आप कहते हो ये मेरी लापरवाही, मेरे लिए ये जीने के ढंग..!!
जो समझे मुझे, वो एक नाम दे ,दे* जो ना समझे वो पागल कह दे*
“- पागल हूँ पागल ही रहने दो…जिस दिन समझदार बन गया..सह नही पाओगे.”
“- जब मैं पागल होता हूँ तो हर समय पागल होने में व्यस्त रहता हूँ.”
मुझे एहसास हुआ कि या तो मैं पागल था या दुनिया पागल थी; और मैंने दुनिया को चुना ; _और निःसंदेह मैं सही था. – Jack Kerouac
“पागल समाज को एक समझदार व्यक्ति _पागल ही दिखना चाहिए” -Kurt Vonnegut
The interesting thing about the smart people is that they seem crazy to the stupid people.
Dear Haters, I have so much more for you to be mad at. Just wait..
Don’t let someone else’s opinion of you become your reality.
know your worth and stop giving people discounts.
Listen, smile, agree and then do whatever you were going to do anyway.
_ हो सकता है उन्होंने कहानियाँ सुनी हों, लेकिन उन्होंने वह महसूस नहीं किया जो आपने अपने दिल में महसूस किया.
No one has right to judge you, because no one knows what you’ve been through.
They may have heard stories, but they didn’t feel what you felt in your heart.
Let them underestimate you it’s an advantage.
पागलों के विचार, बाहर प्रकट हो चुके.!! और तुम्हारे ! अभी अंदर चल रहे हैं, विचार वही हैं ..!!
“– पागल लोग ही तो जीते हैं, _ समझदार तो सिर्फ “मरते हैं ” _ ज़िंदगी जीते ही कहाँ हैं – ” ओशो
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यदि तुम पागलों के बीच रहते हो तो _ भले ही तुम पागल न हो ; _ कम से कम यह दिखाओ कि तुम पागल हो ; नहीं तो पागल लोग तुम्हें मार डालेंगे.
_ क्योंकि अगर तुम पागलों के साथ रहते हो तो, समझदार होना खतरनाक है – ओशो
_क्योंकि यहाँ लोगों का जीवन बड़ा दिखावटी, झूठा, लालच वाला, तबाही वाला और गुलामी वाला है.
” – मैंने फिर पागल ही बना लिया खुदको _पागल होने का तूने इल्ज़ाम लगाया था मुझपे..!!”
_या उनकी दुनिया का हिस्सा बन जाना चाहिए: यह आधा-आधा समझौता असहनीय है.
-” मुझे लगता है कि अपना मन बदलने में असमर्थ कोई भी व्यक्ति पागल है.!!”
” पागल ही रहने दे तू मुझे … ज़िन्दगी, _ दुनिया कम उलझेगी मुझसे ,,!!”
_ बस तुम एक दफा आओ इस पागल को समझाने को !!
_ मुझे मेरे हिस्से का पागलपन जी लेने दो..!!
“– समझदारी भरी दुनिया में _ मैं पागल ही अच्छा हूँ.–“
_ मैं पागल हूं, तो पागल रहने दो न !!
_ भूल जाते हैं कि बावलों ने ही दुनियां बदली है..
_ जहां मुझे वही लोग, वही चीजें हर दिन देखना पड़े..
“जब जिंदगी को ज्यादा जानने वाला _दुनिया को ज्यादा जानने लगे तो _वो पागल सा होने लगता है.”
– अगर विश्राम के आप मालिक हैं, तो समझना कि आप पागल नहीं हैं..
“- अपने आप को विश्राम दें ; जिस खेत को थोड़ा खाली रखा जाता है, उसमें अच्छी पैदावार होती है. -“
तुमसे मिलकर ये जाना है, होता क्यूं दिल ये दीवाना है
तैय कर लिया तुम्हे पाना है, क्या प्यार है ये दिखाना है
तेरा मेरा जन्मों का नाता है, यूं ही नहीं दिल लुभाता है
रिश्ते ये रब ही बनाता है, करके बहाने मिलाता है
मेरी यादों में तुम, मेरी बातों में तुम, मेरी साँसों में तुम, मेरी राहों में तुम
बोले मेरी धड़कन धीरे धीरे, बोले मेरी तड़पन धीरे धीरे
पागल हुआ रे मैं धीरे धीरे, पागल हुआ रे मैं धीरे धीरे
पहले बात- बात पर बहस किया करता था, अब खामोश हुआ जा रहा हूँ !!
ज़िंदगानियाँ तो तसल्ली से पढ़ी जाती है..!!
_ आज ये तलब है कि ” गुमनाम ” ही रहूँ मैं..!!
_मुझ पर किसी और की…… मर्ज़ी नही चली…
_ डरते हैं कि ख़ुद से… मुलाक़ात ना हो जाए !!
_ सस्ता होकर मैंने भी देखा है, मिला ना कुछ यहां बेगुरुर होके..
*मुझे वही समझ सकता है, जिसके पास मेरे जैसा दिल हो,,,,
_ लेकिन मैं उनके लिए बेहतरीन हूं जो मुझे समझते हैं..
_ अगर आप में समझ है, तो लोगों को खुद को समझाना छोड़ दें !!
_ अन्यथा आप विक्षिप्त हैं, थोड़े या ज्यादा, “
_ जो तुम्हें इस दुनिया का सामना करने के लिए चाहिए..
क्योंकि चाहे वो ख़ुशी के दिन हों या दुख के, दिन गुजर जाते हैं ;
लेकिन हर परिस्थिति में एक जैसे रहने वाले लोगों की अलग ही पहचान होती है..
_ कोई असर नहीं होता तो, कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता !
” यह कहने के लिए खेद है, लेकिन एक अच्छा इंसान होने से आपको प्यार नहीं मिलता, लोग सिर्फ आपको इस्तेमाल करते हैं.”
*” बातें मै भी आम ही करता हूँ, पर लोग इसे समझ नहीं पाते हैं !!”*
_ वह पहले से ही आपके खिलाफ होने का रास्ता तलाश रहा था.!!
Always forgive people, but never forget how they treated you.
The more you love your decisions, the less you need others to love them.
_कोई छोटी बात नहीं है, उनके भविष्य का सवाल है..
” हमें अपने बच्चों को प्रकृति की दुनिया में जीने देना चाहिए.”
_ ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ..
_ न ये दर्द हमेशा रहने वाले हैं और न ही ये ज़िन्दगी !!
_ ना वक़्त दीजिए इतना कि गुरुर हो उन्हें.
_ ताकि मूर्ख लोग नाराज न हों.!!
_ उसके लिए रोना बंद कर दीजिए, फिर चाहे वो कोई भी हो..
__जब तक कि उसे कोई और कमाल का नहीं मिल गया था.!!
ज़िन्दगी में अगर खुश रहना है तो _ दूसरों की बकवास को अनदेखा करना सीखो.
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाए, _ अब बचा ही क्या है जिसे खोया जाए…
मैं बेहतर दिखने से अधिक, _ वास्तविक दिखना पसंद करता हूं,,
कुछ शिकवे ऐसे थे मेरे…_ जो खुद ही कहे और खुद ही सुने…
_ चिंता उन्हें करने दो जिनकी सूरतें ख़राब हैं, आप अपनी अच्छाईयों पर कायम रहें.
_ अंदाज़ा उस के दर्द का तुम्हें उस के बाद होगा ..
_ ढूंढते फिरोगे मुझे हर जगह एक दिन, _ ज़िन्दगी में ऐसी कमी छोड़ जाऊंगा !!!
_ मैंने जवाब दिया — आप ऐसा क्यों मानते हैं कि मुझे दो रास्ते दिखाई दे रहे हैं !!
लोग उतना ही सोचेंगे _ जितना उनका मानसिक विस्तार है !!
_जो पसंद आये,, उसे हासिल कर लीजिये _ जमाने की ऐसी की तैसी !!
कि … आप उसे जला _ जला कर कोयला बना दें ..!!!
_ अब तय आपको करना है कि आपके लिए ज़्यादा सही क्या है
” फ़िक्र में घुटना या बेफ़िक़्र होकर जीना “
you are the artist of your life. Don’t give the paintbrush to anyone else.
_ कुछ इसी तरह मैंने जीवन को आसां रखा !
” मैंने खुश रहने का फैसला किया है _क्योंकि यह मेरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.”
या शर्बत बना लो, _ ” बस ज़िन्दगी में मिठास भर देंगे.”
_ ढूंढ़ने वाले तूं सोच, तुझे चाहिए क्या मुझमें ..
_ तू बता, मुझमें तलाशता क्या हैं तू..!!
_ जो मुझे जान लेता है _ वह मुझ पर जान देता है..
_ मेरी तलब उनसे पूछ जिनका मैं हुआ नहीं…!!
_ बाकी तो सब अंदाजे लगा रहे हैं..
_ खुद से बात करना इस से बड़ा सुकून नहीं..!!
_ जो मेरे साथ चलनें को राज़ी हों तो एक बार सोच लेना !!
_ हम तो पूरा पेड़ हैं, _ जो पतझड़ के बाद _ फिर से निखर आयेंगे ..
_ वो पत्तियों के गिरने पर अफ़सोस नहीं करते !!
_ बस यही ज़िंदगी है अंदर से अपने को जानो ..!!
_ बिना भरे आप, छलक ही नहीं सकते ..
_ भीड़ में ज्यादा रहे तो खुद ही गुम हो जाओगे.
_ खुदा और खुद के अलावा किसी पर यक़ीन मत कीजिए..!!
_ तभी हर कोई ; मेरे साथ रहने का मन भी बनाने लगता है ..
_ उनके चेहरे पर मेरी वजह से थोड़ी सी भी सिकन आए..
_ ना किसी के आने की खुशी, ना किसी के जाने का गम..
_ जनाब इतने समझदार होते तो खुद को ना समझ लेते.
_ उम्र भी खर्च हुई, कुछ हाथ भी ना लगा..!!
_ अब किसी को “अपना” कहने की “ख़्वाहिश” ही नही रही…
“– खुद को लोगों से अलग रखता हूँ, अब इंसानों में इंसान नज़र नहीं आते..–“
” दूसरे धोखे का मौक़ा अब नहीं देना तुझे, _ _शुक्रिया मेरे दिल से उतरने के लिए ..!!”
” सुनने से ज्यादा समझने की कोशिश करो,_ मैं चुप रह कर भी बोलता नजर आऊंगा..”
” बदल दिया मुझे _ मेरे अपनों ने ही, _ वरना मुझ में इतनी ख़ामोशी कहाँ थी..!!”
” मेरी फितरत से अनजान हैं वो _ मैंने जिसे छोड़ा दिया, उसे मुड़ कर नहीं देखा है.”
” समझौता नहीं करना चाहिए _ अगर खुद के वजूद पर ऊँगली उठने लगे तो .!!”
” मुझे ज़रा सोच समझ कर परखना…_ मैं आवारा जरूर हूँ पर अंधा नहीं हूँ…!!!”
” कभी तो अपने अन्दर भी कमियाँ ढूढ़े,__ आप मेरे गिरेबान में झांकते क्यूँ हैं !!”
” तुम्हारे बोले गए शब्दों का मौन हूँ मैं,__ अब दोबारा मत पूछना कौन हूँ मैं. !!”
” ख़ुद ही बुने थे जो रिश्तों के धागे, _ नाता तोड़ आये हैं उन्हीं अपनों से !!”
” बहुत बुरा- बुरा किया है आपने, अब शायद ही कभी लौट के आऊंगा..!!”
” उन्हें छोड़ देना ही उचित है, जो आपके होने का मूल्य ही ना जानते हों !!”
” लौट कर नहीं मिलूंगा दुबारा, _ जरा सोच समझ कर खोना मुझे ..!!”
“ अब की बार गुम नहीं हुआ हूँ मैं _ इस बार तुमने खो दिया है मुझे !!!”
” राहें ऐसी जिनकी मंज़िल ही नहीं, _ ढूंढ़ो मुझे रहता हूं मैं अब वहीं !!!”
” बड़े करीब थे वो लोग, _ जिन्होंने दूरियों के मायने समझाए हैं ..!! “
” तुम्हारी साजिशों में वो दम कहाँ, _ जो मेरी कोशिशों को डुबा दे…”
” गुजरता हूँ लोगों के बीच से, _ पर हर किसी से वास्ता नहीं रखता..”
” हर उस ज़ंजीर को तोड़ डाला, _ जो मुझे मेरे होने से रोकती थी !”
” सही वक़्त पर दूर हो गए उनसे, साथ रहते तो बर्बाद हो जाते .!!”
” नफ़रत नहीं है किसी से, _ बस अब हर कोई अच्छा नहीं लगता !!”
” दोबारा पलट कर नहीं आऊंगा मैं,, इतना तो गुरुर रखता ही हूं !!”
‘ मैं अब जो तेरे रास्ते से गुजरा हूँ, हमेशा के लिए ही गुजर गया हूँ.!”
” ढूंढ़ने से भी नहीं मिलूंगा, _ अगर गलती से भी खो दिया मुझे..!”
” तुम दुनिया से यारी रखना __ हम तो काम चला गए खुद से !!”
” मुझसे नाराज नहीं हुआ जाता, _ मैं बस खामोश हो जाता हूँ.!!”
” ध्यान रखना __ हल्के लोग __ ज्यादा उड़ते हैं ..!!”
_ कोई भी हमें बना और बिगाड़ नहीं सकता ..
_ मिलता रहा सभी से मगर अज़नबी रहा .!!!
_ दिया जलाते ही अंधेरा रूठ जाता है..
_ कभी लाजवाब नहीं बन पाएंगे ..
_साँसे तो खुद की कम हो रही हैं..!
_ आप क्या ख़ाक जानते हो हमें !!
_अक्सर लोगों से सुना है कि बहुत बुरे हैं हम..
_ मुझे अपने आप से बेहतर कोई नहीं जानता !!
_ किसी को क्या ख़बर किस दौर की हवा हुं मैं ..!!
_ बना के रास्ता जो भीड़ से निकल गया.
_ मैं सिर्फ नज़रो से दूर हूँ ख्यालों से नहीं !!!
हवा में गुम हो जाये वो _ खुश्बू नहीं हूं मैं !
_ चाहत होती तो मन तुम्हारा भी करता ..!!
_ ख़ामोश रहकर.. फ़ासले ख़ुद बनाता गया है वो !
_तुम तो हालत देख कर मुझसे ही लड़ गए..!!
_ गैरों को तो इतने करीब ही नहीं आने देता मैं !!
तुम्हारी ज़िद है अगर फासला बढ़ाने की, _ तो हम भी कोशिश करेंगे उसे निभाने की..
_ पर याद रखना मैं बदल गया तो मनाना तेरे बस की बात नही….
_ मेरे अच्छे वक्त में किस मुहं से वापस आओगे…
_ तुम तो वापिस आ गए, _ पर हम दोबारा नही आयेंगे..!!
_ ये जिद है मेरी सोच ले बिछड़ने से पहले !!
_ जब तक आप उसे अहमियत देते हो…!
_ पहचानो उस शक्ति को, जो छुपी तुम्हारे अंदर है.
_ क्योंकि लोग शब्दों के गलत अर्थ निकालने में विशेषज्ञ होते हैं..
_ अब अल्फाजों को ज़ाया करना, मुझे अच्छा नहीं लगता..!!
_ इस तरह सुकून भी बचा है और मेरी कद्र भी !!
” — मैंने अपनी खामोशियों से, _ कई बार सुकून खरीदा है…–“
” — नफरत करने के बजाय उपेक्षा करना आत्म-देखभाल का एक रूप है..–“
“– तू मेरी कद्र करता भी तो कैसे.. _ मैं तुझे आसानी से हासिल जो हो गया था…–“
“– लाजमी है तेरा कद्र न करना भी, हम तुम्हें मुफ्त में जो मिले हैं ….–“
” — मुफ़्त में मिल गए हम उन्हें _ जिनकी औकात में भी नहीं थे !! –“
” — जब होता है तब कद्र नहीं होती, __ जब खो देते हैं तो खोजते हैं !!–“
” — कद्र न करने वालों को जिंदगी से बाहर कर देना ही बेहतर होगा !!–“
“– जब कोई कद्र न करे तो _ कदम पीछे कर लेने चाहिए.. !!–“
“– अक्सर कीमती चीजों की कद्र, _ देर से करता है इंसान !!–“
“– बहुत ज़रूरी नहीं हूँ मैं, _ मगर मेरे बग़ैर कुछ कमी ज़रूर रहेगी !!–“
“– यार मैंने छोड़ दिए वो लोग, _ जिन्हें जरूरत तो थी पर कद्र नहीं..!!–“
“– उन लोगों से दूरियां ही ठीक है, जिन्होंने नज़दीकियों की कभी…,कद्र नहीं की..!!–“
“– मैं उन लोगों से दूर चला जाता हूं जो मेरी कद्र नहीं करते,
आखिरकार, वे मेरी कीमत नहीं जानते होंगे, लेकिन मुझे मेरी कीमत पता है.–“
Always know your worth & steer clear of anyone that try’s to make you think otherwise
_ सही राय रखने के लिए आपको कम से कम मेरे स्तर पर होना चाहिए !!
हर किसी को आपकी तहजीब और नज़ाकत हजम नही होती !
कभी कभी मिलनसार होने से ज्यादा एकाकी होना ज्यादा बेहतर होता है !
ज्यादा लोगों को भाव दोगे तो कचरों से ही सामना होगा, _ इंसानों से नही !
_ प्रकृति ने हर किसी को यूनिक बनाया है, _ इसी समझ के साथ हमें जीवन जीना चाहिए..
और उन लोगों को ज़िन्दगी से अलग कर दूँ _ ” जिनके लिए मेरा होना ना होना बराबर है.”
आवश्यक होता है, कुछ लोगों का जिंदगी से चले जाना काफी लाभदायक साबित होता है..__ इसके लिए दोषी महसूस न करें ..
“- कभी – कभी कुछ लोगों को छोड़ना पड़ सकता है ताकि आप ठीक से रह सकें और सुकून से अपनी ज़िंदगी जी सकें.. – कभी कभी छोड़ना बहुत मुश्किल होता है, पर शायद वही सही होता है. _ यह मुश्किल है लेकिन आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी..!!!”
_ ऐ ज़िंदगी तुझसे मिलते- मिलते, मैं अपने आप से बिछड़ गया.
_ समझदार लोग तो सिर्फ उनके बारे में पढ़ते हैं
_ सिरफिरे मुझसे _ सफर के निशान मांगेंगे !!
_ और उस समय मज़बूत _ जब आप कमज़ोर हों..
_ सर पे कितना बोझ है, कोई देखता नहीं !!
_ हमें जिंदगी बनी बनाई नही मिली ….!
_ कोई हम से पूछे, सफर कितना तकलीफ- देह- रहा ..!!
मैं उन्हीं के लिए #हूं जो समझे #कदर मेरी…
_ पहली बार में मैंने सब को, ” ठीक हूँ ” ही बताया है !!
_अपने आप से पूछें कि आप सर्कस में क्यों जाते रहते हैं.!!
_ कुछ मसले होते हैं ना, जो हल नहीं होते ..
_ क्योंकि अच्छे लोग बुराइयों से वास्ता ही नहीं रखते हैं.!!
_ इसका मतलब है बड़ा सटीक निशाना मेरा !!
_ कुछ रौनकें खुद से भी हुआ करती हैं !!!
_ लेकिन बाकियों को यह हैरान कर देगा ..
लोगों को दुविधा में रहने दें ; आप क्या कर रहे हैं और क्या नहीं..!!!
_ कि रुककर चिंतन का समय आ गया ..
” सुनने से ज्यादा समझने की कोशिश करो, मैं चुप रह कर भी बोलता नजर आऊंगा..”
Never stop being a good person, because of bad people.
_ इसलिए परेशान नहीं रहता हूँ मैं ..
क्या पता… _जाने से तुम जी सको…
_ जिसने जैसी राय बना ली उसके लिए तो वैसे हैं.
_ कोशिश करें, कि अपनी नज़र में बेदाग रहें !
लोग क्या सोचते हैं मुझे इससे फर्क नही पड़ता..
क्योंकि वो मुझे उतना ही समझते हैं जितनी उनमें समझ है…
_ बहुत कुछ छोड़ आया हूं, बहुत कुछ छोड़ सकता हूं…
_ जिस जगह से ताने सुन कर शहर में कमाने आया था..!!
– ” हमने भी भुला दिया ” और उड़ा दी सारी गुमान की धज्जियां …
” — खुद पर ग़ुरूर इतना भी मत करना .. _ हमें भूलना भी आता है ..!–“
लिखूं जो दर्द तो, _ सभी वाह वाह करते हैं..!!
हम ज़रा से क्या बदले __ सब को हैरत हो गई !!
_ रहना तो लोगों के बीच में ही है,,,लेकिन अब समझदार बन के रहेंगे.
जिनसे जुड़ कर, _ हमने कभी जीना सीखा था !
_ कुछ इस कदर बदल देंगे हम अपनी किस्मत को ..
लेकिन यह नहीं दिखता कि हमें उनकी किस बात ने बदल डाला.
_ पूरी तरह बदल जाऊं _ इतना मजबूर भी मत कर ..!!
_ खामोशी चीर देगी कहो चुप हो जाऊं क्या ?
_ तो यह उस की बदकिस्मती है आप की नहीं ..
_ अब आप वो नहीं करते ” जो उन को पसंद है “
_ ऐसा न करूँ तो जीना मुश्किल हो जाए !!
_ मंजिल का पता नहीं, पर रास्ते बहुत देख लिये..
_ चीख भी लेता हूं और आवाज भी नहीं आती..
_ वो कमबख्त हवाओं को भी मात दिए जा रहा था !!
_ उन्हें क्या मालूम बाज़ सा, उड़ता जा रहा हूँ मैं !!
_ तेरे सुलूक ने ही लहजा बदल दिया मेरा !!
ज़ुल्म भी सहा हमने _ और ज़ालिम भी कहलाते गये..
हमने भी छोड़ दिया हक जताना _ अपने होने का…
तुने रास्ता बदला तो मैंने मंज़िल बदल ली..
_ कोई तुम सा नही तो कोई मुझ सा भी कहां है…
_ हम तो गलत इंसान है, आप सही ढूंढिए.
जिनका साथ है, वो लाजवाब हैं.
_ शायद इसलिए ही अब मैं बदल गया हूँ ..
_ लोग इसको गुरुर समझते हैं, तो इसमें मेरा क्या कसूर…
_ मैं हर किसी को नहीं होता हासिल ..!!
_लोग खुश रहने की सलाह देते हैं और हम वजह….
_ कुछ आप के खिलाफ तो कुछ आप के साथ चलता है..
आप तो सिर्फ सुनते हैं, हमने सच में ऐसी जिंदगी गुजारी है..
_ यादों की कश्ती का, एक हसीन काफिला मिलेगा ..!!
_ तितली जैसे रंग बिखेरो हँस कर इस ज़माने में..
_ हम कहते और सोचते बहुत हैं, लेकिन करते बहुत कम..
यहां सभी के सभी पत्थरों के बने हैं…!!!
_ ” उसे जीवन से निकाल दें ” और कदम बढ़ायें उन्नति की ओर !!!
_ बस जरुरत है आप को उस इंसान को खोजने की ..
_ आपको कोई ऐसा व्यक्ति मिलेगा जो आपको पसंद करता है.
मैं उस व्यक्ति को इंसानों की श्रेणी में नही रखता जो दूसरों के दर्द को महसूस न करे….
_ ,,,दर्द बहुत बुरा अनुभव है,,,
_ संभालो ख़ुद को भी _ वरना बिखर जाओगे
_ हर किसी की अपनी एक अलग दुनिया है !!
_ तुम दो कदम पीछे हटे तो _ तो मैं दस कदम पीछे हट जाऊंगा ..
_ ” अपना दिल,” दिल है,” _ और दूजे का खिलौना है !!
_ जब बेहतरीन की तलाश में वो, बेहतर को खो देता है !!
_ मगर हम भी वो हैं _ जो हर दहलीज पर नहीं मिलते.!!!
_ ” मगर “हम भी नवाब हैं, बार- बार नहीं मिलेंगे.
–” लोग वक़्त मांगने को तरसेंगे, तुम खुद पर वक़्त तो लगाओ..–“
_ वहां से मेरी नवाबी शुरु होती है.
_ मैं जीता हूं अपनी तकलीफों में भी नवाबो की तरह…
_ मैं लफ्ज़ भी सुनता हूँ और लहज़ा भी..
_ उन सब में _ मैं कभी नहीं मिलूंगा …
_ जा इजाजत है ज़माना आजमा ले !!
_ किनारा कर लिया जाये,_ किनारा करने वालों से..
_ मैं अपने को बदल लूँ, तो सुखी हो सकता हूँ.!!
.. उफ्फ _ उपर से हिदायत की यूँ ही महकते रहना,,,,,,
_ वो समझते हैं कि मजबूर हूँ जलने के लिए..
_ ख़ुद खड़ा कीचड़ में खुशबु कहाँ से आए.!!
_ मैंने बेवज़ह ही, बेकद्रों पर अपना वक़्त गँवाया ..
_ अगर खुद को देता तो अच्छा होता..
_ बेकद्रों को हीरा भी कांच ही नजर आता है..
“_खामोशी इतनी गहरी होनी चाहिए कि.. बेकद्री करने वालों की चीखे निकल जाए..”
हम ही जानते हैं हम कितना सब्र करते हैं ..
_ कि कुछ बेगैरत अपनों के लिए _ सच्चे यार गवां दिए ..
_ जिससे भी अपनापन मिल जाए ” वही अपना है “
_ उसने एक बार किसी पर बहुत ज्यादा भरोसा किया था !!
” आज़ाद कर दिया मैंने उन सभी को… _ जिन्हें शिकायत थी की मैं स्वार्थी हूँ…!!!”
_ दो में से एक राह पर पगले, ! पग धरना ही होगा !!
_ अहसास बनके दिल में उतरना आदत है मेरी…!!
_ सब को मंज़िल का शौक है, मुझे रास्ते का..!!!
_ क्योंकि बराबरी तुमसे होगी नहीं.
_ जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती*..
_ और, फिर कश्ती का बोझ कहकर, हमें ही उतार दिया.
_ जिसे तैरना सिखाओ, वही डुबाने को तैयार रहता है.”
_ कहते हैं नए दौर के काबिल नही हो तुम..
_ यूं ही नहीं “तसल्ली” करना सीखा है मैंने..!
अपने कान बन्द कर लो, “ज़िन्दगी” बेहतर हो जायेगी.
_ मैंने अपने नाखूनों को धारदार और कानों को भोथरा कर दिया !!
_ लोगों के बारे में सोचने का भी वक़्त नहीं होगा मेरे पास ,,,
_ अब वो अपनों को छोड़ने के लिए तैयार है ..
_ की ख़ुद की कमियों का पता ही न चला !!
_ फिर दूसरे को बदलना कैसे सरल हो सकता है ?
_ जीतते वही लोग हैं _ जो गियर सही समय पर चेंज करते हैं “
_बाकि सब को इग्नोर करो, फिर सब तुम पर ही गौर करेंगे..!!
_ मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं….
_ मैं जिसके पांव से कांटा निकाल देता हूँ !!
_हम तो बर्दाश्त भी नहीं होते हर किसी को…
_ तब तक मैं यही कहता रहूँगा हाँ में ठीक हूं !!
_ अपने दिल का सारा प्यार उड़ेल देना चाहिए.
_ सच क्या बोलना शुरू किया _ लोग उठते चले गए..
_ कुछ मुकद्दर बुरे थे, कुछ आग लगाईं लोगों ने ..
_ मुझ पर हुक्म चलाने की गुस्ताखी मत करना..!!
_ यहां वहां की खबरें तुम्हें गुमराह कर देंगी..!!
_ लेकिन गर मुझे कभी सुना ही नहीं तो ये ओर बात है…!!!
_ हर कोई डूबती कश्ती से उतर जाता है ..
_ कुछ छोड़ जाते हैं तो कुछ तोड़ जाते हैं ..
_ ज़माना मेरे गिरेबान में झाँकता क्यूँ है ..!!
_ अफ़वाह उड़ी थी ,” अच्छा नहीं है वो ” !!
_ यही बात मेरी लोगों को बहुत खलती है ..
_ जो गिर गया है पलक से _ उसे उठाना क्या..
_ हर उस रिश्ते से _ जिससे जुड़ कर, हमने कभी जीना सीखा था !
_ ले जाओ अपने नक़ाब और डालो अपने मुँह पर..!!
जो काटा न गया हो अपनों की निगाहों से, मैने उङता कोई ऐसा, पर न देखा॥
_ और बहरों को शिकायत है कि गलत बोलता हूँ मैं !!
_ लोग जब आपको खोएंगे यकीन मानो बहुत रोएंगे..
_ चलो अच्छा हुआ, कुछ लोग तो पहचाने गए ….
_तुमने छोड़ कर कौन सा कमाल कर दिया ..
_ जो धागा टूटने वाला हो, उसे खुद तोड़ देना..
_ तो तुम अपनी जिंदगी संवार लेते ..
_ मतलबी लोगों से किनारा कर डाला है !!
_ ये जान पहचान तो जान निकाल देती है…!!
” — कुछ अजनबी,,, अपनों से बेहतर मिल जाते हैं…!! –“
_ हम वो नहीं रहे, वो तबियत नहीं रही ..!!
_ एक पन्ना जिंदगी का रोज़ मोड़ देता हूं ..
….दर्द बयां नही करता….बस इतनी सी कमी है..!!
कोई झांक के तो देखे एक बार _ कि वो अंदर से कितना टूटता है..!!
_ मेरा दामन लोगों की तरह बेदाग़ नहीं ..!!
_ किस्सा तो ” मेरे हो कर भी न होने का हैं ” ..
_ जहां कोई रास्ता नहीं है और अपने निशान छोड़ जाइए ..
_ताकि आप अपनी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करें.!!
_ # मुंडेर से # वो परिंदा…. # उड़ा दिया # मैंने….
_ मै सुधार भी करूँगा और हमेशा दूर भी रहूंगा !
अब खुद को आसान कर जीने में तुम्हें बहुत मुश्किल होगी..
_ मेरा वजूद है मेरे खुद के दम पर, और मेरे लिए यही पर्याप्त है !!
फिर से मुझे पाने के लिए..
एहसास करता था अपनों से भी बढ़ कर..
_तुम साथ न चले तो सपना बन गया !!
_ सुना है ऊपर वाले के घर, कपड़ों की दुकान नहीं होती..
परंतु एक सही व्यक्ति की उपेक्षा हमें जीवन भर पछताने पर मजबूर कर सकती है…!!
मुझे ख़ुद को पसंद करने में सालों लगे, अब दूसरों को समझाने के लिए इतना वक़्त नहीं.
उम्मीद ही क्यूँ रखता हूँ कि कोई तो हो जो मुझे कहे तुम ठीक हो ?
_ क्योंकि वो ख़ुद के बारे में कम और मेरे बारे में ज्यादा सोचते हैं..
_ उनके पीछे पड़ कर अपनी इज्जत खराब ना करें.
_ एक सिरा तेरे हाथ में भी था ..
_ पंख सलामत थे मेरे _ पर मैं उड़ ना सका..
_ मैं भी क्या करूँ मुझे माँगने की आदत नहीं..
_ तू तैयार रहना आज़माने वाले भी मिलेंगे..
इस क़दर खामोश रहेंगे हम _ कि चीख उठोगे तुम..
हम यायावर हैं, हम न जानें किधर जायेंगें…
इसलिए जीवन मेरा ….. बेनक़ाब रहता है.
_ ये चेहरे परख लेने की बुरी आदत है मुझे…!!!
_ उन की इस हालत पर मुझे तरस बहुत आया !!
_ जो आपको पढ़ने के बाद समझ सके !
_ आज बीज हूँ दबा हुआ, कल जंगल हो जाऊँगा मैं ..
_ कहीं पत्थर, कहीं मोती, कहीं आईना हूँ मैं..
_ समझ जाओगे उस दिन मुझे, जब तुमको मिल जाएगा कोई मुझ जैसा..
हमने भी मुस्कुरा कर कहा,, लोगों के हिसाब से जीना छोड़ दिया है मैंने..
_ क्योंकि वही लोग तुम्हारी उदासी की वजह बनते हैं !!
_ उनको उस तमाशे की खोज होती है, जो हमारे साथ हुआ !!
_ ख़ुश रहता हूँ ख़ुद में, महफ़िलों का मोहताज नहीं हूँ मैं..
अगर मैं हाथ पकडूं तो पकड़ आपकी भी होनी चाहिए.
_ आप भी तो कभी अपना आईना साफ कीजिए..
_ जो हाल भी पूछो तो लोग समझते हैं कि जरूर कोई काम होगा !!
_ क्योंकि कोई किसी कि हकीकत में परवाह नहीं करता !!
_ मैं तो उनके लिए अनमोल हूँ जो मुझे समझते हैं !!
_ रो पड़ा वो आप, मुझको हौसला देते हुए…
_ जो कहते थे ” तुम्हे हम ” अच्छे से जानते हैं..
_ टूट कर जुड़े रहना ज्यादा तकलीफ देता है ..!!
_ वरना आज कागजों पर कारोबार ना होते .!!
_ ज़िन्दगी तमाशा थोड़ी है, जो भीड़ चाहिए !
_ और आसां तुम भी नहीं __ और मैं भी नहीं ..
_ अब तो दर्द भी दर्द नही देता, _ लगता है पत्थर हो गया हूँ ..
_ *वो शख़्स जो किसी से कुछ नहीं कहता…*
_ अपनों से बचो….गैरो से तो निपट लोगे….!!
खुश रहने की कोशिश कर लूंगा ” खुद ही अकेले में “.
“- अपनों को आजमा के देख लेना _ दुश्मनों से मोहब्बत हो जाएगी “
_ उसने खामोश रहकर मुझे पराया कर दिया…!!
_ क्यों देखे जिंदगी को किसी ओर की निगाह से हम..
_ मैं हँसने का मौका नही देना चाहता अपने लोगोँ को,,
_ कांटो का साथ मिला _ फूलों ने परेशान किया !!
खफा हो कर _ उनकी मुश्किलें आसन कर दी मैंने..!
_ क्या पता था ? अपनों को ही नहीं सुहायेंगे..
_ अपने हाल का हमनें ख़ुद ही मज़ा लिया….
बार बार टूट जाता था दिल, _ पत्थर का बना लिया…
कुछ रंग बदलते गये, _ तो कुछ रंग भरते गये….!
_ सब कुछ पता हमें है, ये उन को पता नहीं !!
_ लेकिन यह हमेशा अपने तरीके से होनी चाहिए..
अरे क्यूँ _ तू किसी के दर्द को, खुद सहन करता है..!!
_ किसी के रास्ते से कांटे हटा कर तो देखो ..!!
वो फूल नहीं हूं, _ जिसे हर भंवरा चूमता फिरे.
_ कुछ ऐसे भी ज़ख़्म हैं जो फूलों की देन है…
वरना कभी, कांटो को, _ मसलकर दिखाईये !!
उनकी खुश्बू ….. _ दिन भर गुनगुनाती है..
मैं फिर से उग जाऊंगा, _ तुम देख लेना.
सूर्य के सामने दीपक का न सही, अंधेरों के आगे बहुत कुछ है..
_ तब शांत बैठ कर _ खुद को समझ लेना चाहिए ..
न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है.
_ नादान हैं वो लोग जो बिना बात बहस करते हैं..
_ अरसा बिता अपने साथ नहीं चला मैं _..
_ तुम्हें किसी के द्वारा की गई निंदा या प्रशंसा से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
_ और फिर आप देखेंगे कि दुनियां भी आप के हिसाब से बदल गई..
कोई और हमारे बारे में क्या सोचता हैं.
अगर मैं सही हूँ तो मुझे किसी को भी सफाई देने की जरुरत नहीं..
_ काबिल लोगों के तो … दुश्मन भी कायल होते हैं ..
_ दर्द अकेले बर्दाश्त करना है और खुशियों में संग सारा ज़माना है ..
लेकिन रेहमत देखो उस खुदा की, हम छलांग लगाना सीख गए..
*वरना…….* *सौ बहाने मिलेंगे …भूल जाना मुझे….!!*!
_ बस कुछ ख़ास की फ़ेहरिस्त से निकाल कर आम कर दिया ..
_ चौखट पर सजदा करूं, ये मुझे गवारा नहीं ..
_ मैं कहां किसी के किस्से का किरदार बनूँ..
_ कहानी खुद की है, किस्से औरों के नहीं सुनाते हम..
_ कुछ हमें भी ढलना पड़ता है ” उनके मुताबिक “
_ तो खुद के अंदर जिन्दा कर लेना खुद्दारी.
_ ना किसी से फ़ालतू बोलना ना किसी कि फ़ालतू सुनना .!!
लेकिन उसने वो खोया जो सिर्फ उसीका ही था..
अब किसी शख्स की आदत नहीं होती मुझको.
” फर्क पड़ना नही चाहिए तुम्हें, _ चाहे कोई आए या फिर जाए “
_ मेरी आँखें जो सच बोलती हैं, वो भी तो काफ़ी है !!
__ठीक से जानते हो.? या यूं ही मन हल्का कर रहे हो.!!
_ इससे बेहतर है कि अपना मुहं बंद ही रखा जाए.
_ बाकी तो सब अंदाजे लगा रहे हैं !!
_ यूँ किनारे से समुंदर नहीं देखा जाता…
मेरी काबिलियत निखरी है तेरी हर आजमाईश के बाद….
_ हम शरीफ़ हैं, सीधे नहीं !!
बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा मिले…
उन लोगों से _ जो हमें सिर्फ मतलब के लिए याद करते थे..
_ मैं मतलब से बातें नहीं करता ..
_ और यहाँ सब मतलबी है मान लिया !!
_ जो मायने रखते हैं, वो बुरा नहीं मानते !!
_ ख़ुद बन गया बुरा……मगर तुझको कभी बुरा नहीं कहा “
_ उलझा तो कई बार था _ पर इस बार खुद को ही सुलझाया है.
_ मुझे समझने के लिए _ आप का समझदार होना जरुरी है..
इतना सस्ता नहीं है कि हर कोई मुझे आसानी से समझ जाए.
आपको बहुत से लोग जानते हैं, _ मगर समझने वाले.. _ कुछ ही होते हैं…
बहुत से लोग आपको जानते हैं…परंतु कुछ ही हैं जो आपको समझते हैं…!
_ पर किसी को समझ पाना काफ़ी मुश्किल..
_ काश समझने की थोड़ी सी ही कोशिश की होती ..
_ कितने लोग मरते हैं मुझ पर, ये वो देख पाया ही नहीं ..
“- कइयों के दिल में रहता हूँ,_ कइयों के समझ से बाहर हूँ.-“
ना समझने वालों के लिए पत्थर भी नहीं.
_ बेशकीमती ख़ज़ाने कभी किनारे पर नहीं मिला करते…!
_ मैं तुम्हारे स्तर तक न आ सकूँगा..
_ मैं टुटा हुआ भी पूरा नज़र आता हूँ .!!!!
_ जो जानता तो सब कुछ है _ पर बोलता कुछ भी नहीं !
_ बस वो उन्हें छिपाने का हुनर सीख जाता है..
_ हम मनाने का हुनर भूल चुके हैं !!!
_ एक बचपन, कुछ सपने और एक शख़्स..!!
_ मै किसी को समझाने की सिफारिश नहीं करता..
_ किस्मत हर किसी पे बार बार मेहरबां नहीं होती..
_ दूसरे को क्या करना चाहिये, _ ये सलाह सब के पास है..!!
_ हम इतने भी बुरे नहीं जितना लोग बताते हैं ..
अब जिसको तकलीफ है वो अपना रास्ता बदल लें.
बहुत चला मैं लोगो के पीछे अब थोड़ा खुद के साथ चलुं..
_ अपनी जिंदगी इतनी भी उदास नहीं..
_ तुम कहाँ तक साथ आओगे ये बताओ मुझको..
क्योंकि वे आपको उतना ही समझते हैं जितनी उनमें समझ है..
_ क्योंकि वो मुझे उतना ही समझेंगे जितनी उनमें समझ है.
_ कुछ लोग हमारे काबिल नहीं, _ कुछ के हम काबिल नहीं,,,,,,,
पसंद हैं मुझे _ खुद को खुद की नजर से परखना..
_ तेरी गली राहे – गुजर – आम हुई जाती है ..
तो समझ लीजिए के दर्ज़े बुलंद हो रहे हैं….
_ महफ़िलो में चर्चे उनके गज़ब होते हैं .!
_ बारी अपनी हो तो तराजू नहीं मिलता ..!!
बल्कि आपकी काबिलियत है, जो उसे जलने पर मजबूर करती है…
_ लोग आपसे जलते हैं _ यह आपका जलवा है.!!!
_ अपनी उपलब्धियों का बखान नहीं करना चाहिए ..
_ जीत से तो वाकिफ हुए तुम, _ कभी मिलना मेरे हार वाले किरदार से..!
_ टूटे हुए पत्तों का रंग अक्सर बदल जाता है..
” – टूट चुका जो पत्ता डाल से, _ रंग बदलना उसका लाजिमी है..-“
मुखौटे उतरने दो उनके जो यू ही दिखाते है यारियां.
जो हमे नहीं समझते हम भी उन्हें समझना छोड़ देते हैं..
_ पढ़ कर भी लोग समझ नहीं पा रहे ..
_ चेहरा तो पढ़ा, दिल के अंदर नहीं देखा..!!
_ लोगों की भी गिनती _ अजनबियों की कतार में होने लगी है..!!
जो तकलीफ देते थे बस उन्हें रिहा कर दिया..!!
_ जो कद्र ना करें उसे भुला दिया जाये..
_ मसला तो सारा आखिरी तक अच्छा रहने का है !!
_ जहाँ मुझे कुछ चीजें पसंद तो हैं, पर चाहिए नहीं..!
_ कोई तुमसा नही तो कोई मुझसा भी कहां है…
या फिर किसी के बदल जाने से ; आपको कोई फर्क ना पड़े..
अब जीना है उनके लिए, जो हमें पसंद करते हैं..
_ जिन्होंने मेरी ख़ुशी के लिए हर दर्द, हंस कर सहा .!!
कुछ मुझसे किनारा कर गए तो कुछ से मैंने किनारा कर लिया..!!
बेहतर होता अगर मैं _ कुछ लोगों से _ मिला ही ना होता..
_ मैं तेरी उलझनों का मुकम्मल जवाब हूँ !!
_ वह एक नज़र मेरी आंख के अंदर देखे ..
_ मैं हूँ ख़ामोश जहाँ, मुझको वहाँ से सुनिए..
_ मुझे तलाश उसकी है जो मेरी ख़ामोशी पढ़ ले ..!!
पाने वाले को __ नाज और खोने वाले को अफ़सोस रहे !!
_ चलो इसी बहाने हमें याद तो करते हैं ..
_ गैरों की लाइन में सबसे आगे पाया अपनों को..
_ वो अपने है जो रूह तक हिला देते है !!
_ लोगों ने खेला है मेरी मासूमियत से भी !!
_ जिस दिन तुम हमे समझ जाओगे ..
अब तोड़ के दिखाओ, कि अब पत्थर सा हूँ मैं..
_ अब सोचता हूं कि अच्छा हुआ नादान रहा..
_ मेरी जगह नहीं है ना, मेरे हालात नहीं समझेगा..!!
_ मैं तो वो हूँ जो रुख हवाओं के बदल देता हूँ !!
_ अब लोगों की औकात अनुसार बर्ताव करंगे ..
_ जरूर उसने भी किसी को दर्द पहुंचाया होगा..
_ बदले से ज्यादा बदलने में मज़ा हैं !!
_ कुछ इस तरह से, दुनिया को हम भुलाने लगे हैं .!!
_ पहले मुड़ कर देखते थे.., अब देख कर मुड़ जाते हैं.,
_ जो सुकून देते हैं _ वो जहन में जिया करते हैं..
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करने की कोशिश भी ना करें.
_ सम्बन्ध को ख़त्म कर दो ..
_ अपनी ही हाथों रचा स्वयं को, तुम से मिटने का खौफ नहीं..
_ चलते-चलते जितनी बात हो जाए वही बहुत है…
_ ये नफरत उन्हें खुद ही बहुत नुकसान पहुंचाती है.
वो ही अपना है ! बाकी तो बस दुनिया ही है..
जो बिना कोई मतलब के याद किया हो और बेवजह मिलना चाहा हो…!!!
_ उनको जुबां मिली तो, हम पर ही बरस पड़े…
_ पर मुझसे ज्यादतर ही बुरे टकराते रहे हैं !!!
क्योंकि ये जिम्मेदारी आपके लिए कोई दूसरा नहीं उठा सकता.
_ वास्तव में आप यह भी दिखा रहे होते हैं की आप पहले नहीं हैं ..
_ क्योंकि जब ये नाराज़ होते हैं तो इज़्ज़त पर वार करते हैं,,,
_ समझ लो कि जिंदगी लाजवाब हो गई है.
_ पर ये मानों…मतलब से बात नहीं करते..
_ खुद्दारी है, गुरूर है पर मक्कारियाँ नहीं है.
_ हाय ! दुनिया को वही मेरा हुनर लगता है..
_ वो झूट बोलेंगे और महफ़िल लाजवाब कर देंगे .!!
_ दो – दो प्रकार से जीना पड़ता है _ एक जीवन कई बार..
_ और मेरा रब मुझे मजबूत बनाता गया…
_ वो लोग आपको तोड़कर हरा देते हैं !!
_ खुद के लिए मुस्कुरा भी ना पाओ…!!!
_ यहाँ हर कोई खुश नहीं है, किसी को ख़ुश देख कर .!!
_ ना वक्त ही दो इतना की गुरुर हो उन्हें ..
_ और अपनी सोच से चलोगे _ तो फूलों के समान खिलोगे ..
_ प्यासों के वास्ते दरिया नहीं मुड़ा करते ..!!
_ खुद को मिलने वाली वाह वाह से अपनों को ही जलते देखा ..
_ टूटे हुए रिश्ते फिर से नहीं जुड़ा करते ..
_कुछ हम से कहा होता, कुछ हम से सुना होता !!
_ ज्यादा अच्छा बनने का अब ज़माना नहीं ..
_ लेकिन फ़र्क़ इससे पड़ेगा कि आप क्या चाहते हो ?
_ जो जानता सब हो, पर खामोश रहे हर वक़्त…
_ वर्ना लफ्ज मेरे आप से बर्दास्त नही होंगे..!!
_ और हम उन्हें ख़ुशियों का समंदर समझते थे ..
_ अब मैं लोगों से नहीं, खुद से इश्क़ करता हूँ !!
_ चाहे दौलत हो, वस्तु हो, रिश्ता हो या जिन्दगी..
_ कल अपनों की तलाश में था आज अपनी तलाश में हूँ !!
_ जब उसकी अच्छाई का ही मजा़क बना दिया जाता है !!
_ जब तुम को दूर का चश्मा लगेगा…
_ फिर भी दुआ में उन्होंने बरसात मांगी ..!!
_ मैं बुरा हूँ तो तुम्हें अच्छा होना चाहिए ..!!
“The older I get, the more I realize I don’t want to be around drama, conflict, or stress. I want a cozy home, good food, and happy people.”
_ हर बार मेरे आगे मैं खड़ा हो जाता हूँ और तुम्हारे आगे तुम…”
_ जिसको खुश होना है वह बिना कुछ किए ही खुश रहेगा _ मेरे साथ जिंदगी में ..
_ दूसरे ने आप को क्या बोला_ वो उसका व्यक्तिगत मामला है, इससे आप वो हो नहीं जाते, जो दूसरे ने आप को बोला ;
“लोगों को चुपचाप क्षमा करना और उनसे दोबारा कभी बात न करना आत्म-देखभाल का एक रूप है.”
_ सजाने वालों ने घरों में कैक्टस भी सजाया है !!
वरना कीमत लगा कर खरीद पाना किसी के बस का नहीं था.!!
_ वहाँ कुछ नहीं है सिवाय दर्द, पछतावा एवम बेइज्जती के ..!!!
“– आप की तबाही पर लोग सिर्फ़ मजे लेते हैं !!–“
_ तूने कुछ नहीं दिया है सिवाय दर्द, पछतावा एवम बेइज्जती के..!!
_ अब तो आप जो समझो वही हूँ मैं !!
_ मालूम नहीं था इसमें यूँ जलना भी पड़ता है.
_ जब जब ये टूटा है तूफ़ान ही आया है…!
_ मैं उम्मीदों पर नहीं अपनी जिद पर जीता हूँ …!
_ मेरे ना होकर भी मेरे होने के लिए मरते हो_!!
अहसास बनके दिल में उतरना आदत है मेरी…!!
_ दो में एक राह पगले ! पग धरना ही होगा ..
_ अगर ज्यादा हो जाए तो कायरता कहलाती है ..
_ एक रोज मुझे भी तोड़ा था किसी ने…
_ तो समझ जाओ की आपने रास्ता सही चुना है ..
_ दिल और नज़र से जाने लगते है..
_ अंधेरा ही बता सकता है, कि सितारा कौन है !!
_ वो मुझे दर्द देकर भी ….मुस्कुरा न सके !!
_ फ़िक्र वो करें जिनके गुनाह अब तक पर्दे मे हैं…!
_ मैंने रख ही दिया फिर तोड़ ताड़ कर खुद को !!
_ मिज़ाज़ दोस्ताना और लहज़ा शायराना !
_ वो आएगा जरूर आएगा,,, उसकी तैयारी करना,,,
हमारे साथ कुछ देर _ ज़माना क्यूं नहीं होता..
_ आसान नहीं होता **कुछ भी** … ना कहना !!
_कोई तुम्हें कम आंके, तो हंस कर चल देना !!
_ मगर जो खो रहे हैं – ” वह भी कम नहीं “
_ मिल कर मुझसे हर शख्स बिछड़ जाता है..
_ हम गरीब लोग महंगी चीजें छोड़ देते हैं ..
_ बिछड़ने वाले तू अपना ख्याल रखना…!!
When you feel happy for no reason, believe that someone is praying for you.
_ सपनों के पीछे अगर भागें, तब कुछ तो “विशेष” हांथ आएगा ;
_ गर जबरदस्ती किसी शख्स के पीछे भागे तो सब कुछ “छूट” जाएगा !
_ जाते हुए नहीं सोचा उन्होंने तेरे बारे में, _ तो क्यों लौट कर आएंगे वो तेरे बुलाने पे ..
_ जख्मों से दूर रहना चाहते हैं तो किसी को अपना बनाइए ही मत..
इसलिए जो चीजें आपके लिए है ही नहीं, उन्हें जबरदस्ती पकड़ने से कोई फायदा नहीं है.
बिन पलटे पन्ना, सही-गलत समझ जाते हो !!
दूसरों के बातों से भी, अंदाजा खूब लगाते हो !
खुद से खुद में समझ-बूझ, उलझ कर रह जाते हों !!
उड़ते-डूबते रहते हो, खुद से खुद के उधेड़ बुन में !
क्या विवेक भी खो देते हो, बनावटी बातों के बवंडर में !!
मेरी आँखों का सपना, एक दिन हक़ीक़त बन जाएगा..
ये जो लोग मेरा बुरा करना चाहते हैं…
मेरी कामयाबी का डर उनको, तब हर पल सताएगा..!!