Mast Magan

मरना जरूरी नहीं.. मेरी तरह जिंदगी जियो..!!

_ अपने हृदय को लोगों की प्रशंसा से प्रसन्न न होने दें.. और न ही उनकी निंदा से दुःखी होने दें.!!

ज़्यादातर लोग मेरे शब्दों की गहराई नहीं समझते और बिना समझे ही इन्हें आम शब्द समझकर आगे बढ़ जाते हैं,

_ लेकिन ये शब्द और विचार वो चाबियाँ हैं जो जंग लगे ताले को खोल सकते हैं.!!

क्या आप जिंदा है..??

_ आपका जवाब होना चाहिए –”हां, मैं जिंदादिली के साथ जिंदा हूं..”

क्या मुझे लोगों की तारीफ़ चाहिए या अपने होने का सुकून ?

_ जो अपने होने को समझ गया, उसे दुनिया समझने की ज़रूरत ही नहीं रहती.!!

मिलना कभी वक्त निकाल कर..

_ मैं भले ही सस्ता हूँ.. पर मुलाकात महंगी बना कर जाऊंगा.!!

हर वो चीज़ जिसकी वजह से आप मुस्कुरा लेते हैं,

_ उसे राज़ ही रखें तो बेहतर है..!!

ख़ुशी को शब्द नहीं मिलते तो वो और गहरी हो जाती है,

_ और ये ख़ुशी पहले-पहले अकेलापन लाएगी, “फिर एक दिन वो आनंद का राज़ बन जाएगी”

“जिन्हें मैं सबसे पहले अपनी ख़ुशी बताना चाहता था, वो ही समझने को तैयार नहीं थे…

_ तो मैंने ख़ुशी से कहा – चलो, सिर्फ तुम और मैं मिलकर जीते हैं”

जिस दिन तुम जो हो वहीं बन जाओगे, उस दिन तुम्हे उसकी प्रतीति हो जाएगी.!

_ क्योंकि जिस दिन तुम पूरे खिलोगे, वही अनुभव है उसका..!!

“शायद मैं उसकी तरफ बढ़ रहा हूँ,

_ जो मुझे बिना ढूंढे भी महसूस कर रहा है”

आज अचानक.. अपनी ही याद आ गयी क्या हुआ करता था मैं..

_ मुझे अपने पुराने रूप में रहना बिल्कुल पसंद नहीं, वह एक दुःखी व्यक्ति था.!!

दुख पूरी तरह से समाप्त हो जाता है जब व्यक्ति रब, दूसरों या स्वयं से कुछ भी नहीं चाहता.!!
अब मैं बड़ी-बड़ी प्लानिंग नहीं बनाता,

_क्योंकि प्लानिंग हमेशा से मुझे तमाचा मारते आई है.!!

आपका यहां अपना कौन है ?

_ याद रखना, कोई भी नहीं, जब आपको पता चल जाए कि आपका यहां अपना कोई भी नहीं है,

_ तो आप जीवन को ज्यादा अच्छे से, खूबसूरती और जिंदादिली के साथ जी पाते हो !!

_ अपनी खुशियां जितनी छुपा कर रखोगे.. उतना खुश रहोगे..!!!

_ कोशिश करें कि सुकून का ताल्लुक किसी इंसान से न हो.!!

“सब का मंगल सोचना” – बस यहीं तक ठीक है.

_ बस यही एक काम है.. कि बस सोच सकते हैं बिना किए..

_ अगर करने पर आ गए सब का मंगल.. तो मंगल करने वाला बचेगा नहीं.!!

मुझे तो जीवन सबका बैल गाड़ी जैसा लगता है..!

_ रोज कीचड़ में फंस जाता, रोज धक्का लगाते..

मैं बहुतो के आँखों मे खटकता हुँ — बहुत कोई मुझसे नफ़रत करते हैं —

— और सही मायने में मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता —

— ” मुझे अपनी धुन पसंद है — मेरे अपने नियम हैं.”

आसान नहीं होता, आराम से जी लेना..

_ मर-मर के ज़िंदगी को आसान किया मैंने.!!

दूसरों की बनाई तस्वीर में कैद रहना मुझे मंज़ूर नहीं,

_ मैं तो गहरे रंग चुनूँगा.. जिन्हें देखकर लोग चौंकें.!!

“अब मैं किसी को खुश करने की कोशिश किए बिना जी सकता हूँ.!!”
“गहराई तक उतर जाता हूं, मैं सतह तक नहीं रहता..”
मजे करो, खुश रहो, डरने का नहीं – जो मन में है करने का और अभिव्यक्त करने का,

_ एक इंसान दूसरे इंसान पर कभी भी हावी नहीं हो सकता – और किसी को होने भी ना दें..

_ कुल मिलाकर बात यह है कि एक ही जीवन है मस्त रहो.!!

“समझ”

_ हर एक की समझ का एक स्तर होता है और सिर्फ़ इस बात के लिए आपको लोड लेने की ज़रूरत नहीं है कि.. दूसरों कि समझ का स्तर अलग है ;

_ आप अपनी लाइफ और अपनी समझ के हिसाब से समझिए चीजों को.. _ और दूसरों को उनकी समझ घिसने दीजिए.!!

हम यदि थोड़े समय के लिए स्वयं को भुला देते हैं तो उसे सुख कहने लगते हैं, फिर चाहे नशा हो, मनोरंजन हो, निंद्रा हो, खेल या मनपसंद कार्य..!

_ वहीं जो कुछ भी हमें सत्य से परिचित करवाकर झकझोर दे अन्दर तक, उसे दुःख मानने लगते हैं.

_ सत्य से जो परिचय करवा रहा, उसे कोई नहीं चाहता, विचित्र..!!

मन का नही हुआ तो पीड़ा है ?

_ अच्छा ये बताओ बचपन से लेके आज तक मन का हुआ क्या था ?

_ बावजूद इसके ज़िन्दगी चलती रही ना… निराश न हो आगे भी चलती रहेगी….!

जीवन के सारे सपोर्ट सिस्टम को हटाकर देखो कि.. क्या आप अकेले अपने दम पर जी पा रहे हो.

_ यदि नहीं, तो पहले अपनी स्थिति को सुधारो.!!

अब मैं उन सभी चीज़ों से दूर होता जा रहा हूँ, जो मुझे पसंद करने के लिए मजबूर किया गया था, जिन्हें मेरी पसंद बताकर मुझ पर थोपा गया था.

_ अब मुझे सिर्फ वही चाहिए.. जो मेरे भीतर से उठे, ना कि जो बाहर से सिखाया जाए.!!

जब ज़िन्दगी में अपने मन का कुछ होना ही नहीं है तो “ये ज़िन्दगी हमें मिली ही क्यों है ?”

_ हमारी तलाश ज़िंदगीभर अधूरी रह जाती है, हम जो चाहते हैं वो हमें कभी नहीं मिलता ;

_ और जब वो मिलता भी है, तब तक हम बहुत दूर जा चुके होते हैं,

_ जो मिलता भी है तो हमारे अपेछा के अनुरूप नहीं होता,

_ जहां अपने मन का कुछ न हो, ऐसा जीवन पराया-सा लगता है..!!

अफसोस क्यों करना.. जो नहीं है उसका..!

_ यदि यह न होता तो शायद कुछ और कमी होती..!!

सवाल ये है कि इंसान क्या चाहता है ?

_ जवाब है – जो है उसके अलावा सब..!!

मैंने अच्छा बनकर भी देखा है.. अच्छों के संग दुनिया अच्छा नहीं करती.!!
मैं किसी को यह समझाने की कोशिश नहीं करता कि मैं क्या हूँ.

_ मेरा सच कोई विज्ञापन नहीं, एक खुशबू है—चाहे महसूस हो या न हो.

अगर कोई अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन जी रहा है, तो हमें उससे ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए,

_ क्योंकि आप उनके संघर्ष की पिछली कहानी नहीं जानते.

_ आप नहीं जानते कि वे वहाँ कैसे पहुँचे..!!

“जब आप अपनी राहों पर अकेले चल रहे होते हो, समझ जाओ- आप वही कर रहे हो, जो सब नहीं कर पाते.!!”

_ ” जो स्थायित्व की तलाश में हैं, वो जल्दबाजी से नहीं, समझदारी से चलता है”

और फिर जब आपको अहसाह हो कि जिंदगी कभी वैसी नही होती, जैसा हम सोच लेते हैं, तो जिंदगी जीने का मजा ही अलग हो जाता है..!!
आप ज़माने से जा मिले, वरना मैं ज़माने को आप से मिलवाता.!!
“चिंता आती है – पर मैं उसे देख लेता हूं, रोकता नहीं.. इसी में मेरी शांति छुपी है.”
जो व्यक्ति खुद के साथ ईमानदार हो, उसे पूरी दुनिया की सहमति की जरुरत नहीं होती.!!
मिला ना कोई साथ बैठने को, मैं तब अपने ही साथ बैठ गया..!!
“अब मेरे पास सब आंख वाले हैं, जिन्हें सब दीखता है”

_ और जो आंख वाले नहीं हैं, उन्हें मैंने अपना बनाया नहीं.!!

मुझसे कभी कोई जीत नहीं सका.

_मैं खुद ही किसी के आगे हारा तो हारा.!!

सम्भाल के रख अपना किरदार…ऐ यार…

_ जड़ सूखा हो तो फल नहीं लगते.!!

मैं देखूंगा दुनिया.. _मगर अपनी आँखें और अपने हिसाब से !!

_ आप अपना अधिकार स्वयं पर खुद रखें, यह किसी को देंगे तो परेशान होना तय है.!!

_ इंसान यहां खुद से मिलने आया है लेकिन मिलकर दुनियां से जा रहा !!

कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है… कितनी बार सुनेंगे यह बात ?

_ मुझे कुछ नहीं पाना, क्योंकि जो मेरे पास है, वह इतना महत्वपूर्ण और बहुमूल्य है कि उसे खोकर मैं कुछ और पाना नहीं चाहता.!!

Its better to have one in hand than two in the bush.

जब सही, शांत (भीतर की उथल-पुथल से पार हुआ इंसान) और क्रिएटिव इंसान सशक्त बनने की राह पर आता है तो.. सबसे पहली शर्त होती है ढीठ होने की..!

_ मुझे ये बहुत अच्छी लगता है और मैं भी पहले अब ढीठ ही होना चाहता हूँ.!!

जब से मुझे अहसास हुआ कि आरामदायक जीवन घाटा देता है,

_ तब से मैंने आराम को जरुरत से ज्यादा महत्व नहीं दिया.!!

अब सब कुछ ख़ामोशी से देखने का वक्त आ गया है..!!

_ समझदारी यही कहती है, कि बस चुप रहिए..!!

_ जिसको जिससे उलझना है उलझे, ये मेरा मसला कतई नहीं है,

_ क्योंकि जो मेरा मसला था _ वो भी अब मेरा नहीं रहा..!!

_ अपने काम से काम रखता हूँ और मस्त रहता हूँ ..!!

हँसने की वजह.., रोने की वजह.., सब्र की वजह.., बेचैनी की वजह..__दूसरा..

_ यहाँ तक कि जीने की वजह भी दूसरा..

_ मेरा होना मेरे लिए कोई वजह क्यों नहीं है ?

_ चंगा-भला था मैं जब अपनी गुफ़ा में था, रोशनी में क्या आया कि मोह खिंचे चले आए..

_ अँधेरे के अपने दुख, रोशनी के अपने दुख..

_ अपने को अपने लिए अब ज़्यादा रखूँगा, दूसरों के लिए ज़रूरत भर..

_ कह देने से कमिटमेंट बढ़ जाती है, इसलिए कहा..

_ तुम, ये, वो.. सबसे मुझे क्या काम ?

_ मुझसे ‘मैं’ ही क्या कम है.. उलझने को..!!

मरम्मत चल रही है, जल्द ही निखरुंगा नए रूप में !!
दुनिया की हर चीज़ का विकल्प है, किन्तु स्वयं का कोई विकल्प नहीं..!

_ इसलिए सबसे अधिक स्वयं को स्वस्थ व प्रसन्न रखना जरुरी है !!

जब एक ही बात आपको अलग –अलग प्लेटफॉर्म में सुनने या देखने को मिले, तो ये कुदरत का “स्पष्ट इशारा” होता है,

_ आपको उस दिशा में “सतर्क” करने का या उस दिशा में कोई “मजबूत निर्णय” लेने का..!!

अपनी आंतरिक आध्यात्मिक सुंदरता का ख्याल रखें.. यह आपके चेहरे पर झलकेगी.!

– जब एक मनुष्य उस शुद्ध चेतना से एक हो जाता है, तो उसकी व्यक्तिगत पहचान खो जाती है.

_ मैं ज्ञान से जीता हूँ और संसारी चतुराई से जीता है.!!

अपन भी काफ़ी बदल गए…बहुत शांत हो गए… इग्नोर करना सीख लिया…

_ अब मन नहीं करता जवाब देने का… _ “कम बोलना है, सीखना ज़्यादा है.

_ बहसबाजी से बचना है, जब तक बहुत जरूरत न हो…

_ रूटीन सही करना है…बचे हुए कई काम करने हैं…

_ कहानियां लिखनी हैं…अच्छा-अच्छा देखना है…

_ नई-नई जगहें देखनी हैं. अच्छा-अच्छा पढ़ना है…!!

लोग मुझे नहीं जानते, वे अपनी धारणा के अनुसार मुझे जानते हैं,

_ वे मेरे बारे में अलग-अलग सोचते हैं.. जो उन्होंने अपने मन में बना रक्खा है,

_ जब वे मुझे असली तौर पर जानते हैं या फिर जब मैं उन पर भरोसा करते हुए अपनी असली पहचान बताता हूँ, तो वे कहते हैं कि तुम बदल गए हो…

काश मैं आपको दिखा पाता..

_ लेकिन कुछ चीजें हैं..जिन्हें आपको स्वयं देखना होगा.!!

लौटाने को अब पास कुछ नहीं है.. पर मुझे लौटना है अब.!!
हमें थोड़ा खुद के लिए भी जीना चाहिए,

_ वरना तो दुनिया गन्ने का रस निकालने वाली मशीन की तरह हमारा रस निकाल ही लेगी.!

गम नहीं यदि कोई मुझे समझ न सके,

_ मैं फुर्सत की चीज़ हूं और ज़माना जल्दबाजी में है.!!

मैं अपने संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को फलने-फूलने..

_ और अच्छा जीवन जीने का फॉर्मूला देता हूं.!!

हम अपना अधिकांश जीवन अपने दिमाग के अंदर बिताते हैं,

_इसे रहने के लिए एक अच्छी जगह बनाएं.!!

एक जागा हुआ इंसान दूसरे को कभी सुलाएगा नहीं..!!

_ “कड़वा लगेगा जागा हुआ व्यक्ति”

जब आपने दुनिया को अच्छा दिया है, लोगों के लिए अच्छा ही सोचा है तो फिर डर किस बात का, बेफिक्र रहो..!

_ वह सब लौटेगा जो आपके पास आना चाहिए.. क्योंकि इंसान का हिसाब गड़बड़ हो सकता है.. ऊपर वाले का नहीं..!!

जीवन तो कोरा कागज ही रहता है..

_ अपने मन रूपी स्याही से इस पर कुछ भी लिखते रहते हो, पर स्याही मिटती नहीं..

_ पेंसिल बना लो मन को..

_ रात तक आते आते सब कुछ मिट जाए… इसी मन से ही..!

_ अपना अगला दिन फिर रिफ्रेश शुरू हो..

_ यूं ही रंग बिरंगा और मस्त-मगन जीवन..!!

_ आनंद (joy), वास्तव में हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और खुशी (happiness) से भी अधिक मौलिक है.

फितरतन मैं हूँ ही कुछ ऐसा, मुझे यूं बात बात में आँका न कीजिए.!!
मेरी बातें उन लोगों को समझ में नहीं आएंगी.. जिनके लिए वे कही या लिखी गई हैं.

_ बल्कि वो लोग समझेंगे.. जो उस दौर से गुजरे हैं.. जिससे मैं गुजरा हूँ.!

सुधार अब और मुमकिन नहीं,, बड़ी मुश्किल से ख़ुद को जाना है,,

_ बहुत चला सबके मुताबिक,, अब जाकर,, ख़ुद को जाना है !!

अब जो मैं हूँ ये होने के बाद क्या ख़ास होता है ?

_जो ख़ास था.. वो ख़ास नहीं रहता..

_ जो भी हो रहा होता है.. वो ख़ास हो जाता है..!!

सब खुश थे, उन्हीं के बीच मैं गुम सा था, यही सत्य है यही जीवन है !

_ सब कुछ छणिक है, मस्त-मगन रहिए और इस दुनिया से कुच कर जाइए !!

जहाँ आप पहुंचे छलांगें लगा कर.. वहाँ मैं भी आया धीरे- धीरे !!!
अच्छे-अच्छे मुझे अच्छे नहीं लगते,

_ मेरे परखने का मिजाज थोड़ा अलग है.!!

कहते हैं लाइफ ड्रामा है,

_ पर यहां तो सब ओवर एक्टिंग कर रहे हैं, एक्टिंग के अंदर भी एक्टिंग..

_ तभी तो लाइफ फ्लॉप हो रही, अब पता चला सही से..!!

या रब “मुझे सदबुद्धि का खूबसूरत आशीर्वाद देना,”

_ सदबुद्धि के अभाव में ही एक इंसान उल-जुलूल हरकत करता है, जीवन में गलत का चुनाव करता है.!!

कभी-कभी अतीत को पीछे छोड़ देना ही बेहतर होता है.

_ हर कोई वही नहीं रहता जो पहले था, और कुछ रिश्ते समय के साथ बदल जाते हैं.

_ तुम्हें खुद पर ध्यान देना चाहिए और अपनी ज़िंदगी आगे बढ़ानी चाहिए.

_ तुम्हें ऐसे लोगों के साथ घूमना चाहिए, जो तुम्हें खुश करते हैं और तुम्हारी परवाह करते हैं.

रचनात्मकता के साथ जिम्मेदारी को भी बराबरी पर लेकर आगे बढ़ना..

_ ऐसा है जैसे बांसुरी बजाते हुए पीठ पर मन भर बोरा लेकर चलना…

_ इस गति से जीवन में सबकुछ बहुत दूर ही नजर आता है..!!

हम सब जीवन में अक्सर कमियों का, नाकामियों का, ग्लानियों, असफलताओं और अभावों का रोना रोते हैं – पर कभी हमने पलटकर और दो पल ठहरकर यह नही देखा कि मेरे पास क्या है जो मुझे औरों से अलग करता है,

_ वो क्या है – जो मेरे पास है और किसी के पास नही,

_ जो आपके पास है.. वह बिरला है और इसे पाने के लिये किसी दूसरे को कितने जीवन लग जायेंगे या अनथक प्रयास करना होंगे.. आप कल्पना भी नही कर सकते,

_ अब जब मैं धीरे – धीरे बहुत कुछ छोड़ता जा रहा हूँ, भीतर की ओर बढ़ रहा हूँ तो एहसास हो रहा है कि तमाम अवगुणों के बावजूद.. कुछ है जो मेरा है, अनूठा है..

_ और जिस पर मैं कम से कम भीतर ही भीतर ख़ुश हो सकता हूँ और गर्व कर सकता हूँ..

_ बस इतना कहूँगा कि जो आपके पास है, जैसा भी है, जितना भी है – उसे खोइये मत..

– वरना सच में आपके पास अपना कुछ नही रहेगा..

_ एक और दिन खोने से बड़ा दुःख दुनिया में कोई नहीं हो सकता.!!

“दौड़”

_ मैंने पूछा क्यों दौड़ रहे हो ?

_ उसने कहा, क्योंकि सब दौड़ रहे हैं.!!

“सब दौड़ रहे हैं तब.. मैं तो अपना एक कदम पीछे की ओर लूंगा !!”

अरे सब सिर्फ भाग रहे हैं.. शरीर आराम की तलाश में, हालात पैसों की तलाश में,

_ मन शांति की तलाश में, और दिल अपनो की तलाश में.!!

मेरे लिए जीवन रोज़ नये कौतुक से भरा होता है..रोज़मर्रा की छोटी छोटी बातें, घटनाएं मुझे अचंभित कर देती हैं..

_ सुबह सुबह बिना अलार्म घड़ी के ही चिड़ियों का चहचहाना..ये सब मामूली बातें होते हुए भी मुझे हैरान कर देती हैं..

_ कल की कली का फूल बन जाना, इतनी छोटी सी चींटी का इतना अनुशासित होना.. सब देखते ही दिल धकधक करने लगता..

_ किसी प्रसिद्ध गायक के वीडियो देखता हूँ तो पीछे वाद्य बजाने वाली मंडली को देखकर अवाक रह जाता हूँ, लगता है ऐसे कैसे कोई बजा सकता है..

_ दिल में एक काश सा उठता है कि-काश मुझमें भी यह कला होती !!

_ रोज़ दिन का उगना, रोज़ शाम का आना, रात का जादू सब मुझे परीलोक की घटनाएं लगती हैं,

_ सोचता हूँ.. कैसे सब घटनाएं एक निरंतरता में, सलीके से घटित होती हैं…

_ ट्रेनों का प्लेटफॉर्म पर लगना- चलना, हवाई जहाजों का आकाश में उड़ना, टिकट छपना, सब मशीनों, यंत्रों का कमाल भले हो..

_ पर मैं इन्हें उसी चकित भाव से देखता हूँ.. जैसे कोई बच्चा देखे..

_ कपड़े पर डिजाइन उकेरना, कुम्हार का चाक पर बर्तन बनाना.. सब मुझे रॉकेट साइंस जैसा गूढ़ और अनूठा लगता है..!

_ पेड़ के पत्तियों के झड़ने से लेकर उनमें नई पत्तियों के आने, उनके रोज़ रोज़ बड़े होने, रंग बदलने, फूल और फल आने को ग़ौर से, नियम से देखने पर भी लगता है कि यह तो जादू है..

_ कल पत्तियां बैंजनी थीं, आज काही कैसे हो गईं, अभी परसों ही तो इतनी छोटी थीं.. दो दिन में बड़ी कैसे हो गईं..!

_ लोगों को लिखते, पढ़ते, गाते, नाचते देखता हूँ तो जादू सा लगता है..लगता है कि क्या ही कमाल लोग हैं यार, कैसे कर लेते हैं यह सब..

_ मेरे लिए तो दुनिया की हर घटना, हर शै जादू से भरी..

_ जाने हैरानियों का सिलसिला कब थमेगा, जाने मेरे मन का बच्चा कब बड़ा होगा..जाने मुझे कब हर चीज़ मामूली लगेगी..!!

त्याग और तपस्या का जीवन जीने से ऐसा सात्विक भाव आता है कि मानो मैं पवित्र हो गया हूँ,

_ जो व्यक्ति अपने परिवार को सुचारू रूप से चलाता है, उससे बड़ा कोई तपस्वी नहीं है.

_ बिना किसी आसक्ति के अपने दायित्वों का निर्वाह करना किसी संतत्व से कम नहीं है.!!

“अब हर काम ही ध्यान है”

_ अब न मैं ध्यान करता हूँ,

_ अब तो बस हूँ…

_ हर श्वास में, हर चाल में, जैसे कोई मौन बहता हो..

_ चाय की प्याली उठाते समय, या किसी फूल को छूते हुए —

_ मन नहीं भागता,

_ वो तो यहीं है… ठहरा हुआ, लेकिन जीवित.

_ अब तो शब्द भी ध्यान हैं, और मौन भी.

_ अब तो हँसी भी प्रार्थना है, और आँसू भी स्वीकार.

_ ना कोई प्रयत्न है, ना कोई लक्ष्य,

_ सिर्फ एक सहज बहाव —

_ जैसे जीवन स्वयं ध्यान बन गया हो.

“अब बाहर की हलचल मुझे छूती जरूर है, लेकिन हिला नहीं पाती”

“हमें अपना ख्याल रखना चाहिए”

_ कोई भी आपके लिए ऐसा नहीं करेगा, कम से कम उस तरह तो नहीं जैसा आप चाहते हैं.

_ आपको अपने अंदर के बच्चे को साथ लेकर चलना चाहिए..

_ और वह सब करना चाहिए.. जो वह आपसे करवाना चाहता है,

_ क्योंकि कोई नहीं जान पाएगा कि आपने क्या नहीं जिया..

_ उन्हें नहीं पता कि आपके अंदर क्या है.

_ और अगर उन्हें पता भी है, तो यह उनका कर्तव्य नहीं है.

_ जो चीजें आपको खुश करती हैं, उन्हें करना आपका कर्तव्य है.

_ आपके चेहरे पर मुस्कान लाने वाली चीजें आपके अलावा कोई नहीं जान पाएगा..

_ और अगर आपको भी नहीं पता, तो पता लगाएँ.

_ घूमें-फिरें और पता लगाएँ कि आपको क्या खुशी देता है और उसका ख्याल रखें.

_ आपको उन लोगों का ख्याल रखने की ज़रूरत है.. जो आपके दिल के सबसे करीब हैं.

_ यह आपका कर्तव्य भी नहीं है, लेकिन यह आपकी खुशी के लिए है.

_ आपको अपने सारे काम खुद को खुश रखने के लिए करने चाहिए.

_ आपको अपना ख्याल उसी तरह रखना चाहिए.. जिस तरह आप दूसरों का रखते हैं.!!

इस उल-जुलूल दुनियां में खुद को खुश रखना, आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

_ लोग, वस्तु, संसार से लगाव कम कीजिए.

_ आपको सिर्फ और सिर्फ आप ही बचा सकते हैं, कोई दूजा न आएगा.!!

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