Break – ब्रेक, छुट्टी, रुकना, ठहरना

जीवन में दौड़ने के साथ रुकने की कला भी सीखनी है और जब रुकना होता है.. उस समय क्या करना होता है, ये भी जानना बहुत जरूरी है..

_ क्योंकि जिन पलों में हम रुके हुए होते हैं, उन पलों में हम आगे के लिए खुद को तैयार कर रहे होते हैं..!!

थक चुके हो तो रुक जाओ… इन भावनाओं से, परिस्थितियों से, दुःखो से थोड़ी देर के लिए छुट्टी ले लो… कहीं ठहर कर आराम कर लो… आराम करना हमेशा गलत नहीं होता…!!
कभी-कभी ब्रेक लेना ठीक रहता है ; _ जब चीजें आपके हाथ से निकल रही हों, तो अपनी हथेली खोलना ठीक है और सब कुछ खाली रहने दें.

मैंने आखिरकार इसे सीख लिया है, शायद इसलिए कि मुझे यही करना था.

मैं उन चीजों पर जोर नहीं दे सकता _ जिन पर मेरा नियंत्रण नहीं है; इस तरह मैं अपने आप को तनावपूर्ण बना रहा था _ जैसे कि मेरे जीवन से कुछ हमेशा के लिए गिर गया हो _ और इसने मेरे काम और जीवन को प्रभावित किया.

और मेरे मन में जो तनाव था _ वह मेरे लिए कुछ भी हल नहीं कर रहा था ; _ यह सब कुछ जटिल बना रहा था ; _ मानो इतनी पेचीदगियों में जी रहा हूं कि _ सुलझाना मुश्किल है.

_ तनावग्रस्त रहना ही मेरा एकमात्र विकल्प बन गया _ क्योंकि मेरे दिमाग ने मुझे अपने आप में इतना उलझा लिया कि मैं वास्तविक समस्या को हल करने के बारे में ही भूल गया.

मैं मूर्ख बन रहा था, _ जब तक कि एक दिन मुझे एहसास हुआ कि _ मुझे चीजों को अलग तरीके से _ क्यों और कैसे हल करना चाहिए.

_ मैं चीजों को अलग तरह से क्यों नहीं देख सकता और कुछ चीजें छोड़ देता हूं जो मुझे तनाव और दर्द दे रही हैं ? _ अगर मैं किसी चीज़ को नियंत्रित नहीं कर सकता, तो बेहतर है कि इसे छोड़ कर आगे बढ़ जाऊँ ; _ और उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करूँ _ जिन्हें मैं नियंत्रित कर सकता हूं.

लेकिन उसके लिए मुझे ब्रेक लेना पड़ा _ जो मैं ले सकता था ; _ मैंने अपनी मुट्ठियाँ, हथेलियाँ और बाँहें इतनी चौड़ी खोल दीं कि_ ऐसा लगा जैसे हवा मेरे फेफड़ों में आ जाए और मेरे द्वारा पकड़े हुए कचरे को दूर ले जाए.

और तब से, भले ही मैं अपने जीवन में बेहतर नहीं कर पा रहा हूं, मैं अपने आप से कहता हूं कि अगर यह मेरे लिए नहीं है तो सब कुछ रोक दूँ. _क्योंकि जो मेरे लिए है वो मेरे पास आएगा..

मैंने आज खुद को याद दिलाया कि जीवन में चौबीस घंटे से बढ़कर भी कुछ है. _ सभी लोग आपको बता रहे हैं कि.. आपको जल्दी करनी है, आपके दिमाग में यह विचार भर रहे हैं कि समय कम है.

_ जल्दी करने की कोई जरूरत नहीं है _क्योंकि चीजें एक दिन या एक महीने में नहीं बनती हैं. जीवन आसान और लंबा है, इतना छोटा और कठिन नहीं.. जितना लोग कहते हैं.

_ मैंने अपना जीवन कठिन बना लिया था.. क्योंकि मुझे खुद से बहुत ज्यादा उम्मीद थी.

_ मैंने सब कुछ एक जगह या एक दिन में नहीं समेटना सीखा ; एक वर्ष में 365 दिन होते हैं, और कौन जानता है कि.. आपको अभी भी कितने दिनों का पता लगाना है.

_ एक दिन में एक चीज के साथ काम करें और खुद को थोड़ा स्पेस दें.

_ और अगर चीजें ठीक नहीं चल रही हैं, तो यह पता लगाने की कोशिश करें कि आप उन्हें कैसे हल कर सकते हैं, _क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं है.. जिसे आप हल नहीं कर सकते.. जो आपके जीवन में हो रहा है. – यह इसलिए हो रहा है.. क्योंकि आप इसे संभालने में सक्षम हैं; आप अपनी अपेक्षाओं से परे नहीं हैं. _चीजें आपके नियंत्रण से बाहर नहीं हैं. ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है.. जो आपके जीवन में नहीं होना चाहिए.

_ सब कुछ समय पर है; चीजों में जल्दबाजी न करें और न एक ही बार में उन सभी के साथ अपने दिमाग को व्यस्त कर लें ; _ आपका दिमाग एक साथ कई चीजों पर काम करने के लिए नहीं बनाया गया है,

_ जब आप अपनी भावनाओं, चीजों और लोगों को मिलाते हैं तो यह अराजकता पैदा करता है ; सभी को अपनी जगह पर रखें.!!

ज्यादा से ज्यादा करने से जिंदगी नहीं बदलती; यह कम करके और यह जानकर बदल जाती है कि क्या कम करना है ;

_ अधिक करने से आपके मन में अव्यवस्था पैदा होती है; यह आपको एक पाश में फँसा देता है जहाँ आप यह तय नहीं कर सकते कि पहले क्या करना है,

_ जैसे मैं करता हूँ _ अपना काम पूरा करने के बाद _ कम करने से खाली समय मिलता है; इससे शांति मिलती है. _ यह आपके दिमाग को स्पष्ट करता है और आपकी सोच को व्यापक बनाता है; यह आपको लूप तोड़ने में मदद करता है.

_ और अब मैं यह समझ गया हूँ: मुझे एक बार में बहुत से काम करने की ज़रूरत नहीं है! मैं जितना सक्षम हूं उससे कम करने की जरूरत है.

_ ऐसा करने से, मैं अपने विचारों पर दबाव कम कर रहा हूँ; अब मुझे केवल एक ही चीज़ के बारे में सोचना है ; _ कभी-कभी, जब आप बहुत कुछ करने में सक्षम होते हैं, तो आप सब कुछ करने की कोशिश करते हैं और अंत में कुछ भी पूरा नहीं कर पाते हैं ; _ जो एक प्रकार की असफलता है.

सफलता इस बारे में नहीं है कि आप कितनी चीज़ें कर सकते हैं; यह इस बारे में है कि आप कितनी चीजें पीछे छोड़ सकते हैं और केवल एक चीज पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.

_ यह एक चीज़ को पूरा करने के बारे में है, न कि सब कुछ शुरू करने और उसमें से किसी को पूरा करने में सक्षम नहीं होने के बारे में !!

आप अक्सर थका हुआ महसूस करते हैं, इसलिए नहीं कि आपने बहुत अधिक काम किया है, _ बल्कि इसलिए कि आपने वह काम बहुत कम किया है जो आपके भीतर रोशनी बिखेरता है.

क्या होगा यदि हम बहुत अधिक काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि वास्तव में जो मायने रखता है वो काम बहुत कम कर रहे हैं ?

यह कठिन कार्य नहीं है जो हमें सबसे अधिक थका देता है, यह अर्थहीन कार्य है जो हमें सबसे अधिक थका देता है.

“सोने की तलाश में हमने खो दिया हीरा”

_ यह मुहावरा कितना सच है, जीवन में हम उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं.. जो करने में अच्छी होती हैं.. _ लेकिन हम अंत में महत्वपूर्ण लोगों या चीजों को भूल जाते हैं और बाद में पछताते हैं.

_ हम कुछ लोगों या चीजों पर बहुत अधिक विश्वास करते हैं.. जो इतना महत्वपूर्ण नहीं है ;

_ उस हीरे को खोजने के सही तरीके पर काबू पाने और ध्यान केंद्रित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि मैं एक समय में एक चीज ले रहा हूं, न कि बहुत अधिक बोझ.!!

Toxic People – 2026

मैं उन लोगों से प्यार करता हूं जो मेरे जीवन में हैं और इसे अद्भुत बनाते हैं,

_ और मैं उन लोगों को धन्यवाद देता हूं, जो मेरी जिंदगी से दूर हो गये.. और इसे और भी शानदार बना दिया..”

_ उन्होंने इक काम कर दिया मेरा, जीना आसान कर दिया मेरा..

_ “”अपने जीवन के बारे में ऐसा निर्णय लेने के लिए कभी भी बुरा न मानें, जो दूसरे लोगों को परेशान करता हो.

_ आप उनकी खुशी के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, आप अपनी खुशी के लिए खुद जिम्मेदार हैं.

_ जो कोई भी चाहता है कि.. आप उनकी खुशी के लिए दुख में जिएं, तो वैसे लोग भी आपके जीवन में नहीं होने चाहिए.”

_ “अपने आप को इतना सम्मान दें कि.. आप ऐसे किसी भी व्यक्ति से दूर रहे.. जो आपकी कीमत नहीं देखता.!!”

_ “हर उस व्यक्ति से दूर हो जाओ.. जो आपको यह महसूस कराता है कि.. आप अच्छे नहीं हैं.”

_ “अच्छे लोगों का मिलते रहना जरूरी है…और कुछ लोगों का जीवन से जाते रहना ‘सुख’ है.”

_ जो चीज़ ज़िन्दगी के खिलाफ़ जाती हो.. उसको बोलेंगे टॉक्सिक, ज़हरीली, विषैली वग़ैरा-वग़ैरा.!!!

उन लोगों के लिए जो मेरे जीवन को सुंदर बनाते हैं, मेरी मुस्कान के पीछे के वो लोग, मैं आप लोगों को शुभकामनाएं देता हूं और मैं आप लोगों को ढेर सारा प्यार भेजता हूं.

To the people who make my life beautiful, the people behind my smile, I wish you all the best and I send you lots of love.

जो आया है उसके लिए आभारी हूं और जो कुछ बचा है उसके लिए आभारी हूं ; _ जो जाना था वह मेरा नहीं था.

Grateful for all that has come and grateful for all that has left.Whatever had to go was not mine.

किसी को जाते हुए और कभी वापस न आते हुए देखना कठिन हो सकता है,

_ लेकिन यह आपके दिल के लिए अच्छा है, जब ज़रूरत हो तो दर्द सहें; आपको ज़िन्दगी में अपना हिस्सा मिल जाएगा.

_ कुछ लोग हमारी ज़िंदगी में सिर्फ सिखाने के लिए आते हैं. _ वो हमें बताते हैं कि किसे पकड़ना है और किसे जाने देना है.

_ वो सिखाते हैं कि अपनी सीमाएं कैसे तय करनी हैं, किस पर कितना भरोसा करना है और सबसे ज़रूरी — खुद को कैसे संभालना है.

_ अब जब पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो नफरत नहीं होती, बस एक मुस्कान आती है.

_ क्योंकि उनके जाने से ही मैं आज इतना मजबूत बन पाया.

_ अब मैं हर किसी को इतनी जल्दी अपनी ज़िंदगी में जगह नहीं देता.

_ अब मैं उन लोगों को ज़्यादा क़दर करता हूँ, जो वक़्त बदलने पर भी मेरा साथ नहीं छोड़ते._ क्योंकि जो रुका रहा, उसी ने सच्चे होने की मिसाल दी.

_ जो गया, वो मेरी सबसे बड़ी सीख बन गया.

_ “उनका जाना मेरा अंत नहीं था, वो मेरी नई शुरुआत थी.

_ उन्होंने तोड़कर मुझे सिखा दिया कि अब मैं खुद को कभी किसी के लिए खोने नहीं दूँगा.”

” कुछ लोगों को छोड़ना इसलिए भी ज़रूरी होता है, __ अगर आप उन्हें नहीं छोड़ेंगे तो _ वो आप को कहीं का नहीं छोड़ेंगे !
“कभी-कभी आपको लोगों का साथ छोड़ना पड़ता है ; _ इसलिए नहीं कि आपको परवाह नहीं है_ बल्कि इसलिए _क्योंकि उन्हें परवाह नहीं है.!!
मैंने छोड़ दिए वो टॉक्सिक लोग, जिन्होंने मुझे समझना नहीं चाहा, _ मैंने छोड़ दी वो परिस्थिति, जिसने मुझे कमजोर बनाने की कोशिश की.. _ क्योंकि अगर मैं इन्हें नहीं छोड़ता तो ज़हर मुझे अपना लेता.. _ इसलिए मैंने जीवन त्यागने से बेहतर इन सब का त्याग करना चुना.!!”
मैंने खुद को टॉक्सिक लोगों से दूर कर लिया है और बस अपने जीवन, अपने उपचारों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूँ.

_ मैंने लोगों को सुझाव या सुधार देना या उनसे नैतिक रूप से अच्छा इंसान बनने के लिए कहना बंद कर दिया है.

_ मुझे लगता है कि लोगों के मूल्यों को जगाना बेकार है जब वे मेरे जैसे किसी व्यक्ति के विपरीत सैकड़ों लोगों से घिरे हों.!!

मेरी मजबूरी नहीं, पाखंडी और टॉक्सिक लोगों से ताल्लकु रखना..!!

_ अगर मैं रिश्ता नहीं तोड़ सकता.. तो दूरी बनाए रखना मेरे कण्ट्रोल में है, और ये मेरा हक़ भी है.

_ ‘मैंने अब ऐसा करना शुरू कर दिया है.’_ अब अगर मेरा बदला हुआ रवैया आपको अखर रहा है तो.. अपने गिरेबान में झांकिए..!!

_ कुछ खत्म करना भी जरुरी था, _ कुछ नया शुरू करने के लिए..””
— कभी-कभी उन लोगों को खो देना जिन्हें आप खोने के लिए तैयार नहीं हैं,_उन्हें खो देना ही आपके बढ़ने का एकमात्र तरीका है.
_ “खामोशी में लोगों को माफ करना और शायद उनसे दोबारा बात नहीं करना ..आत्म देखभाल का एक रूप है.”
_जितने लोग फालतू में अपने होने का नाटक करते हैं, वे पहले ही छूट जाएँ तो जीना आसान हो जाएगा.”
“हकीकत तो यह है कि हम अपनों का नकाब ओढ़े बहुत से टॉक्सिक लोगों से घिरे हुए हैं !!”
_ “टॉक्सिक रिलेशन को शीघ्रता से समाप्त करें, आपकी शांति _ उनके नाटक से अधिक मूल्यवान है.
_ “वक़्त रहते टॉक्सिक लोगों से दूर हो जाओगे तो अच्छा रहेगा, वरना वो आपका सुख-चैन सब छीन लेंगे !!
_ टॉक्सिक लोगों को आपको पीछे छोड़ना पड़ता है, लेकिन यह अपने लिए एक अच्छा कदम है, उनके लिए नहीं..!!
_ अपने आसपास से, टॉक्सिक लोगों से मुक्ति पायें, जो आपको लगता है कि समस्या है और कचरा है.
_ “टॉक्सिक लोगों से दूर हो जाना ही बेहतर होता है, जो हमारा दम घोंट देते हैं.”
_ कुछ लोग आपको खो देने के पछतावे के ही लायक़ होते हैं, आपके साथ के नहीं.!!
_ कई बार हम टॉक्सिक लोगों से दूर नहीं हो सकते, पर ख़ुद के लिए एक बाउंड्री जरूर खींच सकते हैं, कि एक सीमा के बाद हम नहीं झेलेंगे.!!
_ कई बार लोगों को छोड़ना पड़ता है.. क्योंकि उन्हें यह वहम होता है कि वे आपके साथ कितना भी गलत कर लें, आप उन्हें नहीं छेड़ेंगे.
_ आगे बढ़ने के लिए, हमें उन लोगों के साथ संबंधों को काटने का दर्द सहना चाहिए, जो हमें बढ़ने से रोकते हैं..!!
_ टॉक्सिक लोग आपकी सफलता पर तारीफ़ जरूर करेंगे, पर चुपचाप इंतज़ार करेंगे आपकी हार का !!
_ अपनी मानसिक शांति के लिए उन तमाम टॉक्सिक लोगों से दूर रहें, जो बेईमान है, जो धोखा दे रहे हैं, जहां प्रेम खोखला है.!!
_ मैंने कभी किसी का न बुरा किया ना चाहा, _ लेकिन जो मेरे दिल से उतरा ..उससे ऐसे किनारा किया कि ..मेरे लिए वो एक्सिस्ट [exist] नहीं करता जैसे.!!
_ मेरी अब तक की सबसे बड़ी गलती यह है कि _कई लोगों को _उनकी योग्यता से कहीं अधिक समय तक _मेरे जीवन में रहने दिया.!!
_ मैं कुछ छोटी सोच वाले और ईर्ष्यालु व्यक्तियों को मेरे प्रयासों को विफल करने की संतुष्टि देने के लिए तैयार नहीं हूं, _ये लोग मेरे लिए एक भयानक बीमारी के रोगाणुओं से अधिक कुछ नहीं हैं.
_ मैनें उन टॉक्सिक लोगों को छोड़ दिया, जो औरों को खुश करने के लिए मुझे तकलीफ देते थे.!!
_ जो टॉक्सिक लोग मेरे साथ ग़लत करते आ रहे हैं, उनके बुरे रवैये के लिए दूरियां ही श्रेष्ठ है.!!
_ वे आपको पसंद नहीं करते हैं, लेकिन वे अभी भी आपके द्वारा की जाने वाली हर चीज को देखने का समय निकाल लेते हैं.!!

_ वे आपको पसंद करें या ना करें, उनके टॉपिक में आपका जिकर होना, आपकी शक्तिशाली छवि को दर्शाता है.!!

_ जिस खास के लिए आप खास नहीं हैं, तो उसे आम कीजिए और किस्सा तमाम कीजिए..!!
_ आपके जीवन में वह समय आएगा जब लोगों को पछतावा होगा कि _उन्होंने आपके साथ गलत व्यवहार क्यों किया.!!”
_ “अपने और उन लोगों के बीच दूरी रखें _ जो नाटक करते हैं _और आपकी आंतरिक शांति के साथ खिलवाड़ करते हैं. _ दूर जाने से थोड़ी देर के लिए चोट लग सकती है, लेकिन अंत में आपका दिल ठीक हो जाएगा.”
_ टॉक्सिक लोगों से बात करना और समय खर्च करना खुद को ज़लील करने जैसा है, इसलिए ऐसों से पाला ना पड़े कभी !!
_ पहले मेरी सोच थी कि मेरे बहुत से अपने हैं, लेकिन अब मुझे विश्वास है कि.. मैं बस बहुत से लोगों को जानता हूँ !!
_ यह बहुत अच्छा है, जब टॉक्सिक लोग आप से बात करना बंद कर देते हैं,__ यह ऐसा है – “जैसे कचरा अपने आप बाहर निकल गया”.!!
_ अच्छे लोग हमेशा अच्छे लोगों से जुड़ना चाहते हैं ताकि उनका मानसिक विकास हो.. टॉक्सिक लोगों से वह दूरी ही बना कर रखते हैं.!!
_ दूसरों की सुविधा के लिए इतना भी एडजस्ट न हो जाएं कि _आपकी असुविधा का उन पर कोई फर्क ही न पड़े.
_ ” आप किसी और की खातिर खुद को नष्ट नहीं कर सकते ; आपको अपनी भलाई को प्राथमिकता देनी होगी !! _ चाहे इसका मतलब किसी ऐसे व्यक्ति से रिश्ता तोड़ना हो _ जिसकी आप परवाह करते हैं,  _ परिवार के किसी सदस्य को दूर से प्यार करना, _ किसी दोस्त को छोड़ना,या खुद को ऐसी स्थिति से दूर करना जो दर्दनाक लगती है – आपको छोड़ने और अपने लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने का पूरा अधिकार है..!!”
_ जब आप शांति चुनते हैं, तो यह ढेर सारी अलविदा के साथ आती है ; __ अपने जीवन को बेहतर बनाने के निर्णयों का अर्थ.. अक्सर उन लोगों से संबंध तोड़ना होता है _ जो आपकी पसंद का समर्थन नहीं करते हैं..!!
_ हम उन टॉक्सिक लोगों के बारे में सोच-सोच कर अपने जीवन का कीमती समय और एनर्जी बर्बाद कर देते हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को कभी नरक बनाया था ; _अगर हम आज भी वही कर रहें हैं तो हम उन लोगों के उद्देश्य को ही पूरा कर रहे हैं, अपने जीवन को नरक बना कर… इसलिए उन पर अपना समय और एनर्जी न लगाएं.!!
_ टॉक्सिक लोगों द्वारा दिया गया धोखा मजबूत लोगों को तोड़ता नहीं है—यह उन्हें रूपांतरित करता है. _ जिसने आपको धोखा दिया, उसने एक वफादार व्यक्ति को खो दिया, लेकिन आप ? _ आपने उस व्यक्ति को खो दिया.. जो आपको डिजर्व नहीं करता था.. और यह कोई नुकसान नहीं है—यह एक आशीर्वाद है.!!
_ मैंने उन टॉक्सिक लोगों को जीवन से विदा कर दिया जो मेरा सारा मीठा पानी पी जाते थे और अपना खारापन छोड़ जाते थे..!
_ टॉक्सिक लोग आपसे इसलिए भी नाराज़ हैं, क्योंकि आप उस तरह से कष्ट नहीं उठा रहे हैं.. जैसा उन्होंने सोचा था.!!
_ लोगों को खोने से मत डरो ; _अपने आसपास के सभी लोगों को खुश करने की कोशिश में खुद को खोने से डरें.
_ लोग मुझे आसानी से खो सकते हैं, मैं उन लोगों पर नहीं अटकता.. जो मेरे लायक नहीं हैं.
_ जब आप सच्चे बने रहते हो, तब आप उन लोगों को खो देते हो, जो आपके लायक नहीं होते.!!
_ “सावधान रहें, जिन्हें आप अपने से दूर धकेलते हैं, _क्योंकि असली लोग वापस नहीं आते.!!”
_ “कुछ गलत लोगों से वो हमें दूर कर देता है, ताकि हमारी जिंदगी खराब न हो !!”
हर उस टॉक्सिक इंसान को अपनी ज़िन्दगी, अपने विचारों से दूर रखिए, जो आप की कद्र नहीं करता..

_ जिस इंसान को आप की कद्र ही नहीं, आप उस के लिए अपनी ऊर्जा, अपनी सोच क्यों खर्च कर रहे हैं,

_ अपना ध्यान अपने ऊपर लगाइए, क्योंकि अंत में आप ही ऐसे इंसान होंगे जो आप के लिए खड़े होंगे.. दूसरा कोई नहीं..!!

टॉक्सिक लोग से दूरी बना लेना ही बेहतर है… कोई प्रतिक्रिया न दें, किसी बहस में समय बर्बाद न करें… और ना ही किसी प्रकार के स्वांग में पड़ें केवल शांत हो जाइये… और अपनी उपस्थिति वहाँ से सदैव के लिए मिटा दिजिए..!!
अच्छे और सच्चे रिश्ते न तो खरीदे जा सकते हैं, न उधार लिए जा सकते हैं.

_ इसलिए उन लोगों को जरुर महत्व दें, जो आपको महत्व देते हैं.

_ ऐसा संबंध जहां सामने वाला हमारे आत्मसम्मान को लगातार कम करने की कोशिश करता है, नीचा दिखाता है, कंट्रोल करने की कोशिश करता है, तनाव पैदा करता है, नकारात्मक महसूस कराता है,

_ तो हमें समझ जाना चाहिए.. हम टॉक्सिक रिलेशनशिप के जाल में फंस चुके.

अपना बनके दगा देने वालों की सज़ा ये है कि उसे ज़िंदगी में शून्य मान लिया जाए.

_ टॉक्सिक इंसान को अपनी ज़िन्दगी में साथ रखते हैं तो वो उसका नहीं हमारा ख़ुद का नुकसान है,

_ ऐसा इंसान ये मान बैठता है कि रिश्ता निभाने वाला उसके फरेब में आकर रिश्ता निभा रहा है तो उसे आईना दिखाना ज़रूरी है.

_ उसे बताइए कि आपकी असलियत जानते हैं, लेकिन हमारा क़िरदार है दगा नहीं करना.

_ ज़्यादातर इंसान हमारे साथ धोखा इसलिए करते हैं, क्योंकि हम उन्हें ये बताते नहीं कि हम तुम्हारा फ़रेब जानते हैं.

_ ऐसे टॉक्सिक लोगों को अपनी ज़िंदगी में ऐसे रखें कि उनका रवैया हमें ज़हरीला न बनाए.

_ हां कुछ रिश्तों से इंसान मुंह नहीं मोड़ सकता है, कुछ रिश्तों की मजबूरी तो कुछ इंसान जज़्बाती तौर पर भी कमज़ोर होता है..

_ तब भी फ़रेबी इंसान को उसका फरेब ज़रूर दिखाएं.!!

टॉक्सिक लोगों से जुड़े रहना और समय या मौका मिलने पर भी उनसे संबंध न तोड़ना आपको कभी न कभी परेशानी में डाल देगा..

_ समझ नहीं आता लोग अपने आस पास इतना टॉक्सिक एनवायरनमेंट लगातार क्यूँ झेलते हैं, अलग होना क्यूँ नहीं चुनते..

_ ऐसे लोगों से दूर ही रहना भला होता है, आपको संबंध तोड़ने आने चाहिए.

_ रिश्ते कितने भी खास क्यूँ न हों.. लेकिन अगर सामान्य बात बर्ताव सही नहीं है, किसी गलत चीज कि अधिकता है.

_ तमाम बात चीत के बाद भी मामला नहीं सुलझता.. तो अलग होना चुनना चाहिए.

_ कैसे भी करके आप एक बार अलग हो जाएँ, यकीन मानिए आपकी जिंदगी दोबारा से शुरू हो जाती है.

_ शुरू के कुछ दिन कठिन लग सकते हैं, लेकिन जीवन फिर से चल पड़ता है.

_ जहां आपको रोज खिट पिट करनी पड़े, ऐसे मित्र सम्बन्धों या निजी सम्बन्धों से अलगाव कर लेना ज्यादा बेहतर साबित होगा.

_ अपने से जुड़े लोगों द्वारा किए जा रहे लोगों के गलत कामों को ignore न करिए, जल्दी से जल्दी उनसे अलग होना चुनिये.

_ आपसी संबंध समाप्त करना एक साधारण प्रक्रिया होना चाहिए.

_ लोगों से संबंध विच्छेद किए जाने स्वीकार्य होने चाहिए.

_ दो मनुष्यों मे न बने तो उनको अलगाव चुनना चाहिए._ अपने आस के मित्रों, सगे संबंधियों, बॉयफ्रेंड/गर्लफ्रेंड अथवा पति/पत्नी टाइप के रिश्तों मे भी यदि एक पक्ष जाना चाहता है.. कृपया उसे जाने दें.

_ सहजता से जाने देना सीखिये, सहजता से दूरी बनाना सीखिये.

_ किसी से अलग होना सीखिये, किसी से दूर होना सीखिये.

_ किसी से बिना लड़े झगड़े संबंध विच्छेद करना सीखिये, क्यूंकी आप नहीं जानते कब दूसरा पक्ष आपसे छुटकारा पाने के लिए क्या कर बैठे..

_ और यदि कोई आपसे संबंध विच्छेद चाहता है.. उस स्थिति को भी स्वीकार करिए, लड़िए झगड़ने नहीं.

_ जो लोग जाना चाहते हैं.. उनको जाने दीजिये.

_ जीवन से लोगों के जाने देने को सहज बनाइये, तमाम समस्याएँ सुलझ जाएंगी..!!

“जो सबका बनना चाहते हैं” जो सबका मन रखने को, हर रिश्ते में निभाने को हर किसी से जुड़ते हैं —वो सबसे ज़्यादा खतरनाक होते हैं.

_ ना कभी कसकर थामते, ना पूरी तरह छोड़ते हैं, ऐसे लोग बस खेल खेलते हैं.

_ जब आप थक हार कर उनसे दूरी बना लोगे, वो फिर से पास बुलाएँगे —ताकि फिर से तोड़ सकें आपको.

_ उनके पास कमी नहीं चाहने वालों की, आप नहीं तो और सही —हर किसी को रखते हैं एक जैसी जगह.

_ उनका प्यार नहीं होता, सिर्फ एक फ़ैंटेसी होती है, जहाँ वो राजा होते हैं और हम सब मोहरे.

_ आप जब टूटते हो उनकी बेरुखी से, वो तब भी वही रहते हैं — निर्मम, निर्विकार, अपने ही धुन में.

_ जो हर किसी को संतुलन में रखना चाहते हैं, वो कभी किसी के नहीं होते —ना दिल से, ना वक़्त से.

_ ऐसे लोग नहीं जानते प्यार क्या होता है —वो सिर्फ़ भावनाओं से खेलते हैं, और अपना खालीपन भरते हैं.. दूसरों के भरोसे और प्यार को तोड़कर.!!

बोर, बोरियत, ऊब, उबाऊ, डिप्रेशन, Depression, नीरसता या समानता से थक जाना – 2011

कोई उबाऊ विषय नहीं हैं, केवल उदासीन मन हैं.

There are no boring subjects, only disinterested minds. – Gilbert K. Chesterton

जब लोग ऊबते हैं तो यह मुख्य रूप से स्वयं से होता है.

When people are bored it is primarily with themselves. – Eric Hoffer

डिप्रेशन [ Depression ] क्या है ?

जिन विचारों या बातों को हमारा दिमाग सही मानता है, और फिर भी हम उनको जीने का साहस नहीं कर पाते, _तो वही विचार हमको बीमार बनाते हैं, यही है ” डिप्रेशन “

Note : जब कोई हमारे दिमाग पर कब्जा कर लेता है तो _हमें अपना सब कुछ गंवाना पड़ता है.

_दौलत की लूट से ज्यादा खतरनाक है, दिमाग का लुट जाना..

डिप्रेशन, बोरियत, निराशा, चिड़चिड़ापन, आक्रोश, गुस्सा, ईर्ष्या और डर जैसी भावनाएँ, बुरी खबर होने के बजाय, वास्तव में बहुत स्पष्ट क्षण हैं _जो हमें सिखाते हैं कि हम कहाँ रुके हुए हैं.

_ वे हमें सिखाते हैं कि _ जब हमें लगे कि हम ढह जाना पसंद करेंगे और पीछे हटना चाहेंगे तो हम खुश हो जाएं और झुक जाएं ;

_ वे हमारे सहयोगी की तरह हैं _ जो स्पष्टता के साथ हमें दिखाते हैं कि हम कहां फंस गए हैं..

_ यह क्षण ही आदर्श शिक्षक है, और, हमारे लिए भाग्यशाली है, हम जहां भी हों, यह हमारे साथ है… हमारे आनंद से जुड़ने में सबसे बड़ी बाधा “नाराजगी” है.

डिप्रेशन से घिरा हुआ कोई व्यक्ति अगर सबकुछ बर्दाश्त करते हुए भी अपनी जिंदगी जी रहा है, तो इसका मतलब है कि वो बहुत सहनशील और मजबूत है..

_ पूरी हिम्मत के साथ ऐसे ही जीते रहना अच्छा है.. कमज़ोर तो वही है जिसमें सहनशक्ति नहीं है..!!

बोरियत [ Boredom ] मानसिक और आध्यात्मिक रूप से अलग होने से आती है.
बोरियत भी एक प्रकार की व्यस्तता है, जब कुछ करने को दिल नहीं करता.
बोरियत नवीनता की खोज को प्रेरित करती है ;

_बोरियत के बिना, इंसानों को साहस और नवीनता की तलाश की इच्छा नहीं होगी.

_ इससे ही हम जिज्ञासु और लगातार अगली नई चीज की तलाश में होते हैं.

_बोरियत एक भावनात्मक संकेत है कि _हम वह नहीं कर रहे हैं _जो हम करना चाहते हैं;

_अर्थात बोरियत नए लक्ष्यों का पीछा करने के लिए प्रेरित करती है.!!

जब भी बोरियत का अनुभव हो, _आप उस पल में अपने दिमाग या ऊर्जा के साथ _कुछ और कर के _इसे खत्म कर सकते हैं.!!
जीवन कभी उबाऊ नहीं होता, लेकिन हम लोग ऊबने और खुश न रहने का चुनाव करते हैं.

_खुश रहने के लिए आपको किसी वजह की जरूरत नहीं है…आपकी खुश रहने की इच्छा ही काफी है.

_हमारे पास वह सब कुछ है, जो हमें खुश रहने के लिए चाहिए, लेकिन हम खुश नहीं हैं ;

_ हम विवाह, प्रतिष्ठा, धन चाहते हैं और जो कुछ चाह रहे थे, _ वह प्राप्त हो जाने पर भी दुखी और विक्षिप्त रहते हैं.!

_मतलब कहीं तो कुछ छूट रहा है.!!

अधिकांश लोग ऊब से भरे है, क्यों कि जीवन को ढगं से जिया ही नही जा रहा..!!

_ हम सब बस अपने मनोवैज्ञानिक डिब्बे में कैद होकर जी रहे हैं,

_ व्यापकता से जुड़े बिना जीवन एक तुच्छ [Insignificant] सी चीज होकर रह जाता है..

_ जो बस आपके दिमाग में इकठ्ठा हुए डेटा के दायरे भर में सिमटा है,

– कीड़े मकोड़ों सा जीवन—पढाई–काम– शादी–बच्चे–मकान

_ एक बीमार व उबाऊ घिसटता जीवन..!!

_ हमें जीवन में एक नई दृष्टि को पाना है— “दिव्यदृष्टि”

मैं आप के लिए बहुत खुशी की कामना नहीं करता–यह आपको बोर कर देगा;

_मैं भी नहीं चाहता कि आप को परेशानी हो;

_ लेकिन, लोगों को दिखावा करते हुए, नहीं जियो ;

_ मैं बस दोहराऊंगा: ‘ज्यादा जियो’ और कोशिश करें कि _किसी तरह बहुत ज्यादा बोर न हों;

_ इसी ख़्वाहिश के साथ ‘ज्यादा जियो’

मन के उब जाने के बाद इस बात कि जरा भी फिक्र नहीं रहती कि अब सब कुछ कैसे खत्म किया जाए,

_ बात चाहे किस्से कहानियों की हो, रिश्ते की हो या हो जिंदगी की सब अधूरा रह जाता है…!

मनपसंद शख़्स अगर हर मर्ज की दवा है..

_ तो दूसरी तरफ depression की सबसे बड़ी वजह भी है.!!

जब आप जीवन से ऊबें तो अपने चारों ओर एक झूठ रच लें,

_ ऐसा झूठ जो सच लगे और किसी की पकड़ में न आए.

_ ऊब मिटाने के लिए इससे बेहतर क्या होगा कि लोग जिसे सच समझ रहे हैं, असल में वह बहुत बड़ा झूठ है,

_ जो किसी को नहीं पता और जिसकी संरचना आपने की है..!!

भागदौड़ भरी जिन्दगी में हम सबकुछ करते हैं, बस खुदका ख्याल रखना भूल जाते हैं.

_ यह भूल शुरुआत में बहुत ही सामान्य लगती है ..लेकिन वक्त जैसे जैसे आगे बढ़ता है.

_ यह हमारे सामने कभी एंजाइटी तो कभी डिप्रेशन के रूप में आने लगती है और सामान्य नहीं रह जाती.

_ यह हमें एक ऐसी खाई की तरफ ले जाती है ..जहां पर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा होता है.

_ ऐसे में हमें सबसे पहले खुदका और खुद की मनोदशा का ख्याल रखने की जरूरत है.

_ खुद को सदैव अच्छा फील कराने की जरूरत है.

_ यह समझने की जरुरत है कि ..अपनी मेंटल हेल्थ और इमोशनल बैलेंस को कैसे स्थापित किया जा सकता है.

_ यह बातें छोटी मगर बेहद ही जरूरी हैं.

_ कुछ लोग इस जरूरत को खुद ही समझ जाते हैं, कुछ लोगों को इसे समझने में दिक्कत आती है.

_ अपने मनोदशा को समझने के क्रम में तरह तरह के संगीत और कला का आनंद ले सकते हैं.

_ तरह तरह की शारीरिक गतिविधियों और प्रकृति के माध्यम से अपने आपको हिल [ heal ] कर सकते हैं.

अवसादित मनुष्य अपने अवसाद [Depression] और विक्षिप्तता का परिचय स्वयं अपने शब्दों द्वारा नही करवाता.. बल्कि उसकी हरकतें उसका परिचय करवाती है,

_ जो शब्दों के द्वारा बताए अपनी हकीकत, वह महज वैसा दिखने की कोशिश कर रहा है, अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए…!

“हर व्यक्ति को बचपन से ही यह सीखना चाहिए कि खुद के साथ कैसे समय बिताना है. _ इसका मतलब यह नहीं है कि उसे अकेला रहना चाहिए, बल्कि यह है कि उसे खुद से ऊब नहीं होना चाहिए क्योंकि जो लोग अपनी ही संगति में ऊब जाते हैं, _ वे मुझे आत्मसम्मान के दृष्टिकोण से खतरे में लगते हैं.”

“Every person needs to learn from childhood how to be spend time with oneself. _ That doesn’t mean he should be lonely, but that he shouldn’t grow bored with himself because people who grow bored in their own company seem to me in danger, from a self-esteem point of view.”

अभी पिछले कुछ दशकों से हमारे देश मे कुछ नए नकारात्मक शब्द आयातित हो गए हैं जो पहले कभी नहीं सुने गए,

_ बोलने की तो बात छोड़िये साब ! साठ के दशक में एक शब्द आया कहीं से ‘बिजी’

_ हम बड़े ‘बिजी’ है, हमारे पास ‘टाइम’ नहीं है, मरने तक कि फ़ुरसत नहीं है !

_ काम कुछ नहीं पर ‘बिजी’ बहुत हैं.

_ अरे भाई ‘बिजी’ नहीं ‘ईजी’ रहिए..

_ अपने समय का सही से प्रबन्धन करिए, सबके पास वही चौबीस घण्टे का समय है.

_ कोई इनमें इतना काम कर लेता है और फिर भी अपने लिए, अपनों के लिए और दोस्तों के लिए भी समय निकाल लेता है, अपनी प्राथमिकता तय कीजिए.

_ फिर अस्सी के दशक में एक और नया शब्द आया ‘मूड’ ठीक नहीं है.

_ अभी हमसे बात मत करिए, अभी ‘मूड’ सही नहीं है, बाद मे देखेंगे, बाद में सोचेंगे, बाद मे करेंगे.

_ आज ये शब्द आम बातचीत का हिस्सा बन गया है, समाज मे रच बस गया है.

_ बच्चे भी कह रहे होते है- मेरा मूड ख़राब मत करो.

_ हाल के वर्षो में फिर एक और नया शब्द आ धमका-‘टेंशन’

_ लोग अक्सर कह रहे होते है- हमें बड़ी ‘टेंशन’ है, तुम्हे क्या पता, हमें ‘डिस्टर्ब’ न करो, हम तो पहले से ही बड़ी ‘टेंशन’ में है,

_ लो कर लो बात ! छोटे बच्चे भी बात बात में बोल देते है- पापा हम से बात ना करो, हम बड़ी ‘टेंशन’ में है अभी..

_ घर की स्वामिनी, स्वामी, बाबू, अफ़सर, नेता, अभिनेता हर किसी ने ये रट लिया, चारों तरफ ‘टेंशन’ का सम्राज्य हो गया है.

_ पिछले तीस-चालीस वर्षों में एक और नया शब्द सरहद लांघ कर आ गया-‘डिप्रेशन’

_ लीजिए झेलिये अब, पहले ही कौन कमी थी ?

_ अक्सर यहाँ-वहाँ सुनने को मिलता है कि हम बड़े ‘डिप्रेशन’ में हैं, अवसादग्रस्त हैं, बड़ा स्ट्रेस है, किससे कहें, क्या कहें ?

_ फिर कई भाई लोग, आजकल तो बहने भी इससे बचने के लिए सांध्यकालीन पेय का सहारा लेते खुले-आम देखी-पाए जाते हैं..

_ तो कुछ लोग डिप्रेशन दूर करने के लिए किसी और नशे में पड़ जाते हैं.

_ कहते हैं- लगेगा दम, मिटेगा गम, हम तो गम गलत करने के लिए पीते हैं, फिर कौन सा रोज़ पीते है, कभी कभी तो चलता है.

_ भीतरी बात गहरी बात- ‘बिजी’ नही ‘ईजी’ रहें..

_ ‘डिप्रेशन’ मे नहीं, ‘परफेक्शन’ में रह्..

_ मूड को ख़राब नही मन को ठीक करिए,

_ ‘टेंशन’ में नहीं ‘अटेंशन’ में जीना शुरू कीजिए.!!

*ललित ‘अकिंचन’ (जयपुर) का आलेख

आनंद क्या है ? – 2024

आनंद क्या है ?

जब मन पर न सुख हावी है, न दुख हावी है, तब मन का जो निर्बोझ होना है, जो ख़ालीपन है, “उसे ‘ आनंद ‘ कहते हैं”.

यदि जीवन में तनाव न होता, जिम्मेदारियों का बोझ न होता तो हम ज्यादा आनन्दित जीवन जी पाते..!!
जब सच्चा आनंद अज्ञात होता है, तो झूठी खुशियाँ आकर्षक हो जाती हैं.!!
क्या कोई व्यक्ति उन कठिनाइयों का भी आनंद ले पाता है जो उसे वैसा व्यक्ति बनाने में मदद करती हैं ?

आनंद का सिद्धांत यह है कि, जब आप वह सब कुछ कर लेते हैं जो आप कर सकते हैं, और आपने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर लिया है और अपना सब कुछ दे दिया है,

_ तो आपको इसे उस पर छोड़ देना है जिसे आप रब कहते हैं.

जीवन का आनंद सिर्फ शोर-शराबा या हंगामा नहीं होता,

_एकांत, मौन और शांति के अपने-अपने गुण हैं.!!

” आनंद क्या है ” ? स्वयं से मुक्त होने पर मन का उत्सव.

_ “जो आनंद में है, वह किसी का नहीं, सबका है.”

” आनंद सदैव न हो तो आनंद नहीं है ” _ दुख आता है, जाता है। सुख भी आता है, जाता है।

” जो न आता कभी और जो न कभी जाता है, उसका नाम ही आनंद है ” जो हमारा स्वभाव है, स्वरूप है. और जो व्यक्ति भी इस भीतर के स्वरूप में थिर हो जाता है, आनंद को उपलब्ध हो जाता है, स्वयं में स्थित हो जाता है.

“जीवन आनंद के लिए है”

_ आप तो आनंद में रहिए, ‘यही है आनंद’

_ बाकी जिसकी किस्मत में आनंद नहीं, उसके लिए आप क्या कर सकते हैं ?

_ बाकी कोई गुस्सा हो, दुखी हो तो ये उसके मन के कारक हैं.

_ उसके मन के कारक के लिए आप कहां जिम्मेदार ?

_ आप तो अपने जीवन को हमेशा कलरफुल रखिए.. “रंगीन”

“आनंद कहीं बाहर नहीं है ; _ यह हमारे ध्यान को ठीक करने में, स्वभाव की स्थिरता में, और हमारे मन की वापसी में है ; _ जो लोग इस रहस्य को जानते हैं _ उन्हें खुशी की तलाश बाहर नहीं करनी चाहिए !!”बूंद के पीछे सागर फैला है, सागर बूंद को सहारा देता है ; _ बूंद को सागर का बोध करा देना, यही सब यथार्थ है !! _लालाजी
मज़ेदार बात समझो ! एक बार आपने इस बात पर ध्यान देना बंद कर दिया कि _ ” सुख मिल रहा है कि दुःख, “उसके बाद न सुख मिलता है न दुःख.उसके बाद वो मिलता है , _ जिसे आप सच्ची खुशी कहते हो, समझने वाले जिसे आनंद कहते हैं.
यदि हम सोचते हैं कि _आनंद केवल मानवीय रिश्तों से ही निकलता है तो _हम गलत हैं ;

_रब ने इसे हमारे चारों ओर रखा है… और हमें बस उस तक पहुंचना है.

प्रकृति में हर ओर आनन्द ही आनन्द फैला पड़ा है, लेकिन हमारा ध्यान केवल अपने अभावों और दूसरों की समृद्धि पर लगा रहता है.

“यदि आप अपने आनंद का पालन करते हैं, तो आप अपने आप को एक तरह के ट्रैक पर रख देते हैं, जो हर समय वहाँ रहा है, आपकी प्रतीक्षा कर रहा है, और जिस जीवन को आप जी रहे हैं, वह आप जी रहे हैं.

जब आप यह देख सकते हैं, तो आप ऐसे लोगों से मिलना शुरू करते हैं जो आपके आनंद के क्षेत्र में हैं, और वे आपके लिए द्वार खोलते हैं.

अपने आनंद का पालन करें और डरो मत, और दरवाजे खुल जाएंगे जहां आप नहीं जानते थे कि वे होने जा रहे हैं. यदि आप अपने आनंद का अनुसरण करते हैं, तो आपके लिए ऐसे द्वार खुल जाएंगे जो किसी और के लिए नहीं खुले होंगे.

“बस खुश रहना अच्छा है, यह जानना थोड़ा बेहतर है कि आप खुश हैं; लेकिन यह समझने के लिए कि आप खुश हैं और यह जानने के लिए कि क्यों और कैसे और फिर भी खुश रहें,

_ अस्तित्व और ज्ञान में खुश रहें, यह खुशी से परे है, यही आनंद है.

ज़ब व्यक्ति स्वयं क़ो अस्तित्व क़ो सौंप देता है तो..सम्पूर्ण अस्तित्व उस पर परम् आशीष बनकर बरस जाता है.. _ तब ना अपेक्षा ना उपेक्षा ना आकर्षण ना विकर्षण सिर्फ पूर्ण समर्पण.. __ मूल्यवान छोड़कर अमूल्य का आनंद ही परम् आनंद है.🌹💐🌹

_जिसे कोई भी सुख दुःख नहीं दे सकता, वही व्यक्ति आनंद में स्थापित हो जात्ता है.

*आनंद* तब आता है जब आप अपने जीवन के साथ _इतने तालमेल से फिट हो जाते हैं, कि *आप जो भी करते हैं वही आपका आनंद होता है*

अगर आप उस काम से प्यार करते हैं जो आप कर रहे हैं, अगर आप अपने जीने के तरीके से प्यार करते हैं, तो आप स्वाभाविक रूप से ध्यान की अवस्था में हैं ;

प्रकृति ने आपके जीवन को एक उत्सव के रूप में डिजाइन किया है !! लेकिन _ जब आप दुखी होते हैं, तो आप *दुख को चारों ओर फेंक कर ब्रह्मांड को प्रदूषित करते हैं..!!

आनंद का अर्थ है, – निष्प्रयोजन मुस्कान

कोई वजह नहीं है तब भी मुस्कुरा रहे हैं, _ कोई कारण नहीं रहता लेकिन फिर भी मूड अच्छा अच्छा सा रहता है.

किसी ने हमें कुछ दे नहीं दिया, फिर भी मन में बड़ा अनुग्रह है, _ ग्रेटीटयूड की भावना है,

पता नहीं किसको मन करता रहता है धन्यवाद देने का – कि तूने इतना कुछ दे दिया..

आनंद से संतुष्टि मिलती है और संतुष्टि से आनंद मिलता है,, परन्तु फ़र्क बहुत बड़ा है ; _

_ ” आनंद ” अल्प समय के लिए और ” संतुष्टि ” जीवन भर के लिए आनंद देती है.

*एक दिन बिना**आनंद के बीते,* *तो आपने जीवन का एक दिन गवाँ दिया ;

_ और एक दिन आनंद में बीता तो एक दिन आपने कमा लिया है, यह ध्यान में रखें..*

“अपने अंदर एक ऐसी जगह ढूंढो जहाँ आनंद हो, और आनंद दर्द को जला देगा”

“Find a place inside where there’s joy, and the joy will burn out the pain.”

मनुष्य होने का आनंद सृजनात्मकता में मिलता है, उपभोग में नहीं.!!

The joy of being human is found in creativity, not consumption.

मनुष्य को ज्ञात दर्द के साथ जीना ठीक है लेकिन अज्ञात आनंद से दूर भागना है.

Humans are okay to live with known pain but run away from unknown joy.

जीवन इतना कीमती है कि इसे बिना हर पल का आनंद लिए,_ फिसल जाने नहीं दिया जा सकता..
इंसान जब अपने आंतरिक गरिमा से दूर होता है, तब सस्ती ख़ुशी उस के लिए बहुत बड़ी चीज हो जाती है ;”

– आनंद और ख़ुशी में भेद कर पाने का विवेक पैदा करो — “

जिस जीवन में आप बहे जा रहे हैं, अगर वहाँ आनंद उपलब्ध नहीं होता है,_ तो जानना चाहिए _ आप गलत बहे जा रहे हैं.
” सुख दुःख साझ़ा किया जा सकता है _ आनंद साझ़ा कभी नहीं होता,

_ आनंद तो पूर्णतः व्यक्तिगत अनुभूति है, “

जो सुख की तरफ जाता है _ वह दुख पाता है,

_ जो आनंद की तरफ जाता है _ वह सुख पाता है..

यदि आप कोई काम कर रहे हैं और आपको उस काम में, आनंद नहीं आ रहा तो _आप उस काम के लायक नहीं हैं ..
ज़िन्दगी के बेहतरीन पलों का आनंद लें जिन्हें आपने अपने लिए चुना है, _

_ हममें से बहुतों में ऐसा करने की हिम्मत या इच्छाशक्ति नहीं है..

जब आप की ऊर्जा आप के ही भीतर घूमती है और आप में ही लीन हो जाती है _ तब _ आप की शक्ति भी नहीं खोती और आनंद भी उपलब्ध होता है..
“जब तक कोई वर्तमान में पूरी तरह से जीने में सक्षम नहीं होता है, तब तक भविष्य एक धोखा है ; _ ऐसे भविष्य के लिए योजना बनाने का कोई मतलब नहीं है _ जिसका आप कभी आनंद नहीं उठा पाएंगे !!”

_ जब आपकी योजनाएँ परिपक्व होंगी, तब भी आप किसी और भविष्य के लिए जी रहे होंगे !!!

सफलता वो है _ जो दुनिया देखती है ;

सुफ़लता वो है _ जिसमें आप आनंदित होते है _ भले दुनिया को दिखे या न दिखे ;

लेकिन प्रफुल्लता वो है _ जिसमें आप का आनंद अंदर और बाहर दोनो तरफ़ बहता है.

दुख को देख न पाना आनंद नही हैं,

_ बल्कि आनंद है _ जो दुःख को दुःख और ख़ुशी की तरह देख सके और उसके निदान का प्रयास करे.

” धन ” अकेला आनंद नहीं खरीद सकता, हालांकि यह मदद कर सकता है ; आनंद एक कला है..

_ और एक ऐसा कौशल _ जिसके लिए हमारे पास बहुत कम प्रतिभा या ऊर्जा है”

जब कोई कहता है कि उसका जीवन अच्छा है, तो इसका मतलब है कि वह उन बुनियादी चीजों तक पहुंच बना सकता है जो उसे आराम और आनंद देती हैं.

_ एक अच्छे जीवन को आत्म-संतोषजनक और आत्म-संतुष्ट करने वाला के रूप में वर्णित किया जा सकता है.!!

एक सुखी जीवन काफी हद तक शांत जीवन होना चाहिए,

_क्योंकि शांति के माहौल में ही सच्चा आनंद मिलता है..!!

ज़िंदगी को जंगल के उस पेड़ कि तरह बनाओ,

_ जो हर परिस्थति में आनंद से झूमता रहे !!

हम एक वक़्त में सब कुछ हासिल नहीं कर सकते,

_ तो जो पास है उसमें आनंद लेना सीख लो..!!

सबसे अधिक दिखाई देने वाला आनंद _ केवल तभी हमारे सामने प्रकट हो सकता है _ जब हम इसे अपने भीतर रूपांतरित कर लेते हैं.

“अपने आनंद का पालन करें और ब्रह्मांड आपके लिए दरवाजे खोल देगा जहां केवल दीवारें थीं”

खुशी बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर है- लेकिन आनंद आत्मा का एक गुण है और हमारे भीतर है- इसकी अभिव्यक्ति है या नहीं, यह हम निर्धारित करते हैं.

मैं आपके सबसे आंतरिक अस्तित्व के आनंद के संपर्क में रहने की सलाह देता हूं ; _खुशी बहुत बड़ी है और मैं इसका आनंद ऐसे लेता हूं जैसे मैं ग्रेवी का आनंद लेता हूं, लेकिन मैं इस पर निर्भर नहीं हूं.

जिन चीजों की आपको आवश्यकता है ;

_उन चीज़ों के मालिक होने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है.

_इस पर विचार करने के लिए एक क्षण लें _कि आपके जीवन में वास्तव में क्या आवश्यक है;

_यह शुरू करने लायक यात्रा है.

_ हमारे जीवन में जो मूल्यवान है _उस पर हमें नज़र रखने की ज़रूरत है ;

_और, आपकी आपत्तियों के दूसरी ओर, उद्देश्य और आनंद से भरा जीवन निहित है.

_एक बार जब आप उस चीज़ के लिए जगह बना लेते हैं _जो वास्तव में मायने रखती है,

_तो आपका जीवन आनंदमय रहेगा.!!

“आनंद अपने ही भीतर पाया जाता है.”

हम सभी इस दुनिया में इधर-उधर खुशियां ढूंढ रहे हैं, लेकिन हमें यह महसूस करना चाहिए कि खुद से और खुद के लिए खुश रहना ही खुशी की कुंजी है ; _ आप ही एकमात्र व्यक्ति हैं जो खुद को खुश कर सकते हैं, हमेशा याद रखें कि आपके लिए कोई नहीं है, हर कोई अपनी समस्याओं से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है, इस व्यस्त दुनिया में कोई भी स्वतंत्र नहीं है.

अगर आपको लगता है कि कोई आएगा और आपको खुश करेगा, तो इसका मतलब है कि आप खुद से झूठ बोल रहे हैं, _ क्योंकि यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने लिए काम करें, किसी और की नहीं ; _ इसलिए हमेशा अपने भीतर खुशी की तलाश करें.

यदि आप मानसिक अलगाव में जीना सीख लेंगे तो आपके लिए जीवन खुशगवार हो जाएगा.

_ यह एक प्रकार की समाधि है, जो आपको भावों में रचने-बसने से नहीं रोकती..

_ लेकिन जहाँ भाव उलझने लगें, बस वहीं रुक जाना है.

_ बहुत बार सुना हुआ यह सत्य ही सत्य है कि सुख और आनंद कहीं बाहर नहीं, अपने ही भीतर है.!!

आपका उद्देश्य उन छोटी-छोटी चीजों में पाया जाता है जो आप सहजता से करते हैं _और जो आपकी आत्मा को अधिक आनंद देती हैं.
सत्य के साथ जीते हो तो फिर धन कम हो या ज्यादा _ आप उसमें आनंदित रहना सीख जाते हो..
अगर आप खुद ही आनंद के स्त्रोत बन जाते हैं, तो आपके जो भी रिश्ते होंगे, वो शानदार होंगे..!!
यदि आप नेक दिल हैं तो _ आपके आस- पास के लोग अवश्य ही आनंद का अनुभव करेंगे.
जो व्यक्ति अपने साथ बहुत आनंद अनुभव करता है, _ दूसरे उसके साथ बड़ा आनंद पाएँगे.

“एक व्यक्ति जो अभी का आनंद लेता है _उसे खुशी के लिए यादों से चिपके रहने की जरूरत नहीं है”

आनंद बहुत बहुत बहुत महंगा था और आश्चर्य !! इसे वही खरीद पाए,__ जिनके पास कुछ भी नहीं था..!!
आनंद पहली अच्छाई है. यह हर पसंद और हर नापसंद की शुरुआत है ;_ यह शरीर में दर्द और आत्मा में परेशानियों का अभाव है.!!
खुद से बोलिये : मैं खुश हूँ, मैं स्वस्थ हूँ ;_मेरा जीवन खुशियों से भरा हुआ है और मैं उसे आनंद के साथ जी रहा हूँ..!!
मानव जीवन में दु:ख, पीड़ा, वेदना और अप्रेम की आवश्यकता है; _यदि नहीं, तो लोग कभी भी ठीक से जीने का आनंद महसूस नहीं कर पाते..!!
आनंद से हमारा तात्पर्य उस अवस्था से है ;_जिसमें शरीर दर्द से और मन चिंता से मुक्त होता है.!!
वास्तविक आनंद मन की वह अवस्था है,_ _जिसमें आनंद का ख़याल भी नहीं रहता.
जो स्वयं में आनंदित होगा _ उसे किसी की भी पीड़ा बहुत जल्द दिखाई पड़ती है.
हर एक इंसान का नजरिया अलग होता है, _ पर तलाश तो आनंद ही होता है..
कुदरत ने तो…आनंद ही आनंद दिया था,  __ दुःख तो…हमारी खोज है.
आनंद कदम – कदम पर है,_ बात बस इतनी कि हम कैसे जीते हैं.
जो इंसान आनंद में है _ वह अस्तित्व के उद्देश्य को पूरा कर रहा है.
मुझे लगता है कि आनंद, पवित्रता के निकट आने पर उत्पन्न होने वाली तरंग है..!!
“जीवन से आनंद उठाओ…जितना हो सके ; _ आनंद से कभी कोई नहीं मरा..”
कितनी भी अच्छी सोच लिए घूमता हो कोई, _यदि वो आनंद में नहीं तो ग़लत है..!!
खुशी देखकर दूसरों की, आनंदित होना भी, स्वस्थ मन की पहचान है !!
कभी कभी आपको अपनो से दूर रहने का भी आनंद लेना चाहिए.
“आनंद एक नृत्य है _जिसमें कलाकार और दर्शक एक होते हैं”
सुखी रहने का सच्चा मार्ग है, _हर बात में आनंद खोज लेना..
आनंद सफ़र में ही है, मंज़िल पर पहुँच कर ठहराव आ जाता है.
जो व्यक्ति सत्य को जीता है, उसके पास भले ही कुछ न हो ‘आनंद’ जरूर होता है.!!
सभी संवेदनाएँ सत्य हैं; आनंद हमारा स्वाभाविक लक्ष्य है.
जो आदमी आनंद में है _ वह सुख नहीं चाहता है.
तुम मेरा आनंद छीनने की हिम्मत मत करना..

_मैं दुख के साये में भी मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ रहा हूं..!!

आनंद है स्वभाव तुम्हारा, है उत्सव तुम्हारी जात ;

अनहद में है विश्राम तुम्हारा, बस इतना रखना याद ;

यह जीवन है एक सराय, नहीं करना रुकने की बात ;

मृत्यु जीवन से अलग नहीं, ये है जीवन का भाग ;

बंधो न तुम, न बांधो किसी को, बस इतना सा तुम कर लो ;

हर पीड़ा को हर लूंगा मैं, तुम मुझको अपना कर लो.

रचनात्मकता [ Creativity ] और आनंद [ joy ] का बड़ा गहरा रिश्ता होता है

_ क्योंकि यदि आप आनंदित नहीं हैं तो आप रचनात्मक नहीं हो सकते.

_ और खुशी को हमने मार रखा है क्योंकि

_ ख़ुशी [ Joy ] और आज़ादी [ freedom ] का बड़ा गहरा अर्थ होता है.

_ रचनात्मकता तो आनंदमय होनी चाहिए और आनंदमय होना है तो स्वतंत्र रहना..!!

जीवन कोई बहुत गंभीर चीज़ नहीं है.

जीवन प्रकाशमय, आनंदमय और नृत्यमय क्षणों से भरा है.

Life is not a very serious thing.

Life is full of light, joyous and dancing moments.

समय समय पर मन मेरा मुझे यात्रा, कहीं घूम आऊं – की तैयारियों और आने वाले अद्भुत आनंद की प्रतीक्षा में उलझाए हुए रहता है _ और मैं निकल भी जाता हूँ _

_ लेकिन पूरी यात्रा के दौरान एक बात हमेशा खटकती रहती है कि जिस आनंद के लिए इतनी तकलीफें उठाई, वही आनंद घर पर भी अधिक सुगमता से पाया जा सकता था.

पहाड़ पर मन घर की सोचता है और घर पर पहाड़ की, __ आनंद न दृश्य में है और न ही दर्शक में वरन दृष्टा भाव में ही शाश्वत आनंद है.

आगे बढ़ने का मेरा निर्णय _ दुखी होकर अपने जीवन का एक मिनट भी बर्बाद नहीं करना है ;

_ आनंद लेने और सराहना करने के लिए हमेशा कुछ न कुछ होता है,

_ मैं उन चीजों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं जो सही और अच्छी हैं _ न कि _ उन चीजों पर _ जो मुझे परेशान करने वाली या अप्रिय लगती हैं.

यही है ज़िन्दगी ?? यही तो है जिंदगी तो इसका आनंद.. कब कहां कैसे क्या होता है ! हम क्या सोचते हैं, और क्या हो जाता है.

जिंदगी में अक्सर हम कुछ लोगों को इतना करीबी मान लेते हैं _ जैसे उनके बिना जिंदगी संभव नहीं ;_ लेकिन वक्त और जीवन का फलसफा कुछ और ही है मेरे यार !

कब कहां किस मोड़ पर जिंदगी बदल जाए, हाथों से हाथ छूट जाए, लोगों का पलायन हो जाए,

जो सोच न सके कि कभी ऐसा हो जाता है.. यही है ज़िन्दगी और उसकी रीत,और जीवन के रंगमंच में कठपुतली सा दिल और उसकी संजीदगी !

बुद्धि का सही ढंग से उपयोग हमें खुशी देता है.

_ जब हम अच्छा सोचते हैं तो हमें अच्छा महसूस होता है.

_ समझ एक प्रकार से आनंदायक है.

अब सब कुछ ख़ामोशी से देखने का वक्त आ गया है..!!

_ हंसी मज़ाक, तंज़ कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए..!!

_ समझदारी यही कहती है, कि बस चुप रहिए..!!

_ जिसको जिससे उलझना है उलझे, ये आपका मसला कतई नहीं है,

_ क्योंकि जो आपका मसला था वो भी अब आपका नहीं रहा..!!

_ अपने काम से काम रखें और आनंद में रहें..!!

जो आपके नियंत्रण में नहीं है, आप उसे बदलने के लिए कुछ नहीं करते..

_ आप बस उसका आनंद लेते हैं और जो मिलता है, उसे जीते हैं.!!

ध्यान रखना मेंले में बच्चा खिलौनों के पीछे तभी तक भागता है जब एक मां से बिछड़ नही जाता ; _ मां से बिछड़ते ही सारे खिलौनों का आनंद खो जाता है..!!

ऐसा ही कुछ संसार है जब तक परमात्मा का साथ है सभी वस्तुओं के साथ भी आनंद है,

_ लेकिन जिनसे परमात्मा बिछड़ जाता है उनको फिर कोई भी खिलौना आनंद नही देता _फिर चाहे तुम कितने भी खिलौने इकट्ठे कर लो..!!

दुनिया को अच्छे और बुरे से परे देखना और जीवन जैसा चल रहा है, _उसे वैसा ही स्वीकार करना..

_दुनिया और जीवन को आनंदमय बना देता है..

जब आनंद की अनुभूति होती है तो जीवन आनंदमय हो जाता है.

इसे महसूस करने के लिए बहुत गहराई तक जाने या कुछ हासिल करने की ज़रूरत नहीं है.

समझें कि आप क्या हैं !!

यह अनुभव किसी और से प्राप्त करना आवश्यक नहीं है !

लकी होते हैं _वो लोग _जो समय के साथ तालमेल बना कर _ आनंदमय जीवन जीते हैं..!!

अकेले का जीवन जी कर भी उसका आनंद लिया जा सकता है. किसी के साथ रहकर भी आनंदित हुआ जा सकता है.

_आनंद अकेले या साथ की बात नहीं है, जैसी भी स्थिति हो, उसमें मगन रहने का संकल्प है.

जिन चीजों की आपको आवश्यकता है ; _उन चीज़ों के मालिक होने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है.

_इस पर विचार करने के लिए एक क्षण लें _कि आपके जीवन में वास्तव में क्या आवश्यक है;

_यह शुरू करने लायक यात्रा है. हमारे जीवन में जो मूल्यवान है _उस पर हमें नज़र रखने की ज़रूरत है ;

_और, आपकी आपत्तियों के दूसरी ओर, उद्देश्य और आनंद से भरा जीवन निहित है.

_एक बार जब आप उस चीज़ के लिए जगह बना लेते हैं _जो वास्तव में मायने रखती है,

_तो आपका जीवन आनंदमय रहेगा.!!

हमें अपने आनंद के लिए अपनी रूटीन लाइफ से कुछ दिन अलग से अवश्य जीने चाहिए,

_रेल कि पटरियों के बीच में कुछ-कुछ अंतर रखा जाता है, कि गर्मियों में यह फैलेंगी तो टेढ़ी-मेढ़ी ना हो जाए.

अपने जीवन का आनंद लेने का निर्णय लेने से पहले सब कुछ सही होने का इंतज़ार न करें.

Don’t wait for everything to be perfect before you decide to enjoy your life.

वो समय जिसको आप बर्बाद करके आनंद लेते हैं वह समय बर्बाद नहीं होता.

The time you enjoy wasting is not wasted time. – Bertrand Russell


नज़रअंदाज़ – नजरअंदाज – बेपरवाह, – परवाह – 2010

लोग आपको बताते हैं कि वे कौन हैं, लेकिन हम इसे नजरअंदाज कर देते हैं

_क्योंकि हम चाहते हैं कि वे वही बनें _जो हम चाहते हैं.

People tell you who they are, but we ignore it because we want them to be who we want them to be.

अंदाज़ ऐसा रखो कि कोई अंदाज़ा न लगा पाए..!!
हमारे पास एक आवाज़ है जो हमसे बात करती है,

रोजमर्रा की जिंदगी में हम अक्सर इसे भूल जाते हैं या नजरअंदाज कर देते हैं.

अपने स्वयं के व्यर्थ कार्यों में व्यस्त रहते हैं या केवल सामाजिक अनिवार्यताओं से प्रभावित हैं.

संभवतः ये वक़्त बेहद गंभीरता से सोचने का है कि जिंदगी की भागदौड़ में _

_ हमनें कितनी खुबसूरत चीज़ों को नज़रअंदाज़ कर दिया है ?????

छोटी-छोटी बातें भी हमें संकेत देती हैं, लेकिन हम लापरवाही या आलस के चलते उन्हें नज़रंदाज़ करते हैं…

_ हर चीज हमसे बात करती है, बस उसे सुनना जरुरी है !!

क्या हम बड़ी चीज़ों के लिए _ उन सभी छोटी चीज़ों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं ?

_जिनका महत्व बड़ी चीज़ों के बराबर है ?

जिस चीज़ को आप नज़रअंदाज करते हैं, उससे सावधान रहें ; _कभी-कभी,

_ जिसे आप नज़रअंदाज कर देते हैं, _वही आपको सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है.!!

नहीं रही शिकायत अब तेरे नज़रअंदाज़ से,

_ तू बाकियों को खुश रख, हम तनहा ही अच्छे हैं

रूठ जाने की सदी गुज़र गई अब, नज़रअंदाज़ करने का ज़माना है !!
मन की शांति पाने का सबसे बढ़िया तरीका है -_

_ कुछ चीजों को नज़रअंदाज़ करना भी सीखें ..

नज़र अंदाज़ करने में फकत तुम ही नहीं माहिर.._

_ निगाहें फेर लेने का हुनर हमको भी आता हैं..

जिस नजर से नजरअंदाज करते हो,, उन्हीं नजरों से ढूंढते रह जाओगे…!!
सह लिया जितना सहना था, अब सिर्फ जीना है सबको नज़रअंदाज़ करके !!
किसी से बदला लेना मेरे बस की बात नहीं.. मैं तो बस मेरे साथ गलत करने वालों को नजरअंदाज करने लगता हूं.!!
” वक्त की कमी इंसान को असंवेदनशील बना देती है “

_ वह बहुत कुछ जीवन से नज़रअंदाज कर देता है…

तनाव उन बातों को नज़रअंदाज़ करने से आता है,

_जिन्हें आपको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए..

अंदाजा लगाना सस्ता होता है, लेकिन गलत अंदाजा लगाना बहुत महंगा होता है !!
अपनी जिंदगी के सलीके कुछ यु मोड दो,

_जो नजर अंदाज करें… _ उसको नजर आना ही छोड़ दो..!!

जो करने लगे नजरंदाज हमे, उन्हें हम फिर नजर नहीं आते..

चाह कर भी वो फिर दिल में, जगह बना नहीं पाते.!!

लोग आपको भूल नहीं सकते, _ इसीलिए वे नज़रअंदाज़ करते हैं…!!!
अब नाराज किसी से नहीं होना है _,, बस नज़रअंदाज़ करके जीना है..
जिन्दगी आसान बनाइए…. _ कुछ अंदाज से, कुछ नज़रअंदाज़ से…
खुद के अंदाज़ में जियो, _ लोग क्या कहते हैं उसको नज़रअंदाज़ करो…
जहां आपकी बातें नज़रअंदाज की जाएं ; _ वहां ख़ामोश रहना ही बेहतर है.
कमज़ोर बदला लेते हैं, मजबूत माफ़ करते हैं और समझदार नज़रअंदाज़ करते हैं.
सब कुछ सीखना ही ज्ञान नहीं है, _ कुछ बातों को नज़रअंदाज़ करना भी ज्ञान है.
अपना एक अलग ही अंदाज होना चाहिए _ जो ना समझे _ वो नज़रअंदाज़ होना चाहिए.
यदि मैं तुम्हें नज़रअंदाज़ करता हूँ… मतलब समझ जाना ; _ मेरी नज़रों में गिर चुके हो तुम…!!
कुछ यूँ …हम भी अपना प्यार बयां कर रहे हैं _ आजकल हम भी उन्हें नज़रअंदाज़ कर रहे हैं..
जो बातें नज़रअंदाज़ करने लायक हैं, _ आपको_ उन बातों को_ नज़रअंदाज़ ही करना चाहिए.
ऊब गया हूँ लोगों के झूठे दिखावे से, _ अब कोई अपना दिखता भी है तो नज़रअंदाज़ कर देता हूँ…!!!
मैं तुम्हारे पूरे अस्तित्व [ existance ] को नजरअंदाज कर सकता हूं,

_इसलिए मेरे धैर्य [ patience ] की परीक्षा लेने की कोशिश मत करो.

“जिंदगी में किन चीजों को नज़रअंदाज़ करना है, _ इसे जान लेने की कला बहुत बड़ी बुद्धिमानी है….”
अगर आप नज़रअंदाज़ करने में माहिर नही, _ तो आप बहुत कुछ खोएँगे – सबसे पहले अपना सुकून !!
जिंदगी जीना आसान नहीं होता, आसान बनाना पड़ता है.

_ कुछ सब्र कर के, कुछ बर्दाश्त कर के और बहुत कुछ नजरअंदाज कर के..!!

गैरों को खुश करने में अपना बड़ा कीमती समय बरबाद किया मैंने,

_ पता तब चला जब उन्होंने नज़रअंदाज़ किया मुझे..

“- आऊंगा नए अंदाज़ के साथ, फिलहाल लड़ाई खुद से है, खुद को बदले की..!!”

कुछ कमियां मुझमें थी, कुछ कमियां लोगों में थी, _ फर्क सिर्फ इतना सा था कि वो गिनते रहे और ” हम नज़रअंदाज़ करते रहे ”
संघर्ष के प्रत्येक मोड़ पर आप को कुछ ऐसे व्यक्ति ज़रूर मिलेंगे, जो अपनी निम्नस्तर बातों से आप को प्रेरणाहीन एवं लछ्य से भटकाने की कोशिश करेंगे..

_ आप को उन्हें नज़रअंदाज़ करना है और बिना अधिक सोचे आगे बढ़ते रहना है ..!!!

” लोग उस बात को नज़रअंदाज़ नहीं करते हैं जिसे उन्हें नज़रअंदाज़ करना चाहिए,

_ लेकिन जिस चीज़ को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं,

यह अज्ञानता के रूप में जाना जाता है “

लोग कहते हैं कि कार्य शब्दों से ज़्यादा ज़ोर से बोलते हैं, लेकिन कभी-कभी ये शब्द ही होते हैं _ जो सबसे ज़्यादा दुख पहुंचाते हैं.

_ कार्यों को नजरअंदाज करना आसान है _ लेकिन शब्द आपके दिल पर चोट करते हैं _ जहां दर्द होता है..

अपने अगले कदम को सीक्रेट रखिए ; यहां अच्छा चाहने वाले हों ना हों ; पर बुरा चाहने वाले बहुत से लोग हैं.

इस बात को बाहर मत आने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, इसे रहस्य ही बनाये रखना अच्छा है और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये जब तक कार्य सफल नहीं हो जाता.

— ” कभी भी अपने सीक्रेट्स किसी को नहीं बताना चाहिए _ इससे आपके ऊपर मानसिक दबाव बढ़ जाता है.”—

किसी को भी, ख़ुद को पूरी तरह जानने मत दीजिए, _ जानते ही वह आपसे कटने लगेगा और अलग हो जाएगा ; पूरी तरह जान लेना, रूचि का ख़त्म हो जाना है, यानी आकर्षण का लुप्त हो जाना है, और यह दुनिया आकर्षण पर ही चलती है.

_ _यदि आप किसी को पूरी तरह जान गए हों, तो उसे यह पता लगने मत दीजिये : पता लगते ही वह आपसे कतराने लगेगा और अलग हो जाएगा, _ _ कोई इंसान अन्दर से यह नहीं चाहता कि उसे पूरी तरह जान लिया जाए..

ज़िंदगी…तब सरल हो जाती है, जब हम समझ जाते हैं कि किसे हमें जवाब देना है..

_और किसके सवाल को बिल्कुल नजरअंदाज करना है.!!

यदि आप अपने प्लान दूसरों को बताते हैं तो इससे उसके पूरे होने की संभावना कम हो जाती है,

इसलिए काम पूरा होने से पहले किसी को ना बताएं. – ” वही काम शीघ्रता से सफल होता है, _ जिसकी भनक तक किसी को ना लगे “

इस बात को व्यक्त मत होने दीजिए कि आप ने क्या करने के लिए सोचा है, _

_ बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाए रखिए और उस काम को करने के लिए दृढ़ रहिए.

आप को लोगो के साथ खुली किताब बिलकुल नहीं रहना चाहिए,

_ आप का रहस्यमयी होना आप को लोगों से बचाता है ..

असली सुख रहस्यमयी बन कर रहने में है…

सबके सामने _अपनी कमजोरियों को गिनाना बेहद घातक हो सकता है…!!!

जब से मैंने लोगों को यह बताना बंद कर दिया कि मेरी ज़िंदगी में चल क्या रहा है… _

_ तब से काफ़ी सुकून में रहने लगा हूं…!!!

दूसरों के पास आपके दैनिक जीवन की अत्यधिक जानकारी होना…..कोई अच्छा संकेत नहीं है.

  • ” आप बर्बाद तब नहीं होते जब आप के दुश्मन हजार होते हैं, _

_ आप बर्बाद तब होते हैं जब आप अपने सारे राज दूसरों को बताना शुरू कर देते हैं..”

अपनी स्वयं की नीतियों और विशिष्ट ज्ञान को गुप्त रखो ; समय आने पर कोई भी आप का शत्रु बन सकता है _

_ उन नीतियों को ऐसा रखो कि किसी भी छेत्र में शत्रु को मात दे सको ..

जीवन में आप स्थिरता चाहते हैं तो _ लोग जितना जानना चाहते हैं, _

_ उन्हें उस से ज्यादा कहना बंद कर दें !! ” मौन सर्वोत्तम है “

लोगों को सिर्फ़ उतना ही बताएं, जितना उनके लिए ज़रूरी है, उससे ज़्यादा नहीं.
” हर शख्स ” नहीं होता हर बात के काबिल, हर शख्स को हर बात बताया ना करो.
हम उन्हें रुलाते हैं, जो हमारी परवाह करते हैं. हम उनके लिए आँसू बहाते हैं जो कभी हमारी परवाह नहीं करते,,,

,, और हम उनकी परवाह करते हैं जो कभी हमारे लिए नहीं रोयेंगे — यही जीवन का सच है, अजीब है पर सच है.

_ जब भी आपको यह अहसास हो — आप बदल जायँ, क्योंकि बदलने के लिए कभी देरी नहीं होती.

किसी के जीवन में बदलाव लाने के लिए, आपको प्रतिभाशाली, अमीर, सुंदर या परिपूर्ण होना ज़रूरी नहीं है. _ आपको बस परवाह करनी है.

To make a difference in someone’s life, you do not have to be brilliant, rich, beautiful, or perfect. You just have to care.

हम बहुत देर बाद सीखते हैं कि _ हमें दुनिया की नहीं परन्तु खुद की परवाह करनी चाहिए…!!!

“- खुद को ख़ुश रखना ” सीखने में ही हम सब बहुत देर कर देते हैं…!!!- “

यदि आप परवाह करते हैं कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, तो आप हमेशा उनकी सोच के ग़ुलाम*बने रहेंगे.

“अपने” आप पर भरोसा रखें.

आपके जीवन मे कौन-कौन आपके सच बोलने लिखने से या अपने विचारों को बयां करने से नाराज होता है, _ उनकी परवाह मत करो,

_ वो चाहते हैं कि जैसे वो सोचते हैं वैसे आप भी सोचें, बस आप से वो हामी भरवाना चाहते हैं…!

अपनी परेशानियों का रोना किसी से ना रोयें, क्योंकि, _ 20% लोगों को आपकी परवाह नहीं होगी _

_ और बाकी 80% इस बात से खुश होंगे कि आप परेशानी में हैं.

जो इंसान आपके रोने पे भी आपकी परवाह नहीं करता …_

_ वो आप की खुशियों की हिफाज़त कभी नहीं कर सकता…

अच्छा है जो बेपरवाह हो, ” ख़ुश तो रहते हो “

_ सबकी परवाह करने वालों को ” अक्सर तन्हाई में रोते देखा है “

-” बेपरवाही ही भली है, परवाह करो तो ठग लेते हैं लोग.”

एक व्यक्ति जिसे आज किसी की भी परवाह नहीं है,

_ उसने भी एक वक्त पर किसी की हद से ज़्यादा परवाह की होगी.!!

बड़ा सकून है इस लापरवाही में, _

_ वरना बहुत कुछ गवां दिया सबकी परवाह करते करते !!

लोग कीचड़ उछालें तो परवाह मत करो,

_ इंसान वही दे सकता है जो उसके पास होता है.!!

बेपरवाह रहना ही भला है साहब, _ परवाह करो तो लोग, सस्ता समझ लेते हैं..

_कभी भी किसी व्यक्ति को उस स्थिति में न धकेलें _जहां उसे कोई परवाह न रह जाए..

खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ, _

_ लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ.

आजकल लोग बात कहाँ करते हैं, बस देखते रहते हैं कि परवाह किसे है.
ज़माना कुछ भी कहे, उसकी परवाह ना कर ;

जिसे ज़मीर ना माने, उसे सलाम ना कर.

परवाह मत करो कि लोग क्या कहते हैं, _

_ आपके घर के ख़र्चे लोग नहीं ” आप खुद उठाते हो “

एक परवाह ही बताती है कि ख़्याल कितना है..!! _

_ वरना कोई तराजू नहीं होता रिश्तो में…!!!

ढूंढना ही है तो परवाह करने वालों को ढूंढ़िये, _

_ इस्तेमाल करने वाले तो ख़ुद ही आपको ढूंढ लेंगे.

कभी किसी इंसान को इतना भी मत सताना कि वो आपकी परवाह करना ही छोड़ दे..

_ क्योंकि फिर आपको उसे खो देने का अफ़सोस बहुत होगा.!!

कितने मासूम होते हैं, ये आँसू भी…_

_ ये गिरते भी उनके लिये हैं, जिन्हें परवाह नहीं..

वजह की तलाश में…वक्त ना गंवाया करो…_

_ वेवजह…बेपरवाह…बेझिझक…बस मुस्कुराया करो…

काश… ऐसी कोई लापरवाही हो जाये मुझसे, _

_ कि अपने गम की गठरी कही भूल आऊँ मैं..!!

तू किनारे पर रेत के टीले बनाता है.. _

_ हमें किनारों की परवाह नहीं.._ हमें तो उस पार जाना है..

परवाह नही,,,,,,,चाहे ज़माना कितना भी खिलाफ हो._

_ चलूँगा उसी राह पर जो सीधी और साफ हो,,,

परवाह ना कर तमाशे होते रहेंगे ताउम्र,

_ तू ये ख़्याल रख कि किरदार बेदाग़ रहे !!

अक्सर वही लोग हमारे प्रति लापरवाही दिखाते हैं..

_जिनकी परवाह करते करते हम अपना सर्वस्व लुटाते हैं.!!

जब आप किसी की हद से ज़्यादा परवाह करते हो तो आप हद से ज़्यादा दर्द भी झेलते हो.!!
बात यह है कि 99% लोगों को परवाह नहीं है कि आपके जीवन में क्या हो रहा है,

_यदि आपको लगता है कि वे 99% ऐसे कार्य करते हैं जैसे कि.. वे आपकी परवाह करते हैं, तो वे आपके बारे में फैलाने के लिए केवल जानकारी एकत्र कर रहे हैं..!!

जब से लोगों की परवाह करना छोड़ा है, _ ज़िन्दगी काफी खूबसूरत हो गयी है..
परवाह से ज्यादा बेपरवाह में ठीक हुँ,,_ नाम कमाने से ज्यादा गुमनामी में ठीक हुँ,,
गलत लोगों की परवाह करना छोड़ दो, _ जिंदगी बहुत आसान हो जाएगी…
परवाह बस उनकी करो _ जिन्हें आपकी परवाह हो …बाकी सब शून्य कर दो.!!
सबसे दुखद बात यह है कि किसी की बहुत ज्यादा परवाह करने के चक्कर में _ खुद को खो देना और यह भूल जाना कि _ आप भी खास हैं..!
मैं थक गया था परवाह करते करते, जब से बेपरवाह हूँ आराम सा है..
मुझे परवाह नहीं अपने कल की,

_ मैं अपना हर दिन आखिरी समझ के जीता हूँ.!!

हर बेपरवाह इंसान के पीछे एक ऐसा इंसान छिपा होता है..

_ जो किसी वक्त पर हर किसी की जरूरत से ज्यादा परवाह करता था.!!

जिस चीज़ की आप को परवाह है, _ उसकी चिंता करना ज़रूरी है.
कोई आपके बारे में क्या सोचता है, इसकी परवाह ज्यादा ना करें.
नतीजों की परवाह नहीं, _ प्रयासों का अपना अलग मजा है.
वैभव – विलास की चाह नहीं _ अब कोई परवाह नहीं .!!
किसी को अपने साथ बुरा व्यवहार करने की अनुमति केवल इसलिए न दें, क्योंकि आप उनसे प्यार करते हैं या उनकी परवाह करते हैं.

_ सबसे ज़हरीली चीज़ों में से एक जो आप स्वयं के साथ करेंगे, _वह है किसी की बुराइयों को नज़रअंदाज करना,

_क्योंकि आप उन्हें अपने जीवन में बनाए रखना चाहते थे ; _ लेकिन ऐसा मत करो, _इस तरह की मानसिकता कभी लागू मत करो.

कई बार आपकी मुलाकात ऐसे लोगों से होगी _जो या तो आपसे प्यार करेंगे या आपको ठेस पहुंचाएंगे.

_और यदि कोई आपके साथ कभी भी सही व्यवहार नहीं करता है, तो आपको अलग हट जाना होगा.

” जिनकी समझ विकसित [ developed ] होती है _ उन्हें छोटी-छोटी बातें पसंद नहीं होती हैं.”

_वे अक्सर खुद को रचनात्मक [ creative ] या सहज ज्ञान [ common sense ] युक्त रखते हैं.

_ वे ज्वलंत [ flagrant ] सपने देखते हैं, और अक्सर अगले दिन अपने सपनों को याद कर सकते हैं.

_उन्हें संगीत, प्रकृति, कला, सौंदर्य पसंद है.

_वे असाधारण रूप से मजबूत भावनाओं को महसूस करते हैं – कभी-कभी खुशी के तीव्र झटके, लेकिन दुःख, उदासी और भय भी.

— ऐसे लोग _ उन सूक्ष्मताओं [ subtleties ] को नोटिस करते हैं _जो दूसरे नज़रअंदाज़ कर देते हैं

_ जैसे किसी अन्य व्यक्ति की मनोदशा में बदलाव, या किसी लाइटबल्ब का बहुत अधिक तीव्रता से जलना.

कुछ घटना ऐसी होती है हमारे जीवन में.. जिसे सोचते हुए, हम जिंदगी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रोते हुए गवां देते है, _ उन बातों से हम अवसाद में चले जाते हैं,

_ एक समय के बाद जिंदगी उन बातों को नजरअंदाज करके जीना सीखा देती है.

_ कभी हम बेहद कमज़ोर होते हैं ..तो कभी मजबूती से सब कुछ स्वीकार कर लेते है.!!

लोग क्या कहेंगे – 2013

जिंदगी जीने के लिए कुछ बातें हमेशा याद रखिए…

1 :- आप कभी इस बात की ना चिंता करिए ना ही ध्यान दीजिए कि आप के पीठ पीछे लोग आपके बारे में क्या बात करते हैं, पीठ पीछे आपके बारे में बात करने का मतलब यह है कि आप बहुत तरक्की कर रहे हैं और यह लोग आपसे जलते हैं और इनकी इतनी हिम्मत नहीं है कि आपके सामने बात कर सकें, इसलिए ये आपके पीछे – पीछे बात कर रहे हैं.

2 :- अपने मन में से ” लोग क्या कहेंगे ” यह ख्याल निकाल दीजिए, इस भागमभाग की दुनिया में किसी के पास इतनी फुर्सत नहीं है और यदि कोई कुछ कहता है तो कहने दीजिए. आप हमेशा अपनी परिस्थिति, अपनी आर्थिक स्थिति इत्यादि के अनुसार चलिए और अपनी परिस्थितियों के अनुसार ही निर्णय लीजिए. ” लोग क्या कहेंगे ” – यह दो वाक्य हमें बर्बाद कर देता है.

3 :-  जब आप संघर्ष करते हैं, कई ऐसे मौके आएंगे कि आप हारता हुआ महसूस करेंगे, लेकिन याद रखिए, संघर्ष के समय छोटी मोटी या बड़ी असफलताओं से कभी निराश मत होइए आप लगे रहिए, आपको सफलता जरूर मिलेगी.

यह दुनिया काफी सुन्दर हो सकती है, यदि लोग एक दूसरे के कामों में बाधा न दें. हर व्यक्ति अपने जीवन का मालिक है और उसे अपने जीवन को अपने ढंग से जीना चाहिए. अपने भीतर के बोध से जो उसे ठीक लगे वही करना चाहिए. लेकिन व्यक्ति यह सोच कर करता है कि ” लोग क्या कहेंगे “.

व्यक्ति को चाहिए कि न तो वह दूसरों को अपने काम में बाधा देने दे और न दूसरों के काम में बाधा दे. अगर जीवन में कुछ पाना हो, कोई उपलब्धि हासिल करनी हो तो अपनी धुन में रमे रहना चाहिए और लोगों की फ़िक्र न करना बहुत जरुरी है.

“जो व्यक्ति आपको महत्व देता है वह कभी भी आपको खोने की स्थिति में नहीं आएगा.”

लोग क्या कहेंगे!!

यह वाक्य केवल मध्यवर्गीय श्रेणी के लोगों के लिए बना है, क्योंकि सिर्फ इन्हीं लोगों को फर्क पड़ता है, लोगों के कुछ कहने से__ और यही वो लोग हैं, जो हमेशा कुछ न कुछ कहते रहते हैं, _ क्योंकि इनसे नीचे की श्रेणी के लोग इतने आर्थिक मंदहाली में हैं कि उनके पास समय ही नहीं है कि _ वो अपनी ज़रुरतें पूरा करने के अतिरिक्त कुछ और सोच सके,__और इनसे ऊपर की श्रेणी के लोग अपनी खवाइशें पूरा करने में इतने व्यस्त हैं कि _ कौन क्या कर रहा है और क्यों कर रहा है ये सब जानने का उनके पास समय ही नहीं है.

आर्थिक तौर पर आप भले ही मध्यवर्गीय श्रेणी में आते हों मगर अपनी सोच का दायरा जरूर इससे ऊपर उठाएं, तो जो “लोग क्या कहेंगे ” आपके लिए बेमायने हो जाए.

‘लोग क्या कहेंगे’, यह हम लोगों की शाश्वत समस्या है. _हम संसार में हैं तो अनेक अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों से हमारा सामना होता है._

परिवार एक चारदीवारी की तरह होता है, जहां सब कुछ होता है लेकिन गोपनीय. _घर में धन हो या गरीबी, गोपनीय. _ आपसी प्रेम हो या अशांति, गोपनीय. _ स्वस्थ हों या बीमार हों, गोपनीय. _ज़िंदगी के मज़े ले रहे हों या भुगत रहे हों, गोपनीय._

यहाँ तक कि पति पत्नी के बीच भी बहुत-कुछ गोपनीय रहता है. _घर की बात घर के बाहर न जाए, इसके पर्याप्त प्रयास किए जाते हैं _लेकिन जब बात बढ़ जाती है तो _वह घर की सीमा रेखा को लांघ कर स्वयमेव बाहर आ जाती है.

हमारी ज़िंदगी में हमारे होने का महत्व कम है, दूसरे की राय का महत्व अधिक है. _मैं अच्छा हूँ लेकिन यदि मेरे बारे लोगों की राय अच्छी नहीं है तो यह मेरे लिए चिंता का विषय है.

_मैं भला व्यक्ति नहीं हूँ, दुष्ट हूँ, अत्याचारी हूँ लेकिन यदि मेरे बारे लोगों की राय अच्छी है तो मैं खुश हूँ, चिंता की कोई बात नहीं.

आप भी ऐसे अनेक लोगों को जानते हैं जिन्होने अन्यायपूर्वक जीवनयापन किया है, वे सामाजिक मंचों पर बहुत सक्रिय रहते हैं _ताकि लोगों के बीच उनकी छबि अच्छी बनी रहे.

मानव स्वभाव की विचित्रता यह है कि स्वयं को अच्छा बनाने की बजाय लोगों की नज़र में अच्छा बनने का प्रयास करता है ; इसी मनोविज्ञान की उपज है, — ‘लोग क्या कहेंगे ?’

दुनिया का सबसे बड़ा रोग ” क्या कहेंगे लोग ” बात सच्ची भी है, गहरी भी है.

_ हालांकि ध्यान से देखें तो लोग हमारा ना कोई खर्चा उठाते हैं, ना हमारा इलेक्ट्रिसिटी बिल [ Electricity Bill ], वाटर बिल [ Water Bill ] , ना हमारा टैक्स पे [ Tax Pay } करते हैं ;

_ लेकिन फिर भी हम उनसे ये इम्पोर्टेंस [ Importance ] रखकर चलते हैं कि _ वो हमारे बारे में अच्छा सोचें, अच्छा कहें, _ यहां तक कि वो फ्री में ब्लेसिंग [ Blessing } भी नहीं देते ..!!

_ वो तो हमसे ये उम्मीद नहीं रखते _ लेकिन हम उनसे ये उम्मीद रख कर चलते हैं, _ फिर बीमार हम हैं _ ये रोग हमारा है..!!

” दुनिया का सबसे बड़ा रोग क्‍या कहेंगे लोग ”  – जिन्दगी में आप जो करना चाहते है, वो जरूर कीजिये, ये मत सोचिये कि” लोग क्या कहेंगे “ क्योंकि लोग तो तब भी कुछ कहते हैं, जब आप कुछ नहीं करते.

असली सवाल यह है की भीतर आप क्‍या हो ? अगर भीतर गलत हो, तो आप जो भी करोगे, वह गलत ही होगा, अगर आप भीतर सही हो, तो आप जो भी करोगे, वह सही साबित होगा.

” लोग क्या कहेंगे ” क्यों जीते हैं लोग इस बोझ तले, _ हमें रोका जाता है टोका जाता है, – चाहे वो काम सही क्यों ना हो,_डर बैठा दिया जाता है मन में,_ कि ” लोग क्या कहेंगे “

“- आपको इसकी परवाह क्यों करनी चाहिए कि लोग क्या कहेंगे ? आपको बस अपने आप को खुश करना है.”

“-लोग कुछ भी कहते रहें, आप अपना काम जारी रखिए..

_ क्योंकि काम की उम्र _ गालियों से बहुत लंबी होती है.!!”

आप जो भी अच्छा काम कर रहें हैं वह करते रहिए, _ लोगों को क्या है,

_ लोग अपनी लकीर बढ़ाने के बजाए दूसरों की लकीर को छोटा करने में यकीन करते हैं,

_ बदलियों के आ जाने से सूर्य की महत्ता कम नहीं होती,

_ अगर हमनें स्वयं की अंतरात्मा को धोखा नहीं दिया तो ..हम किसी के गुनहगार नहीं हैं..!!

.बहुत बार इसी डर से हम कुछ नही कर पाते…और इसी सोच में रह जाते है क़ि….लोग क्या कहेंगे!!!!

#लोगों_का_काम_है_कहना….और लोग बस कहते है…..तब भी जब आप कुछ नही करोंगे….

और तब भी जब आप कुछ करोंगे!!!#लोगों_को_बदलते_देर_नहीं_लगती…डर को छोड़ दो…लोग क्या कहेंगे….!!

हम अपनी लाइफ में बहुत से अच्छे काम सिर्फ यह सोच कर नहीं कर पाते हैं कि ” लोग क्या कहेंगे “.

जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए, कोई अच्छा काम शुरू करने के समय कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग ” क्या कहेंगे “. लोग आप की तारीफ़ भी कर सकते हैं.

लोगों की बातों को दिल से लगाना छोड़ दीजिए, बस जिंदगी के मज़े लीजिए ; क्योंकि चलती का नाम गाड़ी है, और रूकती का नाम अनाड़ी है ;

इसलिए हमेशा चलते रहें और अपनी ज़िंदगी को हर रोज अपने अंदाज़ से जीते रहें..

लोगों की बातों को अगर अपने ऊपर बोझ बना कर डालोगे तो उनके नीचे दब जाओगे,

__ बेहतर यही है कि उनकी बातों पर पांव रख कर ऊपर चढ़ने की कोशिश करो, यकीनन एक दिन ऊंचाई पर पहुंच ही जाओगे..

लोग क्या कहेंगे – पहले दिन हंसेगे, दूसरे दिन मजाक उड़ाएंगे और तीसरे दिन भूल जायेंगे,

इसलिए लोगों की परवाह मत करो, करो वो जो उचित हो, जो आप चाहते हो, जिसमें आप खुश हो,

क्योंकि जिंदगी आपकी है, लोगों की नहीं..

4 लोग, 40 बातें और 400 अफ़वाहें…

_ सब पे ध्यान दोगे तो उम्र ही बीत जाएगी..!! आप किस-किस पर ध्यान देंगे ??

“लोग क्या कहेंगे” मुझे सुनना ही नहीं है.
चार लोग चार दिन ही बस कहते,

_आप उसे सोच कर ज़िन्दगी भर सहते..!!

लोग कहते हैं ज़िन्दगी मिली है अपने हिसाब से जीने के लिए, लेकिन वही लोग _

_ सुबह होते ही किसी और के हिसाब से जीने चले जाते हैं..!

लोग कहते हैं बेवजह ही खुश रहा करो,

_ अब उनको कैसे समझाऊँ की ये सब मेरे बस में नही…!

बहुत मुश्किल होता है,,,खुद को संभाले रखना..!!

_ मगर लोग कहते हैं,,,अपना ख्याल रखना..!!

एक इंसान अपने जीवन के कितने आयाम को छू सकता था,

_ पर वो संकुचित रहा इस धारणा से कि ‘लोग क्या कहेंगे’

हम हैं के समझे नहीं खुद को आज तक _ और ” लोग ” जाने क्या क्या समझने लगे हमें !

हम से ज़्यादा समझदार ” लोग ” हैं जहां में _ जो हमें हमसे ज़्यादा समझते हैं !!

इंसान सारी जिंदगी सोचता है, ” चार लोग क्या कहेंगे “, _ अरे वो यही कहेंगे

कि कितना मूर्ख था, जो इसने सारी जिंदगी _ हमारे बारे में सोच कर निकाल दी,,,??

ये क्या सोचेंगे ? वो क्या सोचेंगे ? दुनिया क्या सोचेगी ?

इससे ऊपर उठकर कुछ सोच _ _ जिन्दगी सुकून का दूसरा नाम हो जायेगी.

किस बात की ना जाने हम क्यूँ इतनी फ़िक्र किया करते हैं,_

_ लोग क्या कहेंगे ये सोच कर हम बेवज़ह की परवाह किया करते हैं ..

देखेंगे तो क्या कहेंगे चार लोग _ चार लोगों ने निभाया नहीं, चार दिन भी साथ _ उन चार लोगों का जिक्र रहा जिंदगी में … जिंदगी भर..

— 4 लोग , 40 बातेँ, 400 अफवायें किस- किस पे ध्यान दोगे आप !!

पच्चीस साल तक हमें ये परवाह ही नहीं होती कि ‘लोग क्या कहेंगे’

_ पच्चास साल की उम्र तक हम इसी सोच में जीते हैं कई ‘लोग क्या कहेंगे’

_ और पच्चास साल के बाद आपको पता चलता है कि आपके बारे में तो कोई सोच ही नहीं रहा था.

– लोग क्या कहेंगे……अब नहीं सुनना है – _ लोग क्या कहेंगे _ लोग कुछ नहीं कहते..

लोगों के बहाने __ कुछ भी कहने वाले _ अपने ही होते हैं..

जब लोग आप को गलत बोल कर तोड़ना चाहे, तब खुद से एक बात बोलना कि _

_ मैं गलत नहीं ; _ बल्कि भीड़ से अलग हूँ ..!!

लोगों का मुहं बंद करवाने से अच्छा है, अपने कान बंद कर लो ;

” जिंदगी बेहतर बन जाएगी “

यह चिंता छोड़िए कि लोग आपके बारे में क्या सोच रहे हैं,

_ वो खुद इस चिंता में हैं कि आप उनके बारे में क्या सोच रहे हैं !!

लोगों को अब समझने में नहीं होती दिक्कत,

_ मैंने दो चेहरे वाले लोगों को पहचानना सीख लिया.!!

यदि आप ये सोचते रहे कि लोग क्या कहेंगे तो, _

_ आप अपने जीवन की पहली परीक्षा में ही हार गये हैं ..

यदि चार लोग कुछ कहते हैं तो परेशान मत होना,

_”अपने काम में लगे रहना”, यही लोग एक दिन आप के लिए तालियाँ बजाएंगे..!!

लोगों की बातें पत्थरों की तरह होती है, अपने ऊपर लाद लोगे तो दब कर रह जाओगे ;

_ क़दमों के नीचे रख लोगे तो बुलंदी पर पहुँच जाओगे !!

आपको पीछे से टोकने वाली आवाजें आपके भले के लिए नहीं होती, _ बल्कि उनका मक़सद आपकी रफ़्तार को रोकना होता है..
” आपको परवाह क्यों करनी चाहिए कि लोग क्या कहेंगे ? _ आपको बस इतना करना है कि कृपया खुद को खुश करें.”

“लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, _इससे आपको कोई लेना-देना नहीं है.!!”

इतना तो उजाला रखो कि, अपनी परछाई दिखाई दे _ ” बस उतना सुनना लोगों की “, कि अपनी आवाज़ सुनाई दे !!
“इस दुनिया में सबसे दुखी लोग वे हैं _ जो इस बात की सबसे ज्यादा परवाह करते हैं कि ” दूसरे लोग क्या सोचते हैं “
” ना जाने कौन हैं ये लोग “.._ जिन के डर से ना जाने कितने फैसले बदल दिए….ना जाने कितने सपने कुचल दिए !
” लोग क्या कहेंगे “, यदि आप इस बात से परेशान हैं. _ तो आप उनके ग़ुलाम बन के रह जायेंगे व पिछड़ जायेंगे.

“दूसरे लोग क्या सोचते हैं, अगर इसकी परवाह करेंगे तो आप हमेशा उनके बंदी रहेंगे.”

आडंबरों के जाल में, अस्तित्व फंस सा गया है _ मन की आवाज़ से ज्यादा ” लोग क्या कहेंगे ” सुनाई देता है !!
जो मन करे बिंदास किया करो _ ” लोग क्या कहेंगे ” यार ये बकवास ना किया करो..
” लोग क्या कहेंगे ” ? ये सोच _ आप की अपनी सोच को ख़त्म कर देती है..

जीतने की जिद है तो लोगों की नहीं _ दिल की सुनो ..

आप किसी का बोलना बंद नहीं कर सकते,

_लेकिन किसकी सुनना है ..ये तय कर सकते हैं..!!

आपको खुशी तभी मिलेगी जब ” लोग क्या कहेंगे ” यह कहना छोड़ देंगे !
लोग कहते हैं और कहते रहते हैं _ आप कितना सुनते हैं, ये आप पर है..
लोगों की छुपी हुई खूबियाँ वहां सिर्फ दब के रह जाती हैं, _ जब वो ये सोचने लगते हैं की लोग क्या कहेंगे !!!
“लोग क्या कहेंगे” के बारे में ज्यादा मत सोचना, _ क्योंकि आप कुछ भी कर लो, वो सोचेंगे ही.
लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं _ अगर ये भी हम ही सोचेंगे _ तो फिर ” लोग क्या सोचेंगे ” !!!
आप वह बनिये जो आप बनना चाहते हैं ,

_वह नहीं जो चार लोग चाहते हैं..!!

‘लोग क्या कहेंगे’ से घबराना नहीं चाहिए,

_ क्योंकि खेल में शोर दर्शक ही मचाते हैं खिलाड़ी नहीं !!

लोगों की सलाह से खुद को मुक्त करें, क्योंकि उनमें से अधिकांश को तो पता ही नहीं होता कि ” वे खुद क्या कर रहे हैँ “
यदि जिंदगी में शांति चाहते हो तो ” लोग क्या कहेंगे ” की बातों को दिल पर लेना छोड़ दो.
“किसी व्यक्ति का पूरा जीवन उसके दृष्टिकोण [Attitude] पर निर्भर करता है” – लोग क्या कहेंगे उस पर नहीं ..!!
हम सोचते रहते हैं कि ” लोग क्या कहेंगे “, _ और लोग कहने के बावजूद भी नहीं सोचते…
लोग क्या कहेंगे और उनकी राय का _आपके निर्णयों पर कभी प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए,

यह आपकी ज़िन्दगी है, उनकी नहीं.. आप को जिससे ख़ुशी मिलती हो, वही करो..

पानी कितना भी गंदा हो लेकिन कभी भी एक पौधे को पेड़ बनने से नहीं रोक सकता,

_ इसी तरह नकारात्मक लोगों की बातें भी आपकी कामयाबी को नहीं रोक सकती.!!

बोलने का शौक़ रखते हों तो,, सुनने की भी आदत होनी चाहिए !!
अधिकतर लोग ऐसे पिंजरे में कैद हैं, जिस पिंजरे पे लिखा है “लोग क्या कहेंगे”
मेरा सोशल सर्कल नहीं है.

_कुछ लोग मुझे अहंकारी समझते हैं, _मैं इसकी परवाह नहीं करता..

_नौ लोग होंगे तो नब्बे कहानियां बनेंगी.

_सभी के अपने निर्णय और दृष्टिकोण होंगे.

_किसी को प्यारा लगूंगा, कोई कहेगा अहंकारी है.

_मुझे इस पचड़े में रहना ही नहीं है.

_अगर मुझे चुप रहना अच्छा लग रहा है तो मैं चुप रहूंगा.

_”कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना”

_ना दुखी था वो अपने हालातों से इतना,_ जितना ये सोच कर था की लोग क्या कहेंगे.

_ लोगों को उनके कार्यों से समझें _और आप कभी भी उनकी बातों से मूर्ख नहीं बनेंगे.

_ तोड़ देती है हिम्मत _ विश्वास तोड़ देती है _ खुद पर से कि ” लोग क्या कहेंगे “

_ लोग क्या कहेंगे और दूसरे लोगों की समस्याओं के बारे में ज़्यादा चिंतित न हों “

_ लोग बोलते क्या हैं, इससे ज़्यादा वो करते क्या हैं, इस बात पर ध्यान दें.”

_ लोग क्या कहेंगे यह मत सोचो, आपके सपने कैसे पूरे होंगे ” यह सोचो “

_ कई सफलताएं रुक जाती हैं _ ये सोच के कि ” लोग क्या कहेंगे “

_ ” लोग क्या कहेंगे “_अगर मैं ये सोंचूंगा _ तो वो क्या सोचेंगे.!!

_ लोगों की राय से ज्यादा _ अपनी शांति को महत्व दें !!”

_ तुम ऐसा करते हो ! वैसा करते हो ! ” लोग क्या कहेंगे “

_ ” लोग तो कहेंगे ही – लोगों का काम है कहना “

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