कोई भी व्यक्ति बहुत ज्यादा बोलने से विद्वान नहीं कहलाता है. जो धीरज रखने वाला, क्रोध से रहित और निडर होता है, वही विद्वान व्यक्ति कहलाता है.
जो गुजर गया उसके बारे में मत सोचो और भविष्य के सपने मत देखो, केवल वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करो.
आप पूरे ब्रह्माण्ड में कहीं भी ऐसे व्यक्ति को खोज लें जो आप को आप से ज्यादा प्यार करता हो, आप पाएंगे कि जितना प्यार आप खुद से कर सकते हैं उतना कोई आप से नहीं कर सकता.
स्वास्थ्य सब से बड़ा उपहार है, संतोष सब से बड़ा धन और विश्वास सब से अच्छा संबंध.
हमें हमारे अलावा कोई और नहीं बचा सकता, हमें अपने रास्ते पे खुद चलना है.
तीन चीज़ें ज्यादा देर तक नहीं छुपी रह सकतीं – सूर्य, चन्द्रमा और सत्य.
आप का मन ही सब कुछ है, आप जैसा सोचेंगे वैसा बन जायेंगे.
अपने शरीर को स्वस्थ रखना भी एक कर्तव्य है, अन्यथा आप अपनी मन और सोच को अच्छा और साफ़ नहीं रख पाएंगे.
हम अपनी सोच से ही निर्मित होते हैं, जैसा सोचते हैं वैसे ही बन जाते हैं. जब मन शुद्ध होता है तो खुशियाँ परछाई की तरह आप के साथ चलती हैं.
किसी परिवार को खुश, सुखी और स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरुरी है – अनुशासन और मन पर नियंत्रण
अगर कोई व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण कर ले तो उसे आत्मज्ञान का रास्ता मिल जाता है.
क्रोध करना एक गर्म कोयले को दूसरे पर फैंकने के समान है जो पहले आप का ही हाथ जलाएगा.
जिस तरह एक मोमबत्ती की लौ से हजारों मोमबत्तियों को जलाया जा सकता है फिर भी उसकी रौशनी कम नहीं होती, उसी तरह एक दूसरे से खुशियाँ बांटने से कभी खुशियाँ कम नहीं होतीं.
इंसान के अंदर ही शांति का वास होता है, उसे बाहर ना तलाशें.
आप को क्रोधित होने के लिए दंड नहीं दिया जायेगा, बल्कि आप का क्रोध खुद आप को दंड देगा.
हजारों लड़ाइयाँ जीतने से बेहतर है कि आप खुद को जीत लें, फिर वो जीत आप की होगी जिसे कोई आप से नहीं छीन सकता ना कोई स्वर्गदूत और ना कोई राक्षस.
जिस तरह एक मोमबत्ती बिना आग के खुद नहीं जल सकती, उसी तरह एक इंसान बिना आध्यात्मिक जीवन के जीवित नहीं रह सकता.
निष्क्रिय होना मृत्यु का एक छोटा रास्ता है, मेहनती होना अच्छे जीवन का रास्ता है, मूर्ख लोग निष्क्रिय होते हैं और बुद्धिमान लोग मेहनती.
हम जो बोलते हैं अपने शब्दों को देखभाल के चुनना चाहिए कि सुनने वाले पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा, अच्छा या बुरा.
आप को जो कुछ मिला है उस पर घमंड ना करो और ना ही दूसरों से ईर्ष्या करो, घमंड और ईर्ष्या करने वाले लोगों को कभी मन की शांति नहीं मिलती.
अपनी स्वयं की क्षमता से काम करो, दूसरों पर निर्भर मत रहो.
असल जीवन की सबसे बड़ी विफलता है हमारा असत्यवादी होना.