लोग क्या कहेंगे – 2013

जिंदगी जीने के लिए कुछ बातें हमेशा याद रखिए…

1 :- आप कभी इस बात की ना चिंता करिए ना ही ध्यान दीजिए कि आप के पीठ पीछे लोग आपके बारे में क्या बात करते हैं, पीठ पीछे आपके बारे में बात करने का मतलब यह है कि आप बहुत तरक्की कर रहे हैं और यह लोग आपसे जलते हैं और इनकी इतनी हिम्मत नहीं है कि आपके सामने बात कर सकें, इसलिए ये आपके पीछे – पीछे बात कर रहे हैं.

2 :- अपने मन में से ” लोग क्या कहेंगे ” यह ख्याल निकाल दीजिए, इस भागमभाग की दुनिया में किसी के पास इतनी फुर्सत नहीं है और यदि कोई कुछ कहता है तो कहने दीजिए. आप हमेशा अपनी परिस्थिति, अपनी आर्थिक स्थिति इत्यादि के अनुसार चलिए और अपनी परिस्थितियों के अनुसार ही निर्णय लीजिए. ” लोग क्या कहेंगे ” – यह दो वाक्य हमें बर्बाद कर देता है.

3 :-  जब आप संघर्ष करते हैं, कई ऐसे मौके आएंगे कि आप हारता हुआ महसूस करेंगे, लेकिन याद रखिए, संघर्ष के समय छोटी मोटी या बड़ी असफलताओं से कभी निराश मत होइए आप लगे रहिए, आपको सफलता जरूर मिलेगी.

यह दुनिया काफी सुन्दर हो सकती है, यदि लोग एक दूसरे के कामों में बाधा न दें. हर व्यक्ति अपने जीवन का मालिक है और उसे अपने जीवन को अपने ढंग से जीना चाहिए. अपने भीतर के बोध से जो उसे ठीक लगे वही करना चाहिए. लेकिन व्यक्ति यह सोच कर करता है कि ” लोग क्या कहेंगे “.

व्यक्ति को चाहिए कि न तो वह दूसरों को अपने काम में बाधा देने दे और न दूसरों के काम में बाधा दे. अगर जीवन में कुछ पाना हो, कोई उपलब्धि हासिल करनी हो तो अपनी धुन में रमे रहना चाहिए और लोगों की फ़िक्र न करना बहुत जरुरी है.

“जो व्यक्ति आपको महत्व देता है वह कभी भी आपको खोने की स्थिति में नहीं आएगा.”

लोग क्या कहेंगे!!

यह वाक्य केवल मध्यवर्गीय श्रेणी के लोगों के लिए बना है, क्योंकि सिर्फ इन्हीं लोगों को फर्क पड़ता है, लोगों के कुछ कहने से__ और यही वो लोग हैं, जो हमेशा कुछ न कुछ कहते रहते हैं, _ क्योंकि इनसे नीचे की श्रेणी के लोग इतने आर्थिक मंदहाली में हैं कि उनके पास समय ही नहीं है कि _ वो अपनी ज़रुरतें पूरा करने के अतिरिक्त कुछ और सोच सके,__और इनसे ऊपर की श्रेणी के लोग अपनी खवाइशें पूरा करने में इतने व्यस्त हैं कि _ कौन क्या कर रहा है और क्यों कर रहा है ये सब जानने का उनके पास समय ही नहीं है.

आर्थिक तौर पर आप भले ही मध्यवर्गीय श्रेणी में आते हों मगर अपनी सोच का दायरा जरूर इससे ऊपर उठाएं, तो जो “लोग क्या कहेंगे ” आपके लिए बेमायने हो जाए.

‘लोग क्या कहेंगे’, यह हम लोगों की शाश्वत समस्या है. _हम संसार में हैं तो अनेक अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों से हमारा सामना होता है._

परिवार एक चारदीवारी की तरह होता है, जहां सब कुछ होता है लेकिन गोपनीय. _घर में धन हो या गरीबी, गोपनीय. _ आपसी प्रेम हो या अशांति, गोपनीय. _ स्वस्थ हों या बीमार हों, गोपनीय. _ज़िंदगी के मज़े ले रहे हों या भुगत रहे हों, गोपनीय._

यहाँ तक कि पति पत्नी के बीच भी बहुत-कुछ गोपनीय रहता है. _घर की बात घर के बाहर न जाए, इसके पर्याप्त प्रयास किए जाते हैं _लेकिन जब बात बढ़ जाती है तो _वह घर की सीमा रेखा को लांघ कर स्वयमेव बाहर आ जाती है.

हमारी ज़िंदगी में हमारे होने का महत्व कम है, दूसरे की राय का महत्व अधिक है. _मैं अच्छा हूँ लेकिन यदि मेरे बारे लोगों की राय अच्छी नहीं है तो यह मेरे लिए चिंता का विषय है.

_मैं भला व्यक्ति नहीं हूँ, दुष्ट हूँ, अत्याचारी हूँ लेकिन यदि मेरे बारे लोगों की राय अच्छी है तो मैं खुश हूँ, चिंता की कोई बात नहीं.

आप भी ऐसे अनेक लोगों को जानते हैं जिन्होने अन्यायपूर्वक जीवनयापन किया है, वे सामाजिक मंचों पर बहुत सक्रिय रहते हैं _ताकि लोगों के बीच उनकी छबि अच्छी बनी रहे.

मानव स्वभाव की विचित्रता यह है कि स्वयं को अच्छा बनाने की बजाय लोगों की नज़र में अच्छा बनने का प्रयास करता है ; इसी मनोविज्ञान की उपज है, — ‘लोग क्या कहेंगे ?’

दुनिया का सबसे बड़ा रोग ” क्या कहेंगे लोग ” बात सच्ची भी है, गहरी भी है.

_ हालांकि ध्यान से देखें तो लोग हमारा ना कोई खर्चा उठाते हैं, ना हमारा इलेक्ट्रिसिटी बिल [ Electricity Bill ], वाटर बिल [ Water Bill ] , ना हमारा टैक्स पे [ Tax Pay } करते हैं ;

_ लेकिन फिर भी हम उनसे ये इम्पोर्टेंस [ Importance ] रखकर चलते हैं कि _ वो हमारे बारे में अच्छा सोचें, अच्छा कहें, _ यहां तक कि वो फ्री में ब्लेसिंग [ Blessing } भी नहीं देते ..!!

_ वो तो हमसे ये उम्मीद नहीं रखते _ लेकिन हम उनसे ये उम्मीद रख कर चलते हैं, _ फिर बीमार हम हैं _ ये रोग हमारा है..!!

” दुनिया का सबसे बड़ा रोग क्‍या कहेंगे लोग ”  – जिन्दगी में आप जो करना चाहते है, वो जरूर कीजिये, ये मत सोचिये कि” लोग क्या कहेंगे “ क्योंकि लोग तो तब भी कुछ कहते हैं, जब आप कुछ नहीं करते.

असली सवाल यह है की भीतर आप क्‍या हो ? अगर भीतर गलत हो, तो आप जो भी करोगे, वह गलत ही होगा, अगर आप भीतर सही हो, तो आप जो भी करोगे, वह सही साबित होगा.

” लोग क्या कहेंगे ” क्यों जीते हैं लोग इस बोझ तले, _ हमें रोका जाता है टोका जाता है, – चाहे वो काम सही क्यों ना हो,_डर बैठा दिया जाता है मन में,_ कि ” लोग क्या कहेंगे “

“- आपको इसकी परवाह क्यों करनी चाहिए कि लोग क्या कहेंगे ? आपको बस अपने आप को खुश करना है.”

“-लोग कुछ भी कहते रहें, आप अपना काम जारी रखिए..

_ क्योंकि काम की उम्र _ गालियों से बहुत लंबी होती है.!!”

आप जो भी अच्छा काम कर रहें हैं वह करते रहिए, _ लोगों को क्या है,

_ लोग अपनी लकीर बढ़ाने के बजाए दूसरों की लकीर को छोटा करने में यकीन करते हैं,

_ बदलियों के आ जाने से सूर्य की महत्ता कम नहीं होती,

_ अगर हमनें स्वयं की अंतरात्मा को धोखा नहीं दिया तो ..हम किसी के गुनहगार नहीं हैं..!!

.बहुत बार इसी डर से हम कुछ नही कर पाते…और इसी सोच में रह जाते है क़ि….लोग क्या कहेंगे!!!!

#लोगों_का_काम_है_कहना….और लोग बस कहते है…..तब भी जब आप कुछ नही करोंगे….

और तब भी जब आप कुछ करोंगे!!!#लोगों_को_बदलते_देर_नहीं_लगती…डर को छोड़ दो…लोग क्या कहेंगे….!!

हम अपनी लाइफ में बहुत से अच्छे काम सिर्फ यह सोच कर नहीं कर पाते हैं कि ” लोग क्या कहेंगे “.

जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए, कोई अच्छा काम शुरू करने के समय कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग ” क्या कहेंगे “. लोग आप की तारीफ़ भी कर सकते हैं.

लोगों की बातों को दिल से लगाना छोड़ दीजिए, बस जिंदगी के मज़े लीजिए ; क्योंकि चलती का नाम गाड़ी है, और रूकती का नाम अनाड़ी है ;

इसलिए हमेशा चलते रहें और अपनी ज़िंदगी को हर रोज अपने अंदाज़ से जीते रहें..

लोगों की बातों को अगर अपने ऊपर बोझ बना कर डालोगे तो उनके नीचे दब जाओगे,

__ बेहतर यही है कि उनकी बातों पर पांव रख कर ऊपर चढ़ने की कोशिश करो, यकीनन एक दिन ऊंचाई पर पहुंच ही जाओगे..

लोग क्या कहेंगे – पहले दिन हंसेगे, दूसरे दिन मजाक उड़ाएंगे और तीसरे दिन भूल जायेंगे,

इसलिए लोगों की परवाह मत करो, करो वो जो उचित हो, जो आप चाहते हो, जिसमें आप खुश हो,

क्योंकि जिंदगी आपकी है, लोगों की नहीं..

4 लोग, 40 बातें और 400 अफ़वाहें…

_ सब पे ध्यान दोगे तो उम्र ही बीत जाएगी..!!

“लोग क्या कहेंगे” मुझे सुनना ही नहीं है.
चार लोग चार दिन ही बस कहते,

_आप उसे सोच कर ज़िन्दगी भर सहते..!!

लोग कहते हैं ज़िन्दगी मिली है अपने हिसाब से जीने के लिए, लेकिन वही लोग _

_ सुबह होते ही किसी और के हिसाब से जीने चले जाते हैं..!

लोग कहते हैं बेवजह ही खुश रहा करो,

_ अब उनको कैसे समझाऊँ की ये सब मेरे बस में नही…!

बहुत मुश्किल होता है,,,खुद को संभाले रखना..!!

_ मगर लोग कहते हैं,,,अपना ख्याल रखना..!!

हम हैं के समझे नहीं खुद को आज तक _ और ” लोग ” जाने क्या क्या समझने लगे हमें !

हम से ज़्यादा समझदार ” लोग ” हैं जहां में _ जो हमें हमसे ज़्यादा समझते हैं !!

इंसान सारी जिंदगी सोचता है, ” चार लोग क्या कहेंगे “, _ अरे वो यही कहेंगे

कि कितना मूर्ख था, जो इसने सारी जिंदगी _ हमारे बारे में सोच कर निकाल दी,,,??

ये क्या सोचेंगे ? वो क्या सोचेंगे ? दुनिया क्या सोचेगी ?

इससे ऊपर उठकर कुछ सोच _ _ जिन्दगी सुकून का दूसरा नाम हो जायेगी.

किस बात की ना जाने हम क्यूँ इतनी फ़िक्र किया करते हैं,_

_ लोग क्या कहेंगे ये सोच कर हम बेवज़ह की परवाह किया करते हैं ..

देखेंगे तो क्या कहेंगे चार लोग _ चार लोगों ने निभाया नहीं, चार दिन भी साथ _ उन चार लोगों का जिक्र रहा जिंदगी में … जिंदगी भर..

— 4 लोग , 40 बातेँ, 400 अफवायें किस- किस पे ध्यान दोगे आप !!

– लोग क्या कहेंगे……अब नहीं सुनना है – _ लोग क्या कहेंगे _ लोग कुछ नहीं कहते..

लोगों के बहाने __ कुछ भी कहने वाले _ अपने ही होते हैं..

जब लोग आप को गलत बोल कर तोड़ना चाहे, तब खुद से एक बात बोलना कि _

_ मैं गलत नहीं ; _ बल्कि भीड़ से अलग हूँ ..!!

लोगों का मुहं बंद करवाने से अच्छा है, अपने कान बंद कर लो ;

” जिंदगी बेहतर बन जाएगी “

लोगों को अब समझने में नहीं होती दिक्कत,

_ मैंने दो चेहरे वाले लोगों को पहचानना सीख लिया.!!

यदि आप ये सोचते रहे कि लोग क्या कहेंगे तो, _

_ आप अपने जीवन की पहली परीक्षा में ही हार गये हैं ..

यदि चार लोग कुछ कहते हैं तो परेशान मत होना,

_”अपने काम में लगे रहना”, यही लोग एक दिन आप के लिए तालियाँ बजाएंगे..!!

लोगों की बातें पत्थरों की तरह होती है, अपने ऊपर लाद लोगे तो दब कर रह जाओगे ;

_ क़दमों के नीचे रख लोगे तो बुलंदी पर पहुँच जाओगे !!

आपको पीछे से टोकने वाली आवाजें आपके भले के लिए नहीं होती, _ बल्कि उनका मक़सद आपकी रफ़्तार को रोकना होता है..
” आपको परवाह क्यों करनी चाहिए कि लोग क्या कहेंगे ? _ आपको बस इतना करना है कि कृपया खुद को खुश करें.”

“लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, _इससे आपको कोई लेना-देना नहीं है.!!”

इतना तो उजाला रखो कि, अपनी परछाई दिखाई दे _ ” बस उतना सुनना लोगों की “, कि अपनी आवाज़ सुनाई दे !!
“इस दुनिया में सबसे दुखी लोग वे हैं _ जो इस बात की सबसे ज्यादा परवाह करते हैं कि ” दूसरे लोग क्या सोचते हैं “
” ना जाने कौन हैं ये लोग “.._ जिन के डर से ना जाने कितने फैसले बदल दिए….ना जाने कितने सपने कुचल दिए !
” लोग क्या कहेंगे “, यदि आप इस बात से परेशान हैं. _ तो आप उनके ग़ुलाम बन के रह जायेंगे व पिछड़ जायेंगे.

“दूसरे लोग क्या सोचते हैं, अगर इसकी परवाह करेंगे तो आप हमेशा उनके बंदी रहेंगे.”

आडंबरों के जाल में, अस्तित्व फंस सा गया है _ मन की आवाज़ से ज्यादा ” लोग क्या कहेंगे ” सुनाई देता है !!
जो मन करे बिंदास किया करो _ ” लोग क्या कहेंगे ” यार ये बकवास ना किया करो..
” लोग क्या कहेंगे ” ? ये सोच _ आप की अपनी सोच को ख़त्म कर देती है..

जीतने की जिद है तो लोगों की नहीं _ दिल की सुनो ..

आप किसी का बोलना बंद नहीं कर सकते,

_लेकिन किसकी सुनना है ..ये तय कर सकते हैं..!!

आपको खुशी तभी मिलेगी जब ” लोग क्या कहेंगे ” यह कहना छोड़ देंगे !
लोग कहते हैं और कहते रहते हैं _ आप कितना सुनते हैं, ये आप पर है..
लोगों की छुपी हुई खूबियाँ वहां सिर्फ दब के रह जाती हैं, _ जब वो ये सोचने लगते हैं की लोग क्या कहेंगे !!!
“लोग क्या कहेंगे” के बारे में ज्यादा मत सोचना, _ क्योंकि आप कुछ भी कर लो, वो सोचेंगे ही.
लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं _ अगर ये भी हम ही सोचेंगे _ तो फिर ” लोग क्या सोचेंगे ” !!!
आप वह बनिये जो आप बनना चाहते हैं ,

_वह नहीं जो चार लोग चाहते हैं..!!

‘लोग क्या कहेंगे’ से घबराना नहीं चाहिए,

_ क्योंकि खेल में शोर दर्शक ही मचाते हैं खिलाड़ी नहीं !!

लोगों की सलाह से खुद को मुक्त करें, क्योंकि उनमें से अधिकांश को तो पता ही नहीं होता कि ” वे खुद क्या कर रहे हैँ “
यदि जिंदगी में शांति चाहते हो तो ” लोग क्या कहेंगे ” की बातों को दिल पर लेना छोड़ दो.
“किसी व्यक्ति का पूरा जीवन उसके दृष्टिकोण [Attitude] पर निर्भर करता है” – लोग क्या कहेंगे उस पर नहीं ..!!
हम सोचते रहते हैं कि ” लोग क्या कहेंगे “, _ और लोग कहने के बावजूद भी नहीं सोचते…
लोग क्या कहेंगे और उनकी राय का _आपके निर्णयों पर कभी प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए,

यह आपकी ज़िन्दगी है, उनकी नहीं.. आप को जिससे ख़ुशी मिलती हो, वही करो..

बोलने का शौक़रखते हों तो,,

_ सुनने की भी आदत होनी चाहिए !!

मेरा सोशल सर्कल नहीं है.

_कुछ लोग मुझे अहंकारी समझते हैं, _मैं इसकी परवाह नहीं करता..

_नौ लोग होंगे तो नब्बे कहानियां बनेंगी.

_सभी के अपने निर्णय और दृष्टिकोण होंगे.

_किसी को प्यारा लगूंगा, कोई कहेगा अहंकारी है.

_मुझे इस पचड़े में रहना ही नहीं है.

_अगर मुझे चुप रहना अच्छा लग रहा है तो मैं चुप रहूंगा.

_”कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना”

_ना दुखी था वो अपने हालातों से इतना,_ जितना ये सोच कर था की लोग क्या कहेंगे.

_ लोगों को उनके कार्यों से समझें _और आप कभी भी उनकी बातों से मूर्ख नहीं बनेंगे.

_ तोड़ देती है हिम्मत _ विश्वास तोड़ देती है _ खुद पर से कि ” लोग क्या कहेंगे “

_ लोग क्या कहेंगे और दूसरे लोगों की समस्याओं के बारे में ज़्यादा चिंतित न हों “

_ लोग क्या कहेंगे यह मत सोचो, आपके सपने कैसे पूरे होंगे ” यह सोचो “

_ कई सफलताएं रुक जाती हैं _ ये सोच के कि ” लोग क्या कहेंगे “

_ ” लोग क्या कहेंगे “_अगर मैं ये सोंचूंगा _ तो वो क्या सोचेंगे.!!

_ लोगों की राय से ज्यादा _ अपनी शांति को महत्व दें !!”

_ तुम ऐसा करते हो ! वैसा करते हो ! ” लोग क्या कहेंगे “

_ ” लोग तो कहेंगे ही – लोगों का काम है कहना “

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