आनंद क्या है ? – 2024

आनंद क्या है ?

जब मन पर न सुख हावी है, न दुख हावी है, तब मन का जो निर्बोझ होना है, जो ख़ालीपन है, “उसे ‘ आनंद ‘ कहते हैं”.

क्या कोई व्यक्ति उन कठिनाइयों का भी आनंद ले पाता है जो उसे वैसा व्यक्ति बनाने में मदद करती हैं ?

आनंद का सिद्धांत यह है कि, जब आप वह सब कुछ कर लेते हैं जो आप कर सकते हैं, और आपने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर लिया है और अपना सब कुछ दे दिया है,

_ तो आपको इसे उस पर छोड़ देना है जिसे आप रब कहते हैं.

जीवन का आनंद सिर्फ शोर-शराबा या हंगामा नहीं होता,

_एकांत, मौन और शांति के अपने-अपने गुण हैं.!!

” आनंद क्या है ” ? स्वयं से मुक्त होने पर मन का उत्सव.

_ “जो आनंद में है, वह किसी का नहीं, सबका है.”

” आनंद सदैव न हो तो आनंद नहीं है ” _ दुख आता है, जाता है। सुख भी आता है, जाता है।

” जो न आता कभी और जो न कभी जाता है, उसका नाम ही आनंद है ” जो हमारा स्वभाव है, स्वरूप है. और जो व्यक्ति भी इस भीतर के स्वरूप में थिर हो जाता है, आनंद को उपलब्ध हो जाता है, स्वयं में स्थित हो जाता है.

“जीवन आनंद के लिए है”

_ आप तो आनंद में रहिए, ‘यही है आनंद’

_ बाकी जिसकी किस्मत में आनंद नहीं, उसके लिए आप क्या कर सकते हैं ?

_ बाकी कोई गुस्सा हो, दुखी हो तो ये उसके मन के कारक हैं.

_ उसके मन के कारक के लिए आप कहां जिम्मेदार ?

_ आप तो अपने जीवन को हमेशा कलरफुल रखिए.. “रंगीन”

“आनंद कहीं बाहर नहीं है ; _ यह हमारे ध्यान को ठीक करने में, स्वभाव की स्थिरता में, और हमारे मन की वापसी में है ; _ जो लोग इस रहस्य को जानते हैं _ उन्हें खुशी की तलाश बाहर नहीं करनी चाहिए !!”बूंद के पीछे सागर फैला है, सागर बूंद को सहारा देता है ; _ बूंद को सागर का बोध करा देना, यही सब यथार्थ है !! _लालाजी
मज़ेदार बात समझो ! एक बार आपने इस बात पर ध्यान देना बंद कर दिया कि _ ” सुख मिल रहा है कि दुःख, “उसके बाद न सुख मिलता है न दुःख.उसके बाद वो मिलता है , _ जिसे आप सच्ची खुशी कहते हो, समझने वाले जिसे आनंद कहते हैं.
यदि हम सोचते हैं कि _आनंद केवल मानवीय रिश्तों से ही निकलता है तो _हम गलत हैं ;

_रब ने इसे हमारे चारों ओर रखा है… और हमें बस उस तक पहुंचना है.

प्रकृति में हर ओर आनन्द ही आनन्द फैला पड़ा है, लेकिन हमारा ध्यान केवल अपने अभावों और दूसरों की समृद्धि पर लगा रहता है.

“यदि आप अपने आनंद का पालन करते हैं, तो आप अपने आप को एक तरह के ट्रैक पर रख देते हैं, जो हर समय वहाँ रहा है, आपकी प्रतीक्षा कर रहा है, और जिस जीवन को आप जी रहे हैं, वह आप जी रहे हैं.

जब आप यह देख सकते हैं, तो आप ऐसे लोगों से मिलना शुरू करते हैं जो आपके आनंद के क्षेत्र में हैं, और वे आपके लिए द्वार खोलते हैं.

अपने आनंद का पालन करें और डरो मत, और दरवाजे खुल जाएंगे जहां आप नहीं जानते थे कि वे होने जा रहे हैं. यदि आप अपने आनंद का अनुसरण करते हैं, तो आपके लिए ऐसे द्वार खुल जाएंगे जो किसी और के लिए नहीं खुले होंगे.

“बस खुश रहना अच्छा है, यह जानना थोड़ा बेहतर है कि आप खुश हैं; लेकिन यह समझने के लिए कि आप खुश हैं और यह जानने के लिए कि क्यों और कैसे और फिर भी खुश रहें,

_ अस्तित्व और ज्ञान में खुश रहें, यह खुशी से परे है, यही आनंद है.

ज़ब व्यक्ति स्वयं क़ो अस्तित्व क़ो सौंप देता है तो..सम्पूर्ण अस्तित्व उस पर परम् आशीष बनकर बरस जाता है.. _ तब ना अपेक्षा ना उपेक्षा ना आकर्षण ना विकर्षण सिर्फ पूर्ण समर्पण.. __ मूल्यवान छोड़कर अमूल्य का आनंद ही परम् आनंद है.🌹💐🌹

_जिसे कोई भी सुख दुःख नहीं दे सकता, वही व्यक्ति आनंद में स्थापित हो जात्ता है.

*आनंद* तब आता है जब आप अपने जीवन के साथ _इतने तालमेल से फिट हो जाते हैं, कि *आप जो भी करते हैं वही आपका आनंद होता है*

अगर आप उस काम से प्यार करते हैं जो आप कर रहे हैं, अगर आप अपने जीने के तरीके से प्यार करते हैं, तो आप स्वाभाविक रूप से ध्यान की अवस्था में हैं ;

प्रकृति ने आपके जीवन को एक उत्सव के रूप में डिजाइन किया है !! लेकिन _ जब आप दुखी होते हैं, तो आप *दुख को चारों ओर फेंक कर ब्रह्मांड को प्रदूषित करते हैं..!!

आनंद का अर्थ है, – निष्प्रयोजन मुस्कान

कोई वजह नहीं है तब भी मुस्कुरा रहे हैं, _ कोई कारण नहीं रहता लेकिन फिर भी मूड अच्छा अच्छा सा रहता है.

किसी ने हमें कुछ दे नहीं दिया, फिर भी मन में बड़ा अनुग्रह है, _ ग्रेटीटयूड की भावना है,

पता नहीं किसको मन करता रहता है धन्यवाद देने का – कि तूने इतना कुछ दे दिया..

आनंद से संतुष्टि मिलती है और संतुष्टि से आनंद मिलता है,, परन्तु फ़र्क बहुत बड़ा है ; _

_ ” आनंद ” अल्प समय के लिए और ” संतुष्टि ” जीवन भर के लिए आनंद देती है.

*एक दिन बिना**आनंद के बीते,* *तो आपने जीवन का एक दिन गवाँ दिया ;

_ और एक दिन आनंद में बीता तो एक दिन आपने कमा लिया है, यह ध्यान में रखें..*

“अपने अंदर एक ऐसी जगह ढूंढो जहाँ आनंद हो, और आनंद दर्द को जला देगा”

“Find a place inside where there’s joy, and the joy will burn out the pain.”

मनुष्य होने का आनंद सृजनात्मकता में मिलता है, उपभोग में नहीं.!!

The joy of being human is found in creativity, not consumption.

मनुष्य को ज्ञात दर्द के साथ जीना ठीक है लेकिन अज्ञात आनंद से दूर भागना है.

Humans are okay to live with known pain but run away from unknown joy.

जीवन इतना कीमती है कि इसे बिना हर पल का आनंद लिए,_ फिसल जाने नहीं दिया जा सकता..
इंसान जब अपने आंतरिक गरिमा से दूर होता है, तब सस्ती ख़ुशी उस के लिए बहुत बड़ी चीज हो जाती है ;”

– आनंद और ख़ुशी में भेद कर पाने का विवेक पैदा करो — “

जिस जीवन में आप बहे जा रहे हैं, अगर वहाँ आनंद उपलब्ध नहीं होता है,_ तो जानना चाहिए _ आप गलत बहे जा रहे हैं.
” सुख दुःख साझ़ा किया जा सकता है _ आनंद साझ़ा कभी नहीं होता,

_ आनंद तो पूर्णतः व्यक्तिगत अनुभूति है, “

जो सुख की तरफ जाता है _ वह दुख पाता है,

_ जो आनंद की तरफ जाता है _ वह सुख पाता है..

यदि आप कोई काम कर रहे हैं और आपको उस काम में, आनंद नहीं आ रहा तो _आप उस काम के लायक नहीं हैं ..
ज़िन्दगी के बेहतरीन पलों का आनंद लें जिन्हें आपने अपने लिए चुना है, _

_ हममें से बहुतों में ऐसा करने की हिम्मत या इच्छाशक्ति नहीं है..

जब आप की ऊर्जा आप के ही भीतर घूमती है और आप में ही लीन हो जाती है _ तब _ आप की शक्ति भी नहीं खोती और आनंद भी उपलब्ध होता है..
“जब तक कोई वर्तमान में पूरी तरह से जीने में सक्षम नहीं होता है, तब तक भविष्य एक धोखा है ; _ ऐसे भविष्य के लिए योजना बनाने का कोई मतलब नहीं है _ जिसका आप कभी आनंद नहीं उठा पाएंगे !!”

_ जब आपकी योजनाएँ परिपक्व होंगी, तब भी आप किसी और भविष्य के लिए जी रहे होंगे !!!

सफलता वो है _ जो दुनिया देखती है ;

सुफ़लता वो है _ जिसमें आप आनंदित होते है _ भले दुनिया को दिखे या न दिखे ;

लेकिन प्रफुल्लता वो है _ जिसमें आप का आनंद अंदर और बाहर दोनो तरफ़ बहता है.

दुख को देख न पाना आनंद नही हैं,

_ बल्कि आनंद है _ जो दुःख को दुःख और ख़ुशी की तरह देख सके और उसके निदान का प्रयास करे.

” धन ” अकेला आनंद नहीं खरीद सकता, हालांकि यह मदद कर सकता है ; आनंद एक कला है..

_ और एक ऐसा कौशल _ जिसके लिए हमारे पास बहुत कम प्रतिभा या ऊर्जा है”

जब कोई कहता है कि उसका जीवन अच्छा है, तो इसका मतलब है कि वह उन बुनियादी चीजों तक पहुंच बना सकता है जो उसे आराम और आनंद देती हैं.

_ एक अच्छे जीवन को आत्म-संतोषजनक और आत्म-संतुष्ट करने वाला के रूप में वर्णित किया जा सकता है.!!

एक सुखी जीवन काफी हद तक शांत जीवन होना चाहिए,

_क्योंकि शांति के माहौल में ही सच्चा आनंद मिलता है..!!

ज़िंदगी को जंगल के उस पेड़ कि तरह बनाओ,

_ जो हर परिस्थति में आनंद से झूमता रहे !!

हम एक वक़्त में सब कुछ हासिल नहीं कर सकते,

_ तो जो पास है उसमें आनंद लेना सीख लो..!!

सबसे अधिक दिखाई देने वाला आनंद _ केवल तभी हमारे सामने प्रकट हो सकता है _ जब हम इसे अपने भीतर रूपांतरित कर लेते हैं.

“अपने आनंद का पालन करें और ब्रह्मांड आपके लिए दरवाजे खोल देगा जहां केवल दीवारें थीं”

खुशी बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर है- लेकिन आनंद आत्मा का एक गुण है और हमारे भीतर है- इसकी अभिव्यक्ति है या नहीं, यह हम निर्धारित करते हैं.

मैं आपके सबसे आंतरिक अस्तित्व के आनंद के संपर्क में रहने की सलाह देता हूं ; _खुशी बहुत बड़ी है और मैं इसका आनंद ऐसे लेता हूं जैसे मैं ग्रेवी का आनंद लेता हूं, लेकिन मैं इस पर निर्भर नहीं हूं.

जिन चीजों की आपको आवश्यकता है ;

_उन चीज़ों के मालिक होने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है.

_इस पर विचार करने के लिए एक क्षण लें _कि आपके जीवन में वास्तव में क्या आवश्यक है;

_यह शुरू करने लायक यात्रा है.

_ हमारे जीवन में जो मूल्यवान है _उस पर हमें नज़र रखने की ज़रूरत है ;

_और, आपकी आपत्तियों के दूसरी ओर, उद्देश्य और आनंद से भरा जीवन निहित है.

_एक बार जब आप उस चीज़ के लिए जगह बना लेते हैं _जो वास्तव में मायने रखती है,

_तो आपका जीवन आनंदमय रहेगा.!!

“आनंद अपने ही भीतर पाया जाता है.”

हम सभी इस दुनिया में इधर-उधर खुशियां ढूंढ रहे हैं, लेकिन हमें यह महसूस करना चाहिए कि खुद से और खुद के लिए खुश रहना ही खुशी की कुंजी है ; _ आप ही एकमात्र व्यक्ति हैं जो खुद को खुश कर सकते हैं, हमेशा याद रखें कि आपके लिए कोई नहीं है, हर कोई अपनी समस्याओं से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है, इस व्यस्त दुनिया में कोई भी स्वतंत्र नहीं है.

अगर आपको लगता है कि कोई आएगा और आपको खुश करेगा, तो इसका मतलब है कि आप खुद से झूठ बोल रहे हैं, _ क्योंकि यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने लिए काम करें, किसी और की नहीं ; _ इसलिए हमेशा अपने भीतर खुशी की तलाश करें.

यदि आप मानसिक अलगाव में जीना सीख लेंगे तो आपके लिए जीवन खुशगवार हो जाएगा.

_ यह एक प्रकार की समाधि है, जो आपको भावों में रचने-बसने से नहीं रोकती..

_ लेकिन जहाँ भाव उलझने लगें, बस वहीं रुक जाना है.

_ बहुत बार सुना हुआ यह सत्य ही सत्य है कि सुख और आनंद कहीं बाहर नहीं, अपने ही भीतर है.!!

आपका उद्देश्य उन छोटी-छोटी चीजों में पाया जाता है जो आप सहजता से करते हैं _और जो आपकी आत्मा को अधिक आनंद देती हैं.
सत्य के साथ जीते हो तो फिर धन कम हो या ज्यादा _ आप उसमें आनंदित रहना सीख जाते हो..
अगर आप खुद ही आनंद के स्त्रोत बन जाते हैं, तो आपके जो भी रिश्ते होंगे, वो शानदार होंगे..!!
यदि आप नेक दिल हैं तो _ आपके आस- पास के लोग अवश्य ही आनंद का अनुभव करेंगे.
जो व्यक्ति अपने साथ बहुत आनंद अनुभव करता है, _ दूसरे उसके साथ बड़ा आनंद पाएँगे.

“एक व्यक्ति जो अभी का आनंद लेता है _उसे खुशी के लिए यादों से चिपके रहने की जरूरत नहीं है”

आनंद बहुत बहुत बहुत महंगा था और आश्चर्य !! इसे वही खरीद पाए,__ जिनके पास कुछ भी नहीं था..!!
आनंद पहली अच्छाई है. यह हर पसंद और हर नापसंद की शुरुआत है ;_ यह शरीर में दर्द और आत्मा में परेशानियों का अभाव है.!!
खुद से बोलिये : मैं खुश हूँ, मैं स्वस्थ हूँ ;_मेरा जीवन खुशियों से भरा हुआ है और मैं उसे आनंद के साथ जी रहा हूँ..!!
मानव जीवन में दु:ख, पीड़ा, वेदना और अप्रेम की आवश्यकता है; _यदि नहीं, तो लोग कभी भी ठीक से जीने का आनंद महसूस नहीं कर पाते..!!
आनंद से हमारा तात्पर्य उस अवस्था से है ;_जिसमें शरीर दर्द से और मन चिंता से मुक्त होता है.!!
वास्तविक आनंद मन की वह अवस्था है,_ _जिसमें आनंद का ख़याल भी नहीं रहता.
जो स्वयं में आनंदित होगा _ उसे किसी की भी पीड़ा बहुत जल्द दिखाई पड़ती है.
हर एक इंसान का नजरिया अलग होता है, _ पर तलाश तो आनंद ही होता है..
कुदरत ने तो…आनंद ही आनंद दिया था,  __ दुःख तो…हमारी खोज है.
आनंद कदम – कदम पर है,_ बात बस इतनी कि हम कैसे जीते हैं.
जो इंसान आनंद में है _ वह अस्तित्व के उद्देश्य को पूरा कर रहा है.
मुझे लगता है कि आनंद, पवित्रता के निकट आने पर उत्पन्न होने वाली तरंग है..!!
“जीवन से आनंद उठाओ…जितना हो सके ; _ आनंद से कभी कोई नहीं मरा..”
कितनी भी अच्छी सोच लिए घूमता हो कोई, _यदि वो आनंद में नहीं तो ग़लत है..!!
खुशी देखकर दूसरों की, आनंदित होना भी, स्वस्थ मन की पहचान है !!
कभी कभी आपको अपनो से दूर रहने का भी आनंद लेना चाहिए.
“आनंद एक नृत्य है _जिसमें कलाकार और दर्शक एक होते हैं”
सुखी रहने का सच्चा मार्ग है, _हर बात में आनंद खोज लेना..
आनंद सफ़र में ही है, मंज़िल पर पहुँच कर ठहराव आ जाता है.
सभी संवेदनाएँ सत्य हैं; आनंद हमारा स्वाभाविक लक्ष्य है.
जो आदमी आनंद में है _ वह सुख नहीं चाहता है.
तुम मेरा आनंद छीनने की हिम्मत मत करना..

_मैं दुख के साये में भी मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ रहा हूं..!!

आनंद है स्वभाव तुम्हारा, है उत्सव तुम्हारी जात ;

अनहद में है विश्राम तुम्हारा, बस इतना रखना याद ;

यह जीवन है एक सराय, नहीं करना रुकने की बात ;

मृत्यु जीवन से अलग नहीं, ये है जीवन का भाग ;

बंधो न तुम, न बांधो किसी को, बस इतना सा तुम कर लो ;

हर पीड़ा को हर लूंगा मैं, तुम मुझको अपना कर लो.

रचनात्मकता [ Creativity ] और आनंद [ joy ] का बड़ा गहरा रिश्ता होता है

_ क्योंकि यदि आप आनंदित नहीं हैं तो आप रचनात्मक नहीं हो सकते.

_ और खुशी को हमने मार रखा है क्योंकि

_ ख़ुशी [ Joy ] और आज़ादी [ freedom ] का बड़ा गहरा अर्थ होता है.

_ रचनात्मकता तो आनंदमय होनी चाहिए और आनंदमय होना है तो स्वतंत्र रहना..!!

जीवन कोई बहुत गंभीर चीज़ नहीं है.

जीवन प्रकाशमय, आनंदमय और नृत्यमय क्षणों से भरा है.

Life is not a very serious thing.

Life is full of light, joyous and dancing moments.

समय समय पर मन मेरा मुझे यात्रा, कहीं घूम आऊं – की तैयारियों और आने वाले अद्भुत आनंद की प्रतीक्षा में उलझाए हुए रहता है _ और मैं निकल भी जाता हूँ _

_ लेकिन पूरी यात्रा के दौरान एक बात हमेशा खटकती रहती है कि जिस आनंद के लिए इतनी तकलीफें उठाई, वही आनंद घर पर भी अधिक सुगमता से पाया जा सकता था.

पहाड़ पर मन घर की सोचता है और घर पर पहाड़ की, __ आनंद न दृश्य में है और न ही दर्शक में वरन दृष्टा भाव में ही शाश्वत आनंद है.

आगे बढ़ने का मेरा निर्णय _ दुखी होकर अपने जीवन का एक मिनट भी बर्बाद नहीं करना है ;

_ आनंद लेने और सराहना करने के लिए हमेशा कुछ न कुछ होता है,

_ मैं उन चीजों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं जो सही और अच्छी हैं _ न कि _ उन चीजों पर _ जो मुझे परेशान करने वाली या अप्रिय लगती हैं.

यही है ज़िन्दगी ?? यही तो है जिंदगी तो इसका आनंद.. कब कहां कैसे क्या होता है ! हम क्या सोचते हैं, और क्या हो जाता है.

जिंदगी में अक्सर हम कुछ लोगों को इतना करीबी मान लेते हैं _ जैसे उनके बिना जिंदगी संभव नहीं ;_ लेकिन वक्त और जीवन का फलसफा कुछ और ही है मेरे यार !

कब कहां किस मोड़ पर जिंदगी बदल जाए, हाथों से हाथ छूट जाए, लोगों का पलायन हो जाए,

जो सोच न सके कि कभी ऐसा हो जाता है.. यही है ज़िन्दगी और उसकी रीत,और जीवन के रंगमंच में कठपुतली सा दिल और उसकी संजीदगी !

बुद्धि का सही ढंग से उपयोग हमें खुशी देता है.

_ जब हम अच्छा सोचते हैं तो हमें अच्छा महसूस होता है.

_ समझ एक प्रकार से आनंदायक है.

अब सब कुछ ख़ामोशी से देखने का वक्त आ गया है..!!

_ हंसी मज़ाक, तंज़ कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए..!!

_ समझदारी यही कहती है, कि बस चुप रहिए..!!

_ जिसको जिससे उलझना है उलझे, ये आपका मसला कतई नहीं है,

_ क्योंकि जो आपका मसला था वो भी अब आपका नहीं रहा..!!

_ अपने काम से काम रखें और आनंद में रहें..!!

ध्यान रखना मेंले में बच्चा खिलौनों के पीछे तभी तक भागता है जब एक मां से बिछड़ नही जाता ; _ मां से बिछड़ते ही सारे खिलौनों का आनंद खो जाता है..!!

ऐसा ही कुछ संसार है जब तक परमात्मा का साथ है सभी वस्तुओं के साथ भी आनंद है,

_ लेकिन जिनसे परमात्मा बिछड़ जाता है उनको फिर कोई भी खिलौना आनंद नही देता _फिर चाहे तुम कितने भी खिलौने इकट्ठे कर लो..!!

दुनिया को अच्छे और बुरे से परे देखना और जीवन जैसा चल रहा है, _उसे वैसा ही स्वीकार करना..

_दुनिया और जीवन को आनंदमय बना देता है..

जब आनंद की अनुभूति होती है तो जीवन आनंदमय हो जाता है.

इसे महसूस करने के लिए बहुत गहराई तक जाने या कुछ हासिल करने की ज़रूरत नहीं है.

समझें कि आप क्या हैं !!

यह अनुभव किसी और से प्राप्त करना आवश्यक नहीं है !

लकी होते हैं _वो लोग _जो समय के साथ तालमेल बना कर _ आनंदमय जीवन जीते हैं..!!

अकेले का जीवन जी कर भी उसका आनंद लिया जा सकता है. किसी के साथ रहकर भी आनंदित हुआ जा सकता है.

_आनंद अकेले या साथ की बात नहीं है, जैसी भी स्थिति हो, उसमें मगन रहने का संकल्प है.

जिन चीजों की आपको आवश्यकता है ; _उन चीज़ों के मालिक होने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है.

_इस पर विचार करने के लिए एक क्षण लें _कि आपके जीवन में वास्तव में क्या आवश्यक है;

_यह शुरू करने लायक यात्रा है. हमारे जीवन में जो मूल्यवान है _उस पर हमें नज़र रखने की ज़रूरत है ;

_और, आपकी आपत्तियों के दूसरी ओर, उद्देश्य और आनंद से भरा जीवन निहित है.

_एक बार जब आप उस चीज़ के लिए जगह बना लेते हैं _जो वास्तव में मायने रखती है,

_तो आपका जीवन आनंदमय रहेगा.!!

हमें अपने आनंद के लिए अपनी रूटीन लाइफ से कुछ दिन अलग से अवश्य जीने चाहिए,

_रेल कि पटरियों के बीच में कुछ-कुछ अंतर रखा जाता है, कि गर्मियों में यह फैलेंगी तो टेढ़ी-मेढ़ी ना हो जाए.

अपने जीवन का आनंद लेने का निर्णय लेने से पहले सब कुछ सही होने का इंतज़ार न करें.

Don’t wait for everything to be perfect before you decide to enjoy your life.

वो समय जिसको आप बर्बाद करके आनंद लेते हैं वह समय बर्बाद नहीं होता.

The time you enjoy wasting is not wasted time. – Bertrand Russell


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