Kalash

मनुष्य एक रहस्य है ; _ इसे सुलझाने की जरूरत है, और यदि आप अपना पूरा जीवन इसे सुलझाने में बिताते हैं, तो यह मत कहो कि आपने समय बर्बाद किया है.

_ मैं उस रहस्य का अध्ययन कर रहा हूं _ क्योंकि मैं एक इंसान बनना चाहता हूं.

सबको लगता है लोग आपको समझे, लेकिन कोई ख़ुद दूसरे को समझने की कोशिश नहीं करता,

_ ज्ञान भरी बातें सब कर लेंगे, लेकिन कोई ये नहीं जानने का प्रयास करेगा कि मेरी मनः स्थिति क्या है और क्यों है ?

_ सबको अपने हिस्से की परेशानी हमेशा ज़्यादा लगती है, इसलिए सबसे बढ़िया है किसी को कुछ मत बोलो…!!

मुझे हमेशा ख़ुशी होती है _जब मैं उन लोगों को अपनी इच्छानुसार जीवन जीने के लिए ईमानदारी से प्रयास करते हुए देखता हूँ.

_ जब मैं देखता हूं कि वे दुनिया को दोष नहीं दे रहे हैं और चुपचाप पूरे दिल से खुद को बदलने की कोशिश कर रहे हैं.!!

“अब मैं किसी के खेल का मोहरा नहीं, मैं अपनी चेतना का प्रहरी हूँ —

_ “मैं मोहरा नहीं हूँ” — ये मुझे याद रहता है कि मेरे भीतर एक चेतन निर्णय लेने वाला अस्तित्व है, जिसे कोई नियंत्रित नहीं कर सकता.!!

मैं उस दौर को अभी भी देख सकता हूं, याद है मुझे वो सारी बातें जो लोगों ने सिखाई थी..

_ पर उस दौर की उम्र बहोत छोटी रही, मानो एक पल में पूरा दौर गुजर गया..

_ अब उन बातों को याद करने की वजह ही नहीं दिखती मुझे,

– अब सिर्फ एक बात याद है.. जैसी दुनिया वैसा मैं.!

जब जीने के दिन थे, तब हमें जीना नहीं आया..

_ अब मरने के दिन हैं तो हम मरना नहीं चाह रहे.

_ आख़िर इतने उल्टे-पुल्टे क्यों है हम ? हम यानी कि “मैं”

“वो जीवन जो जिया नहीं. वक़्त बीतने के साथ हर पल रेत सा फिसलता जाता है.”

मैं देखता हूं कि कुछ लोग दूसरों की तुलना में (अच्छे या बुरे) कहीं बेहतर विकल्प चुनते हैं.

_ क्या यह हम हैं ? कुछ ऐसा जिसके साथ हम पैदा हुए हैं ? क्या यह हमारी बुद्धिमत्ता, हमारे सामान्य ज्ञान की मात्रा, हमारी परवरिश से जुड़ा है ?

_ क्योंकि बुरे विकल्पों के बहुत विनाशकारी, जीवन भर परिणाम हो सकते हैं.

_ मेरा मानना ​​है कि यह कुछ ऐसा है _जिसकी हमारे पालन-पोषण में कमी थी और यह इतना अच्छा नहीं है कि किसी से कहा जाए कि अच्छे विकल्प चुनें ; उन्हें हमारे अनुरूप बनाया जाना चाहिए.

_ हमारे देखभाल करने वालों को यह नहीं मानना ​​चाहिए कि हम जानते हैं !

_हमें सही विकल्पों के लिए निर्देशित होना चाहिए !!

मैं उन लोगों के लिए चिंतित हूं जो यह जानते हुए भी कि गलत लोगों के साथ रहना उनके लिए अच्छा नहीं है, फिर भी उनके साथ रहते हैं ;

_मुझे चिंता है कि वे प्यार के नाम पर सब कुछ बलिदान कर देते हैं जबकि दूसरे को यह भी नहीं पता कि वे किस प्यार में हैं.

_मुझे नहीं लगता कि यह दोनों तरफ से प्यार है ; यह सिर्फ आपकी तरफ से है.

_और जब मैं देखता हूं कि लोग इसके बारे में शिकायत कर रहे हैं लेकिन खुद को उनसे दूर रखने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं,

_तो कहीं न कहीं, वे भी असहाय महसूस करते हैं, जैसे कि यह अब उनके नियंत्रण में नहीं है _ क्योंकि उन्होंने इसे बहुत पहले किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया था.

और अब, यह उनकी पसंद है कि वे कैसे और कब बात करना चाहते हैं.

_ वे बात करने के लिए न्यूनतम समय निर्धारित करते हैं, और फिर भी आप उन्हें छोड़ नहीं सकते ? क्यों ?

_मैं जानना चाहता हूं कि आपका आत्मसम्मान आपके लिए सब कुछ क्यों नहीं है. आपको क्यों लगता है कि उन्हें एक और मौका देना एक अच्छा विचार है ?

_ मैं उन लोगों के लिए चिंतित हूं _जिन्हें अब अपनी परवाह नहीं है, _ क्योंकि उन्होंने प्यार को खुद से बड़ा बना लिया है ; _ लेकिन क्या यह वास्तव में प्यार है –

– जब आप एक ऐसे व्यक्ति के लिए सब कुछ करते हैं _ जो यह भी नहीं जानता कि आपके अंदर क्या चल रहा है ?

_ मैं उन लोगों के लिए चिंतित हूं _जो सिर्फ इसलिए आगे नहीं बढ़ सकते _क्योंकि उन्होंने पहले कभी ऐसा कुछ महसूस नहीं किया है _ और डरते हैं कि उनका आराम क्षेत्र खत्म हो जाएगा.

_ मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि यह आप ही थे _जिन्होंने उन्हें अपने जीवन में लाकर अपने लिए जगह बनाई थी, उन्होंने नहीं..

_मैं उन लोगों के लिए चिंतित हूं _जो अभी भी नहीं समझते हैं, भले ही उनके सभी दोस्त उन्हें अपने जहरीले रिश्ते को छोड़ने के लिए कहें.

मैंने खुद को जलाकर उस अंधेरे को खत्म कर दिया है जिसने मुझे डराने की कोशिश की थी.

_ हर कोई अपने जीने से अलग जीवन बनाने के लिए दौड़ रहा है ;

_ रब द्वारा दी गई जिंदगी को कोई नहीं जीना चाहता, न मैं और न आप..

_ ऐसा लगता है जैसे हम कभी पूरा महसूस नहीं करते.

पर मैं सोच रहा हूँ कि मैं अब अपना जीवन पूरा महसूस करूँ ; यह ठीक रहेगा _ अगर मैं एक सुबह उठूं और ऐसा जीवन पाकर खुद को धन्य महसूस करूं.

एक ऐसा जीवन जो बोझ से मुक्त हो _ क्योंकि मैंने अपने लिए कुछ भी नहीं बनाया है ; और अगर कोई बोझ भी हो तो मैं उससे निराश नहीं होऊंगा.

इसमें कोई शर्म की बात नहीं है अगर मैं अपना ख्याल रखूँ ; मैं अपनी सुबह में अराजकता पैदा नहीं करना चाहता. _ मैं इसे सूक्ष्म, शांत, सभी चिंताओं से दूर चाहता हूं.

यह ऐसा है जैसे मैं जीवन को वैसे ही स्वीकार कर रहा हूं जैसे वह है ; _ मैं इसे बदलना चाहता हूं, लेकिन अपना दिमाग खोने की कीमत पर नहीं..

_ मैं नहीं चाहता कि मैं कोई ऐसा व्यक्ति बनूं जो जीवन के बारे में शिकायत करता है लेकिन उसे जीता भी है..!!

_ क्योंकि जब जीवन की बात आती है तो हमारे पास पर्याप्त विकल्प नहीं होते हैं ; _ हमें जो कुछ भी दिया है उसे जीना है, कभी बदलाव के साथ तो कभी बिना बदलाव के..

इसलिए मैं बदलाव के साथ जीवन चाहता हूं, लेकिन तब नहीं जब मैं इसमें मुस्कुरा नहीं रहा हूं..

मैं अपने लिए एक अलग जीवन बनाना चाहता हूं, लेकिन खुद को खोने की कीमत पर नहीं.!!

मैं हर दिन को महसूस करना चाहता हूँ, मैं हर दिन को अपना दोस्त बनाना चाहता हूं.!!

मैं चीजों को अलग तरह से चाहता हूं, लेकिन मेरी सुबह और रातें जितनी खूबसूरत हैं ;

_ मैं एक अलग जीवन बनाने के लिए दौड़ना नहीं चाहता;

_ मैं इसमें चलना चाहता हूं और अपने जीवन को बदलने की प्रक्रिया का आनंद लेना चाहता हूं ;

_ क्योंकि मुझे उम्मीद है कि एक दिन जब यह सब नहीं होगा, तब भी मेरे पास जीने के लिए कुछ खूबसूरत यादें होंगी..

_ मैंने खुद को जलाकर उस अंधेरे को खत्म कर दिया है जिसने मुझे डराने की कोशिश की थी.

आख़िरकार, मैं जो चुनता हूँ.. वही मायने रखता है.

_ मैं अपने फ़ैसलों के साथ जीता हूँ, चाहे वो बुरे हों या अच्छे, लेकिन वो काफ़ी संतुष्ट महसूस कराते हैं.

_ मैं उन लोगों का शुक्रिया अदा करता हूँ.. जो मेरे नहीं हो सके, जो बीच राह में ही चले गए.. मैं उनके बिना इतना मज़बूत नहीं हो पाता..

_ उनकी अनुपस्थिति ने मुझे एहसास दिलाया कि किसी के बिना जीना मुमकिन है,

_ अब मैं सबसे दूर हो चुका हूँ..

_ मेरे लिए यही अच्छा है कि मैं हर जगह से पूरी तरह गायब हो जाऊँ, और एक पूरी तरह से अनजान ज़िंदगी जिऊँ.

_ अब मैं किसी को कुछ भी नहीं समझाऊँगा..

_ क्योंकि पहली बात तो यह कि उन्हें स्पष्टीकरण की ज़रा भी परवाह नहीं है,

_ और दूसरी बात, आप चाहे जितना भी समझाएँ, चाहे कितनी भी ऊर्जा लगाएँ, वह कभी भी पर्याप्त नहीं होगी..

_ तो फिर अपना समय बर्बाद क्यों करें.

_ कभी-कभी चीज़ें मेरे काबू से बाहर हो जाती हैं और मैं किसी को समझा नहीं पाता कि मेरे मन में क्या चल रहा है..

_ क्योंकि इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है और कागज़ पर लिखना और भी मुश्किल..

_ ऐसा लगता है जैसे मेरा दुख सिर्फ़ मेरा है और मुझे ही इससे निपटना है.!!

किसी चीज़ से बाहर निकलना ऐसा लगता है.. जैसे आपने फिर से जन्म लिया हो, ताज़ा, बिना किसी यादों के..

_ आप अटके हुए महसूस नहीं करते, और आपका दम नहीं घुटता..

_ बिना किसी से उलझे, एकदम आज़ाद एहसास..

_ आप खुद से और अपनी ज़िंदगी से फिर से प्यार करने लगते हैं..

_ आप पीछे मुड़कर नहीं देखते..

_ आप किसी से कोई उम्मीद करना छोड़ देते हैं..

_ आप सबके लिए ऐसे उपलब्ध रहना बंद कर देते हैं.. जैसे उनका कोई खास महत्व ही न हो.

_ आप कॉल और मैसेज का इंतज़ार नहीं करते.

_ आपको स्क्रॉल करने की भी ज़रूरत महसूस नहीं होती.

_ आप अपने अतीत की सच्चाई से दूर, कहीं और एक नया व्यक्तित्व गढ़ते हैं.

_ आप अतीत और भविष्य के बीच का अंतर समझते हैं और यह भी कि अतीत अतीत क्यों है.

_ आप खुद पर काम करते हैं, अपनी गलतियों को सुधारते हैं, लेकिन इस बार किसी और के लिए नहीं.

_ आप खुद से माफ़ी मांगते हैं और अपना आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास वापस पाते हैं.

_ आप आईने में देखना शुरू करते हैं, अपने पसंदीदा काम करने लगते हैं..

_ आप खुद में पूर्ण होने के एहसास से खिलखिला उठते हैं.!!

_ आप दिल खोलकर हँसते हैं, जैसे बरसों से नहीं हँसे थे.

_ आप अपने चेहरे पर चमक, उस लालिमा को वापस आते हुए महसूस करते हैं मानो वह आपकी ही हो.

_ घर से बाहर निकलना वाकई एक नई, एक नई शुरुआत, आपकी आत्मा के एक नए जन्म जैसा लगता है, और आप ज़्यादा विनम्र, ज़्यादा खुश और ज़्यादा स्वतंत्र हो जाते हैं.

_ अगर आप आगे बढ़ने के दौर से गुज़र रहे हैं – तो आपके नए अध्याय के लिए शुभकामनाएँ; यह एक सुखद दौर होने वाला है.!!

सबसे पहला काम या बदलाव जो मैंने किया वो है अखबार, ख़बरों, न्यूज़ चैनल से दूरी बनाना,

_ मतलब नाम मात्र के लिए भी ख़बरों में दिलचस्पी ख़त्म कर दी है मैंने..

_ और आजतक ज्यादातर खबरों से दूर हूँ.

_ अब किसी को लग सकता है देश, दुनिया मे क्या हो रहा इतना तो जानना चाहिए.. …हां उतनी खबर मिल ही जाती है ..बाकि सबसे बड़ा कारण यह था कि..

_ मैं कुछ कुछ ह्रदय विदारक ख़बरों से उबर ही नहीं पाता हूँ लम्बे समय तक.

_ चैनल की डिबेट्स चिल्लम-चिल्ली की वजह से वैसे ही मेरी नज़रों से उतर गईं थीं.

_ इतनी अजीब ख़बरें पढ़ सुनकर दिल की धड़कने हमेशा से ही बढ़ती रही है मेरी.

_ और मैं नहीं चाहता कि अपनी बेचैनियां और बढ़ाऊँ.

_ ऐसी खबरों की अपडेट से बचने के लिए ..अब कई कई दिनों तक सोशल मीडिया से भी दूरी बना लेता हूँ.

“आदमी जरूर हूं पर अब और सहने की सामर्थ्य नहीं है..

_ भीगी आँखों से सब सहते-सहते अब गला भर्रा जाता है..”

– दिमाग में कचरा भूसा आखिर क्यों भरें..

_ दुनिया भर का जब कचरा भूसा भरा जाता है, तो उसको निकालने के लिए ज्यादा मेहनत ऊर्जा लगता है, इसलिए जीवन का एक ही सूत्र अपना लिया है..

_ भाड़ में जाएं दुनिया, अपने मानसिक शांति की वाट नहीं लगानी है, वो भी दूसरों की वजह से..

_ अपने मानसिक शांति की ऐसी की तैसी करने से बचिए, एक ही जीवन है, सुकून शांति को अपनाएं..!!

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