी दूरी बनाए रखें.!!

मस्त जीवन कैसे जीना चाहिए ? – 2027

अकारण प्रसन्नता का नाम मस्ती है…!

मस्तों का आधार सूत्र है कि, दूसरों से अपने सुख को मत जोड़ो..!!

जीवन उसी का मस्त है, जो स्वयं के कार्य मे व्यस्त है ;

__ परेशान वही है जो दूसरों की खुशियों से त्रस्त है !!

मैंने उन्हीं लोगों को खुश और मस्त देखा है,

_ जो फोन पर किसी से बात भी करेंगे तो तीस सेकंड से एक मिनट ;

_ तड़क भड़क वाली जिंदगी से बच कर.. वो सरल रहना पसंद करेंगे,

_ ना किसी से शिकायतें रखेंगे ना किसी को शिकायतों का मौका देंगे,

_ ना लोगों से जलते हैं और हमेशा फ्रेश मूड में रहते हैं ;

_ कोई उनके पास आए जाए.. वो भी उनसे फ्रेश हो कर जाता है,

__ और मुझे समझ में नहीं आता कि सबको ऐसा बनने में मुश्किल क्या है ?

जीवन का आनंद भरपूर उठाइये,

_ मस्ती में ‘ उसकी ‘ मगन हो जाइये..

_ और हो सके तो फिर.. ‘ उसके ‘ ही गुण गाइये..छोड़कर सब कुछ, फूल से हल्के होकर..

– ” सदा ही बस खिलखिलाइये,”मुस्कुराइये और फिजाँओं में, खुशबू की तरह बिखर जाइये..

मस्त होने का अर्थ होता हैः मन को खोना..

_ मस्त होने का अर्थ होता हैः नियंत्रण खोना..

_ मस्त होने का अर्थ होता हैः अपने अहंकार से थोड़े नीचे उतर आना,

_ मस्त होने का अर्थ होता हैः फिर से हो गए बालक जैसे निर्दोष;

_ फिर से भर गए जीवन के आश्चर्य से; फिर से वृक्षों की मस्ती और फूलों की सुगंध और हवाओं का नृत्य अर्थपूर्ण हो गया.

_ खो दी मन की, गणित की क्षमता..

_ वह जो तर्क का सतत जाल है, वह जो तर्क का सतत फैलाव है भीतर,

_ उसे तोड़कर क्षणभर को बाहर निकल आए;

_ जैसे कोई कारागृह से बाहर आ जाए..

_ बंद दीवारें और बंद दीवारों के भीतर की बंद हवा,

_ थोड़ी देर को जैसे कोई छोड़कर बाहर आ जाए…..!! – OSHO

हम खुद को मस्त कैसे रख सकते हैं ?

_ यारों अगर हमें जीवन में कुछ बड़ा करना है तो सबसे पहले अपने कान बंद करने होंगे,

_ क्योंकि हम क्या हैं और हम क्या कर सकते हैं वह सिर्फ हम जानते हैं.

_ दुनिया सिर्फ हमें बाहर बाहर से जानती हैं,.. हमारे अंदर क्या प्रतिभा है और हम कैसे दुनिया को बदल सकते हैं वो सिर्फ हम जानते हैं.

_ इसीलिए अगर हमने जीवन में खुश रहना है तो सबसे पहले खुद को समझें, खुद से प्यार करे, रोज सुबह उठकर योग और व्यायाम करें, अपने कंफर्ट क्षेत्र से बाहर निकले, अपने अंदर की प्रतिभा को जानें, खुद की कभी भी दूसरों से तुलना ना करें, अपने फोन से थोड़ी दूरी बनाकर रखें, खुद से बातें करें इत्यादि,

__ जीवन में कुछ खुद को महत्व (importance) देना सीखो और अपनी खुशियों को खुद हासिल करो.”

_ जैसे दुनिया तुम्हें देखना चाहती है, वैसे बिलकुल भी मत बनना ;जैसा तुम खुद को देखना चाहते हो, वैसा बनने के लिए जी जान लगा देना.”

अगर हम अपना विश्वास अपने भीतर खो चुके हैं तो उसे वापस ला सकते हैं ; बस प्रण लेना होगा कि अब से मैंने अपने जीवन में अच्छा ही अच्छा करना है ; फिर दुनिया चाहे हम पर विश्वास करे या ना करे, हमें अच्छा कहे या न कहे ; हमने अपने पथ से हिलना नहीं है तो, एक समय ऐसा आता है _

_ जब हम अपने ही भीतर आत्मविश्वास से भरपूर हो जाते हैं और फिर कोई हमारा साथ दे या ना दे, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता _ हम अपने में मस्त रहते हैं..!!

Break – ब्रेक, छुट्टी, रुकना, ठहरना, आराम, विश्राम, धीमी ज़िंदगी, Slow life, Relaxation

जीवन में दौड़ने के साथ रुकने की कला भी सीखनी है और जब रुकना होता है.. उस समय क्या करना होता है, ये भी जानना बहुत जरूरी है..

_ क्योंकि जिन पलों में हम रुके हुए होते हैं, उन पलों में हम आगे के लिए खुद को तैयार कर रहे होते हैं..!!

थक चुके हो तो रुक जाओ… इन भावनाओं से, परिस्थितियों से, दुःखो से थोड़ी देर के लिए छुट्टी ले लो… कहीं ठहर कर आराम कर लो… आराम करना हमेशा गलत नहीं होता…!!
कभी-कभी ब्रेक लेना ठीक रहता है ; _ जब चीजें आपके हाथ से निकल रही हों, तो अपनी हथेली खोलना ठीक है और सब कुछ खाली रहने दें.

मैंने आखिरकार इसे सीख लिया है, शायद इसलिए कि मुझे यही करना था.

मैं उन चीजों पर जोर नहीं दे सकता _ जिन पर मेरा नियंत्रण नहीं है; इस तरह मैं अपने आप को तनावपूर्ण बना रहा था _ जैसे कि मेरे जीवन से कुछ हमेशा के लिए गिर गया हो _ और इसने मेरे काम और जीवन को प्रभावित किया.

और मेरे मन में जो तनाव था _ वह मेरे लिए कुछ भी हल नहीं कर रहा था ; _ यह सब कुछ जटिल बना रहा था ; _ मानो इतनी पेचीदगियों में जी रहा हूं कि _ सुलझाना मुश्किल है.

_ तनावग्रस्त रहना ही मेरा एकमात्र विकल्प बन गया _ क्योंकि मेरे दिमाग ने मुझे अपने आप में इतना उलझा लिया कि मैं वास्तविक समस्या को हल करने के बारे में ही भूल गया.

मैं मूर्ख बन रहा था, _ जब तक कि एक दिन मुझे एहसास हुआ कि _ मुझे चीजों को अलग तरीके से _ क्यों और कैसे हल करना चाहिए.

_ मैं चीजों को अलग तरह से क्यों नहीं देख सकता और कुछ चीजें छोड़ देता हूं जो मुझे तनाव और दर्द दे रही हैं ? _ अगर मैं किसी चीज़ को नियंत्रित नहीं कर सकता, तो बेहतर है कि इसे छोड़ कर आगे बढ़ जाऊँ ; _ और उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करूँ _ जिन्हें मैं नियंत्रित कर सकता हूं.

लेकिन उसके लिए मुझे ब्रेक लेना पड़ा _ जो मैं ले सकता था ; _ मैंने अपनी मुट्ठियाँ, हथेलियाँ और बाँहें इतनी चौड़ी खोल दीं कि_ ऐसा लगा जैसे हवा मेरे फेफड़ों में आ जाए और मेरे द्वारा पकड़े हुए कचरे को दूर ले जाए.

और तब से, भले ही मैं अपने जीवन में बेहतर नहीं कर पा रहा हूं, मैं अपने आप से कहता हूं कि अगर यह मेरे लिए नहीं है तो सब कुछ रोक दूँ. _क्योंकि जो मेरे लिए है वो मेरे पास आएगा..

मैंने आज खुद को याद दिलाया कि जीवन में चौबीस घंटे से बढ़कर भी कुछ है. _ सभी लोग आपको बता रहे हैं कि.. आपको जल्दी करनी है, आपके दिमाग में यह विचार भर रहे हैं कि समय कम है.

_ जल्दी करने की कोई जरूरत नहीं है _क्योंकि चीजें एक दिन या एक महीने में नहीं बनती हैं. जीवन आसान और लंबा है, इतना छोटा और कठिन नहीं.. जितना लोग कहते हैं.

_ मैंने अपना जीवन कठिन बना लिया था.. क्योंकि मुझे खुद से बहुत ज्यादा उम्मीद थी.

_ मैंने सब कुछ एक जगह या एक दिन में नहीं समेटना सीखा ; एक वर्ष में 365 दिन होते हैं, और कौन जानता है कि.. आपको अभी भी कितने दिनों का पता लगाना है.

_ एक दिन में एक चीज के साथ काम करें और खुद को थोड़ा स्पेस दें.

_ और अगर चीजें ठीक नहीं चल रही हैं, तो यह पता लगाने की कोशिश करें कि आप उन्हें कैसे हल कर सकते हैं, _क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं है.. जिसे आप हल नहीं कर सकते.. जो आपके जीवन में हो रहा है. – यह इसलिए हो रहा है.. क्योंकि आप इसे संभालने में सक्षम हैं; आप अपनी अपेक्षाओं से परे नहीं हैं. _चीजें आपके नियंत्रण से बाहर नहीं हैं. ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है.. जो आपके जीवन में नहीं होना चाहिए.

_ सब कुछ समय पर है; चीजों में जल्दबाजी न करें और न एक ही बार में उन सभी के साथ अपने दिमाग को व्यस्त कर लें ; _ आपका दिमाग एक साथ कई चीजों पर काम करने के लिए नहीं बनाया गया है,

_ जब आप अपनी भावनाओं, चीजों और लोगों को मिलाते हैं तो यह अराजकता पैदा करता है ; सभी को अपनी जगह पर रखें.!!

ज्यादा से ज्यादा करने से जिंदगी नहीं बदलती; यह कम करके और यह जानकर बदल जाती है कि क्या कम करना है ;

_ अधिक करने से आपके मन में अव्यवस्था पैदा होती है; यह आपको एक पाश में फँसा देता है जहाँ आप यह तय नहीं कर सकते कि पहले क्या करना है,

_ जैसे मैं करता हूँ _ अपना काम पूरा करने के बाद _ कम करने से खाली समय मिलता है; इससे शांति मिलती है. _ यह आपके दिमाग को स्पष्ट करता है और आपकी सोच को व्यापक बनाता है; यह आपको लूप तोड़ने में मदद करता है.

_ और अब मैं यह समझ गया हूँ: मुझे एक बार में बहुत से काम करने की ज़रूरत नहीं है! मैं जितना सक्षम हूं उससे कम करने की जरूरत है.

_ ऐसा करने से, मैं अपने विचारों पर दबाव कम कर रहा हूँ; अब मुझे केवल एक ही चीज़ के बारे में सोचना है ; _ कभी-कभी, जब आप बहुत कुछ करने में सक्षम होते हैं, तो आप सब कुछ करने की कोशिश करते हैं और अंत में कुछ भी पूरा नहीं कर पाते हैं ; _ जो एक प्रकार की असफलता है.

सफलता इस बारे में नहीं है कि आप कितनी चीज़ें कर सकते हैं; यह इस बारे में है कि आप कितनी चीजें पीछे छोड़ सकते हैं और केवल एक चीज पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.

_ यह एक चीज़ को पूरा करने के बारे में है, न कि सब कुछ शुरू करने और उसमें से किसी को पूरा करने में सक्षम नहीं होने के बारे में !!

आप अक्सर थका हुआ महसूस करते हैं, इसलिए नहीं कि आपने बहुत अधिक काम किया है, _ बल्कि इसलिए कि आपने वह काम बहुत कम किया है जो आपके भीतर रोशनी बिखेरता है.

क्या होगा यदि हम बहुत अधिक काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि वास्तव में जो मायने रखता है वो काम बहुत कम कर रहे हैं ?

यह कठिन कार्य नहीं है जो हमें सबसे अधिक थका देता है, यह अर्थहीन कार्य है जो हमें सबसे अधिक थका देता है.

हर सुबह आंखें खोलते हैं, जैसे कोई बोझ उठाना हो,

_ हर शाम लौटते हैं जैसे किसी सजा की अवधि पूरी करनी हो..

_ ना जीने में रस है, ना मरने में डर..

_ बस एक अनकहा इंतज़ार कि कोई आये.. जो इस जीवन की पीड़ा को समझे,

_ जो बिना सवाल पूछे बस कह दे.. अब और नहीं चलो..

_ मैं तुम्हें इस बोझ से मुक्त करने आया हूँ…!

“सोने की तलाश में हमने खो दिया हीरा”

_ यह मुहावरा कितना सच है, जीवन में हम उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं.. जो करने में अच्छी होती हैं.. _ लेकिन हम अंत में महत्वपूर्ण लोगों या चीजों को भूल जाते हैं और बाद में पछताते हैं.

_ हम कुछ लोगों या चीजों पर बहुत अधिक विश्वास करते हैं.. जो इतना महत्वपूर्ण नहीं है ;

_ उस हीरे को खोजने के सही तरीके पर काबू पाने और ध्यान केंद्रित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि मैं एक समय में एक चीज ले रहा हूं, न कि बहुत अधिक बोझ.!!

“इस आंख ने बहुत कुछ देखा है”

_ वो किताबों के अक्षर, वो फिल्मों के पोस्टर, रातों के तारे, दिन के गुबार, शाम के धुंधलके, वो सावन, वो बारिश की बूंदें..

_ वो खुशी और गम में ..इन्हीं से छलकते आंसू..

_ वो बच्चों की किलकारियां और बड़े हो कर उनका सेटल हो जाना,

_ बीवी कि एक ज़िम्मेदार गृहणी की भूमिका ..जो कि होममेकर और लाइफमेकर दोनों रही,

_पिताजी की मशक्कत से लेकर झुक कर चलने की अदा, वो बहनों की राखियां, वो पसीने से भीग जाने की रियावयत, दोस्तों की बदमाशियां… सब देखा है इस आंख ने..

_अभी भी कुछ ख्वाब हैं इस आंख के…

_ थोड़ा घूमना-फिरना..

..वो सुकून से जीने के चार दिन, वो बिना चिंता के सुबह आंख का खुलना, आराम, सुकून की चाह..

_ बस इनके बंद होने से पहले ये कुछ देख लेना चाहता हूं..!!

_जिंदगी खत्म होनी है तो ..क्यों ना दुनिया के खूबसूरत रंग देखकर ..इसका उपयोग किया जाए ..

_अब बस यही जीना है जी भर के… Live Life… “जिंदगी मिलेगी न दोबारा..”

“अगर आप जीवन को जानते हैं, तो आप आराम महसूस करेंगे”

_ यह पंक्ति बताती है कि सच्चा आराम प्रयास या पलायन से नहीं, बल्कि जीवन को वैसा ही समझने से आता है जैसा वह है.

_ जब हम वास्तविकता का विरोध करना बंद कर देते हैं और नियंत्रण के भ्रम को छोड़ देते हैं, तो एक शांत सहजता उभरने लगती है.

• जीवन की प्रकृति को समझना: _ जीवन अप्रत्याशित है और लगातार बदल रहा है. _ इसे निश्चित या निश्चित बनाने की कोशिश करने से केवल तनाव ही पैदा होता है. _ लेकिन जब हम वास्तव में देखते हैं कि परिवर्तन और अनिश्चितता जीवन की संरचना का हिस्सा हैं, तो हम इससे लड़ना बंद कर देते हैं – और इससे शांति मिलती है.

• वर्तमान में जीना: _ हमारी ज़्यादातर चिंता अतीत को पीछे छोड़ने या भविष्य के बारे में चिंता करने से आती है. _ विश्राम तब आता है जब हम पूरी तरह से मौजूद होते हैं – बस यहीं, बस अभी – बिना किसी निर्णय या जल्दबाजी के.

• नियंत्रण से ज़्यादा स्वीकृति: _ लोगों, घटनाओं या परिणामों को नियंत्रित करने की कोशिश करने से सिर्फ़ तनाव बढ़ता है. _ असली आराम तब मिलता है जब हम चीज़ों को वैसे ही रहने देते हैं, जब हम जीवन को अपनी लय में चलने देते हैं.

• प्रवाह पर भरोसा करना: _ जीवन को जानने का अर्थ है इस बात पर भरोसा करना कि कठिन क्षणों का भी अपना स्थान होता है. जब हम यह चाहना छोड़ देते हैं कि सब कुछ “हमारे हिसाब से” हो, तो हम एक गहरी शांति का द्वार खोलते हैं – जो परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती.

संक्षेप में, विश्राम कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे आप हासिल करना चाहते हैं या जिसका आप निर्माण करना चाहते हैं. _ यह वह चीज़ है जो तब बचती है जब आप जीवन को समझते हैं, स्वीकार करते हैं और उस पर भरोसा करते हैं. – SACHIN

भविष्य में कहीं न कहीं आपका एक संस्करण फुसफुसा रहा है: “धीमा हो जाओ… इस पल का थोड़ा और स्वाद लो”

_ जब अस्तित्व आपके हृदय में कोई लालसा उत्पन्न करता है, तो उस पर विश्वास करें – यह आकस्मिक [accidental] नहीं है.

_ आपका शरीर ही आपका असली घर है.

_ नौकरियाँ, घर, कार – ये सब आते-जाते रहते हैं.

_ अपने शरीर को मंदिर की तरह समझो, नहीं तो एक दिन तुम अपने शरीर के अंदर बेघर महसूस करोगे.

_ कभी-कभी जिस नीरसता का आप विरोध करते हैं, वह वास्तव में जीवन द्वारा आपको दिया जाने वाला वह मौन है, जिसकी आप कभी भीख मांगते थे.

_ अगर आप दूसरों की वाहवाही के लिए जीते हैं, तो उनकी खामोशी से आप बिखर जाएँगे.

_ पानी की तरह बहो – उनकी राय में मत फँसो.

_ आप क्या बन रहे हैं, यही सबसे ज़्यादा मायने रखता है.

_ अतीत मर चुका है – उसे दफना दो.

_ पल-पल नया बनो.

_ खोज में वर्षों बीत जाते हैं… फिर स्पष्टता का एक क्षण सब कुछ जला देता है.

_ आपमें सबसे मजबूत होने का कोई दूर का भविष्य नहीं है – यह यहीं है, अभी.

_ जो झूठ है उसे छोड़ दें, और आपको स्पष्ट रास्ता दिखाई देगा.

_ जब हम ईमानदार होते हैं, तभी असली यात्रा शुरू होती है.!!

– SACHIN

“जीवन एक यात्रा है – कभी आसान, कभी कठिन” इस राह पर हम सभी मुसाफिर हैं.

_ कोई मंज़िल पास दिखती है तो कोई बहुत दूर,

_ लेकिन एक सच हर किसी के लिए समान है: हर इंसान को दूर चलना पड़ता है.

_ और जब राह लंबी हो, तो बीच-बीच में ठहराव भी जरूरी होता है.

_ आज की दुनिया ने रफ्तार को अहमियत दी है – जो जितना तेज़ दौड़े, वो उतना सफल माने जाता है.

_ लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, रुकना भी तो एक कला है ?

_ हर थके कदम को राहत चाहिए, हर भरे मन को सुकून की तलाश होती है.

_ इसीलिए कभी-कभी खुद से कहना चाहिए – थोड़ा आराम कीजिए.

_ थोड़ा ठहरना नाकामी नहीं है, ये समझदारी है.. यह वह पड़ाव है.. जहां हम खुद से दोबारा जुड़ते हैं, अपनी थकान को महसूस करते हैं और आने वाले सफर के लिए खुद को फिर से तैयार करते हैं.

_ जैसे किसी पेड़ को फल देने से पहले सर्दियों में शांत रहना पड़ता है, वैसे ही हमें भी खुद को रीचार्ज करने के लिए रुकना पड़ता है.

_ जब हम ठहरते हैं, तो हमें अपने भीतर की आवाज़ सुनाई देती है – जो तेज़ भागते हुए अक्सर दब जाती है.

_ तब हमें याद आता है कि यह यात्रा सिर्फ मंज़िल तक पहुंचने की नहीं, बल्कि हर कदम को महसूस करने की भी है.

_ इसलिए जब लगे कि बोझ बढ़ रहा है, कि सांसें थक रही हैं, कि दिल उदास है – तो खुद से कहिए: थोड़ा आराम कीजिए.

_ क्योंकि रास्ता अभी लंबा है, और हर इंसान को कहीं न कहीं बहुत दूर तक चलना ही होता है.

– Rahul Jha

आज के तेज़ दौड़ते युग में “धीमी ज़िंदगी [SLOW LIFE]” एक अंतर-यात्रा जैसा विकल्प है –

_ जिसमें जीवन की गहराई, उपस्थति, और सुकून को महत्व दिया जाता है, न कि केवल गति को.

🌿 स्लो लाइफ [SLOW LIFE] जीने का अर्थ क्या है ?

> “धीमी जिंदगी” का मतलब है – जीने की हर क्रिया में पूरी उपस्थिति के साथ होना.

_ ये “स्लो होना” नहीं, बल्कि “सच्चे मन और विवेक के साथ जीवन को चखना” है.

🔹स्लो लाइफ का मूल तत्व क्या होता है ?

🧘‍♂️ Present Moment Awareness – हर काम को जल्दी-जल्दी नहीं, पूरी उपस्थति के साथ करना.

☕ Mindful Routines – चाय पीना हो या सवेरे का योग – उसमें मन से शामिल होना.

🌿 Less is more – समान काम, व्यवस्तता कम, लेकिन अनुभव अधिक.

📱 Digital Discipline Mobile और screens से दूर रहकर जीवन से जुड़ना.

🤝 Gehre Sambandh – दोस्ती, बातें और समय – सब सच्चे और गहरे..

🐢 Apni gati pe jeena – अपनी गति पर जीवन का आनंद लेना – तुलना और दौड़ से परे.

> “जहां वक्त घड़ी से नहीं, सांसों से गिना जाता है – वहां स्लो लाइफ जी जाती है”

“Slow life वो कला है – जहां जीवन की हर सांस एक गीत बन जाती है.”

“Slow life जीवन को भागना नहीं सिखाता, – बल्कि “रुक कर देखना, महसूस करना, और ध्यान से जीना” सिखाता है”

“Slow life” एक कल्पना नहीं, बल्कि दुनिया के कई लोगों और जगहों का जीवन-स्थल बन चूका है –

_ जहां लोग समय को जीते हैं, दौड़ते नहीं.

🌍ऐसी जगहें या संस्कृतियाँ [cultures] जहाँ लोग “SLOW LIFE” जीते हैं:

🇮🇹 1. Italy – Tuscany ya Amalfi Coast _ लोग हर काम को कला [Art] की तरह करते हैं – खाना बनाना, बातें करना, बागवानी [Gardening] करना. _ यहाँ “la dolce vita” का concept है — “the sweet life”. _ लोग काम से ज़्यादा जीवन की आनंदमयी गुणवत्ता [Quality] पर ध्यान देते हैं.

🇯🇵 2. Japan – Okinawa _ यहां के लोग इकिगाई [Ikigai] के साथ जीते हैं – जीवन का अर्थ और शांति पाने के लिए. _ बहुत कम व्यक्ति तनाव [stress] लेते हैं, और कई लोग 100 साल तक जीते हैं. _ वहां का जीवन slow, simple और nature-centric है.

🇳🇴 3. Norway – The “Friluftsliv” Culture Friluftsliv = “Open-air living”. _ Norway के लोग प्रकृति के साथ समय बिताते हैं – बिना जल्दी के. _ Nature walks, fireplace evenings, और no rush mentality उनके culture में बस गयी है.

🇪🇸 4. Spain – Andalusia Region Siesta culture — दोपहर को आराम और शांति के लिए पूरी लाइफस्टाइल बना रखी है. _ समय पर खाना, समय पर आराम, और लोगों के साथ जीवन को सेलिब्रेट करना यहां आम है.

🇮🇳 5. India – Rishikesh, Auroville, Himachali गावों में.. Rishikesh ya Auroville जैसे स्थल slow, conscious living के प्रतिनिध हैं. _ यहाँ लोग व्यक्ति और समुदाय के रूप में mindful और soulful जीवन जीते हैं.

_ “Less consumption, more presence” यहां की सोच है.

🧘‍♂️ क्या कोई व्यक्ति slow life जीता है ? हाँ !!

_ आज भी कई लोग — minimalist, seekers —ऐसे जीवन को अपना चुके हैं :

_ और कई लोग जो silently अपने ही गांव ya nature के पास रहकर… मानव और prakriti के मेल से जीवन जी रहे हैं.

> “जहां वक्त घड़ी से नहीं, सांसों से गिना जाता है – वहां धीमी जिंदगी [SLOW LIFE] जी जाती है”

“अगर आप जीवन को जानते-समझते हैं, तो आप तनावमुक्त रहेंगे”

_ यह पंक्ति बताती है कि सच्चा तनावमुक्ति प्रयास या पलायन से नहीं, बल्कि जीवन को उसके वास्तविक रूप में समझने से आता है.

_ जब हम वास्तविकता का विरोध करना बंद कर देते हैं तो एक शांत सहजता उभरने लगती है. इस विचार पर एक गहन चिंतन [Deeper Reflection] प्रस्तुत है :-

• जीवन की प्रकृति को समझना: • Understanding the Nature of Life:

_ जीवन अप्रत्याशित है और निरंतर बदलता रहता है.

_ इसे निश्चित बनाने की कोशिश केवल तनाव पैदा करती है.

_ लेकिन जब हम वास्तव में यह समझ जाते हैं कि परिवर्तन और अनिश्चितता जीवन की संरचना का हिस्सा हैं, तो हम इससे लड़ना बंद कर देते हैं—और इससे शांति मिलती है.

• वर्तमान में जीना: • Living in the Present:

हमारी ज़्यादातर चिंताएँ अतीत को पीछे छोड़ने या आगे क्या होने वाला है, इसकी चिंता करने से आती हैं.

_ सुकून तब मिलता है जब हम पूरी तरह से मौजूद होते हैं—बस यहीं, बस अभी—बिना किसी निर्णय या जल्दबाज़ी के.

• नियंत्रण से ज़्यादा स्वीकृति: • Acceptance Over Control:

लोगों, घटनाओं या परिणामों को नियंत्रित करने की कोशिश करने से तनाव बढ़ता ही है. _ असली सुकून तब मिलता है जब हम चीज़ों को अपने हाल पर छोड़ देते हैं, जब हम ज़िंदगी को अपनी लय में चलने देते हैं.

• प्रवाह पर भरोसा: • Trusting the Flow:

जीवन को जानना इस बात पर भरोसा करना है कि कठिन क्षणों का भी अपना स्थान होता है। जब हम यह चाहना छोड़ देते हैं कि सब कुछ “हमारे अनुसार” हो, तो हम एक गहन शांति का द्वार खोलते हैं—जो परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती.

संक्षेप में [In essence,], विश्राम [relaxation] कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसके पीछे आप दौड़ते हैं या जिसे आप गढ़ते हैं.

_ यह वह है जो तब बचता है जब आप जीवन को जैसा है वैसा ही समझते हैं, स्वीकार करते हैं और उस पर भरोसा करते हैं.

– Sachin

कभी – कभी मैं सोचता हूं ये ज़िंदगी है क्या ?

_ मैं अपने आसपास नज़रें दौड़ाता हूं इस रहस्य को समझने के लिए तो देखता हूं दुनियां बहुत तेज गति से भाग रही है.

_ हाड़ – मांस से बना इंसान संस्कारो, जिम्मेदारियों, आडंबरों, अवधारणाओं और आवश्यकताओं से घिरा दौड़ा जा रहा है.

_ एक रेस सी लगी है लोगों में, सब एक- दुसरे से आगे निकल जाना चाहते हैं.

_ सबका दम फूल रहा है, पसीने से लथपथ हैं, लक्ष्य का पता नहीं पर दौड़ अनवरत जारी है.

_ पता नहीं दुनियां क्या पाना चाहती है, शायद धन, मान, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि, पावर……

_ मैं ख़ुद को टटोलता हूं तो पाता हूं मुझे इस दौड़ से कोई वास्ता ही नहीं… पर क्यूं ?

_ क्यूंकि मैं यहाँ सुकून से बैठ इस दौर को देख मुस्कुरा रहा हूँ.

_ मुझे नहीं जाना कहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए बस किसी दिन आकर कह देना- अरे पागल, अब तक यहीं बैठे हो.. चल चलते हैं…!!

– Anand Sharma

Toxic [टॉक्सिक] People – 2026

मैं उन लोगों से प्यार करता हूं जो मेरे जीवन में हैं और इसे अद्भुत बनाते हैं,

_ और मैं उन लोगों को धन्यवाद देता हूं, जो मेरी जिंदगी से दूर हो गये.. और इसे और भी शानदार बना दिया..”

_ उन्होंने इक काम कर दिया मेरा, जीना आसान कर दिया मेरा..

_ “”अपने जीवन के बारे में ऐसा निर्णय लेने के लिए कभी भी बुरा न मानें, जो दूसरे लोगों को परेशान करता हो.

_ आप उनकी खुशी के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, आप अपनी खुशी के लिए खुद जिम्मेदार हैं.

_ जो कोई भी चाहता है कि.. आप उनकी खुशी के लिए दुख में जिएं, तो वैसे लोग भी आपके जीवन में नहीं होने चाहिए.”

_ “अपने आप को इतना सम्मान दें कि.. आप ऐसे किसी भी व्यक्ति से दूर रहे.. जो आपकी कीमत नहीं देखता.!!”

_ “हर उस व्यक्ति से दूर हो जाओ.. जो आपको यह महसूस कराता है कि.. आप अच्छे नहीं हैं.”

_ “अच्छे लोगों का मिलते रहना जरूरी है…और कुछ लोगों का जीवन से जाते रहना ‘सुख’ है.”

_ जो चीज़ ज़िन्दगी के खिलाफ़ जाती हो.. उसको बोलेंगे टॉक्सिक, ज़हरीली, विषैली वग़ैरा-वग़ैरा.!!!

“क्या मैं सच में खोए हुए लोगों के पीछे अटका हूँ,

– या उनका जाना मेरे लिए किसी नए रास्ते की शुरुआत है ?”

_ यह मेरी सीख थी कि हर खोना, अंत में मेरा बोझ हल्का कर जाता है ?”

उन लोगों के लिए जो मेरे जीवन को सुंदर बनाते हैं, मेरी मुस्कान के पीछे के वो लोग, मैं आप लोगों को शुभकामनाएं देता हूं और मैं आप लोगों को ढेर सारा प्यार भेजता हूं.

To the people who make my life beautiful, the people behind my smile, I wish you all the best and I send you lots of love.

जो आया है उसके लिए आभारी हूं और जो कुछ बचा है उसके लिए आभारी हूं ; _ जो जाना था वह मेरा नहीं था.

Grateful for all that has come and grateful for all that has left.Whatever had to go was not mine.

मैं बेशक अकेला रह लूंगा, पर उन टॉक्सिक लोगों से दूर रहना है – जो आते हैं और खेल कर चले जाते हैं.!!
जिन लोगों ने मेरे कठिन समय में ठहरे होने की कद्र नहीं की..

_ उनका मेरे जीवन से, चले जाना ही सही है.

किसी को जाते हुए और कभी वापस न आते हुए देखना कठिन हो सकता है,

_ लेकिन यह आपके दिल के लिए अच्छा है, जब ज़रूरत हो तो दर्द सहें; आपको ज़िन्दगी में अपना हिस्सा मिल जाएगा.

अपनी बुरी स्थिति, बुरी परवरिश और टॉक्सिक लोगों को कोसने से बेहतर है कि ख़ुद की जड़ को ही मजबूत और सशक्त बना लिया जाए..!!
_ कुछ लोग हमारी ज़िंदगी में सिर्फ सिखाने के लिए आते हैं. _ वो हमें बताते हैं कि किसे पकड़ना है और किसे जाने देना है.

_ वो सिखाते हैं कि अपनी सीमाएं कैसे तय करनी हैं, किस पर कितना भरोसा करना है और सबसे ज़रूरी — खुद को कैसे संभालना है.

_ अब जब पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो नफरत नहीं होती, बस एक मुस्कान आती है.

_ क्योंकि उनके जाने से ही मैं आज इतना मजबूत बन पाया.

_ अब मैं हर किसी को इतनी जल्दी अपनी ज़िंदगी में जगह नहीं देता.

_ अब मैं उन लोगों को ज़्यादा क़दर करता हूँ, जो वक़्त बदलने पर भी मेरा साथ नहीं छोड़ते._ क्योंकि जो रुका रहा, उसी ने सच्चे होने की मिसाल दी.

_ जो गया, वो मेरी सबसे बड़ी सीख बन गया.

_ “उनका जाना मेरा अंत नहीं था, वो मेरी नई शुरुआत थी.

_ उन्होंने तोड़कर मुझे सिखा दिया कि अब मैं खुद को कभी किसी के लिए खोने नहीं दूँगा.”

” कुछ लोगों को छोड़ना इसलिए भी ज़रूरी होता है, __ अगर आप उन्हें नहीं छोड़ेंगे तो _ वो आप को कहीं का नहीं छोड़ेंगे !
“कभी-कभी आपको लोगों का साथ छोड़ना पड़ता है ; _ इसलिए नहीं कि आपको परवाह नहीं है_ बल्कि इसलिए _क्योंकि उन्हें परवाह नहीं है.!!
मैंने छोड़ दिए वो टॉक्सिक लोग, जिन्होंने मुझे समझना नहीं चाहा, _ मैंने छोड़ दी वो परिस्थिति, जिसने मुझे कमजोर बनाने की कोशिश की.. _ क्योंकि अगर मैं इन्हें नहीं छोड़ता तो ज़हर मुझे अपना लेता.. _ इसलिए मैंने जीवन त्यागने से बेहतर इन सब का त्याग करना चुना.!!”
अब तो मन को भी किसी से मिलकर खुशी नहीं मिलती, लोगों के चेहरों पर इतने मुखौटे हैं कि किसी से बात करने में भी घबराहट होती है.!!
मैंने खुद को टॉक्सिक लोगों से दूर कर लिया है और बस अपने जीवन, अपने उपचारों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूँ.

_ मैंने लोगों को सुझाव या सुधार देना या उनसे नैतिक रूप से अच्छा इंसान बनने के लिए कहना बंद कर दिया है.

_ मुझे लगता है कि लोगों के मूल्यों को जगाना बेकार है जब वे मेरे जैसे किसी व्यक्ति के विपरीत सैकड़ों लोगों से घिरे हों.!!

मेरी मजबूरी नहीं, पाखंडी और टॉक्सिक लोगों से ताल्लकु रखना..!!

_ अगर मैं रिश्ता नहीं तोड़ सकता.. तो दूरी बनाए रखना मेरे कण्ट्रोल में है, और ये मेरा हक़ भी है.

_ ‘मैंने अब ऐसा करना शुरू कर दिया है.’_ अब अगर मेरा बदला हुआ रवैया आपको अखर रहा है तो.. अपने गिरेबान में झांकिए..!!

_ कुछ खत्म करना भी जरुरी था, _ कुछ नया शुरू करने के लिए..””
— कभी-कभी उन लोगों को खो देना जिन्हें आप खोने के लिए तैयार नहीं हैं, _उन्हें खो देना ही आपके बढ़ने का एकमात्र तरीका है.
_ “खामोशी में लोगों को माफ करना और शायद उनसे दोबारा बात नहीं करना ..आत्म देखभाल का एक रूप है.”
_जितने लोग फालतू में अपने होने का नाटक करते हैं, वे पहले ही छूट जाएँ तो जीना आसान हो जाएगा.”
“हकीकत तो यह है कि हम अपनों का नकाब ओढ़े बहुत से टॉक्सिक लोगों से घिरे हुए हैं !!”
_ “टॉक्सिक रिलेशन को शीघ्रता से समाप्त करें, आपकी शांति _ उनके नाटक से अधिक मूल्यवान है.
_ “वक़्त रहते टॉक्सिक लोगों से दूर हो जाओगे तो अच्छा रहेगा, वरना वो आपका सुख-चैन सब छीन लेंगे !!
_ टॉक्सिक लोगों को आपको पीछे छोड़ना पड़ता है, लेकिन यह अपने लिए एक अच्छा कदम है, उनके लिए नहीं..!!
_ अपने आसपास से, टॉक्सिक लोगों से मुक्ति पायें, जो आपको लगता है कि समस्या है और कचरा है.
_ “टॉक्सिक लोगों से दूर हो जाना ही बेहतर होता है, जो हमारा दम घोंट देते हैं.”
_ कुछ लोग आपको खो देने के पछतावे के ही लायक़ होते हैं, आपके साथ के नहीं.!!
_ कई बार हम टॉक्सिक लोगों से दूर नहीं हो सकते, पर ख़ुद के लिए एक बाउंड्री जरूर खींच सकते हैं, कि एक सीमा के बाद हम नहीं झेलेंगे.!!
_ कई बार लोगों को छोड़ना पड़ता है.. क्योंकि उन्हें यह वहम होता है कि वे आपके साथ कितना भी गलत कर लें, आप उन्हें नहीं छेड़ेंगे.
_ आगे बढ़ने के लिए, हमें उन लोगों के साथ संबंधों को काटने का दर्द सहना चाहिए, जो हमें बढ़ने से रोकते हैं..!!

_ जो सबका होता है.. वो किसी का नही होता.!!

_ टॉक्सिक लोग आपकी सफलता पर तारीफ़ जरूर करेंगे, पर चुपचाप इंतज़ार करेंगे आपकी हार का !!
_ अपनी मानसिक शांति के लिए उन तमाम टॉक्सिक लोगों से दूर रहें, जो बेईमान है, जो धोखा दे रहे हैं, जहां प्रेम खोखला है.!!
_ मैंने कभी किसी का न बुरा किया ना चाहा, _ लेकिन जो मेरे दिल से उतरा ..उससे ऐसे किनारा किया कि ..मेरे लिए वो एक्सिस्ट [exist] नहीं करता जैसे.!!
_ मेरी अब तक की सबसे बड़ी गलती यह है कि _कई लोगों को _उनकी योग्यता से कहीं अधिक समय तक _मेरे जीवन में रहने दिया.!!
_ मैं कुछ छोटी सोच वाले और ईर्ष्यालु व्यक्तियों को मेरे प्रयासों को विफल करने की संतुष्टि देने के लिए तैयार नहीं हूं, _ये लोग मेरे लिए एक भयानक बीमारी के रोगाणुओं से अधिक कुछ नहीं हैं.
_ मैनें उन टॉक्सिक लोगों को छोड़ दिया, जो औरों को खुश करने के लिए मुझे तकलीफ देते थे.!!
_ जो टॉक्सिक लोग मेरे साथ ग़लत करते आ रहे हैं, उनके बुरे रवैये के लिए दूरियां ही श्रेष्ठ है.!!
_ वे आपको पसंद नहीं करते हैं, लेकिन वे अभी भी आपके द्वारा की जाने वाली हर चीज को देखने का समय निकाल लेते हैं.!!

_ वे आपको पसंद करें या ना करें, उनके टॉपिक में आपका जिकर होना, आपकी शक्तिशाली छवि को दर्शाता है.!!

_ जिस खास के लिए आप खास नहीं हैं, तो उसे आम कीजिए और किस्सा तमाम कीजिए..!!
_ आपके जीवन में वह समय आएगा जब लोगों को पछतावा होगा कि _उन्होंने आपके साथ गलत व्यवहार क्यों किया.!!”
_ “अपने और उन लोगों के बीच दूरी रखें _ जो नाटक करते हैं _और आपकी आंतरिक शांति के साथ खिलवाड़ करते हैं. _ दूर जाने से थोड़ी देर के लिए चोट लग सकती है, लेकिन अंत में आपका दिल ठीक हो जाएगा.”
_ टॉक्सिक लोगों से बात करना और समय खर्च करना खुद को ज़लील करने जैसा है, इसलिए ऐसों से पाला ना पड़े कभी !!
_ पहले मेरी सोच थी कि मेरे बहुत से अपने हैं, लेकिन अब मुझे विश्वास है कि.. मैं बस बहुत से लोगों को जानता हूँ !!
_ यह बहुत अच्छा है, जब टॉक्सिक लोग आप से बात करना बंद कर देते हैं,__ यह ऐसा है – “जैसे कचरा अपने आप बाहर निकल गया”.!!
हालाँकि पहले से पता लगाना मुश्किल है, लेकिन टॉक्सिक लोग अपने व्यवहार से हमें कुछ संकेत ज़रूर देते हैं.. _ बस हम समझ नहीं पाते.!!
_ अच्छे लोग हमेशा अच्छे लोगों से जुड़ना चाहते हैं ताकि उनका मानसिक विकास हो.. टॉक्सिक लोगों से वह दूरी ही बना कर रखते हैं.!!
_ दूसरों की सुविधा के लिए इतना भी एडजस्ट न हो जाएं कि _आपकी असुविधा का उन पर कोई फर्क ही न पड़े.
_ ” आप किसी और की खातिर खुद को नष्ट नहीं कर सकते ; आपको अपनी भलाई को प्राथमिकता देनी होगी !! _ चाहे इसका मतलब किसी ऐसे व्यक्ति से रिश्ता तोड़ना हो _ जिसकी आप परवाह करते हैं,  _ परिवार के किसी सदस्य को दूर से प्यार करना, _ किसी दोस्त को छोड़ना,या खुद को ऐसी स्थिति से दूर करना जो दर्दनाक लगती है – आपको छोड़ने और अपने लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने का पूरा अधिकार है..!!”
_ जब आप शांति चुनते हैं, तो यह ढेर सारी अलविदा के साथ आती है ; __ अपने जीवन को बेहतर बनाने के निर्णयों का अर्थ.. अक्सर उन लोगों से संबंध तोड़ना होता है _ जो आपकी पसंद का समर्थन नहीं करते हैं..!!
_ हम उन टॉक्सिक लोगों के बारे में सोच-सोच कर अपने जीवन का कीमती समय और एनर्जी बर्बाद कर देते हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को कभी नरक बनाया था ; _अगर हम आज भी वही कर रहें हैं तो हम उन लोगों के उद्देश्य को ही पूरा कर रहे हैं, अपने जीवन को नरक बना कर… इसलिए उन पर अपना समय और एनर्जी न लगाएं.!!
_ टॉक्सिक लोगों द्वारा दिया गया धोखा मजबूत लोगों को तोड़ता नहीं है—यह उन्हें रूपांतरित करता है. _ जिसने आपको धोखा दिया, उसने एक वफादार व्यक्ति को खो दिया, लेकिन आप ? _ आपने उस व्यक्ति को खो दिया.. जो आपको डिजर्व नहीं करता था.. और यह कोई नुकसान नहीं है—यह एक आशीर्वाद है.!!
_ मैंने उन टॉक्सिक लोगों को जीवन से विदा कर दिया जो मेरा सारा मीठा पानी पी जाते थे और अपना खारापन छोड़ जाते थे..!
_ टॉक्सिक लोग आपसे इसलिए भी नाराज़ हैं, क्योंकि आप उस तरह से कष्ट नहीं उठा रहे हैं.. जैसा उन्होंने सोचा था.!!
_ लोगों को खोने से मत डरो ; _अपने आसपास के सभी लोगों को खुश करने की कोशिश में खुद को खोने से डरें.
_ लोग मुझे आसानी से खो सकते हैं, मैं उन लोगों पर नहीं अटकता.. जो मेरे लायक नहीं हैं.
_ जब आप सच्चे बने रहते हो, तब आप उन लोगों को खो देते हो, जो आपके लायक नहीं होते.!!
_ “सावधान रहें, जिन्हें आप अपने से दूर धकेलते हैं, _क्योंकि असली लोग वापस नहीं आते.!!”
_ “कुछ गलत लोगों से वो हमें दूर कर देता है, ताकि हमारी जिंदगी खराब न हो !!”
हर उस टॉक्सिक इंसान को अपनी ज़िन्दगी, अपने विचारों से दूर रखिए, जो आप की कद्र नहीं करता..

_ जिस इंसान को आप की कद्र ही नहीं, आप उस के लिए अपनी ऊर्जा, अपनी सोच क्यों खर्च कर रहे हैं,

_ अपना ध्यान अपने ऊपर लगाइए, क्योंकि अंत में आप ही ऐसे इंसान होंगे जो आप के लिए खड़े होंगे.. दूसरा कोई नहीं..!!

जीवन से जब टॉक्सिक लोग निकल जाते हैं, जीवन फूल जैसा हल्का हो जाता है, फिर आपको निजी संघर्ष से लड़ने के लिए भी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है ;

_ ख़ुद को मज़बूत रखें !! लोगों पर विश्वास करें…, मगर आँख बंद करके नहीं..

_ दुनिया में अधिकतर लोग आपको सिर्फ उपयोग करना जानते हैं, सहयोग नहीं.!!

टॉक्सिक लोग से दूरी बना लेना ही बेहतर है… कोई प्रतिक्रिया न दें, किसी बहस में समय बर्बाद न करें… और ना ही किसी प्रकार के स्वांग में पड़ें केवल शांत हो जाइये… और अपनी उपस्थिति वहाँ से सदैव के लिए मिटा दिजिए..!!
अकेले रह जाओ, या ख़ुद को पहले मानसिक रूप से प्रोटेक्ट करो..

_ तभी ऐसे टॉक्सिक लोगों के पास जाओ, अन्यथा आप भी इनकी तरह हो जाओगे.!!

अच्छे और सच्चे रिश्ते न तो खरीदे जा सकते हैं, न उधार लिए जा सकते हैं.

_ इसलिए उन लोगों को जरुर महत्व दें, जो आपको महत्व देते हैं.

_ ऐसा संबंध जहां सामने वाला हमारे आत्मसम्मान को लगातार कम करने की कोशिश करता है, नीचा दिखाता है, कंट्रोल करने की कोशिश करता है, तनाव पैदा करता है, नकारात्मक महसूस कराता है,

_ तो हमें समझ जाना चाहिए.. हम टॉक्सिक रिलेशनशिप के जाल में फंस चुके.

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अपना बनके दगा देने वालों की सज़ा ये है कि उसे ज़िंदगी में शून्य मान लिया जाए.

_ टॉक्सिक इंसान को अपनी ज़िन्दगी में साथ रखते हैं तो वो उसका नहीं हमारा ख़ुद का नुकसान है,

_ ऐसा इंसान ये मान बैठता है कि रिश्ता निभाने वाला उसके फरेब में आकर रिश्ता निभा रहा है तो उसे आईना दिखाना ज़रूरी है.

_ उसे बताइए कि आपकी असलियत जानते हैं, लेकिन हमारा क़िरदार है दगा नहीं करना.

_ ज़्यादातर इंसान हमारे साथ धोखा इसलिए करते हैं, क्योंकि हम उन्हें ये बताते नहीं कि हम तुम्हारा फ़रेब जानते हैं.

_ ऐसे टॉक्सिक लोगों को अपनी ज़िंदगी में ऐसे रखें कि उनका रवैया हमें ज़हरीला न बनाए.

_ हां कुछ रिश्तों से इंसान मुंह नहीं मोड़ सकता है, कुछ रिश्तों की मजबूरी तो कुछ इंसान जज़्बाती तौर पर भी कमज़ोर होता है..

_ तब भी फ़रेबी इंसान को उसका फरेब ज़रूर दिखाएं.!!

टॉक्सिक लोगों से जुड़े रहना और समय या मौका मिलने पर भी उनसे संबंध न तोड़ना आपको कभी न कभी परेशानी में डाल देगा..

_ समझ नहीं आता लोग अपने आस पास इतना टॉक्सिक एनवायरनमेंट लगातार क्यूँ झेलते हैं, अलग होना क्यूँ नहीं चुनते..

_ ऐसे लोगों से दूर ही रहना भला होता है, आपको संबंध तोड़ने आने चाहिए.

_ रिश्ते कितने भी खास क्यूँ न हों.. लेकिन अगर सामान्य बात बर्ताव सही नहीं है, किसी गलत चीज कि अधिकता है.

_ तमाम बात चीत के बाद भी मामला नहीं सुलझता.. तो अलग होना चुनना चाहिए.

_ कैसे भी करके आप एक बार अलग हो जाएँ, यकीन मानिए आपकी जिंदगी दोबारा से शुरू हो जाती है.

_ शुरू के कुछ दिन कठिन लग सकते हैं, लेकिन जीवन फिर से चल पड़ता है.

_ जहां आपको रोज खिट पिट करनी पड़े, ऐसे मित्र सम्बन्धों या निजी सम्बन्धों से अलगाव कर लेना ज्यादा बेहतर साबित होगा.

_ अपने से जुड़े लोगों द्वारा किए जा रहे लोगों के गलत कामों को ignore न करिए, जल्दी से जल्दी उनसे अलग होना चुनिये.

_ आपसी संबंध समाप्त करना एक साधारण प्रक्रिया होना चाहिए.

_ लोगों से संबंध विच्छेद किए जाने स्वीकार्य होने चाहिए.

_ दो मनुष्यों मे न बने तो उनको अलगाव चुनना चाहिए._ अपने आस के मित्रों, सगे संबंधियों, बॉयफ्रेंड/गर्लफ्रेंड अथवा पति/पत्नी टाइप के रिश्तों मे भी यदि एक पक्ष जाना चाहता है.. कृपया उसे जाने दें.

_ सहजता से जाने देना सीखिये, सहजता से दूरी बनाना सीखिये.

_ किसी से अलग होना सीखिये, किसी से दूर होना सीखिये.

_ किसी से बिना लड़े झगड़े संबंध विच्छेद करना सीखिये, क्यूंकी आप नहीं जानते कब दूसरा पक्ष आपसे छुटकारा पाने के लिए क्या कर बैठे..

_ और यदि कोई आपसे संबंध विच्छेद चाहता है.. उस स्थिति को भी स्वीकार करिए, लड़िए झगड़ने नहीं.

_ जो लोग जाना चाहते हैं.. उनको जाने दीजिये.

_ जीवन से लोगों के जाने देने को सहज बनाइये, तमाम समस्याएँ सुलझ जाएंगी..!!

“जो सबका बनना चाहते हैं” जो सबका मन रखने को, हर रिश्ते में निभाने को हर किसी से जुड़ते हैं —वो सबसे ज़्यादा खतरनाक होते हैं.

_ ना कभी कसकर थामते, ना पूरी तरह छोड़ते हैं, ऐसे लोग बस खेल खेलते हैं.

_ जब आप थक हार कर उनसे दूरी बना लोगे, वो फिर से पास बुलाएँगे —ताकि फिर से तोड़ सकें आपको.

_ उनके पास कमी नहीं चाहने वालों की, आप नहीं तो और सही —हर किसी को रखते हैं एक जैसी जगह.

_ उनका प्यार नहीं होता, सिर्फ एक फ़ैंटेसी होती है, जहाँ वो राजा होते हैं और हम सब मोहरे.

_ आप जब टूटते हो उनकी बेरुखी से, वो तब भी वही रहते हैं — निर्मम, निर्विकार, अपने ही धुन में.

_ जो हर किसी को संतुलन में रखना चाहते हैं, वो कभी किसी के नहीं होते —ना दिल से, ना वक़्त से.

_ ऐसे लोग नहीं जानते प्यार क्या होता है —वो सिर्फ़ भावनाओं से खेलते हैं, और अपना खालीपन भरते हैं.. दूसरों के भरोसे और प्यार को तोड़कर.!!

सच और सीधी बात सिर्फ सही लोग ही पचा सकते हैं..

_ इसलिए बेझिझक बोलो, टॉक्सिक लोग खुद-ब-खुद छंट जाएंगे.

कभी कभी हम सामने वाले को देखते ही वैसा मान लेते हैं, जैसे हम होते हैं,

_ पर हम भूल जाते है कि सब इंसान एक जैसे नहीं होते हैं..

_ और सबको एक नजर से देखना बेवकूफी होता है..

_ कुछ लोगों का हमें हंसाना भी रोने जैसा होता है, जिससे हम धोखा खा जाते हैं,

_ जैसे ही हमें पता चले कि हमने गलती कर दी है इंसान पहचानने में..

_ तो बिना एक पल देरी किए हुए उनसे दूर हो जाएं, भले ये कठिन होगा पर खुद की रुसवाई होने से अच्छा है.. ये कठिनाई झेलना,

_ और ये याद रखें कि ये सिर्फ आपकी गलती थी, आप उनके पास गए उन्होंने आपको कभी बुलाया नहीं था..

_ इसलिए उनके लिए कुछ भी बुरा नहीं बोलें.. बस हंसते हुए चुप चाप अलग हो जाएं..!!

जब हमें कोई बुरा या टॉक्सिक व्यक्ति मिलता है जिससे हमें नुकसान होता है, तब यही सोच कर दिल को तसल्ली करनी होती है कि इससे भी बुरा मिल सकता था, इससे भी ज़्यादा नुकसान हो सकता था.

_ हमें जितनी भी बड़ी चोट लगे, तसल्ली के लिए यही सोचना होगा कि इससे भी बड़ी चोट लग सकती थी.

_ बहुत बड़ी दुर्घटना हो जाए तो सोचिए, शुक्र है, बच गए, मर भी सकते थे.!!

हम उन लोगों को क्यों चाहते हैं जो इसके लायक भी नहीं हैं ?

_ हम उन्हें अपनी पूरी ज़िंदगी देने का फ़ैसला क्यों करते हैं,

_ जबकि वो हमारी ज़िंदगी के एक घंटे के भी हक़दार नहीं हैं ?

_ हम खुद को इतना कम क्यों समझते हैं कि उनसे बात करना हमें एक विशेषाधिकार लगता है ? ऐसा क्यों होता है ?

_ हमें ऐसे टॉक्सिक लोगों से दूर रहना चाहिए.!!

बोर, बोरियत, ऊब, उबाऊ, डिप्रेशन, Bore, Boredom, Sadness, Depression, नीरसता या समानता से थक जाना – 2011

कोई उबाऊ विषय नहीं हैं, केवल उदासीन मन हैं.

There are no boring subjects, only disinterested minds. – Gilbert K. Chesterton

जब लोग ऊबते हैं तो यह मुख्य रूप से स्वयं से होता है.

When people are bored it is primarily with themselves. – Eric Hoffer

डिप्रेशन [ Depression ] क्या है ?

जिन विचारों या बातों को हमारा दिमाग सही मानता है, और फिर भी हम उनको जीने का साहस नहीं कर पाते, _तो वही विचार हमको बीमार बनाते हैं, यही है ” डिप्रेशन “

Note : जब कोई हमारे दिमाग पर कब्जा कर लेता है तो _हमें अपना सब कुछ गंवाना पड़ता है.

_दौलत की लूट से ज्यादा खतरनाक है, दिमाग का लुट जाना..

डिप्रेशन, बोरियत, निराशा, चिड़चिड़ापन, आक्रोश, गुस्सा, ईर्ष्या और डर जैसी भावनाएँ, बुरी खबर होने के बजाय, वास्तव में बहुत स्पष्ट क्षण हैं _जो हमें सिखाते हैं कि हम कहाँ रुके हुए हैं.

_ वे हमें सिखाते हैं कि _ जब हमें लगे कि हम ढह जाना पसंद करेंगे और पीछे हटना चाहेंगे तो हम खुश हो जाएं और झुक जाएं ;

_ वे हमारे सहयोगी की तरह हैं _ जो स्पष्टता के साथ हमें दिखाते हैं कि हम कहां फंस गए हैं..

_ यह क्षण ही आदर्श शिक्षक है, और, हमारे लिए भाग्यशाली है, हम जहां भी हों, यह हमारे साथ है… हमारे आनंद से जुड़ने में सबसे बड़ी बाधा “नाराजगी” है.

डिप्रेशन से घिरा हुआ कोई व्यक्ति अगर सबकुछ बर्दाश्त करते हुए भी अपनी जिंदगी जी रहा है, तो इसका मतलब है कि वो बहुत सहनशील और मजबूत है..

_ पूरी हिम्मत के साथ ऐसे ही जीते रहना अच्छा है.. कमज़ोर तो वही है जिसमें सहनशक्ति नहीं है..!!

बोरियत [ Boredom ] मानसिक और आध्यात्मिक रूप से अलग होने से आती है.
बोरियत भी एक प्रकार की व्यस्तता है, जब कुछ करने को दिल नहीं करता.
बोरियत नवीनता की खोज को प्रेरित करती है ;

_बोरियत के बिना, इंसानों को साहस और नवीनता की तलाश की इच्छा नहीं होगी.

_ इससे ही हम जिज्ञासु और लगातार अगली नई चीज की तलाश में होते हैं.

_बोरियत एक भावनात्मक संकेत है कि _हम वह नहीं कर रहे हैं _जो हम करना चाहते हैं;

_अर्थात बोरियत नए लक्ष्यों का पीछा करने के लिए प्रेरित करती है.!!

जब भी बोरियत का अनुभव हो, _आप उस पल में अपने दिमाग या ऊर्जा के साथ _कुछ और कर के _इसे खत्म कर सकते हैं.!!
जब हमारे जीवन का अधिकांश समय अपनी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संसाधन जुटाने में ही बीत जाता है, तो फिर बोर होने का समय कहां है ?
जीवन कभी उबाऊ नहीं होता, लेकिन हम लोग ऊबने और खुश न रहने का चुनाव करते हैं.

_खुश रहने के लिए आपको किसी वजह की जरूरत नहीं है…आपकी खुश रहने की इच्छा ही काफी है.

_हमारे पास वह सब कुछ है, जो हमें खुश रहने के लिए चाहिए, लेकिन हम खुश नहीं हैं ;

_ हम विवाह, प्रतिष्ठा, धन चाहते हैं और जो कुछ चाह रहे थे, _ वह प्राप्त हो जाने पर भी दुखी और विक्षिप्त रहते हैं.!

_मतलब कहीं तो कुछ छूट रहा है.!!

यह मन की अजीब उलझन है, रोज-रोज एक ही दिनचर्या [same routine] से ऊब तो होती है,

_ लेकिन जैसे ही उस दिनचर्या में थोड़ा सा भी बदलाव आता है, तो सुकून भी खो जाता है..

_ ऐसा लगता है जैसे मन आदतों का इतना आदी हो गया है कि… वह न तो एकरसता बर्दाश्त कर सकता है और न ही बदलाव..

_ यही कारण है कि इंसान अक्सर असंतोष में जीता है.!!

अधिकांश लोग ऊब से भरे है, क्यों कि जीवन को ढगं से जिया ही नही जा रहा..!!

_ हम सब बस अपने मनोवैज्ञानिक डिब्बे में कैद होकर जी रहे हैं,

_ व्यापकता से जुड़े बिना जीवन एक तुच्छ [Insignificant] सी चीज होकर रह जाता है..

_ जो बस आपके दिमाग में इकठ्ठा हुए डेटा के दायरे भर में सिमटा है,

– कीड़े मकोड़ों सा जीवन—पढाई–काम– शादी–बच्चे–मकान

_ एक बीमार व उबाऊ घिसटता जीवन..!!

_ हमें जीवन में एक नई दृष्टि को पाना है— “दिव्यदृष्टि”

मैं आप के लिए बहुत खुशी की कामना नहीं करता–यह आपको बोर कर देगा;

_मैं भी नहीं चाहता कि आप को परेशानी हो;

_ लेकिन, लोगों को दिखावा करते हुए, नहीं जियो ;

_ मैं बस दोहराऊंगा: ‘ज्यादा जियो’ और कोशिश करें कि _किसी तरह बहुत ज्यादा बोर न हों;

_ इसी ख़्वाहिश के साथ ‘ज्यादा जियो’

मन के उब जाने के बाद इस बात कि जरा भी फिक्र नहीं रहती कि अब सब कुछ कैसे खत्म किया जाए,

_ बात चाहे किस्से कहानियों की हो, रिश्ते की हो या हो जिंदगी की सब अधूरा रह जाता है…!

हम एक वक्त के बाद ऊब जाते हैं और फिर चिढ़ने लगते है उस बात से.. जिसके लिए कभी दीवानगी रही थी.!
मनपसंद शख़्स अगर हर मर्ज की दवा है..

_ तो दूसरी तरफ depression की सबसे बड़ी वजह भी है.!!

जब आप जीवन से ऊबें तो अपने चारों ओर एक झूठ रच लें,

_ ऐसा झूठ जो सच लगे और किसी की पकड़ में न आए.

_ ऊब मिटाने के लिए इससे बेहतर क्या होगा कि लोग जिसे सच समझ रहे हैं, असल में वह बहुत बड़ा झूठ है,

_ जो किसी को नहीं पता और जिसकी संरचना आपने की है..!!

भागदौड़ भरी जिन्दगी में हम सबकुछ करते हैं, बस खुदका ख्याल रखना भूल जाते हैं.

_ यह भूल शुरुआत में बहुत ही सामान्य लगती है ..लेकिन वक्त जैसे जैसे आगे बढ़ता है.

_ यह हमारे सामने कभी एंजाइटी तो कभी डिप्रेशन के रूप में आने लगती है और सामान्य नहीं रह जाती.

_ यह हमें एक ऐसी खाई की तरफ ले जाती है ..जहां पर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा होता है.

_ ऐसे में हमें सबसे पहले खुदका और खुद की मनोदशा का ख्याल रखने की जरूरत है.

_ खुद को सदैव अच्छा फील कराने की जरूरत है.

_ यह समझने की जरुरत है कि ..अपनी मेंटल हेल्थ और इमोशनल बैलेंस को कैसे स्थापित किया जा सकता है.

_ यह बातें छोटी मगर बेहद ही जरूरी हैं.

_ कुछ लोग इस जरूरत को खुद ही समझ जाते हैं, कुछ लोगों को इसे समझने में दिक्कत आती है.

_ अपने मनोदशा को समझने के क्रम में तरह तरह के संगीत और कला का आनंद ले सकते हैं.

_ तरह तरह की शारीरिक गतिविधियों और प्रकृति के माध्यम से अपने आपको हिल [ heal ] कर सकते हैं.

अवसादित मनुष्य अपने अवसाद [Depression] और विक्षिप्तता का परिचय स्वयं अपने शब्दों द्वारा नही करवाता.. बल्कि उसकी हरकतें उसका परिचय करवाती है,

_ जो शब्दों के द्वारा बताए अपनी हकीकत, वह महज वैसा दिखने की कोशिश कर रहा है, अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए…!

“हर व्यक्ति को बचपन से ही यह सीखना चाहिए कि खुद के साथ कैसे समय बिताना है. _ इसका मतलब यह नहीं है कि उसे अकेला रहना चाहिए, बल्कि यह है कि उसे खुद से ऊब नहीं होना चाहिए क्योंकि जो लोग अपनी ही संगति में ऊब जाते हैं, _ वे मुझे आत्मसम्मान के दृष्टिकोण से खतरे में लगते हैं.”

“Every person needs to learn from childhood how to be spend time with oneself. _ That doesn’t mean he should be lonely, but that he shouldn’t grow bored with himself because people who grow bored in their own company seem to me in danger, from a self-esteem point of view.”

अभी पिछले कुछ दशकों से हमारे देश मे कुछ नए नकारात्मक शब्द आयातित हो गए हैं जो पहले कभी नहीं सुने गए,

_ बोलने की तो बात छोड़िये साब ! साठ के दशक में एक शब्द आया कहीं से ‘बिजी’

_ हम बड़े ‘बिजी’ है, हमारे पास ‘टाइम’ नहीं है, मरने तक कि फ़ुरसत नहीं है !

_ काम कुछ नहीं पर ‘बिजी’ बहुत हैं.

_ अरे भाई ‘बिजी’ नहीं ‘ईजी’ रहिए..

_ अपने समय का सही से प्रबन्धन करिए, सबके पास वही चौबीस घण्टे का समय है.

_ कोई इनमें इतना काम कर लेता है और फिर भी अपने लिए, अपनों के लिए और दोस्तों के लिए भी समय निकाल लेता है, अपनी प्राथमिकता तय कीजिए.

_ फिर अस्सी के दशक में एक और नया शब्द आया ‘मूड’ ठीक नहीं है.

_ अभी हमसे बात मत करिए, अभी ‘मूड’ सही नहीं है, बाद मे देखेंगे, बाद में सोचेंगे, बाद मे करेंगे.

_ आज ये शब्द आम बातचीत का हिस्सा बन गया है, समाज मे रच बस गया है.

_ बच्चे भी कह रहे होते है- मेरा मूड ख़राब मत करो.

_ हाल के वर्षो में फिर एक और नया शब्द आ धमका-‘टेंशन’

_ लोग अक्सर कह रहे होते है- हमें बड़ी ‘टेंशन’ है, तुम्हे क्या पता, हमें ‘डिस्टर्ब’ न करो, हम तो पहले से ही बड़ी ‘टेंशन’ में है,

_ लो कर लो बात ! छोटे बच्चे भी बात बात में बोल देते है- पापा हम से बात ना करो, हम बड़ी ‘टेंशन’ में है अभी..

_ घर की स्वामिनी, स्वामी, बाबू, अफ़सर, नेता, अभिनेता हर किसी ने ये रट लिया, चारों तरफ ‘टेंशन’ का सम्राज्य हो गया है.

_ पिछले तीस-चालीस वर्षों में एक और नया शब्द सरहद लांघ कर आ गया-‘डिप्रेशन’

_ लीजिए झेलिये अब, पहले ही कौन कमी थी ?

_ अक्सर यहाँ-वहाँ सुनने को मिलता है कि हम बड़े ‘डिप्रेशन’ में हैं, अवसादग्रस्त हैं, बड़ा स्ट्रेस है, किससे कहें, क्या कहें ?

_ फिर कई भाई लोग, आजकल तो बहने भी इससे बचने के लिए सांध्यकालीन पेय का सहारा लेते खुले-आम देखी-पाए जाते हैं..

_ तो कुछ लोग डिप्रेशन दूर करने के लिए किसी और नशे में पड़ जाते हैं.

_ कहते हैं- लगेगा दम, मिटेगा गम, हम तो गम गलत करने के लिए पीते हैं, फिर कौन सा रोज़ पीते है, कभी कभी तो चलता है.

_ भीतरी बात गहरी बात- ‘बिजी’ नही ‘ईजी’ रहें..

_ ‘डिप्रेशन’ मे नहीं, ‘परफेक्शन’ में रह्..

_ मूड को ख़राब नही मन को ठीक करिए,

_ ‘टेंशन’ में नहीं ‘अटेंशन’ में जीना शुरू कीजिए.!!

*ललित ‘अकिंचन’ (जयपुर) का आलेख

आजकल depression एक आम बीमारी है यानी उदासी, हताशा, निराशावाद, कुंठाग्रस्त मन, हीन भाव, ग्लानि बोध, असफ़लता, नियमित आलस्य,

_ ये सब मन को इतना शिथिल बना देते हैं कि उस शिथिलता से बाहर निकलने का मन नहीं करता और व्यक्ति खुद को असहाय महसूस करता है.

__ Depression दूर करने के लिए अपने मन को खुद समझाना पड़ता है.

_ डिप्रेस करने वाली बातें न सोचें, खुश रहें, घूमें-फिरें, फ़िल्म देखें, मित्रों-रिश्तेदारों के बीच में रहें, अपना मन किचन में, बागबानी में, घर के अन्य कामों में लगाएँ.

_ फ़ेसबुक भी दिल बहलाने का अच्छा साधन है.

_ खुद को व्यस्त रखें.

(मैं भी ना !!! दूसरों को नसीहत, खुद मियां फजीहत)

_ डिप्रेशन का बढ़ना अच्छी बात नहीं है.

_ इसे रोकना आपके अपने हाथ में है,

_ दूसरे सिर्फ़ समझा सकते हैं, आपको डिप्रेस होने से रोक नहीं सकते.

– हाँ, आपके प्रियजन आपको रात-दिन कम्पनी देकर,

_ आपको हँसाने वाली बातें करके,

_ आपका दिल बहलाने वाली बातें करके आपको खुश रख सकते हैं.

आनंद क्या है ? – 2024

आनंद क्या है ?

जब मन पर न सुख हावी है, न दुख हावी है, तब मन का जो निर्बोझ होना है, जो ख़ालीपन है, “उसे ‘ आनंद ‘ कहते हैं”.

यदि जीवन में तनाव न होता, जिम्मेदारियों का बोझ न होता तो हम ज्यादा आनन्दित जीवन जी पाते..!!
जब सच्चा आनंद अज्ञात होता है, तो झूठी खुशियाँ आकर्षक हो जाती हैं.!!
क्या कोई व्यक्ति उन कठिनाइयों का भी आनंद ले पाता है जो उसे वैसा व्यक्ति बनाने में मदद करती हैं ?

आनंद का सिद्धांत यह है कि, जब आप वह सब कुछ कर लेते हैं जो आप कर सकते हैं, और आपने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर लिया है और अपना सब कुछ दे दिया है,

_ तो आपको इसे उस पर छोड़ देना है जिसे आप रब कहते हैं.

जीवन का आनंद सिर्फ शोर-शराबा या हंगामा नहीं होता,

_एकांत, मौन और शांति के अपने-अपने गुण हैं.!!

” आनंद क्या है ” ? स्वयं से मुक्त होने पर मन का उत्सव.

_ “जो आनंद में है, वह किसी का नहीं, सबका है.”

” आनंद सदैव न हो तो आनंद नहीं है ” _ दुख आता है, जाता है। सुख भी आता है, जाता है।

” जो न आता कभी और जो न कभी जाता है, उसका नाम ही आनंद है ” जो हमारा स्वभाव है, स्वरूप है. और जो व्यक्ति भी इस भीतर के स्वरूप में थिर हो जाता है, आनंद को उपलब्ध हो जाता है, स्वयं में स्थित हो जाता है.

“जीवन आनंद के लिए है”

_ आप तो आनंद में रहिए, ‘यही है आनंद’

_ बाकी जिसकी किस्मत में आनंद नहीं, उसके लिए आप क्या कर सकते हैं ?

_ बाकी कोई गुस्सा हो, दुखी हो तो ये उसके मन के कारक हैं.

_ उसके मन के कारक के लिए आप कहां जिम्मेदार ?

_ आप तो अपने जीवन को हमेशा कलरफुल रखिए.. “रंगीन”

“आनंद कहीं बाहर नहीं है ; _ यह हमारे ध्यान को ठीक करने में, स्वभाव की स्थिरता में, और हमारे मन की वापसी में है ; _ जो लोग इस रहस्य को जानते हैं _ उन्हें खुशी की तलाश बाहर नहीं करनी चाहिए !!”बूंद के पीछे सागर फैला है, सागर बूंद को सहारा देता है ; _ बूंद को सागर का बोध करा देना, यही सब यथार्थ है !! _लालाजी
मज़ेदार बात समझो ! एक बार आपने इस बात पर ध्यान देना बंद कर दिया कि _ ” सुख मिल रहा है कि दुःख, “उसके बाद न सुख मिलता है न दुःख.उसके बाद वो मिलता है , _ जिसे आप सच्ची खुशी कहते हो, समझने वाले जिसे आनंद कहते हैं.
यदि हम सोचते हैं कि _आनंद केवल मानवीय रिश्तों से ही निकलता है तो _हम गलत हैं ;

_रब ने इसे हमारे चारों ओर रखा है… और हमें बस उस तक पहुंचना है.

प्रकृति में हर ओर आनन्द ही आनन्द फैला पड़ा है, लेकिन हमारा ध्यान केवल अपने अभावों और दूसरों की समृद्धि पर लगा रहता है.

“यदि आप अपने आनंद का पालन करते हैं, तो आप अपने आप को एक तरह के ट्रैक पर रख देते हैं, जो हर समय वहाँ रहा है, आपकी प्रतीक्षा कर रहा है, और जिस जीवन को आप जी रहे हैं, वह आप जी रहे हैं.

जब आप यह देख सकते हैं, तो आप ऐसे लोगों से मिलना शुरू करते हैं जो आपके आनंद के क्षेत्र में हैं, और वे आपके लिए द्वार खोलते हैं.

अपने आनंद का पालन करें और डरो मत, और दरवाजे खुल जाएंगे जहां आप नहीं जानते थे कि वे होने जा रहे हैं. यदि आप अपने आनंद का अनुसरण करते हैं, तो आपके लिए ऐसे द्वार खुल जाएंगे जो किसी और के लिए नहीं खुले होंगे.

“बस खुश रहना अच्छा है, यह जानना थोड़ा बेहतर है कि आप खुश हैं; लेकिन यह समझने के लिए कि आप खुश हैं और यह जानने के लिए कि क्यों और कैसे और फिर भी खुश रहें,

_ अस्तित्व और ज्ञान में खुश रहें, यह खुशी से परे है, यही आनंद है.

ज़ब व्यक्ति स्वयं क़ो अस्तित्व क़ो सौंप देता है तो..सम्पूर्ण अस्तित्व उस पर परम् आशीष बनकर बरस जाता है.. _ तब ना अपेक्षा ना उपेक्षा ना आकर्षण ना विकर्षण सिर्फ पूर्ण समर्पण.. __ मूल्यवान छोड़कर अमूल्य का आनंद ही परम् आनंद है.🌹💐🌹

_जिसे कोई भी सुख दुःख नहीं दे सकता, वही व्यक्ति आनंद में स्थापित हो जात्ता है.

*आनंद* तब आता है जब आप अपने जीवन के साथ _इतने तालमेल से फिट हो जाते हैं, कि *आप जो भी करते हैं वही आपका आनंद होता है*

अगर आप उस काम से प्यार करते हैं जो आप कर रहे हैं, अगर आप अपने जीने के तरीके से प्यार करते हैं, तो आप स्वाभाविक रूप से ध्यान की अवस्था में हैं ;

प्रकृति ने आपके जीवन को एक उत्सव के रूप में डिजाइन किया है !! लेकिन _ जब आप दुखी होते हैं, तो आप *दुख को चारों ओर फेंक कर ब्रह्मांड को प्रदूषित करते हैं..!!

आनंद का अर्थ है, – निष्प्रयोजन मुस्कान

कोई वजह नहीं है तब भी मुस्कुरा रहे हैं, _ कोई कारण नहीं रहता लेकिन फिर भी मूड अच्छा अच्छा सा रहता है.

किसी ने हमें कुछ दे नहीं दिया, फिर भी मन में बड़ा अनुग्रह है, _ ग्रेटीटयूड की भावना है,

पता नहीं किसको मन करता रहता है धन्यवाद देने का – कि तूने इतना कुछ दे दिया..

आनंद से संतुष्टि मिलती है और संतुष्टि से आनंद मिलता है,, परन्तु फ़र्क बहुत बड़ा है ; _

_ ” आनंद ” अल्प समय के लिए और ” संतुष्टि ” जीवन भर के लिए आनंद देती है.

*एक दिन बिना**आनंद के बीते,* *तो आपने जीवन का एक दिन गवाँ दिया ;

_ और एक दिन आनंद में बीता तो एक दिन आपने कमा लिया है, यह ध्यान में रखें..*

“अपने अंदर एक ऐसी जगह ढूंढो जहाँ आनंद हो, और आनंद दर्द को जला देगा”

“Find a place inside where there’s joy, and the joy will burn out the pain.”

मनुष्य होने का आनंद सृजनात्मकता में मिलता है, उपभोग में नहीं.!!

The joy of being human is found in creativity, not consumption.

मनुष्य को ज्ञात दर्द के साथ जीना ठीक है लेकिन अज्ञात आनंद से दूर भागना है.

Humans are okay to live with known pain but run away from unknown joy.

जीवन इतना कीमती है कि इसे बिना हर पल का आनंद लिए,_ फिसल जाने नहीं दिया जा सकता..
इंसान जब अपने आंतरिक गरिमा से दूर होता है, तब सस्ती ख़ुशी उस के लिए बहुत बड़ी चीज हो जाती है ;”

– आनंद और ख़ुशी में भेद कर पाने का विवेक पैदा करो — “

जिस जीवन में आप बहे जा रहे हैं, अगर वहाँ आनंद उपलब्ध नहीं होता है,_ तो जानना चाहिए _ आप गलत बहे जा रहे हैं.
” सुख दुःख साझ़ा किया जा सकता है _ आनंद साझ़ा कभी नहीं होता,

_ आनंद तो पूर्णतः व्यक्तिगत अनुभूति है, “

जो सुख की तरफ जाता है _ वह दुख पाता है,

_ जो आनंद की तरफ जाता है _ वह सुख पाता है..

यदि आप कोई काम कर रहे हैं और आपको उस काम में, आनंद नहीं आ रहा तो _आप उस काम के लायक नहीं हैं ..
ज़िन्दगी के बेहतरीन पलों का आनंद लें जिन्हें आपने अपने लिए चुना है, _

_ हममें से बहुतों में ऐसा करने की हिम्मत या इच्छाशक्ति नहीं है..

जब आप की ऊर्जा आप के ही भीतर घूमती है और आप में ही लीन हो जाती है _ तब _ आप की शक्ति भी नहीं खोती और आनंद भी उपलब्ध होता है..
“जब तक कोई वर्तमान में पूरी तरह से जीने में सक्षम नहीं होता है, तब तक भविष्य एक धोखा है ; _ ऐसे भविष्य के लिए योजना बनाने का कोई मतलब नहीं है _ जिसका आप कभी आनंद नहीं उठा पाएंगे !!”

_ जब आपकी योजनाएँ परिपक्व होंगी, तब भी आप किसी और भविष्य के लिए जी रहे होंगे !!!

सफलता वो है _ जो दुनिया देखती है ;

सुफ़लता वो है _ जिसमें आप आनंदित होते है _ भले दुनिया को दिखे या न दिखे ;

लेकिन प्रफुल्लता वो है _ जिसमें आप का आनंद अंदर और बाहर दोनो तरफ़ बहता है.

दुख को देख न पाना आनंद नही हैं,

_ बल्कि आनंद है _ जो दुःख को दुःख और ख़ुशी की तरह देख सके और उसके निदान का प्रयास करे.

” धन ” अकेला आनंद नहीं खरीद सकता, हालांकि यह मदद कर सकता है ; आनंद एक कला है..

_ और एक ऐसा कौशल _ जिसके लिए हमारे पास बहुत कम प्रतिभा या ऊर्जा है”

जब कोई कहता है कि उसका जीवन अच्छा है, तो इसका मतलब है कि वह उन बुनियादी चीजों तक पहुंच बना सकता है जो उसे आराम और आनंद देती हैं.

_ एक अच्छे जीवन को आत्म-संतोषजनक और आत्म-संतुष्ट करने वाला के रूप में वर्णित किया जा सकता है.!!

एक सुखी जीवन काफी हद तक शांत जीवन होना चाहिए,

_क्योंकि शांति के माहौल में ही सच्चा आनंद मिलता है..!!

ज़िंदगी को जंगल के उस पेड़ कि तरह बनाओ,

_ जो हर परिस्थति में आनंद से झूमता रहे !!

हम एक वक़्त में सब कुछ हासिल नहीं कर सकते,

_ तो जो पास है उसमें आनंद लेना सीख लो..!!

कुछ सवाल के उलझन में मत फंसो,

_ बस इस जीवन को आनंद और सहजता के साथ जियो,

_ जो करने लायक सार्थक कर्म है, उसे करो.!!

सबसे अधिक दिखाई देने वाला आनंद _ केवल तभी हमारे सामने प्रकट हो सकता है _ जब हम इसे अपने भीतर रूपांतरित कर लेते हैं.

“अपने आनंद का पालन करें और ब्रह्मांड आपके लिए दरवाजे खोल देगा जहां केवल दीवारें थीं”

खुशी बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर है- लेकिन आनंद आत्मा का एक गुण है और हमारे भीतर है- इसकी अभिव्यक्ति है या नहीं, यह हम निर्धारित करते हैं.

मैं आपके सबसे आंतरिक अस्तित्व के आनंद के संपर्क में रहने की सलाह देता हूं ; _खुशी बहुत बड़ी है और मैं इसका आनंद ऐसे लेता हूं जैसे मैं ग्रेवी का आनंद लेता हूं, लेकिन मैं इस पर निर्भर नहीं हूं.

किसी मंज़िल का लालच मत रखो,

_ बस सफ़र में जिस जगह तुम खड़े हो उस पल का आनंद लो..

_ बाकी कल, कब, कौन, क्या, कहां होगा किसे पता.!!

जिन चीजों की आपको आवश्यकता है ;

_उन चीज़ों के मालिक होने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है.

_इस पर विचार करने के लिए एक क्षण लें _कि आपके जीवन में वास्तव में क्या आवश्यक है;

_यह शुरू करने लायक यात्रा है.

_ हमारे जीवन में जो मूल्यवान है _उस पर हमें नज़र रखने की ज़रूरत है ;

_और, आपकी आपत्तियों के दूसरी ओर, उद्देश्य और आनंद से भरा जीवन निहित है.

_एक बार जब आप उस चीज़ के लिए जगह बना लेते हैं _जो वास्तव में मायने रखती है,

_तो आपका जीवन आनंदमय रहेगा.!!

“आनंद अपने ही भीतर पाया जाता है.”

हम सभी इस दुनिया में इधर-उधर खुशियां ढूंढ रहे हैं, लेकिन हमें यह महसूस करना चाहिए कि खुद से और खुद के लिए खुश रहना ही खुशी की कुंजी है ; _ आप ही एकमात्र व्यक्ति हैं जो खुद को खुश कर सकते हैं, हमेशा याद रखें कि आपके लिए कोई नहीं है, हर कोई अपनी समस्याओं से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है, इस व्यस्त दुनिया में कोई भी स्वतंत्र नहीं है.

अगर आपको लगता है कि कोई आएगा और आपको खुश करेगा, तो इसका मतलब है कि आप खुद से झूठ बोल रहे हैं, _ क्योंकि यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने लिए काम करें, किसी और की नहीं ; _ इसलिए हमेशा अपने भीतर खुशी की तलाश करें.

यदि आप मानसिक अलगाव में जीना सीख लेंगे तो आपके लिए जीवन खुशगवार हो जाएगा.

_ यह एक प्रकार की समाधि है, जो आपको भावों में रचने-बसने से नहीं रोकती..

_ लेकिन जहाँ भाव उलझने लगें, बस वहीं रुक जाना है.

_ बहुत बार सुना हुआ यह सत्य ही सत्य है कि सुख और आनंद कहीं बाहर नहीं, अपने ही भीतर है.!!

आपका उद्देश्य उन छोटी-छोटी चीजों में पाया जाता है जो आप सहजता से करते हैं _और जो आपकी आत्मा को अधिक आनंद देती हैं.
सत्य के साथ जीते हो तो फिर धन कम हो या ज्यादा _ आप उसमें आनंदित रहना सीख जाते हो..
अगर आप खुद ही आनंद के स्त्रोत बन जाते हैं, तो आपके जो भी रिश्ते होंगे, वो शानदार होंगे..!!
यदि आप नेक दिल हैं तो _ आपके आस- पास के लोग अवश्य ही आनंद का अनुभव करेंगे.
ज़िंदगी के हर पल को पूरी तरह से जी लेने का जज़्बा पैदा करें. हमेशा ज़िंदगी से शिकायत करते रहने से हालात बदलेंगे नहीं, बल्कि आपके दुख ही बढ़ेंगे.

_ ऐसे में ज़िंदगी में जो अच्छे पल आपके पास हैं, वो भी आप से छिन जाएंगे. बेहतर होगा, उन्हें एंजॉय करें.

जो व्यक्ति अपने साथ बहुत आनंद अनुभव करता है, _ दूसरे उसके साथ बड़ा आनंद पाएँगे.

“एक व्यक्ति जो अभी का आनंद लेता है _उसे खुशी के लिए यादों से चिपके रहने की जरूरत नहीं है”

आनंद बहुत बहुत बहुत महंगा था और आश्चर्य !! इसे वही खरीद पाए,__ जिनके पास कुछ भी नहीं था..!!
आनंद पहली अच्छाई है. यह हर पसंद और हर नापसंद की शुरुआत है ;_ यह शरीर में दर्द और आत्मा में परेशानियों का अभाव है.!!
खुद से बोलिये : मैं खुश हूँ, मैं स्वस्थ हूँ ;_मेरा जीवन खुशियों से भरा हुआ है और मैं उसे आनंद के साथ जी रहा हूँ..!!
मानव जीवन में दु:ख, पीड़ा, वेदना और अप्रेम की आवश्यकता है; _यदि नहीं, तो लोग कभी भी ठीक से जीने का आनंद महसूस नहीं कर पाते..!!
अहंकार, लालच और जलन.. ये तीनों ज़हर हैं, इन्हें निकाल फेंको..

_ तभी जीवन में असली आनंद और सुकून मिलेगा.!!

जब हम आनंद तक पहुँचने का पक्का इरादा कर लेते हैं, अगर हमारे पास सही संसाधन हैं, तो कोई कारण नहीं कि हम सफल न हों पाएं.!!
आनंद से हमारा तात्पर्य उस अवस्था से है ;_जिसमें शरीर दर्द से और मन चिंता से मुक्त होता है.!!
वास्तविक आनंद मन की वह अवस्था है,_ _जिसमें आनंद का ख़याल भी नहीं रहता.
जो स्वयं में आनंदित होगा _ उसे किसी की भी पीड़ा बहुत जल्द दिखाई पड़ती है.
हर एक इंसान का नजरिया अलग होता है, _ पर तलाश तो आनंद ही होता है..
कुदरत ने तो…आनंद ही आनंद दिया था,  __ दुःख तो…हमारी खोज है.
आनंद कदम – कदम पर है,_ बात बस इतनी कि हम कैसे जीते हैं.
जो इंसान आनंद में है _ वह अस्तित्व के उद्देश्य को पूरा कर रहा है.
मुझे लगता है कि आनंद, पवित्रता के निकट आने पर उत्पन्न होने वाली तरंग है..!!
“जीवन से आनंद उठाओ…जितना हो सके ; _ आनंद से कभी कोई नहीं मरा..”
कितनी भी अच्छी सोच लिए घूमता हो कोई, _यदि वो आनंद में नहीं तो ग़लत है..!!
खुशी देखकर दूसरों की, आनंदित होना भी, स्वस्थ मन की पहचान है !!
कभी कभी आपको अपनो से दूर रहने का भी आनंद लेना चाहिए.
“आनंद एक नृत्य है _जिसमें कलाकार और दर्शक एक होते हैं”
सुखी रहने का सच्चा मार्ग है, _हर बात में आनंद खोज लेना..
आनंद सफ़र में ही है, मंज़िल पर पहुँच कर ठहराव आ जाता है.
जो व्यक्ति सत्य को जीता है, उसके पास भले ही कुछ न हो ‘आनंद’ जरूर होता है.!!
सभी संवेदनाएँ सत्य हैं; आनंद हमारा स्वाभाविक लक्ष्य है.
जो आदमी आनंद में है _ वह सुख नहीं चाहता है.
जिंदगी मन बहलाने और सिर्फ आनंद के लिए नहीं मिली है, _थोड़ा सार्थक कर्म भी कर लो..!!
आनंद का वातावरण वहां होता है, जहां महत्वाकांक्षा और उपलब्धि सामाजिक एवं बाहरी प्रभावों से नहीं निकलते, बल्कि व्यक्ति के प्रेम और बोध से निकलते हैं.!!
तुम मेरा आनंद छीनने की हिम्मत मत करना..

_मैं दुख के साये में भी मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ रहा हूं..!!

आनंद है स्वभाव तुम्हारा, है उत्सव तुम्हारी जात ;

अनहद में है विश्राम तुम्हारा, बस इतना रखना याद ;

यह जीवन है एक सराय, नहीं करना रुकने की बात ;

मृत्यु जीवन से अलग नहीं, ये है जीवन का भाग ;

बंधो न तुम, न बांधो किसी को, बस इतना सा तुम कर लो ;

हर पीड़ा को हर लूंगा मैं, तुम मुझको अपना कर लो.

रचनात्मकता [ Creativity ] और आनंद [ joy ] का बड़ा गहरा रिश्ता होता है

_ क्योंकि यदि आप आनंदित नहीं हैं तो आप रचनात्मक नहीं हो सकते.

_ और खुशी को हमने मार रखा है क्योंकि

_ ख़ुशी [ Joy ] और आज़ादी [ freedom ] का बड़ा गहरा अर्थ होता है.

_ रचनात्मकता तो आनंदमय होनी चाहिए और आनंदमय होना है तो स्वतंत्र रहना..!!

जीवन कोई बहुत गंभीर चीज़ नहीं है.

जीवन प्रकाशमय, आनंदमय और नृत्यमय क्षणों से भरा है.

Life is not a very serious thing.

Life is full of light, joyous and dancing moments.

समय समय पर मन मेरा मुझे यात्रा, कहीं घूम आऊं – की तैयारियों और आने वाले अद्भुत आनंद की प्रतीक्षा में उलझाए हुए रहता है _ और मैं निकल भी जाता हूँ _

_ लेकिन पूरी यात्रा के दौरान एक बात हमेशा खटकती रहती है कि जिस आनंद के लिए इतनी तकलीफें उठाई, वही आनंद घर पर भी अधिक सुगमता से पाया जा सकता था.

पहाड़ पर मन घर की सोचता है और घर पर पहाड़ की, __ आनंद न दृश्य में है और न ही दर्शक में वरन दृष्टा भाव में ही शाश्वत आनंद है.

आगे बढ़ने का मेरा निर्णय _ दुखी होकर अपने जीवन का एक मिनट भी बर्बाद नहीं करना है ;

_ आनंद लेने और सराहना करने के लिए हमेशा कुछ न कुछ होता है,

_ मैं उन चीजों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं जो सही और अच्छी हैं _ न कि _ उन चीजों पर _ जो मुझे परेशान करने वाली या अप्रिय लगती हैं.

यही है ज़िन्दगी ?? यही तो है जिंदगी तो इसका आनंद.. कब कहां कैसे क्या होता है ! हम क्या सोचते हैं, और क्या हो जाता है.

जिंदगी में अक्सर हम कुछ लोगों को इतना करीबी मान लेते हैं _ जैसे उनके बिना जिंदगी संभव नहीं ;_ लेकिन वक्त और जीवन का फलसफा कुछ और ही है मेरे यार !

कब कहां किस मोड़ पर जिंदगी बदल जाए, हाथों से हाथ छूट जाए, लोगों का पलायन हो जाए,

जो सोच न सके कि कभी ऐसा हो जाता है.. यही है ज़िन्दगी और उसकी रीत,और जीवन के रंगमंच में कठपुतली सा दिल और उसकी संजीदगी !

बुद्धि का सही ढंग से उपयोग हमें खुशी देता है.

_ जब हम अच्छा सोचते हैं तो हमें अच्छा महसूस होता है.

_ समझ एक प्रकार से आनंदायक है.

अब सब कुछ ख़ामोशी से देखने का वक्त आ गया है..!!

_ हंसी मज़ाक, तंज़ कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए..!!

_ समझदारी यही कहती है, कि बस चुप रहिए..!!

_ जिसको जिससे उलझना है उलझे, ये आपका मसला कतई नहीं है,

_ क्योंकि जो आपका मसला था वो भी अब आपका नहीं रहा..!!

_ अपने काम से काम रखें और आनंद में रहें..!!

जो आपके नियंत्रण में नहीं है, आप उसे बदलने के लिए कुछ नहीं करते..

_ आप बस उसका आनंद लेते हैं और जो मिलता है, उसे जीते हैं.!!

ध्यान रखना मेंले में बच्चा खिलौनों के पीछे तभी तक भागता है जब एक मां से बिछड़ नही जाता ; _ मां से बिछड़ते ही सारे खिलौनों का आनंद खो जाता है..!!

ऐसा ही कुछ संसार है जब तक परमात्मा का साथ है सभी वस्तुओं के साथ भी आनंद है,

_ लेकिन जिनसे परमात्मा बिछड़ जाता है उनको फिर कोई भी खिलौना आनंद नही देता _फिर चाहे तुम कितने भी खिलौने इकट्ठे कर लो..!!

दुनिया को अच्छे और बुरे से परे देखना और जीवन जैसा चल रहा है, _उसे वैसा ही स्वीकार करना..

_दुनिया और जीवन को आनंदमय बना देता है..

जब आनंद की अनुभूति होती है तो जीवन आनंदमय हो जाता है.

इसे महसूस करने के लिए बहुत गहराई तक जाने या कुछ हासिल करने की ज़रूरत नहीं है.

समझें कि आप क्या हैं !!

यह अनुभव किसी और से प्राप्त करना आवश्यक नहीं है !

लकी होते हैं _वो लोग _जो समय के साथ तालमेल बना कर _ आनंदमय जीवन जीते हैं..!!

अकेले का जीवन जी कर भी उसका आनंद लिया जा सकता है. किसी के साथ रहकर भी आनंदित हुआ जा सकता है.

_आनंद अकेले या साथ की बात नहीं है, जैसी भी स्थिति हो, उसमें मगन रहने का संकल्प है.

जिन चीजों की आपको आवश्यकता है ; _उन चीज़ों के मालिक होने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है.

_इस पर विचार करने के लिए एक क्षण लें _कि आपके जीवन में वास्तव में क्या आवश्यक है;

_यह शुरू करने लायक यात्रा है. हमारे जीवन में जो मूल्यवान है _उस पर हमें नज़र रखने की ज़रूरत है ;

_और, आपकी आपत्तियों के दूसरी ओर, उद्देश्य और आनंद से भरा जीवन निहित है.

_एक बार जब आप उस चीज़ के लिए जगह बना लेते हैं _जो वास्तव में मायने रखती है,

_तो आपका जीवन आनंदमय रहेगा.!!

हमें अपने आनंद के लिए अपनी रूटीन लाइफ से कुछ दिन अलग से अवश्य जीने चाहिए,

_रेल कि पटरियों के बीच में कुछ-कुछ अंतर रखा जाता है, कि गर्मियों में यह फैलेंगी तो टेढ़ी-मेढ़ी ना हो जाए.

अपने जीवन का आनंद लेने का निर्णय लेने से पहले सब कुछ सही होने का इंतज़ार न करें.

Don’t wait for everything to be perfect before you decide to enjoy your life.

वो समय जिसको आप बर्बाद करके आनंद लेते हैं वह समय बर्बाद नहीं होता.

The time you enjoy wasting is not wasted time. – Bertrand Russell


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