1 :- आप कभी इस बात की ना चिंता करिए ना ही ध्यान दीजिए कि आप के पीठ पीछे लोग आपके बारे में क्या बात करते हैं, पीठ पीछे आपके बारे में बात करने का मतलब यह है कि आप बहुत तरक्की कर रहे हैं और यह लोग आपसे जलते हैं और इनकी इतनी हिम्मत नहीं है कि आपके सामने बात कर सकें, इसलिए ये आपके पीछे – पीछे बात कर रहे हैं.
2 :- अपने मन में से ” लोग क्या कहेंगे ” यह ख्याल निकाल दीजिए, इस भागमभाग की दुनिया में किसी के पास इतनी फुर्सत नहीं है और यदि कोई कुछ कहता है तो कहने दीजिए. आप हमेशा अपनी परिस्थिति, अपनी आर्थिक स्थिति इत्यादि के अनुसार चलिए और अपनी परिस्थितियों के अनुसार ही निर्णय लीजिए. ” लोग क्या कहेंगे ” – यह दो वाक्य हमें बर्बाद कर देता है.
3 :- जब आप संघर्ष करते हैं, कई ऐसे मौके आएंगे कि आप हारता हुआ महसूस करेंगे, लेकिन याद रखिए, संघर्ष के समय छोटी मोटी या बड़ी असफलताओं से कभी निराश मत होइए आप लगे रहिए, आपको सफलता जरूर मिलेगी.
व्यक्ति को चाहिए कि न तो वह दूसरों को अपने काम में बाधा देने दे और न दूसरों के काम में बाधा दे. अगर जीवन में कुछ पाना हो, कोई उपलब्धि हासिल करनी हो तो अपनी धुन में रमे रहना चाहिए और लोगों की फ़िक्र न करना बहुत जरुरी है.
“जो व्यक्ति आपको महत्व देता है वह कभी भी आपको खोने की स्थिति में नहीं आएगा.”
यह वाक्य केवल मध्यवर्गीय श्रेणी के लोगों के लिए बना है, क्योंकि सिर्फ इन्हीं लोगों को फर्क पड़ता है, लोगों के कुछ कहने से__ और यही वो लोग हैं, जो हमेशा कुछ न कुछ कहते रहते हैं, _ क्योंकि इनसे नीचे की श्रेणी के लोग इतने आर्थिक मंदहाली में हैं कि उनके पास समय ही नहीं है कि _ वो अपनी ज़रुरतें पूरा करने के अतिरिक्त कुछ और सोच सके,__और इनसे ऊपर की श्रेणी के लोग अपनी खवाइशें पूरा करने में इतने व्यस्त हैं कि _ कौन क्या कर रहा है और क्यों कर रहा है ये सब जानने का उनके पास समय ही नहीं है.
आर्थिक तौर पर आप भले ही मध्यवर्गीय श्रेणी में आते हों मगर अपनी सोच का दायरा जरूर इससे ऊपर उठाएं, तो जो “लोग क्या कहेंगे ” आपके लिए बेमायने हो जाए.
परिवार एक चारदीवारी की तरह होता है, जहां सब कुछ होता है लेकिन गोपनीय. _घर में धन हो या गरीबी, गोपनीय. _ आपसी प्रेम हो या अशांति, गोपनीय. _ स्वस्थ हों या बीमार हों, गोपनीय. _ज़िंदगी के मज़े ले रहे हों या भुगत रहे हों, गोपनीय._
यहाँ तक कि पति पत्नी के बीच भी बहुत-कुछ गोपनीय रहता है. _घर की बात घर के बाहर न जाए, इसके पर्याप्त प्रयास किए जाते हैं _लेकिन जब बात बढ़ जाती है तो _वह घर की सीमा रेखा को लांघ कर स्वयमेव बाहर आ जाती है.
हमारी ज़िंदगी में हमारे होने का महत्व कम है, दूसरे की राय का महत्व अधिक है. _मैं अच्छा हूँ लेकिन यदि मेरे बारे लोगों की राय अच्छी नहीं है तो यह मेरे लिए चिंता का विषय है.
_मैं भला व्यक्ति नहीं हूँ, दुष्ट हूँ, अत्याचारी हूँ लेकिन यदि मेरे बारे लोगों की राय अच्छी है तो मैं खुश हूँ, चिंता की कोई बात नहीं.
आप भी ऐसे अनेक लोगों को जानते हैं जिन्होने अन्यायपूर्वक जीवनयापन किया है, वे सामाजिक मंचों पर बहुत सक्रिय रहते हैं _ताकि लोगों के बीच उनकी छबि अच्छी बनी रहे.
मानव स्वभाव की विचित्रता यह है कि स्वयं को अच्छा बनाने की बजाय लोगों की नज़र में अच्छा बनने का प्रयास करता है ; इसी मनोविज्ञान की उपज है, — ‘लोग क्या कहेंगे ?’
_ हालांकि ध्यान से देखें तो लोग हमारा ना कोई खर्चा उठाते हैं, ना हमारा इलेक्ट्रिसिटी बिल [ Electricity Bill ], वाटर बिल [ Water Bill ] , ना हमारा टैक्स पे [ Tax Pay } करते हैं ;
_ लेकिन फिर भी हम उनसे ये इम्पोर्टेंस [ Importance ] रखकर चलते हैं कि _ वो हमारे बारे में अच्छा सोचें, अच्छा कहें, _ यहां तक कि वो फ्री में ब्लेसिंग [ Blessing } भी नहीं देते ..!!
_ वो तो हमसे ये उम्मीद नहीं रखते _ लेकिन हम उनसे ये उम्मीद रख कर चलते हैं, _ फिर बीमार हम हैं _ ये रोग हमारा है..!!
असली सवाल यह है की भीतर आप क्या हो ? अगर भीतर गलत हो, तो आप जो भी करोगे, वह गलत ही होगा, अगर आप भीतर सही हो, तो आप जो भी करोगे, वह सही साबित होगा.
“- आपको इसकी परवाह क्यों करनी चाहिए कि लोग क्या कहेंगे ? आपको बस अपने आप को खुश करना है.”
“-लोग कुछ भी कहते रहें, आप अपना काम जारी रखिए..
_ क्योंकि काम की उम्र _ गालियों से बहुत लंबी होती है.!!”
_ लोग अपनी लकीर बढ़ाने के बजाए दूसरों की लकीर को छोटा करने में यकीन करते हैं,
_ बदलियों के आ जाने से सूर्य की महत्ता कम नहीं होती,
_ अगर हमनें स्वयं की अंतरात्मा को धोखा नहीं दिया तो ..हम किसी के गुनहगार नहीं हैं..!!
#लोगों_का_काम_है_कहना….और लोग बस कहते है…..तब भी जब आप कुछ नही करोंगे….
और तब भी जब आप कुछ करोंगे!!!#लोगों_को_बदलते_देर_नहीं_लगती…डर को छोड़ दो…लोग क्या कहेंगे….!!
जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए, कोई अच्छा काम शुरू करने के समय कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग ” क्या कहेंगे “. लोग आप की तारीफ़ भी कर सकते हैं.
इसलिए हमेशा चलते रहें और अपनी ज़िंदगी को हर रोज अपने अंदाज़ से जीते रहें..
__ बेहतर यही है कि उनकी बातों पर पांव रख कर ऊपर चढ़ने की कोशिश करो, यकीनन एक दिन ऊंचाई पर पहुंच ही जाओगे..
इसलिए लोगों की परवाह मत करो, करो वो जो उचित हो, जो आप चाहते हो, जिसमें आप खुश हो,
क्योंकि जिंदगी आपकी है, लोगों की नहीं..
_ सब पे ध्यान दोगे तो उम्र ही बीत जाएगी..!!
_आप उसे सोच कर ज़िन्दगी भर सहते..!!
_ सुबह होते ही किसी और के हिसाब से जीने चले जाते हैं..!
_ अब उनको कैसे समझाऊँ की ये सब मेरे बस में नही…!
_ मगर लोग कहते हैं,,,अपना ख्याल रखना..!!
हम से ज़्यादा समझदार ” लोग ” हैं जहां में _ जो हमें हमसे ज़्यादा समझते हैं !!
कि कितना मूर्ख था, जो इसने सारी जिंदगी _ हमारे बारे में सोच कर निकाल दी,,,??
इससे ऊपर उठकर कुछ सोच _ _ जिन्दगी सुकून का दूसरा नाम हो जायेगी.
_ लोग क्या कहेंगे ये सोच कर हम बेवज़ह की परवाह किया करते हैं ..
— 4 लोग , 40 बातेँ, 400 अफवायें किस- किस पे ध्यान दोगे आप !!
लोगों के बहाने __ कुछ भी कहने वाले _ अपने ही होते हैं..
_ मैं गलत नहीं ; _ बल्कि भीड़ से अलग हूँ ..!!
” जिंदगी बेहतर बन जाएगी “
_ मैंने दो चेहरे वाले लोगों को पहचानना सीख लिया.!!
_ आप अपने जीवन की पहली परीक्षा में ही हार गये हैं ..
_”अपने काम में लगे रहना”, यही लोग एक दिन आप के लिए तालियाँ बजाएंगे..!!
_ क़दमों के नीचे रख लोगे तो बुलंदी पर पहुँच जाओगे !!
“लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, _इससे आपको कोई लेना-देना नहीं है.!!”
“दूसरे लोग क्या सोचते हैं, अगर इसकी परवाह करेंगे तो आप हमेशा उनके बंदी रहेंगे.”
जीतने की जिद है तो लोगों की नहीं _ दिल की सुनो ..
_लेकिन किसकी सुनना है ..ये तय कर सकते हैं..!!
_वह नहीं जो चार लोग चाहते हैं..!!
_ क्योंकि खेल में शोर दर्शक ही मचाते हैं खिलाड़ी नहीं !!
यह आपकी ज़िन्दगी है, उनकी नहीं.. आप को जिससे ख़ुशी मिलती हो, वही करो..
_ सुनने की भी आदत होनी चाहिए !!
_कुछ लोग मुझे अहंकारी समझते हैं, _मैं इसकी परवाह नहीं करता..
_नौ लोग होंगे तो नब्बे कहानियां बनेंगी.
_सभी के अपने निर्णय और दृष्टिकोण होंगे.
_किसी को प्यारा लगूंगा, कोई कहेगा अहंकारी है.
_मुझे इस पचड़े में रहना ही नहीं है.
_अगर मुझे चुप रहना अच्छा लग रहा है तो मैं चुप रहूंगा.
_”कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना”
_ लोगों को उनके कार्यों से समझें _और आप कभी भी उनकी बातों से मूर्ख नहीं बनेंगे.
_ तोड़ देती है हिम्मत _ विश्वास तोड़ देती है _ खुद पर से कि ” लोग क्या कहेंगे “
_ लोग क्या कहेंगे और दूसरे लोगों की समस्याओं के बारे में ज़्यादा चिंतित न हों “
_ लोग क्या कहेंगे यह मत सोचो, आपके सपने कैसे पूरे होंगे ” यह सोचो “
_ कई सफलताएं रुक जाती हैं _ ये सोच के कि ” लोग क्या कहेंगे “
_ ” लोग क्या कहेंगे “_अगर मैं ये सोंचूंगा _ तो वो क्या सोचेंगे.!!
_ लोगों की राय से ज्यादा _ अपनी शांति को महत्व दें !!”
_ तुम ऐसा करते हो ! वैसा करते हो ! ” लोग क्या कहेंगे “
_ ” लोग तो कहेंगे ही – लोगों का काम है कहना “