यार – सखा – मितवा – रहबर – 2015

यार, धन्यवाद कि मैं अपने बारे में अच्छा महसूस कर सकता हूं क्योंकि मैं तेरा बच्चा हूं; धन्यवाद कि मैं दूसरों के सामने खुद को साबित करने की ट्रेडमिल से निकल सकता हूं क्योंकि मुझे किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है.

God, thank You that I can feel good about myself because I am Your child. Thank You that I can get off the treadmill of proving myself to others because I don’t have to prove anything to anyone.

अजीब रिश्ता है मेरा तेरे साथ !

_ मुसीबत जब भी आती है ; ना जाने किस रूप में आता है,
_ हाथ पकड़ कर पार लगा देता है,,,
_ मैं तेरे सामने सर झुकाता हूँ : तू सबके सामने मेरा सर उठाता है.
_ “एक तुम्हारी याद को मैंने सुबह की पहली धूप की तरह अपने भीतर उजाला करते हुए देखा है !!”
_ “जब मैं तुझसे सीधे बात कर रहा हूँ, तो और किसी से कोई चर्चा नहीं करनी है.!!”
ऐसा क्यों होता है कि तू इतना दूर हो कर बहुत करीब है,

_ बिना मिले बिना देखे दिल में उतरा हुआ है,
_ तू जैसे साथ है.. हर पल ऐसे गुजरता है.
_ कैसे बन जाता है तुझसे से यह बेनाम सा रिश्ता..
_ जो हर रिश्ते से ऊपर हो जाता है.!!
मैं तुमको उस दुनिया से राहत के रूप में देखता हूं _जिसमें मैं रहता हूं और जब मैं तुमको अपने आसपास नहीं पाता, _तो मुझे ऐसा लगता है _जैसे मैं दर्द में हूं..

_और इसका कोई इलाज नहीं है, _चाहे मैं जहां भी खोजूं या जहां भी जाऊं..!!
— तू नहीं जानता कि तू जब मेरे आसपास होता है तो कैसा आनंद महसूस होता है ;
_ मेरे लिए, तू मेरी खुशी का स्रोत है.!!
_ मैं तुमसे परे नहीं देख सकता; क्योंकि मेरी दुनिया तुमसे शुरू होती है और तुम पर ही खत्म होती है.
मुझे नहीं महसूस करना है _ टूटकर बिखरने का दुःख, _ जुड़ा रहना चाहता हूं _ तुम्हारी खुशबू से !!

तुम्हारे और मेरे मौन के बीच _ बसा जो शहर है चुप्पी का, _ बने रहना है मुझे _ उस शहर का बाशिंदा !

तुम्हें महसूस करना अकथनीय है, ख़ुशी मौन में बदल चुकी है और मौन आसुंओ में तब्दील हुआ,

_ तब समझ पाया कि ख़ुशी के आंसू क्या होते हैं..!!

कुछ इस तरह से…. तुम मेरे साथ रहना,

_ मैं तुम्हे लिखकर खुश रहूं !! और तुम पढ़ कर …

नाज़ है मुझे खुद पर..

_ क्योंकि मैं उसकी पसंद हूँ, जिसे हर कोई पसंद नहीं आता !!

“आऊंगा किसी दिन हिसाब करने”

_ जो अभी तक तुझसे लिया है, लौटा जाऊंगा.

_ किसी दिन यहीं फना हो जाऊंगा..

“मेला, खिलौने और तू”

_ तूने मुझे मेला देखने भेजा था और मैं खिलौनों में उलझकर रह गया !!

— “संसार उसे कहते हैं” जो दिखता है ‘वह है ही नहीं’.. और जो नहीं दिखाई देता है ‘वही सब कुछ है.’

मुझे लगता है कि यह हमारी उच्च ऊर्जा ( रब ) है, आप जीवन में जितने अधिक शुद्ध कर्म करेंगे और रब को प्रार्थना में रखेंगे, आपका जीवन सही रास्ते पर होगा.!!
मुझे खुशी है कि तुम मेरी ज़िन्दगी में आए और इससे भी ज्यादा खुश कि तेरी वजह से ही मैं जीवन को अपने साथ देख रहा हूँ ; _

_ तुम मेरे साथ रहते हो इसके लिए मेरा दिल खुशी के आंसुओं से रोता है..

I am glad that you came in my life and even more happy that because of you I am seeing life with me. For you stay with me, my heart cries with tears of joy.

you are the most precious stone in the collection of my secret treasure.
हम में से हर एक के अंदर, रब की आवाज कह रही है, “तुम मेरी छवि में बने हो”

Inside every one of us, the voice of God is saying, “You are made in My image.”

ज़रा – ज़रा सी बात पे रोना सिखा दिया, देख तूने क्या से क्या मुझको बना दिया !

_ होगा नहीं पूरा कभी ये मुझको पता है, ख्वाब इन आँखों को जो तूने दिखा दिया !!

“*– मेरा तुम्हें भूल न पाना इसलिए भी कठिन है _ क्योंकि मैंने तुम्हारे साथ बिताये प्यार के पलों को इतनी गहराई से जिया है कि वो मेरे ह्रदय की पृष्ठभूमि पर हमेशा के लिए छप गये हैं !!

_ जो अक्सर ही मुझे तुम्हारे खयालों में डुबो देते हैं और मन बार बार से उन्हीं पलों में जीना चाहता है !.

तुम जब भी आओ तो एक टुकड़ा छांव का लेते आना..

_ जिंदगी की उलझनों की धूप में झुलस गया है वजूद मेरा..

.

और मेरे पास फिर से तुझसे वही सवाल हैं ?

मैं कौन हूँ ? यह दुनिया क्या है ? और इस दुनिया से मेरा क्या रिश्ता है ?

तेरे नाम के धागे भी खोल दिए मैंने..

_ बंधनों में प्रेम मुझे अच्छा नहीं लगता..

कभी कभी ना कुछ बोले..

_ हम शायद कहीं बंध से जाते हैं..!!

मत ढूंढो … कि दुनिया में खूबसूरत कौन है..

_ देखना है तो उसे देखो … जिसके होने से आपकी दुनिया सुंदर है .!!

जो नहीं हो पा रहा है उसको उस के हवाले कर दो,

_ फिर देखना कि क्या होता है _ उसी को जरिया बना देगा जो रुकावट है..!!

“उसके पास तुम्हारे हर मसले का हल मौजूद है तुम कह कर तो देखो.”

आपके लिए उसकी योजना अच्छी है क्योंकि वह अच्छा है !

His plan for you is good because HE is good !

चन्द सिरफिरे हैं तेरी तलाश में, _ बाकी सब दाल रोटी की जुगाड़ में ..
मेरी जिंदगी में कुछ ऐसे रिश्ते हैं जो कहने को तो मेरे कुछ भी नहीं लगते_ मगर मेरे होने में उनका अहम किरदार है.

ये वही लोग है, जो मेरी हैसियत नही मेरा दिल देखते हैं_ मैं शुक्र गुजार हूँ ऊपर वाले का,

उस ने मेरी ज़िन्दगी में बहुत कुछ छीना, पर सब कुछ नही छीना.

जब तू किसी को मुश्किल से निकालना चाहता है तो उसके लिए ऐसा रास्ता बनाता है _ जो इंसान की समझ से बाहर होता है..!!
जीवन में बस एक बात सीखी है कि सब कुछ होने पर भी कुछ काम नहीं आता ;

_ इसलिए सबकुछ पाने की कोशिश छोड़कर तुमको पाने की कोशिश कर रहा हूं !!

कभी कभी कुछ चीजों से Move on करना मेरे लिए भी आसान नहीं होता

मगर वक़्त के साथ आगे बढ़ना ” मैंने तुमसे सीखा है “

रूठी जो जिंदगी तो मना लूंगा मैं, मिले जो ग़म वो सह लूंगा मैं ;_

_ बस यार तू रहना हमेशा साथ मेरे, तो निकलते आंसुओ में भी मुसकुरा लूंगा मैं ..

जब मैं तेरे साथ होता हूँ तो देखता हूँ तू मेरे लिए खड़ा है, _

_ जब तू मेरे लिए खड़ा होता है, तो कोई तेरे सामने खड़ा नहीं हो सकता !!!

बहुत उदास हूँ तेरे चुप हो जाने से, हो सके तो बात कर किसी बहाने से. _

_ तू लाख खफा सही पर इतना तो देख, कोई टूट गया है तेरे चुप हो जाने से.

तेरा हर अंदाज़ हकीकत है या ख्वाब है,_ खुशनसीबों के पास रहता है तू, _

_मेरे पास तो बस तेरी मीठी सी याद है ” बता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादें,”

_ बरसात बाहर भी है…और भीतर भी है..

तुमसे मिलने के बाद जब मैं अलग होता हूँ, तो सोचता हूँ कि तुमसे फिर से कब मिल पाऊंगा,

_ मैं तुम्हारे लिए इतना तरसता हूं !!!

मैं तो समझा था, तेरे दीदार से सुकून आ जायेगा ;

_ पर ये नहीं जाना था कि, ये दिल तुम्हारी दीवानगी में और बेकरार हो जायेगा..!!

जिस के पास तुम्हें धीरे – धीरे शांति का स्वाद मिले, समझ लेना वह द्वार आ गया,

_ जहां झुक जाना है – झरोखा यहीं से खुलेगा..

ऐसा नहीं है कि मैंने तुम्हें आवाज़ नहीं लगाई, पर आवाज़ इतनी ही लगाई कि तुम सुन न सको,

_ और मुझे संतुष्टि रहे कि मैंने अपना काम पुरा किया..!!

“बस इसी एक बात ने मुझे जिन्दा रखा है ..

_ कि इक रोज़ सारे रास्ते जाने तो तुझ तक ही हैं”

ऐ यार तूने ज़िन्दगी को जीना सीखा दिया, _ अपनी हदों को पार करना समझा दिया,

_ जो डर हमेशा से था, वो मिटा दिया, _ इस काले पत्थर को एक कोहिनूर बना दिया ;

यार का हाथ पकड़ने की बजाय मैंने अपना हाथ यार को ही पकड़ा दिया, _ क्योंकि

मैं यार का हाथ गलती से छोड़ सकता हूँ पर वो मेरा हाथ पकड़ेगा तो कभी नहीं छोड़ेगा !!

आप उसका प्रमाण पूछते हो, क्या चेतना का अस्तित्व पर्याप्त प्रमाण नहीं है ?

क्या जल की बून्द ही समस्त सागरों को प्रमाणित नहीं कर देती है ?

जाने कैसे तू… मुकद्दर की किताब लिख देता है ;

साँसे गिनती की… और ख्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है..

जब खुद को कर दिया तेरे हवाले, तो फिर गम कैसा ; _

_ तू फना कर दे य़ा गले लगा ले मुझको…

तुम्हारे बाद मैंने कोई ख्वाब नहीं देखा..

_ मेरी जिन्दगी की हर ख्वाहिश के पुर्णविराम हो तुम..!!
जो भी मुझे छोड़ कर गया, फिर नहीं लौटा –

_ लौटा तो सिर्फ़ मैं लौटा,, अपनी जगह से अपनी ही जगह पर..!!

अगर तुमने एक बात का निर्णय लिया है कि, तुम सत्य के साथ खड़े हो ! तो तुम समझ लेना,

_ दुनियां की सबसे बड़ी ताकत तुम्हारे साथ है, और तुम अकेले नहीं हो !!

रूह से जुड़े रिश्तों पर फरिश्तों के पहरे होते हैं,

_ कोशिशें कर लो तोड़ने की ये और भी गहरे होते हैं..!!

🌹तुम्हें एक और बहुत ऊँचे नियम का पता नहीं कि

अस्तित्व उनकी सुरक्षा करता है जो सत्य की खोज में हैं.🌹🌹

” सत्य सभी के लिए नहीं है, _ बल्कि केवल उनके लिए है _ जो इसे चाहते हैं.”
वह व्यक्ति ही सफल कहा जायेगा _ जिसे ‘ वह ‘ अपनी ओर आकर्षित करता है.
चलो आज उनसे मुलाकात कर लें, जुबां से न बोलें मगर बात कर लें, _

_ वो बैठे रहें मेरी नज़रों के आगे _ वो कुछ भी न बोलें मगर बात कर लें..

मुझे नहीं पता कि…..मेरी आँखों को तलाश किसकी है…_

_ बस तुम्हे देखते हैं तो…..नजरें थम सी जाती हैं !!

तुम्हारे साथ खामोश भी रहूँ तो बातें पूरी हो जाती है,

_तुम में, तुम से, तुम पर ही मेरी दुनिया पूरी हो जाती है !

आँख खुलते ही याद आ जाता है तेरा चेहरा,,_

_ दिन की ये पहली ख़ुशी भी कमाल होती है…!!

मिल जाता है दो पल का सुकून, बंद आँखों की बंदगी में,

वरना परेशां कौन नहीं, अपनी- अपनी ज़िंदगी में..

कुछ याद करके आंख से आंसू निकल पड़े,

मुद्दत के बाद गुजरे जो उसकी गली से हम.

अब ये आँसू नये दामन को भिगोने से रहे, _

_ हम तेरे बाद किसी और के होने से रहे..

आँखों में तेरी _ कोई करिश्मा जरूर है,

_ तू जिसको देखता है,,,, वो तड़पता जरूर है .!!

कुछ तो मेरी आँखों को पढ़ने का हुनर सीख

_ हर बात मेरे यार बताने की नहीं होती.

बहुत ख़ामोश हो कर मैं तुम्हें देखता हूँ, _

_ कहते हैं, इबादत में बोला नहीं करते ..

ऐ यार ,,,,, जो खुमारी मुझे तुममें खो जाने से चढ़ती है ना _

_ वो तुम्हें खोजने में नहीं ..

बात इतनी सी थी कि तुम अच्छे लगते थे, _

_ अब बात इतनी बढ़ गई, कि तुम बिन कुछ अच्छा नहीं लगता..!!

अच्छा है तेरा मुझमें मिल कर महक जाने का अंदाज़,

_ मैं ताज़ा रहता हूँ और हर लम्हा खिला रहता रहता हूँ ..!!

काश की बचपन में ही तुझे मांग लेते.._

_ हर चीज मिल जाती थी दो आंसू बहाने से…

कोई सहारा दे मुझे, ऐसी मुझमें आस क्यूँ है ;

_ मेरे पास तू है तो, मुझे किसी की तलाश क्यूँ है ?

अब तक बचाया तूने मुझको आगे भी बचाना है !

_ तू ही सम्हालना क्यूंकि ज़ालिम ये ज़माना है !!

उसका एक प्यारा सा सन्देश :->

_ तू बस अपनी मौज में रहा कर __बाकी सब मैं देख लूंगा ..

अचानक ही सब घट गया, _

_ मैं झांका ही था _ _ और वो झलक गया !!!

जगह ही नहीं दिल में अब, हर किसी के लिए..

_ कब्जा तेरा, कुछ ज्यादा ही हो गया है !!

तुम सिर्फ मेरे हो, ऐसी जिद तो नहीं करूँगा ;

_मगर मैं सिर्फ तुम्हारा हूँ, ये तो हक़ से कहूँगा..!!

ज़िंदगी बहुत ख़ूबसूरत है, सब कहते थे ;_

_ जिस दिन तुझे देखा, यकीन भी हो गया !!!

कुछ तो बात होगी तेरे खारेपन में ए समंदर _

_ वरना हर मीठी नदी समंदर से मिलने नहीं आती ..!!

” — तमाम नदियों के आँसुओ को पीकर _ ख़ुद खारा हो गया …. समंदर मेरा — “

तुम्हें पाने कि हर मुमकिन कोशिश करूँगा मैं ;

_ तुम्हें किस्मत के हवाले नहीं छोड़ सकता मैं !!

तुझे जुदा नहीं होने दूंगा कभी खुद से,

_तुम देर से मिले, नुकसान इतना ही काफी है !!

बात ये नहीं कि तेरे बिना जी नहीं सकते,

_ बात ये है कि तेरे बिना जीना नहीं चाहते..

जब जब तू मुझसे मिलता है, अपना रंग दे जाता है._

पर तू, _ पर तू बड़ी मुश्किल से मिलता है.

खुद अपने ही भीतर से उठता है वह मौसम,_

_ जो रंग भरता है सारी कायनात में.

आ देख मेरी आँखों के, ये भीगे हुए मौसम _

_ ये किसने कह दिया कि, तुम्हें भूल गये हम..

सौ बार तलाश किया हमने खुद को खुद में,

एक तेरे सिवा कुछ ना मिला मुझको मुझमें..

ढूंढा सब जहां में पाया तेरा पता नहीं,

_ जब पता तेरा लगा अब पता मेरा नहीं..!!

तेरी तारीफ़ करना मेरी मजबूरी नहीं, _

_यकीन मान तू ” काबिले – तारीफ़ है ” .!!

तुम इतने भी नादां नहीं हो की ” समझ ” न सको..!!

_ मेरी चंद लाइनों में सिर्फ तेरा ही ” जिक्र ” होता है ..!!!!

नाम तुम्हारा सदा मेरे जीने का एक सहारा,

_जब – जब मौन हुआ है जीवन ” केवल तुम्हें पुकारा “

बस नाम लिखने की इजाज़त नहीं, _

_ बाकी हम सब कुछ लिखते तुम्हीं पर हैं..!

नहीं बसती किसी और की सूरत अब इन आँखो में….

काश कि तुमने मुझे इतने गौर से ना देखा होता…

प्यास अगर शराब की होती तो,,, ना आते तेरे महखाने में _

_ ये तो तेरी नज़रों का जाम है, कमबख्त कहीं और मिलता ही नहीं..

तेरा मैकदा भी अ़जीब है, कि अलग यहाँ के उसूल हैं. _

_ कभी बे पिए ही बहक गए, कई बार पी के सम्हल गए.

आंखें बंद करके तुम्हें महसूस करने के सिवा, _

_ मेरे पास तुमसे मिलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है..

तू तो खुशबू की तरह फैला हैं मेरे चारों ओर, _

_ मैं तुम्हें महसूस कर सकता हूँ छू सकता नहीं ..

तु ही मेरा था, है और तू ही मेरा रहेगा,

_जगत झूठा था और सदा झूठा रहेगा..!!

कमाल जो भी है मुझ मे, वो तेरा है ;

_ मग़र जो मुझ में कमी है, वो मेरी अपनी ही है !!

तू हार ना मान उसकी दिलकश ख़ामोशी को,,

” खुशनसीब हो ” – पढ़ लेता है वो तुम्हारी आंखों की भाषा को !!

सुन कर ज़माने की बातें, तू अपनी अदा मत बदल .. _

_ यकीं रख अपने खुदा पर, यूँ बार बार खुदा मत बदल .!!

जीवन को महकाते हो, _ जब भी तुम आते हो.

मस्ती भी तब ही आती है, _ जब याद तेरी ही आती है.

जितनी बार तुझ तक गया हूँ, उतनी बार खुद तक भी पहुंच गया हूँ ; _

_ तेरे ” इश्क़ ” ने मुझे मेरा पता दे दिया ..

जब- जब मैंने तुझे दूसरों की आंखों से तलाशा तो तू नहीं मिला !!!!

जब मैंने अपनी आंखों से तलाशा ” तो तू मिल गया !!

_ हम है कि ढूँढ़ते रहे, _ वो है कि बरसता ही रहा _

” खुली आंखो से देखते हो, _ कभी बंद आंखो से कोशिश कर “

लगता है तू _ मेहरबान है मुझ पर, _

_ मेरी दुनिया में तेरी मौजूदगी _ यूं ही तो नहीं..

मुझ में ही थी कोई कमी कि याद मुझे तू आ न सका. _

_मैंने तो तुम को भुला दिया _ पर तुम ने मुझे न भुलाया.

_ धन्यवाद है, ज़िन्दगी में रंग लाने के लिए..

ढूंढा तुझको सारे जग में, कहीं पार न तेरा पाया _

_ बंद आँख से भीतर देखा तो _ तू ही दिल में समाया..

मिल लेता हूँ तुमसे आँखें बंद करके,

जो दिल में बस जाते हैं, उन्हें भीड़ में क्यूं ढूंढ़ना !!

कुछ तो मेरी आँखों को पढ़ने का हुनर सीख,

हर बात मेरे यार बताने की नहीं होती.

आँखें पढ़ो और जानो, हमारी रज़ा क्या है _

_ हर बात लफ़्ज़ों से हो, तो मज़ा क्या है !!

आँख भिगोने लगी हैं अब यादें तेरी, _

_ काश हम अजनबी ही रहते तो अच्छा था !

दिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है,

अगर फुरसत मिले तो ख्वाबों में आ जाना.

मैं तुमसे हमेशा कहता रहा ” मैं सिर्फ तेरा हूँ ” _

_ काश कभी तुम भी कह देते कि ” तुम मेरे हो “

” उन को खुदा मिले, जिन्हें है खुदा की तलाश ;

_ मुझको तो एक झलक मेरे यार की मिले !!”

तेरे दर पर हूँ, तेरे दर पे था, तेरे दर पर रहूँगा ;

_ एक दर पर जो रहता है, वो दर- दर नहीं होता..!!

जब भी ढूँढोगे, अकेला ही पाओगे मुझे…

मैंने तुम्हारे सिवा किसी को तरज़ीह नहीं दी…!!!

निकला तो तेरी तलाश में था, _

_ तुझे ढूंढते ढूंढते ख़ुद को पा लिया ..

तुम आंखों में रहते हो कुछ इस तरह, _

_ कि तस्वीर की भी अब कोई जरूरत नहीं ..

आ देख मेरी आंखो के ये भीगे हुए मौसम,

ये किसने कह दिया कि भूल गए हम…

जरुरी तो नहीं है कि तुझे आँखों से ही देखूं _

_ तेरी याद का आना भी, तेरे दीदार से कम नहीं..

मैंने तुझे देखा था, पहली नज़र में ! _

_ मुझे क्या पता था की तू… मेरे रग रग में समा जाएगा !!

किसी को क्या बताऊँ _ क्या हो तुम मेरे लिए.

तुम्हें खामोशी से चाहना __ मुझे अच्छा लगता है..

ख़ामोश हूं तो क्या हुआ _ तू भी तो कभी आवाज़ दे,,,

तू भी तो समझे _ मैं कितना बैचैन हूँ तेरे लिए..

गज़ब का रिश्ता हो गया है तेरा और मेरा, _

_ बात दोनो ही नही करते हैं, मगर याद दोनो करते हैं ..

एक तुम्हारे अकेले की कमी, _

_ बहुतों से बात करके भी पूरी नहीं होती ..

दुनिया, जहां, परिवार सबसे दिल लगा कर देख लिया _

_ परंतु जो सुकून तेरे साथ मिला,,, वह कहीं नहीं मिला ,,,!!!!

इक सिर्फ़ तुम ही तो हो ले – देकर मेरे पास,_

_ तुम्हें भी खो दूंगा तो, फिर क्या बचेगा मेरे पास ?

एक तू ही है मेरी ज़िन्दगी में, _

_ जो मेरे ना होने पर भी मुझे ढूंढ़ता है ..

ढूंढने तो चला था मैं, तुझे इस जहाँ में _

_ पर खुद को खो दूंगा, ये सोचा न था ! !

मैं खुद के लिए क्यों सोचूं, _

_ जब मेरे लिए मुझ से बढ़ कर तू सोचता है ..

अब तक बचाया है तूने, आगे भी बचाना..

मुझको संभालना तुम, ज़ालिम ये ज़माना है !!

तुमको क्या बताऊँ कितना मजबूर हूं मैं, _

_ एक तुम्हे ही चाहा और तुमसे ही दूर हूं मैं….

सोंचता हूँ मैं, आईना बन जाऊं _

_ जब तू, सामने आये __ तुझे तेरे जैसा ही नज़र आऊं …

ये आईने क्या दे सकेंगे मुझे, _ तुम्हारी शख्सियत की खबर ;_

_ कभी मेरी आँखों से आकर पूछो, कितने लाजवाब हो तुम !!

लफ़्ज़ों में नहीं बयान कर सकता की तुम, कितने खास हो मेरे लिए ;_

_ कभी वक्त निकाल कर, मेरी आंखे पढ़ लो ना..

कुछ कहना था तुमसे, थोड़ी फुरसत निकाल कर सुन लो ना ;_

_ जानता हूं वक़्त कीमती है तुम्हारा, थोड़ा सा मुझ पर खर्च कर दो ना..

हर मुलाक़ात वैसे भी अब सिर्फ़ तुम से ही तो करता हूँ, _

_ जो करूँ अगर किसी और से तो भी ज़िक्र तुम्हारा ही करता हूँ !!

अब किसी से भी बात करने को मन नहीं करता, _

_ यह दिल तेरी यादों में रहना चाहता है ..!!

कभी टूटा ही नहीं तुमसे, तुम्हारी यादों का रिश्ता ;

_ बात हो या ना हो, खयाल तुम्हारा ही रहता है..

रूह से जुड़े रिश्तों पर फरिश्तों के पहरे होते हैं, _

_ कोशिशें कर लो तोड़ने की _ ये और भी गहरे होते हैं !!

तुम्हारी यादों का आना ही कमाल होता है,

_ कभी देखना आकर कि मेरा क्या हाल होता है.

मुझे खुद पता नहीं है _ मुझे तुझसे प्यार क्यू है..

_मुझे तू दगा न देगा _ये एतबार क्यू है … !!

” कैसे समझाऊँ ये बात किसी को, _

_ तेरी तलाश को ये आवारगी समझते हैं “

एक सखा कहीं गुम गया है..

_ कहीं मिले तो साथ ले आना उसे ..!!

ख़त्म हो जायेंगी _ मेरी सारी उदासियां,

बस इक तेरे _ हंसने की देर है.

तेरे खयाल में जब, बेख़याल होता हूँ,_

_ जरा सी देर सही, लाजवाब होता हूँ ..

किसी ने मुफ़्त में वो पाया, _

_ जो हर क़ीमत पे मुझको चाहिए था..

नहीं होते हो, तब भी होते हो तुम ;

_ हर वक़्त जाने क्यूँ महसूस होते हो तुम .!!

क्या कहूँ तेरे बारे में, क्या क्या कमाल कर गया !

_ ऐसे हुआ मुझमें शामिल, मुझको ही बेमिशाल कर गया !!

ना हरम [महल] में, ना सुकूँ मिलता है बुत-ख़ाने में..

_ चैन मिलता है तो साक़ी तेरे मैख़ाने मे..

मैंने तुमको उतना देखा जितना देखा जा सकता था…

_ लेकिन फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था..

तू मुझे कुछ और नहीं, पल भर के लिए हवा ही बना दे ;

_ यार तुझे सिर्फ़ छू कर ही लौट आऊँगा !!

बिछड़ने में कितना मज़ा आ रहा है, _

_ न मैं जा रहा हूँ, न वो जा रहा है !!!

सबसे कहता हूं कि तेरा इंतज़ार नहीं..!!

पर हर पल सोचता हूं कि _ तू अब तक आया क्यों नहीं..!!

तू आया और रोशन हो गयी महफ़िल तेरे नाम से._

_ पर तू कितना बेपरवाह है, मेरे ही सलाम से..

अपनी मस्ती भूल गया हूँ, आकर तू याद करा दे._

_ मुझे अपने रंग में, वापस तू ही ला दे.

दुनिया तेरे वजूद को कर रही तलाश,

हमने तेरी याद को ही दुनिया बना लिया.

सिर्फ मोहब्बत की होती तो भुला देते तुम्हें ..!!

ये पागल दिल तो इबादत कर बैठा..!!!!

उसको लुभाने के लिए कुछ मत करो,_

_ तुम खुशबू बनो _ उस की नाक तुमको सूंघ लेगी..

संसार के मार्ग पर सुख भी दुख है,

और तेरे मार्ग पर दुख भी सुख हो जाता है..

मैं पा सका ना कभी इस खलिश से छुटकारा..!

_ मैं जीत सकता था ना जाने क्यूं हारा..!!

तुम्हारे सिवा कुछ अच्छा नहीं लगता है मुझे..

फिर चाहे तुम दूर हो या क़रीब मेरे…

मैं बातूनी सिर्फ तेरे सामने ही हूँ ..

_ वर्ना मुझे खामोशी अच्छी लगती हैं.!

बहुत खूबसूरत है,, _ तेरे अहसास की खुश्बू..

_ जीतना सोचता हूँ …_ उतना महक जाता हूँ ..!!

‘तुम खूबसूरत हो’ इसलिए मैं तुम्हें नहीं लिखता..

_ मैं तुम्हें लिखता हूं “इसलिए तुम खूबसूरत हो”

ज़िन्दगी तेरे होने से ही आबाद लगती है, _

_ जो तुम ना हो पास मेरे, तो बर्बाद लगती है ..

आज़मा ले मुझको थोड़ा और ऐ यार..!!

_ तेरा बंदा बस बिखरा है अभी तक टूटा नही…

जीने के बहाने हज़ार हो सकते हैं, _

_ पर जब से वास्ता तुझ से हुआ है, मैं तेरा हो कर रह गया हुँ !!

तू एक कदम भी जो मेरी तरफ बढ़ा देता,

मैं मंजिलें तेरी दहलीज से मिला देता..

तुम न होते तो फिर कौन होता,__

_ तुम हो…तब भी कौन है…?

“ तुम समझे ही नहीं “,__

_ मुझे तुमसे कुछ भी नहीं चाहिए था….” तुम्हारे सिवा॥”

तेरी खुशबू कहीं ओर मिलती ही नहीं,

फ़ूल सारे खरीद कर ,,,,,देखे हैं हमने..

वो तो ख़ुशबू है हवाओ में बिखर जाएगा,

मसला फूल का है फूल किधर जाएगा !!

फूल जब उसने छू लिया होगा ; _

_ होश तो खुशबू के भी उड़ गए होंगे !!

यूँ ही बदनाम हैं ये कांटें जनाब, _

_ असली चुभन तो गुलाब देते हैं ..

कांटे तो नसीब में आने ही थे ..! _

_ फूल जो हमने गुलाब चुना था…!

मुझे पसंद है बेहतरीन ये #एकांत

बस जिसमें तू और मैं भावो में बहते रहें नितांत..

“ दिल के आईने में है तस्वीर तेरी यार, _

_ जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली ”

भीतर असली जिंदगी, बाहर है वर्ताव !

थोड़ा अंदर से जियो, देखो अलग प्रभाव !!

पल-पल, अब का, मैं मस्ती में पीता हूँ.

इसीलिए तो, हो, बे-परवाह, मैं, मस्ती में जीता हूँ.

पिलायी है किस नज़र से तूने, _

_ कि मुझको अपनी खबर नहीं है ..

कैसी अजीब शर्त है दीदार के लिए,

आँखें जो बंद हों तो वो जल्वा दिखाई दे.

वक़्त मिला उसे तो मुझे भी याद कर ही लेगा वो,_

_ क्यूंकि मैं भी बड़ा ख़ास हूँ उसके लिए..

किरदार मेरा थोड़ा पागल ही रहने देना ..

सुना है पागलो से दुनिया कम उलझती है.

मैं चाहता हूँ हर दफ़ा तुम ही जीतो, _

_ बस’ इसलिए तुमसे कई दफ़ा हार जाता हूँ ..!!

तुम्हारे बाद मैंने कोई ख्वाब नहीं देखा, _

_ मेरी हर ख्वाहिश पर पूर्णविराम हो तुम..!!

सभी हारा समझ रहे हैं मुझे,

सबको कैसे समझाऊं की – मंजिल के कितना पास हूं मैं,,,

अगर मुझसे दूर जाने की जिद्द तुम्हारी है, _

_ तो हर इबादत में तुम्हे पाने की दुआ हमारी है ..

रूबरू मिलने का मौका नहीं मिलता,

_ इसलिए शब्दों से तुझे छूने की कोशिश करता हूँ..!!

अब किस कदर चाहूं तुम्हे⇝ तुम ही बता दो* _

_ तुम्हारे ख्याल से _ बेख्याल होना भी तो नही आता*

ख्याल में भी नहीं आता हमें ख्याल किसी और का, _

_ सिर्फ तेरे ही ख्याल में इतने बेख्याल रहते हैं हम !!

तुम से आगे .,हम सोचते भी क्या…!!

तुम से आगे _ कोई ख़्याल ही नही जाता…!!

जिंदगी की तलाश में निकला हूं, _

_ अगर तुम मिल जाते तो यह सफ़र मुक्कमल हो जाता..

न जाने कितने लोग ख़फ़ा हैं मुझसे, _

_ इक तुम से दोस्ती के लिए, सैकड़ों दुश्मन बनाएं हैं मैंने ..

तुम्हारा नाम लेने से, मुझे सब जान जाते हैं ;_

मैं वो खोई हुई एक चीज़ हूँ, जिसका पता तुम हो …

बस तुम्हारा नाम ही नहीं लिखता हूँ,

_बाकि मैं सब-कुछ तुम पर ही लिखता हूँ..!!

जो तू है सो मैं हूं जो मैं हूं सो तू है लेकिन _

_ तुझ में और मुझ में मगर फ़ासला यूँ कितना है..

तूने मुझे चाहा है हजार नुक्स ओ ऐब के बाद, _

_  तुझे तराशने की ज़िद में कहीं खो न बैठूं तुम्हें ..

अब तराशो तुम मुझे अपने तरीके से,__

_ मेरे तौर- तरीकों ने तो मुझे चूर- चूर ही किया है.

ऐ रफुगर, रफू कर जरा आराम से,__

_ ज़ख्म तेरी मेरी सोच से कहीं गहरे हैं.

मैंने देखा है वही ठीक रहा करते हैं ;

_लोग जो भी तेरे नजदीक रहा करते हैं.

तू वाक़िफ नहीं मेरी दीवानगी से,

जिद्द पर आऊं तो खुदा को भी ढूंढ लूँ.

सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का,

जो कहता है ख़ुदा है तो नजर आना जरुरी है..

तेरी बन्दगी से ही मिली है, मेरे वज़ूद क़ो शोहरत,

तेरी रहमतों से पहले, मेरा जिक्र ही कहाँ था..

लगता तो बेख़बर सा हूँ लेकिन खबर में हूँ,

अगर तेरी नज़र में हूँ तो सबकी नज़र में हूँ…

“जमाना” जब भी मुझे मुश्किलों में डाल देता है,

मेरा रब हजारों रास्ते निकाल देता है.

ऐ यार … बस तुम कोई उम्मीद दिला दो मुलाकात की, _

_ फिर इन्तजार तो हम सारी उम्र कर लेंगे.

मै नहीं ढूंढ़ता कि खूबसूरत कौन है. मैं तो उसे देखता हूँ, _

_ जिसके होने से _ मेरी दुनिया सुंदर है !

मेरा तो क्या है मैं तो तेरी यादों के सहारे भी जी लूंगा,_

_ हैरान तो आँखें हैं जो तड़पती है तेरे दीदार को !!

तुम्हारी यादों के सहारे,,,, हर मुश्किल से मुश्किल

तकलीफों को बड़ी आसानी से झेल लेता हूँ मैं..__!!!

याद तेरी मुझ पर कुछ यूँ असर करती है, _

_ मेरे हर वक़्त को ये अच्छा रखती है ..

कैसे छुपाऊं तेरे प्यार को इस दुनिया से, _

_ मेरे हर अल्फ़ाज़ में तुम महकते हो ..

तुम आराम से हो, पत्थर के जो हो, _

_ मुसीबत तो हमारे लिए है, एहसास वाले जो हैं ..

मुद्दतें लगी तेरे लायक बनने में मुझे,

_बन कर तैयार हुआ तो तू बदल चुका था !!

आदत है मुझे हर रोज़ _ तेरी यादों में खोने की,

_ फुर्सत ही नहीं मिलती है मुझे _ तुझसे आ कर मिलने की !!

तेरे ना होने पर इतनी कमी सी रहती है,

_ कितना भी मुस्कुराऊँ आँखों में नमी सी रहती है..!!

अक्सर पूछते हैं लोग तुझसे बिछड़ने की वजह,_

_ मैं खुद में कमी बताकर तेरी इज्ज़त बढ़ा देता हूं !!

कई बार टूटा हूं, मैं कई बार बिखरा हूं।

मैं जब भी बिखरा हूं, मैं और निखरा हूं॥

बहका तो बहुत बहका, संभला तो वली ठहरा ;

इस ख़ाक के पुतले का हर रंग निराला है..

ये तो पता है उसका मकान इस गली में है,

पर कौन सा है उसका घर ये तलाश जारी है..

पता नहीं कैसे परखता है तू मुझे,_

_ इम्तिहान भी कठिन लेता है और फेल भी नहीं होने देता !!

हम भी खामोश रह कर _ तेरा सबर आजमायेंगे,

देखते हैं अब तुझे हम _ कब याद आयेंगे..

तुम ना मिलो तो किसी और का हो जाऊं, _

_ इतना कमजोर भी नहीं है इश्क़ मेरा ..

इश्क की गहराइयों से खूबसूरत क्या है..

मैं हूं ____तुम हो__फिर__कुछ और की जरुरत क्या है..

काश तुम मुझसे पुछो क्या चाहिए..

_ मैं पकड़ूँ हाथ तेरा और कहूं तेरा साथ चाहिए…

फीकी है हर चुनरी….फीका हर बंधेज,_

_ जो रंगता है रुह को….वो असली रंगरेज..

ग़ज़ब ये है कि मैं खूबसूरत नहीं हूँ …

_ कमाल ये है कि फिर भी तू …मुझ पर मरता है ..

तेरी यारी में कुछ यू बंधा हूं मैं _

_ कि तेरा साथ भी नहीं हो तो भी अकेला नहीं हूं मैं !!

मेरा इश्क _ मेरे खुदा _ आप ही हो…

आप को पाने की ख्वाहिश नहीं _ आप का होना ही काफी है..

मैं तुझसे कैसे कहूँ यार -ए- मेहरबां मेरे, _

_ कि तू ही इलाज़ है मेरी हर उदासी का.!!

दुनिया की भीड़ में जब कभी स्वयं को अकेला पाता हूँ,

संभाल लेता हूँ खुद को _तुम्हरी यादों के सहारे !!

बात यह है कि कोई और मिलता नहीं,

_बात यह है की मुझे कोई और चाहिए नहीं !!

“मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे..

_ तू देख कि क्या रंग है मेरा, तेरे आगे”

हमने लाख छुपाया दुनिया से, _

_ पर महफ़िल में तेरा मुड़ मुड़ कर देखना बदनाम कर गया ..

तू तो आया था इश्क़ का पूरा आसमान लिए यार, _

_ मैं ही पंख फैला कर उड़ने की हिम्मत न कर पाया .!!

हो इश्क़ का रंग सफ़ेद यार _ ना छल, ना कपट, ना भेद यार !
अक़्लवालों के मुक़द्दर में ये जुनूँन कहाँ,

ये इश्क़ वाले हैं _ जो हर चीज़ लुटा देते..

कभी तो सोच कि वो शख़्स किस कदर था बुलंद, _

_ जो बिछ गया तेरे क़दमों में, आसमाँ की तरह

कुछ यूँ बन जा अब तू ख़ुदा -ओ- मुर्शद मेरा,,

मैं तेरी इबादत में किसी मलंग सा हो जाऊँ..

रंगत में डूब जाऊं तेरी संगत में डूब जाऊं._

_ बन के रगों में नगमा तेरी चाहत में झूम जाऊं.

नज़र से नज़र मिला कर तुम नज़र लगा गए..

_ ये कैसी नज़र लगी कि मैं, हर नज़र में आ गया.!!

जब बेफ़िक्र था तुझसे…..तब फ़िक़रें लगी हुई थीं,

जबसे फ़िक्र है तेरा…..बेफ़िक्र हो गया हूँ…

आरजू तो बहुत है, तेरा सजदा करने की, _

_ पर मस्ती के सिवा, कोई अंदाजे बयां नज़र नहीं आता ..!!

तुम्हे खोजते-खोजते लापता हो गया हूँ खुद में ही…

कहीं मिल जाऊँ तो मुझे जरूर बता देना..!!

मुझे चाहिए शायद तेरी एक आवाज़, जो समझे मेरी खामोशी,

_ एक हाथ, जो थाम ले मुझे तब, जब मेरे पांव डगमगाएं.!!

खुबसूरत रिश्ता है मेरा और तेरा,

ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम तू देता नही….

तुम दूर जाने में भले माहिर हो, _

_ मगर हम भी याद आने की काबलियत रखते हैं..

अगर तू दे तो कोई छीन नहीं सकता, _

_ अगर तू छीन ले तो कोई दे नहीं सकता…

गर तेरी….बंदगी नहीं होती !

ज़िन्दगी….ज़िन्दगी नहीं होती !!

ढूँढने चला था सबसे बेहतर यार.

तलाश तुम से शुरू हो कर तुम पर ही रुक गई.

भूलना चाहूँ तो भी तुम्हें नहीं भूल सकता यार.

मेरे मन की गहराई में तेरी तस्वीर जो बस गई.

जब मैं हर पल तेरी देख- रेख और निगरानी में हूँ,

__ तो इससे बड़ी और कड़ी सुरछा क्या हो सकती है.

_” जिसके साथ तू है _ वो असुरक्षित नही, जिसके साथ तू नही _ वो सुरक्षित नही !! “

तुझको पाने का कहाँ सोचा था..तू अच्छा लगा सो तेरा हो गया ..

तू क्या गया सब सूना हो गया, तेरे जाते ही मैं अकेला हो गया..!!

बड़ी गहराई से चाहा है तुझे, बड़ी दुआओं से पाया है तुझे !

तुझे भुलाने की सोचूं भी तो कैसे, बहोत ही मुश्किल से पाया है तुझे !!

तू साथ है तो _ कागज की कश्ती भी तैर जाएगी,

तू नही तो ये कहानी _ ताश के पत्तो सी बिखर जाएगी.

जाने किस राह से आ जाए वो आने वाला, _

_मैंने हर ओर की दीवार गिरा रखी है !!!

मेरे टूटने की वजह मेरे जौहरी से पूछ,

उसकी जिद थी मुझे और तराशा जाए.

लोग खुले दरवाजों पर भी दस्तक नहीं देते,_

_ और मैं बंद दरवाजों पर भी अर्जी छोड़ आता हूँ..

कुछ दरवाज़े कभी बंद नहीं हुआ करते _

_ बस हम ही खटखटाना छोड़ देते हैं..

बड़ी मुश्किल है, उसकी मर्जी का हो जाना,

_ जिसकी मर्जी के बिना, एक पत्ता तक नहीं हिलता..!!

मेरी मर्जी ने बगावत क्या की ?

बस, एक तू ही मिला ! बाकी सब रूठ गए !

ढूंढने तो चला था मैं तुझे इस जहाँ में, _

_ पर खुद को खो दूंगा ये सोचा न था !!

” मेरी यात्रा लायी मुझे, _ वो शहर जहाँ उठते ही _

_ पहाड़ नजर आये _ जहां उठते ही _ तुम याद आए…”

ज़िस्म में और ज़िस्म से बाहर समाया मैं ही हूँ,

सारी कुदरत सामने जो कुछ नुमाया मैं ही हूँ.

अश्क़ बह गए आँखों से _ मगर इतना कह गए,

फिर आएंगे तेरी आँखों में _ तू अपना सा लगता है.

ये और बात है कि तेरे उड़ जाने का ग़म है,

लेकिन मै चाहता था कि तू आज़ाद रहे..

तुम से बिछड कर भी तुम्हे भूलना आसान न था,

तुम्ही को याद किया, तुमको भूलने के लिए !

ऐ काश तू भी सुनता कभी आहटों की गूँज,

तू भी मेरी तरह कभी ढूंढता मुझे…

दिल से पर्दा जो उठा, हो गयी रोशन आंखे

दिल में वह पर्दानशी था मुझे मालूम न था !!!!

सब पूछते हैं मुझसे, मेरी मुस्कराहट का राज़ _

_ पर फितरत नहीं है मेरी कि, तेरा नाम लेकर तुझे बदनाम कर दूं ..

मेरे चेहरे पर _जो मुस्कान _तुम्हारे ख़्याल से आती है,

_ मेरे ख़्याल से _ वैसी मुस्कान, अपने चेहरे पर _ पहले कभी _ किसी ख़्याल से नहीं देखी..!!

अब तो तेरी मंजिल पे आ पहुंचे हैं तेरी चाहत में,

अब खुद को तुझमें और तुमको पाते हैं मुझमें.

तुम्हारे सिवाय मुझे इस जिंदगी में और कुछ नहीं चाहिए ;

_ थोड़े भी तुम और ज्यादा भी तुम, _आज भी तुम और कल भी तुम ..

रूठी जो जिंदगी तो मना लूंगा मैं, मिले जो ग़म वो सह लूंगा मैं ;_

_ बस यार तू रहना हमेशा साथ मेरे, तो निकलते आंसुओ में भी मुसकुरा लूंगा मैं ..

तुझे #याद ना करें तो, #बैचेन सा हो जातें हैं….!

पता नही ये #ज़िन्दगी सांसों से चलती है, या तेरी #यादों से चलती हैं…..!!

बेचैन सा हो जाता हूं, _ तुझे अपने करीब न पाकर ; _

_ क्या बोलूं _ मुझे _ आदत हो गई है तेरी..

आखिर क्यों तुम _ मेरे दिल के इतने पास हो,

कोई तो वजह जरूर है _ जो तुम इतने खास हो..

किवाड़ दिल के नहीं खुलते …. हर किसी के लिए..

_ खुले हैं तुम पे तो…. इस घर की आबरू रखना….

कुछ तो है जो मुझे तुझसे जोड़े रखता है,

कुछ तो है जो मेरा ध्यान सिर्फ तेरी और मोड़े रखता है !

” तुमने कहा था, आँख भर कर देख लिया करो “

_ अब आँख तो भर आती है, मगर तुम नजर नहीं आते !!

हम जिसकी खोज कर रहे हैं, वह कुछ नहीं है _

_ हमारे अंदर का खाली आकाश है..

हममें ये फ़ासला ज़रूरी है, क्योंकि तू भी समझ सके _

_ रिश्तों को निभाने के लिए, दूर रहना कितना ज़रूरी है..!!

रहने दे उधार इक मुलाकत यूँ ही..!!

सुना है..उधार वालों को लोग भुलाया नहीं करते…!!

एक दफ़ा हार भी जाओ मुझसे,

_मेरी जीत तुम्हारी जीत से ज्यादा ज़रूरी है.!!

मत खोलना, मेरे दर्द से लिपटी किताब को..!!

_ लफ्ज़ “जी उठे” तो, खौफ से मर जाऊंगा ..!!

तुम्हें संवरने की जरुरत क्या है यार, _

_ होश उड़ाने के लिए तेरी नज़रें बहुत हैं यार !!

सारा खेल तो निगाहों का है यार, _

_ तुमने झुकाई नहीं,,,,, मैंने हटाई नहीं !!!

तेरे साथ की दूरी, जो इतनी खूबसूरत है ;_

_ तेरे साथ की कुरबत क्या होगी ..

तुम उस की एक लौ जला कर तो देखो, _

_ कैसे तुम्हारा जीवन जगमगा उठेगा..

सफ़र-ए- ज़िन्दगी में एक तेरे साथ की खातिर _

_ उन मंज़िलों को भी छोड़ दिया, जो मेरे मुकद्दर में थीं !!

ख्वाहिश का क्या है, वो तो हर रोज़ दम भरती है,

_ तुम आ क्यों नहीं जाते, मेरी इक ख्वाहिश ही मुकम्मल कर दो..!!

तेरी जरुरत,, तेरा इंतज़ार,, और ये कश्मकश,_

_थक कर मुस्कुरा देते हैं,, जब हम रो नहीं पाते !!

कुछ यूँ उतर गए हो, मेरी रग – रग मेँ तुम _

_ कि खुद से पहले, एहसास तुम्हारा होता है !!!

समन्दर हूं मै, __ तो किनारा है हो तुम,,_

_ जो बिखर जाऊ मै ,_, तो सहारा हो तुम,,

माना कि तेरे दीदार की हैसियत नहीं अपनी, _

_ फिर भी तेरे इंतज़ार का शौक पाल रखा है ..

मिलने को दुनिया में मुझे क्या – क्या नहीं मिला.. _

_ पर तू जैसा है _ वैसा कोई ना मिला…

कहीं न कहीं तूने ही मुझे संभाला है, _

_ वरना इस कठिन जीवन में संघर्ष आसान नहीं है !!

हम बहुत से अरमान जिंदगी जीने के लिए चाहते हैं,, _

_ तूने मुझे वंचित कर के बचा लिया.

जरूरी है मेरा कुछ वक्त के लिए तुझे खो देना भी,

जो चीज हमेशा पास रहती है हमें उसकी कद्र कहां होती है…!

यात्राएं बड़ी थीं, सफर लंबा था !

_ फिर जहां पर छांव मिली, वहीं ठिठक कर बैठ गए .!!

आते हैं आने दो तूफ़ान क्या ले जायेंगे,

_ मैं तो जब डरता ..गर तू मेरे साथ न होता..!!

ऐ यार, मैंने तुमको नहीं देखा, फिर यह कैसा रिश्ता है,

_ दर्द कैसा ही क्यों ना हो याद हमेशा तेरी ही आती है.!!

मैंने देखा है अपने दिल को, ये तुमसे प्रेम करते वक्त और भी बचकाना हो जाता है..!!
काश ! तेरी मेरी बातों का सिलसिला हर रोज़ होता, तू मेरा होता और मैं तेरा होता !!
कुरबान हो जाऊँ तुझ पर,_तू दरवाजा भी वहां से खोलता है,_जहाँ से उम्मीद भी ना हो !!
करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर,,,_ हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत नहीं मिली..
मैं राजी हूँ हँस कर सारी दुनिया भुलाने को, _ आजा देख _ तुझे बैठा हूँ अपनाने को !!
कितना खूबसूरत है उसका मेरा रिश्ता, न उसने कभी बांधा न मैंने कभी छोड़ा..!!
अब क्या ही नया सुनाएँ तुम्हें हम, __ तुम्हें देख कर सब भूलने की आदत है मुझे !!
बेहद करीब है तू मेरे, _ खामोशियों का सहारा ले कर दूरियों को अंजाम न दे ..!!

” तुम मुझे ढलती शाम में क्यों मिलें, _ अच्छा होता तपती दोपहरी में मिलते ..”

मैं ढूंढ़ता रहा हर कहीं तुम्हें, _ अगर पूछता मैं तेरे बारे में किसी से !! तो क्या पूछता ..??
जब मै हूँ तेरा ही शाशवत आकार, _ तो फिर ज़िन्दगी के हादसों से कैसी तकरार.

पिलाई है किस नज़र से तूने कि _ मुझको अपनी ख़बर नहीं है..!!

अब जब तू ही मुझे संभाल रहा है तो किसी के बुरा चाहने से क्या फ़र्क पड़ता है..!!
सिर्फ तुम्हारे साथ होने से साधारण चीजें असाधारण में बदल जाती हैं..!!
तेरे बुलाने का अंदाज़ इतना प्यारा है कि.. तेरे पास आए बगैर दिल नहीं मानता !!
“ तुम गए क्या शहर सूना कर गए “,_ दर्द का आकार दूना कर गए..!
बस इबादत में कमी है जनाब, _ वरना खुदा तो हर जगह मौजूद है !!
“मुझे किसी ऐसी डोर से बांधना, _जिसकी पकड़ तुम्हारे हाथ हो.”
हम वक़्त रोक लेंगे तुम्हारे लिए, _ तुम बेवक्त मिलना तो शुरू करो.
तुम पूछते हो याद रखोगे ना _ मैं कमबख्त सोचता हूँ भूल पाऊंगा क्या.?
तेरे ज़िक्र भर से होती है मुलाक़ात जैसे…,, _ _तेरे नाम से भी इस क़दर इश्क़ है मुझे….
मुश्किल चाहे जितनी बड़ी हो _ अगर तुम साथ हो तो जीत मेरी ही होगी..!!
अचानक ही सब घट गया _ मैं झांका ही था और तू झलक गया !!
कभी आया तो नही तेरे पास, _ पर तेरी याद मुझे महका जाती है..!!

अब नज़ारों में क्या रखा है, _ तेरा चेहरा काफी है.
कैसे रहूं तुझे याद किए बिना _ बात बात पे तेरी बात याद आती है !

मेरी खुद्दारी इजाजत नहीं देती, _ कैसे कहूँ कि मुझे तेरी जरूरत है.!!

तुझे भूलने में दिक्कत ये भी है कि _ बदले में किस को याद करूँ !!!

अब तो सिर्फ तुमसे ही बात होती है _ और किसी से बात करने का मन होता ही नहीं .!!

लाज़मी है तुम्हारा खुद पर गुरुर करना _ हम जिसे चाहें _वो मामूली हो भी नहीं सकता.

तू बेखबर सा रहता है, खबर भी रखता है _ बात भी नहीं करता और प्यार भी करता है..

जो ” जानता ” है वो जानता है कि बताने की कोई जरुरत नहीं, _ जानना काफ़ी है !!!

तेरी शिकायत करूँ भी तो किस से करूँ, _ हर किसी को तुझे मैंने ” अच्छा बताया है.”

तुझसे अच्छी तो तेरी यादें हैं, _ कम से कम मेरे करीब आ एक मुस्कान तो दे जाती हैं.!

अपने अपने हौसले अपनी तलब की बात है _ चुन लिया तुम्हें सारा जहां रहने दिया !!

तेरी खोज ने किसी मंज़िल पे ठहरने न दिया, _ मैं भटकता रहा आवारा ख़यालों की तरह !!

बड़ा खुशनुमा सा है ये अहसास तेरा _ तू साथ है मेरे ये कोई ख्वाब तो ना है मेरा ..!
तूने मुझे लाखों में चुना है तो सुन, _ अब मुझे लाखों की भीड़ में खोने नहीं देना !!
तुम तो पानी जैसे हो ..!!! _ थोड़ी थोड़ी देर बाद प्यास लगती है तुम्हारी ..!!!
नशे की आदत तूने लगाई है, _ वरना कभी मैं भी होश में जिया करता था !!
बारिश की तरह तू बरसता है मुझ पर, _ मिट्टी की तरह मैं भी महकता चला जाऊं..
बस ये दिक्कत है भूलने में तुझे, _तुझे नहीं तो फिर किसे याद करूँ..!!
अगर सब खोकर ख़ुद को पा लिया है तो.. यह भी मेरी जीत ही है.!
लोग समंदर की बात करते हैं _ मैं तो तुझ में ही डूब जाता हूँ !!
जो बाहर की सुनता है, बिखर जाता है.. _ जो भीतर की सुनता है, निखर जाता है..
नसीब क्या होता है ये तो मुझे मालूम नहीं _ पर तू मेरी सुनता है ये खबर पक्की है.
तेरी निगाह ने कुछ ऐसा दिखा दिया, _ यूँ ही नही दांव पे सब अपना लगा दिया..
न जाने किसकी #_ दुआ काम आई ..!! _ आखिर तू #_ मिल ही गया मुझे..!!
एक इश्क़ का दर्द ना हो तो, ज़िन्दगी कुछ नहीं, _ रोग भी लाजवाब, दवा कुछ भी नहीं..
जब से तुम से इश्क़ हुआ है, _ तब से बोलता कम हूँ और मुस्कुराता ज्यादा हूँ..!!
जब से लगाया है तेरे इश्क़ का चश्मा, _ ये दुनियां बेहतर नज़र आने लगी है..!!
मेरी पसंद हमेशा लाज़वाब होती है _ यकीन न हो तो _ अपनी तरफ देख लो !
दुनिया में जीने के दो तरीके हैं _ एक तुझे नहीं आता, दूसरा मुझे नहीं आता..!!
एक अजीब सी बैचेनी है तेरे बिन, _ रह भी लेते हैं, और रहा भी नहीं जाता ..!!
तुम ही हो वजह मेरे खालीपन की, _ और तुम ही गूंजते हो मुझमें हरदम..!!
जब भी अकेला होता हूँ तो ..यह विश्वास कि ..तू मेरे साथ खड़ा है, काफी होता है..
मैं तुझसे कैसे कहूं कि ‘मैं उदास हूँ’, इतना ही कहता हूँ कि ‘मिलते रहा करो’
वक़्त का इंतज़ार कर रहा हूँ, कभी तो तुमसे मुलाक़ात होगी !!
तुम्हारे साथ का सफर, _ तुम जीवन भर के लिए यादगार बन गए..!!
शायद तू बेहतर की तलाश में है, _ और मैं तो अच्छा भी नही…!!
जब भी तुझे याद करता हुँ _ कुछ अलग रंग में रंग जाती है ..ये दुनियाँ !!
सिर्फ तुम _ और सिर्फ तुम ही हो _जिसे मैंने पलकों पर बिठा कर रखा है !!
शायद तुम्हे खबर नहीं _ तुम्हारी याद मेँ _ मैं कितनी बार रोया..
जो जी भर देख ले वो दीवाना हो जाए, _ तेरे होने से हर मंजर सुहाना हो जाए..
कौन चला गया ये ज़रूरी नहीं मेरे लिए ,,,_ तुम साथ रहना ये ज़रूरी है..!
जब बहने में ही मज़ा आने लगे, – तो भला तैरने की फिक्र कौन करता है !
एक तू जिसको के देखा न था, _ तुमको सोचेंगे इतना _ ये सोचा न था.
जो कीमती है वो मुझे बहुत पसंद है _ इसका सबसे बड़ा सबूत तुम हो..!
मैंने वहाँ भी सिर्फ ” तुझे ” ही माँगा,, _ जहाँ लोग अपनी ” खुशियाँ ” माँगते हैं,,!!
मैं पा तो लूँ जहाँ भर की खुशियाँ.. _ लेकिन उनसे तुम्हारी कमी कहाँ पूरी होती है..
तूने दीवाना बनाया तो मैं दीवाना बना, _ मुझे होश की दुनिया का तमाशा न बना.
साकी तेरी निगाह की मस्ती में डूब कर मैं होश में न आऊं _ ” अगर मेरा बस चले..”
फासले तो है उससे पर इतने भी नहीं, _ कि मैं ख्वाब में बुलाऊं और वो ना आए..!!
आंख भिगोने लगी है अब यादें तेरी _ काश अब तो आ जाते तो _ अच्छा था ..!
तुमसे नजदीकियां इस हद तक हैं…के मिलन का कोई सवाल ही पैदा नही होता.
तुम मिल गए हो, अब तो सोचना ही नहीं कि कोई और भी ज़रूरत है ज़िंदगी में. !
जो “जानता” है वो जानता है कि बताने की कोई जरुरत नहीं _ जानना काफ़ी है.
मुझे तो इंतजार करने से मतलब है _ बाकी तुम्हारी मर्ज़ी _ मिलो या ना मिलो..
जो खुद से बिछड़ जाते हैं , _ फिर वो दुनिया से नहीं मिलते…
चाहे कितना भी वक़्त ले लो, _ ,,,,,,”पर आना जरूर” सब्र बहुत है मुझमें…!!!
उम्र भर इंतज़ार कर सकता हूं तेरा, _बस एक बार कह दे कि तू आयेगा….!!
उठी ही नहीं निगाहें किसी और पर, _ तेरा दीदार हमें इतना, पाबंद कर गया..!!
ऐ यार ! कैसे कहूं मेरा खयाल नहीं तुझे,, मुझसे ज्यादा तो _ तूँ जानता है मुझे..
तुझ से दोस्ती हुई तो पता चला कि _ तुझसे बेहतर मुझे कोई नहीं जानता ..!!
उसके छूने से ही जानोगे तुम उसे _,, तुम्हारे छूने से वो छुआ नहीं जा सकेगा….
कुछ इसलिए भी हम मरते हैं तुम पर, _ के जीने का खूबसूरत बहाना हो तुम !!
तेरा साथ जो मिला मुझको, _ तब कहीं जा के ज़िन्दगी ” ज़िन्दगी ” हुई …!!
” तू बेशक सबसे बात कर ” ,लेकिन मैं भी ख़ास हूँ, _ इसका भी ध्यान रख..
मैं उसमें रहता हूं, वो मुझमें रहता है _ फिक्र नही जमाना अब क्या कहता है..
फिर ना आया खयाल जन्नत का …. जब से तेरे दर का रास्ता देखा है ….!!!
नहीं कुछ भी रहता है अब ध्यान मुझको _ ये बेफ़िक्री मेरी बनी ज़िन्दगी है.!
जब से ज़िन्दगी में, तेरी कमी सी है, _ इन आंखों में _ हर पल, नमी सी है..
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती, _ रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती..
और क्या चीज कुर्बां करूँ आप पर ? दिल जिगर आपका, जिंदगी आपकी..
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से, चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से.
पलकों पर रुका है समंदर खुमार का _कितना अजब नशा है तेरे इंतज़ार का.
तू देख मेरी चाहत को _ अब तो तेरा जिक्र _ मेरी मन्नतों में होने लगा है .!!
मैं कहां अपनी मनमानी करता हूँ, तेरी मर्जी के खिलाफ कुछ नहीं करता हूँ..
मेरी बंदगी में ही कुछ कमी है,,,_ वरना तेरा दर तो रहमतों का खजाना है…
करने दे आज मुझे मस्ती में रक्स _ ख़्वाब में यार के गले मिल आए हैं हम..
गुनाह करके कहाँ छुपाओगे ? _ ये जमीन और आसमान सब उसका ही है.
नहीं होते फिर भी होते हो तुम, _ न जाने क्यूं हर वक़्त महसूस होते हो तुम !
लाख संवार लूं मैं अपनी जिंदगी को, _ तेरे बिना कुछ कमी तो ज़रूर रहेगी !!
मिला तो बहोत कुछ जिंदगी में, पर तेरा मिलना सबसे खुशगवार साबित हुआ !!
” झांको भीतर, कौन वहाँ बैठा है, _ और तुम उसे विराजमान पाओगे..!”
बहुत कुछ देख लिया है इस जिंदगी में,_मगर जिंदगी सिर्फ तुझमे दिखी..
बहुत नजदीक से देखा है,_ दुनिया को … तब ही तो दूर बैठा हूँ मैं सबसे..
मेरी उससे ऐसी भी होती है बातें _ ना वो बोलता है और ना मैं बोलता हूं..
एक मुद्दत से देख रहा हूँ तुम्हें,, और लगता है अभी एक झलक देखा है….
अच्छा लगता तुम्हें याद कर के, _ जाहिर नही होने देता, ये अलग बात है.
कुछ इस तरह जीऊं मैं तुम्हारे बगैर _ जिसमें तेरे होने का ज़िक्र होता रहे..!
तेरा बरसना बेशक अचानक था, _ मगर मेरा भीगना कब से तय था..!!
हर तरफ़ दिखता है बस एक तू ही, _ न जाने तूने मुझ पर क्या कर दिया है.!!
कभी ” खुद ” से मिला मेरे मौला … थक गया हूं गैरों से मिलते मिलते..
तुम्हारी नज़र में जो देखा है ख़ुद को, _ मेरी ज़िंदगी में बहार आ गई है…
जब बाकी सब कुछ खत्म हो जाता है तो _अंदर से तू ही सहारा देता है.!!
दुनियादारों से रूबरू हो कर तड़पा बहुत, मैं सुकून की बात करने पास तेरे आ गया !!
हर वक़्त मिलती है मुझे अनजानी सी सजा, तू ही बता मेरी खता क्या है ?
बस तुम्हारे करीब आ जाने से, _ न जाने कितने लोग मुझसे रूठ गए..!!
फासलों को ही जुदाई ना समझ लेना तुम, हाथ थाम कर तेरा ही बैठा हूँ..!!
मुझे परवाह नहीं ज़माने की, गर तुम साथ हो तो सब मुमकिन है !!
दे कर एक आवाज़ बुला लूँ तुझको, मगर मैं चाहता हूँ तू ढूंढे मुझे !!
अब बहका नहीं सकता कोई मुझे, तेरी ऐसी महक ले रखी है मैंने..!!
किसी को खौफ है कि तू देख न ले, किसी कि ये आरजू है कि तू देखता रहे..!!
देख, ऐसे कब तक भटकता रहूँगा ? कभी तो बन आशियाना कि मैं ठहर जाऊं !!
अब और न तराशना मुझे,_इससे ज्यादा बारीक न हो पाऊंगा !!
तुमसे मेरा जुड़ना _ जैसे जिंदगी का एक और हिस्सा जुड़ गया हो ..!!
बहोत सी राहों में, एक राह तो वो होगी, _ तुम तक जो पहुंचती है…”
दुआ का यूँ तो कोई रंग नहीं होता,_ मगर दुआ जरूर रंग लाती है.
अब साथ नहीं किसी का, _ आसमां में अकेले ही शान से उड़ता हूँ.!!
अब छोड़ नहीं पाऊंगा तुम्हे, _ तू मेरी बिगड़ी हुई आदत सा हो गया है..
समझ नहीं पाता मैं भी तेरे इशारे _ तू भी खुल के कुछ कहता नहीं है…
अब वो शख्स भाता नहीं है, _जो हर पल सिर्फ तेरी ही बातें ना करे….
जिसे पा लिया वो मोहब्बत ही क्या, _ जो सुलगता रहे वही इश्क़ है..
मैं काबिल तो नहीं तेरे लिए _ पर ये चाहत- ए- जिद्द है तुझे पाने की.
मैं जानता हूँ फिर भी पूछता हूँ…_तुम बताओ मेरी पसंद कैसी है.
इस ख़ाक को हिदायत दे मौला, उस ख़ाक में मिलने से पहले !!
पूरी दुनिया से जुदा सा है वो, हमने जिसे चाहा है खुदा सा है वो.
एक तेरा ही प्यार सच्चा है यार, _ औरों की तो शर्तें ही बहुत हैं !
थोड़ी सी रोशनी मांगी थी तुझ से, _तू ने तो आग ही लगा दी !!
कुछ नया – नया सा मंजर है, _ मेरी आँखों में तो पूरा अंबर है..!
उसको खरीद नहीं सकते….तुम्हें खुद को ही बिकना पड़ेगा…!!!
तुम्हारे साये में खुशनुमा हूँ.._ तुम ही तुम हो हर तरफ मैं कहाँ हूँ.
मुझे फासलों की परवाह नहीं, तुम आदत नहीं “ज़िन्दगी हो मेरी”..!!
वो चाहते हैं तबाही मेरी ..मगर मजबूर हैं तेरी दुआओं के सामने..!!
तुझ में खो जाना ही,  कुछ भी खोजने से ज़्यादा बेहतर है..!!!
चला जा रहा था अकेला, मिला साथ तेरा तो मंज़िल मिली.!
बस एक तुझे ही मांगा है, _ पूरी दुनिया का मैं क्या करूँगा !!
कभी गौर से देखा “मेरा देखना”, मैं सिर्फ तुमको ही देखता हूँ.
क्या तुझे ख़बर ही नहीं, _ मैं जी रहा हूँ तुझे याद कर कर के..
मेरी आँखों ने जो कुछ भी कहा है, _ वो सिर्फ तूने ही पढ़ा है..
तू बिलकुल चाँद की तरह है, _ नूर भी, गुरुर भी, और दूर भी..
उम्मीद जब तुम से लगी हो तो _ टूटने का खौफ नहीं होता !!
इस नफ़रत भरे जमाने में, _ एक तुम से ही तो खुश हूँ मैं …!!
न जाने किसकी दुआ लगी है मुझे, जो तू मुझे मिल गया..!!
इंतज़ार तुम्हारा खाली नहीं रहता.! “वह भी महकता है..!!”
वो तो हर मार्ग पे मिलेगा, __ बस तू उसे अहसास कर ले ..!
एक अधूरापन सा लगता है, जब तुझसे बात नहीं हो पाती !
तेरी दुनिया से रिश्ता रखता हूँ _ मेरी रंगत कमाल हो गई है !
बस इस बात का सबर है, _ तुमको सब खबर है🙂🍁🍁
बस ये दिक्कत है तुझे भूलने में, _फिर मैं याद किसे करूँ..!!
वो फूल हो तुम मेरे जीवन में, जिसकी खुशबू मैं लेता हूँ..!!
तुम हाथ कस कर पकड़ते, _ तो सही से निभा लेते हम…!!
तुम हो, बस इसीलिए ,,ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत है मेरी..!!
ढेर सारी बातें है करने को, पर तू आता ही नहीं सुनने को !
तुमसे मिलने के लिए _दुनिया से बिछड़ना पड़ा मुझको..
किसी एक से ऐसे बंधो, कि सबसे आजाद हो जाओ !!
तेरी ही बनाई दुनिया में, कोई तुझसा क्यों नहीं मिलता.
तुझसे बस तू चाहिए, _ मुझे मुझसे दूर ले कर जा !!
सिर्फ़ तुझे चाहा है, _वो भी तुझसे बिना कुछ चाहे !!
एक तू न मिले _ सारी दुनिया मिले भी तो क्या है..!!
सबकी नज़र में हूँ, _ जबसे तेरी 👆नज़र में हूँ..!!
आवाज़ देता है दिल बेहिसाब तुझको _ हो सके तो जरूर आना…
आज तुम्हें एक नए नकाब में देखा, खुशी हुई..!!
तुझको ढूंढ़ता हूँ, _राहों से तेरा पता पूछता हूँ.!
देर से ही आ जाना, _ शक्ल तो दिखा जाना..!
मैं लिखूँ या ना लिखूँ, तुम मुझे पढ़ते रहना..!!!
ज़िन्दगी गुजर रही है, सिर्फ तेरी याद में..
देर से मिले हो, ___ दूर तक चलना !!!!
तू रहता है मेरे साथ, अकेला नहीं हूँ मैं.!!
मेरा होना _तेरे होने का प्रमाण है….!!
बाजार के रंगो से रंगने की जरुरत नहीं मुझे.., _

_ तेरा नाम आते ही चेहरा गुलाबी हो जाता है..! !

कीचड़ उसके पास था, मेरे पास यार का रंग..

_ जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल..

इतने रंगो में रंगी इस ज़िंदगी का राज _ उस 👆🏻 रंगरेज़ से पूछ..

_ जिसकी ये तमन्ना … इसे रंगो से अभी ….. और निखारा जाये..

” _ तेरे एहसासों को हर रंग मेँ ढूंढा मैंने, _ मगर तेरे एहसास जैसा कोई रंग ना मिला _”

“_ तेरे सिवा भी कई रंग थे हसीन मगर,_ जो तुझको देख चुका हो, वो और क्या देखे…!!

” _ मैं तेरे इश्क़ के हर रंग में इस कदर रंग जाऊं, __ मैं… मैं न रहूं, तू बन जाऊं._”

” _ तेरे रंग में रंग कर ही तो मैं..खुशनुमा हूँ,_ तुम ही तो हो मुझमें… मैं कहाँ हूँ .._”

” _ मैं तो खुद बेरंग हो गया , _ _तेरे इश्क़ को रंगीन करते करते ….._ “

” _ रंग बदलती इस दुनिया में., मुझे मेरा, _बेरंग होना पसंद आया …_”

” _ हज़ार रंग हैं इस दुनिया में _ मैं रंगना चाहूं _ बस तेरे रंग में…!! _”

“_ धीरे – धीरे तेरा रंग चढ़ गया _ चढ़े तो उतरे ना …..वह है रंग _”

“_ तमाम रंग लगा कर देखे, _ तेरे एहसास जैसा कोई रंग नहीं _”

” _ हर रंग में जला हूं यार, _ इसीलिए इतना रंगीन बना हूं .!! _”

” _ रंगों से सीखा है, _ अगर निखरना है तो बिखरना पड़ेगा.!!_ “

_ ” जब तलक तू मेरे संग है, _ _हर तरफ रंग ही रंग है_ “

” _ हर रंग कुछ कहता है,, __ कभी रंगहीन हुआ कर.. _”

” _ तुम्हें महसूस करके _ मैंने ख़ुद को रंग लगा लिया ! _”

” _ सारे रंगों के मायने _ _एक तुम्हारे होने से है _ “

” _ रंगो में वो रंग कहां _ जो रंग _ लोग बदलते हैं _”

कोई पागल भी इतना पागल नहीं होगा, _ जितना मैं तेरे लिए हूं..
कोई मेरे आंखों से तुम्हे देखे तो समझे, __ की तुम मेरे क्या हो…
जब कुछ कह न पाँऊ _ तो रो लेता हूँ _ तू तो सब जानता है ना..
भटके हैं हम कहां कहां, _ झांका जो खुद में तो तेरा पता मिला !!
इतना असर रहता है तेरी यादों का _ कि बिना बात मुस्कुराता हूँ..
जब से तुमसे जुड़ा तब से __हर बात जैसे मेरे हित में हो जाती है.

तुमसे क्या मुलाकात हुई, मेरी निगरानी में सारे लोग लग गए..!!

मेरी रूह की तलब हो तुम, _ कैसे कहें अलग हो तुम !!
दोनों ने ही छोड़ दी फिकर, __ उसने मेरी….._ मैंने खुद की..
तुम मेरी वो कमी हो, _ जो कोई भी पूरी नहीं कर सकता ..!!
नजर अंदाज ना कर …..वो भी दिल से चलता है _ रब है ..वो..
मुझे तेरे सिवा कोई नहीं जानता, _ और तो सब पहचानते हैं…
खुद को खोकर खुद को पाना, _ ऐसा होगा…उसका दीवाना.
मैं दीवाना हूँ उसका,,,,,,, _ ,,,,जो किसी को नहीं दिखता….
जब ठिकाना ही तुम हो, तो खुशियां दुनिया में और कहां ढूंढे..
कभी यूँ भी आ मेरे रु -ब- रु _ कि तुझे पास पा के मैं रो पडूँ..
अपने कदम के निशां बनाते चलना,_ अपने घर का पता कुछ यूँ दे देना !
हमें रास्तों की जरुरत नहीं, _ तेरे पैरों के निशान मिल गये हैं.
तुम्हारे प्रेम ने मुझे बेहतर, सुन्दर और सरल कर दिया है .!!!
तुम्हारे जैसा कोई मिला नहीं _ कैसे मिलता _ था ही नहीं..
मुझे तेरी आवाज का मरहम चाहिए __ पुकारो ना _ मुझे..
तुम तक जो पहुँचा दे मुझे..!! _ वो पता चाहता हूँ मैं….!!!!
तुम से मिल कर लगता है _ मैंने जीने में कितनी देर कर दी..
क्यों करूं परवाह जमाने की _ मुझे नजरें तुझ से मिलानी हैं.
भेद तेरा कोई क्या पहचाने, जो तुझ सा है वो ही तुझे जाने..
तेरा आगाज़ जब से हुआ है ! जीवन का शुभारंभ हुआ है !!!!
जो अपनी तस्वीर बनाई, _ वह तस्वीर तुम्हारी निकली ….!
कुछ यूँ मिली नज़र तुमसे, _ बाकि सब नज़रअंदाज़ हो गये.
तू ही जानता है,_ तू किस कतरे को,_ कब दरिया करेगा…
जब जब मन अशांत हुआ ,एक तुम्हें देख कर ही शांत हुआ..
तू मेरी ख़ामोशी नहीं सुनता, मुझसे आवाज़ दी नहीं जाती..!
आज़माते हैं लोग सब्र मेरा, ज़िक्र तुम्हारा बार बार करके…!
तेरी यादों का इतना नशा है _ की उस नशे में ही रहता हूँ..
तुझको चाहने के बाद, _ कोई और मुझसे चाहा न गया..
मैंने तुम्हें ही चाहा, _ _ औऱ तुमसे कभी कुछ नहीं चाहा…
तुम्हें पाने के बाद, _ कुछ भी पाने को बाकी ना रहा..!!!!
ख्याल रखना अपना, _ मेरे पास तुम्हारे जैसा कोई नहीं..
ज़िन्दगी के हजार पन्ने, __ हर इक पन्ने में ज़िक्र तेरा.!!
जो मौसम बदलता है, _ वो मुकद्दर भी बदल सकता है.
मैं जिसकी बात करता हूँ, _ कोई तो बात उसमें होगी..
तुम्हें देख कर लगता है, _ तुम्हारे अलावा कुछ ना देखू.
मेरी इच्छाओं से ज्यादा सुंदर, तेरी योजनाएं होती हैं,,!!
तेरी यादों में जो ज़िन्दगी है, ज़िन्दगी में वो बात कहाँ..
तेरा वजूद मुझमें मौजूद, _ यही है तेरे होने का सबूत..
कहाँ कुछ खैर है यार ! तुम्हारे सिवा यहां सब गैर हैँ !
मैं देखूं तुझे करीब से, _ मेरे शौक हैं बड़े अजीब से !
सांसे तो बस नुमाईश है !!!! मेरी ज़िदंगी तो तुम हो
कर तु जायके की बात, _ मैंने तो उसे चख रखा है !
एक तुम साथ हो तो _कोई और चाहिए भी नहीं…
चाहे कितना भी वक़्त लगे, मुझे सिर्फ तू चाहिए ..
कि तुम ही ज़िंदगी हो _ तुम ही जीने की वजह हो.
एक तू ही तो सहारा है, _बाकी सब तो पराया है.!
यूँ चुप्पियों में रहकर भी _ मैंने तुमसे बात की है..
गुज़ारिश है तुमसे कि _ तुम हकीकत बन जाओ..
आवाज तक नहीं हुई, _ और मैं तेरा हो गया .!!
अब जब तू साथ है तो _ कुछ भी असंभव नहीं..
क्या देखा था तुझमें, जो दिल तेरा हो गया.!!
तुझसे मांगेंगे तो, _ तुझे ही मांगेंगे ..
इंतजार हमेशा रहेगा,_ बस कभी आवाज़ नहीं दूंगा..
जबसे तेरे गुलाम हुए, _ तब से अपने मालिक हुए…
तुम साथ हो तो फिर क्या डरना _कर लेंगे हर मंज़िल हर ख्वाब अपना.
कुछ अनूठा ही रिश्ता है मेरा तुम से, तुझे सोचने से ही सुकून मिलता है.
तेरी यारी ने सुकून इतना दिया कि, _तेरे बाद कोई और अच्छा न लगा..!
मुझे नहीं चाहिए तुमसे बेहतर, _ मुझे तो तेरे साथ ही सुकून मिलता है…
मंजिल मिले या न मिले, _ तुम साथ हो तब और कुछ चाहिए भी नहीं..
तुम्हें ढूंढ़ती हैं मेरी निगाहें, _ अगर हो सके तो आके चेहरा दिखा दो …!
गजब का रिश्ता है तेरा मेरा, याद दोनों करते हैं लेकिन बात नहीं !!
एक तुम ही इतने नजदीक हो कि _हर बात तुम्ही को बताई जा सकती है..!!
दे कर एक आवाज़ बुला लूँ उसको, मगर मैं चाहता हूँ वो ढूंढे मुझे !!
मुझे भाता है अंदाज़ तुम्हारा _ ! अदा तुम्हारी मिज़ाज़ तुम्हारा _ .!!
अब मैं हर वक़्त महकता हूँ, _ मैंने तुम से जो हाथ मिला लिया है..
तेरी एक झलक से _ ऐसा लगा की जैसे ज़िंदगी मिल गयी हो..!!
दूर तो बहुत है तू मुझसे, _ लेकिन तुझसे नज़दीक कोई मेरा नहीं !!
तू ही बात समझता है मेरी .. _ दुनिया तो सिर्फ सुन लेती है..!
तुझे देख के जो मिलता है, _सारा मसला उसी सुकून का है.!!
भीगना अंदर से है, __ बाहर से तो ..झाड़ पौछ कर फिर सुखे..
बस ये दिक्कत है भूलने में तुझे, तुझे नहीं तो किसे याद करूँ !!
आप बात उसकी करते हो, _मैं तो बात ही उस से करता हूँ..
तेरा हमशक्ल कोई है ही नहीं, _ तेरा अंदाज किस में देखें ..
लत की तरह लग गया है तू, गलती से कहीं छूट न जाना..!!
वक़्त थोड़ा लगा ..! ऐ यार, _ तेरे करीब तो आ गया..!!
तेरी नजरों का ही कमाल है _ जो मैं तेरे इतने करीब हुँ..!
अपनी राह बनाऊँ कैसे _ बोलो तुम तक आऊँ कैसे ..!!
तू मिलता नहीं रोज रोज _ पर याद आता है हर रोज ..!!
खुशनसीब हूं इसीलिए शायद, _ जिंदगी में तुम हो ,,!!
मुझे सुकून की तलाश थी, और फिर तुम मिल गए..
तुम्हारे इंतज़ार में, ये आंखें उम्मीद से भरी रहीं..!!
मै आवाज भी न दूं………और तुम चले आओ…..
बहुत आई गई यादें.. मगर इस बार तुम्हीं आना…
ऐ यार ,,, जिंदगी का कोई रंग न छुपाना मुझसे…
लोग मुझे तोड़ते गए और मैं तुम से जुड़ता गया .!
मैं खुश हूँ कि.. एक नज़र मुझे गौर से देखा तूने..!
कब तक तेरी राह मैं देखूँ _ कब तू बोलेगा .?
तुम से मिलना _ सबसे मिलने जैसा होता है..
तुम ही जरुरी हो, _ अगर तुम समझो तो ..!
तेरे होते हुए मेरी हार, नामुमकिन है मेरे यार..
तराशा गया जो हमें, हम ही में हम ना मिले..
बहुत कुछ था सीखने को ! _ और हमने बेफिक्री सीखी !!
जब से हुई तेरी फिक्र, बेफिक्र हो गया हूँ.
रब तेरे हाथों में हूं मैं, इसलिए बेफिक्र हूं.
मुझे तेरी यादों में रहना अच्छा लगता है..
मैंने देखा है “जो नहीं है” वो खूबसूरत है.
हूँ अकेला भी, पर उसके साये में भी.
मैं खुद से दूर _ तू मुझमें मौजूद ..!
जब से मै तुम से मिला, मेरा जीवन भी खिला दिया_

तुमने मेरे जीवन में, आनन्द का रंग भर दिया._मेरे यार,

लाजवाब हो तुम ; हर वक़्त आते हो याद. _

_ जब से मै तुम से मिला, मेरा जीवन भी खिला दिया.

ऎसा कोई गीत सुना दे, जीवन का सूनापन मिटा दे._

_ ऎसा रस तू ही बरसा दे, जीवन में नया रंग खिला दे.

मै जैसा चाहता था वैसा तूने बना दिया.

_ कोई कुछ भी कहे मुझे बेपरवाह बना दिया._

_ बोझिल जीवन को मस्त बनाना सीखा दिया._

_ जीवन को रंगीन बनाना सीखा दिया._

_ मै जैसा चाहता था वैसा तूने बना दिया.

जीया भी नहीं हूँ, मरा भी नहीं हूँ._ समय सारा चिन्ता को मैंने दिया है._

_ जीने का ढंग भी तूने सिखाया, _ जीवन को रंगना भी तूने सिखाया.

कोरा कागज – सा था जीवन मेरा._ _ ऐ यार, तूने ऎसा रंग लगाया._

_ उलझा था मन दुनिया की उलझन में._ _ ऐ यार, तूने आकर सुलझाया._

_ मन के अँधेरे दूर हुए. __ ” आकर तूने दिया जलाया. ”

खुली आंखों से देखते हो, कभी बंद आंखों से कोशिश कर _

“- हम हैं कि ढूँढ़ते रहे _ वो है कि बरसता ही रहा -“

मत पूछ की मैं शब्द कहाँ से ला रहा हूँ, _

_ तेरी यादों का खजाना है जो लुटाए जा रहा हूँ..

मैं तुझे लिखता जाऊँ, तू मुझे मिटाता जा ;

_ आपस में रिश्ता किसी तरह तो निभाता जा..!!

दे अब दर्द मुझे जितना देना है यार,

_ क्योंकि मैं भी अब थेथर हो गया हूँ..!!
आदत लग गई है तुम्हें देख कर जीने की,

_ अब इसे प्रेम कहो या पागलपन तुम्हारी मर्जी..!!

तेरे सिवा मै किसी और का कैसे हो सकता हूँ,

_ तू खुद ही सोच के बता कि तेरे जैसा कोई और है क्या..

धन्यवाद है, ज़िन्दगी में रंग लाने के लिए._

_ वीरान थी ज़िन्दगी, ठहरी – सी ज़िन्दगी._

_ तूने आकर मुझे झझकोरा. _ सोयी वीणा के तारों को तूने छेड़ा._

_ धन्यवाद है, ज़िन्दगी में रंग लाने के लिए.

सब कुछ तो है पास, फिर भी इन निगाहों को तेरी तलाश है..

… इसीलिए बार बार यूहीं घर से निकल पड़ता हूँ मैं..

क्यूँ बार बार लगता है मुझे, कोई दूर छुपके तकता मुझे, _

_ कोई आस पास आया तो नहीं, मेरे साथ मेरा साया तो नहीं..

एक और शाम बीत चली है तुझे चाहते हुए !

_ तू आज भी बे-खबर है, बीते हुए कल की तरह !

तू नहीं लेकिन तेरी आहट होती है, _

_ यही सोचकर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट होती है…

कहाँ जायेंगे तुम्हें छोड़कर यार _

_ तुम्हारे बिन दिन नही गुजरता _ जिन्दगी क्या गुजरेगी,,,,,

यक़ीनन वो बेइंतहा खूबसूरत बंधन था हमारा, _

_ न उसने कभी क़ैद किया, न मैं कभी फ़रार हुआ ..!!

कदम कदम पर तू मुझको संभाल लेता है !, _

_ हर एक बला से तू मुझको टाल देता है .!!

ना जाने कितने काश, अगर, मगर दफ़न हैं मुझमे, _

_ कभी फ़ुरसत में आओ तो मिलकर बताएंगे तुम्हें .!!

उलझा रही है मुझको ये कशमकश अंदर से…

_ कि तुम बस गये हो मुझमे या हम खो गए है तुझमे…!

तड़प रहे हैं तुमसे एक अल्फाज के लिए, _

_ तोड़ दो खामोशी हमें जिन्दा रखने के लिए..!

तेरी एक नज़र ने खरीद लिया हमे, _

_ बड़ा गुमान था कि हम बिकते नहीं ..

तुम ख़ास थे, इसलिए लड़े तुमसे.._

_ पराये होते तो मुस्कुरा कर जाने देते..

लगा लिया तेरे इश्क़ को इत्र की तरह, _

_ अब हम में तुम ही तुम महकोगे ..

करते ही नहीं अब … कोई दुआ ये सोच कर ;

_ कि और क्यों बढ़ाऊँ मुश्किलें तेरी.. ऐ यार..

” मैं तुमसे अब कुछ नहीं मांगता ए यार,

_ तेरी देकर छीन लेने की आदत मुझे मंजूर नहीं “

तुझे पाना भी बड़ा महंगा सौदा है यार !!

_ पुरे संसार को दांव पर लगा कर हार जाना पड़ता है !!!

अगर कोई पूछता है तेरे बारे में तो _ बताता भी नहीं उनको,

_ जहां वालों की नजरों से छुपाता भी नहीं तुमको !!

परवाह नहीं है, मुझे लोग क्या ? कहते हैं, _

_ मुझे नजर तुझ से मिलानी है, लोगों से नहीं..

तुम्हारी एक मुस्कान से सुधर गई तबियत मेरी, _

_ बताओ ना इश्क करते हो या इलाज करते हो __!!

फिक्र तो तुम्हारी आज भी करते हैं ;

_ पर हमारी बदनसीबी तो देखिये, _ बस जिक्र नही कर सकते ..

मैं कुछ लिखता नहीं सिवाय तुम्हारे !! _

_ मैं अपनी सीमाओं मे रहना सीख चूका हूँ ..!!

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे,

_ तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आएँ कैसे.

इंतज़ार तो खुशियों का है, _

_ मगर मालूम है कि तुम्हारे आते ही _ यह भी अपने आप आ जायेंगी ..

जिंदगी के आइने पर हर वक़्त एक अजनबी की सूरत है.

_ तुम्हें हो या ना हो लेकिन मुझे तेरी जरूरत है…

कभी कभी यूं ही चले आया करो दिल की दहलीज पर… ऐ यार _

_ अच्छा लगता है, यूँ तन्हाइयों में तुम्हारा दस्तक देना…!

कोई तो है मेरे अंदर, मुझे संभाले हुए .. _

_ बेकरार सा रह कर भी बरकरार हूँ ..!

वाह रे मौसम , _ तूने आज खुश कर दिया, _

_ मुझे उनकी याद आयी और बरस तू गया..

मेरे अल्फ़ाज़ भी तेरी खुशबू में महकते हैं, _

_ तेरे जिक्र में बहकते हैं और तेरे सजदे में बिखरते हैं ..

माफ़ी चाहता हूं, _तुम्हारी नींद ख़राब करने के लिए ;

किस्मत वाला हूँ मैं, _ मैं ख्वाबों में भी किसी ख़ास से ही मिला करता हूँ ..

अभी तक समझ नहीं पाया, तेरे इन फैसलों को..ऐ यार..!

_ उसके हक़दार हम नहीं, या हमारी दुआओं में दम नहीं..!!

इस जीवन का इक अधूरा सपना पूरा हो गया ;

_ तुमने जो अपना कहा _ तो सारा ज़माना पराया हो गया ..

अब जो तू, मेरी जिंदगी में आया है _ तुम क्या महसूस करोगे इसे, _

_ मैंने तो हर जगह तुम्हें अपने साथ पाया है ..

उठती ही नहीं ये निगाहें अब किसी और की तरफ, _

_ एक तेरा दीदार मुझे इतना पाबंद कर गया ..

मुझे मालूम था कि आज भी तुम नही आओगे, _

_ मगर फिर भी इंतज़ार किया खुशी से ..

तुम्हें पढ़ते हुए मैंने ये जाना कि, _

_ तुम्हें लिखना कितना मुश्किल है..

और कोई नही है जिंदगी जीने के लिए, _

_ सब कुछ तो लुटा दिया, इसलिए तुम्हें खोने से डरते हैं ..

अब जीत भी जाऊं तो दिल खुश नहीं होता, _

_ जिस को हारा है वो अनमोल बहुत था..!

ए यार बस इतनी ही ख्वाहिश है मेरी, _

_ मुझे दुनिया जहान की कभी हवा न लगे ..

तेरा ज़िक्र मैं क्यों न करूँ यार,

_ तेरा ज़िक्र भी तो मुझको छेड़ता है..!!

ए यार …. या तो हमसे यारी रख, _

_ या फिर ….दुनिया सारी रख.

पल कितने भी गुजार लूँ तेरे साथ _

_ मगर हर सांस कहती है कि दिल अभी भरा नहीं ..

हर चीज हद में ही अच्छी लगती है,_

_ बस एक तुम हो जो बेहद अच्छे लगते हो…

हमनें तो कह दिया है कि जैसे जहाँ मर्जी,_

_ अब ये तुम्हें देखना है कब कहाँ कैसे..

ऐ यार, वो दिन मत दिखाना कि लोग मुझे कहें, _

_ कि तूने भी ग़मे दुनिया से हार मान ली..

तेरे सजदों में मैं हूँ मेरी दुआओं में तुम..

_ फासले भी हैरान हैं नजदीकियां देखकर……

रात को उठ न सका, दरवाज़े की दस्तक पे,

_ सुबह बहुत रोया, तेरे पैरों के निशां देखकर..

‘तू कभी सोचना भी मत कि मैंने गंवा दिया तुझे,

_मुझको मेरे ख़्याल की मौज तुझ तक बहा के ले गयी’..

अगर तू पूछ ले मुझसे किस बात का गम है, _

_ तो फिर किस बात का गम है ” अगर तू पूछ ले मुझसे “

यूँ ना देखो इस नज़ाकत से हमें, _

_ तुम्हारी हर अदा के हम तो पहले ही दीवाने हैं !!

हाथ की लकीरों का अजीब खेल है यार,

_ मुट्ठी में हमारी हैं काबू में तुम्हारी हैं..!!

किस तरह छुपाऊं अब मैं तुम्हें, _

_ मेरी मुस्कान में भी तुम नजर आने लगे हो ..

कुछ शब्द ही तो थे… जिनसे जाना था…

_ तुने मुझे… मैने तुझे….

लिखता हूं तेरे लिए और तुझे ख़बर तक नहीं,

_ पढ़ते हैं वों लोग जो मुझें जानते भी नहीं….!!

तुम न जाने किस तरह बांधे रखते हो मुझे,!!

_ न करीब आते हो न दूर जाने देते हो मुझे !!!!

मंजिल का नाराज होना भी जायज था, _

_ हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे..

जब से तेरे आने की ख़बर आयी है, _

_ ” नज़ारा कुछ ऐसा है ” जैसे पतझड़ में बहार आयी है..

देख मेरी आंखों में आंसू तुम जो खुश हो जाते हो, _

_ आंख में आंसू सजा रखे हैं मैंने तुम्हें हँसाने को !!

तुम क्या मिले जैसे किस्मत खुल गई हो…

_ मानो जिंदगी में कोई फरिश्ता आ गया हो !!

चोट जारी रखें, जाने कौन से पल ..

_ मन की मटकी फूट जाए ..!!

जो मांगना ना आए तुझे, तो खाली हाथ फैला दे ,,,

_ वो बंद लबों की इल्तजा सुनता है,,,

तेरा दर ढूंढ़ते -ढूंढ़ते जिदंगी की शाम हो गई,_

_ जब तेरा दर देखा यार, तो जिदंगी ही तेरे नाम हो गई ..

सलीका ही नहीं शायद उसे महसूस करने का,

_ जो कहता है ख़ुदा है तो नजर आना जरुरी है..

तेरे इश्क़ में ऐ यार,,, हम इतने चूर हो गए _

_ लिखते रहे तेरे बारे में ; और खुद मशहूर हो गए _

मत पूछ उसके मैखाने का पता ऐ साकी,

_ उसके शहर का तो पानी भी नशा देता है.

मेरी रूह में समाई है तेरी खुशबू.., _

_ लोग कहते हैं तेरा इत्र लाजवाब है..

एक मुद्दत से तेरी याद भी आई न मुझे,

_ और मैं भूल गया हूँ तुझे ..ऐसा भी नहीं !!

बाहर की ठोकरों से तो बच कर निकल गए,

_ पाँव को अपनी मोच ने चलने नहीं दिया !!

वो रफ़ूगर भी कहाँ तक करे मेहनत मुझ पर,

_एक ज़ख्म सिलता नहीं कि दूसरा लग जाता है..!!

खतरा हर कदम पे गिरने का है,

_जो हाथ थामे उसी को खुदा मान रखा है.

किसी को क्या समझना, किसी को क्या बूझना..

_ खुद को समझो, खुद को जानो, खुद को मानो

मैं तो उसके भाव को व्यक्त करता हूँ..

_ यह मेरे जीवन की पद्दति है …जो बह कहता है मैं बोलता हूँ..

प्रेम नगर के हम हैं पंछी, प्रेम के गीत हैं गाते.

ना कोई बस्ती मकान अपना, खुले गगन मंडराते.

ध्यान गंगा का जल हैं पीते, ज्ञान के गीत हैं गाते.

सुख- दुख खाली जाल बिछावे, अब नहीं धोखा खाते.

तेरी कृपा से सीखा हमने, मस्ती में पंख फैलाते.

प्रेम नगर के हम हैं पंछी, प्रेम के गीत हैं गाते.

जब भी मैं तेरे सामने होता हूँ, तो अपना वजूद भूल जाता हूँ ;

क्या मांगू ये तो याद नही रहता, लेकिन जितना दिया उतना बहुत है ;

इसको ही बरकरार रखना बस यही मन्नत है, कठिनाइयों से भागूं ना इतनी हिम्मत देना !!

अगर मेरी हर चाह तुरंत पूरी हो जाती तो आज मैं जीवित नहीं होता,

क्यों कि मैंने कई बार मौत भी माँगी है ; _

_ इसलिए _ ऐ यार ,,, तेरा धन्यवाद जो तू मुझको मुझसे ही बचाता है !!

मैंने जीवन के कितने रंग देख लिए, मिलकर सबसे मिलने के ढंग देख लिए,

_ बे-ढंगी दुनिया में एक तू ही अपना, अपना कहने वालों के संग देख लिए..

तुम तक _पहुंचने के लिए _जो सफ़र जारी है..

_वो कभी मुकम्मल नहीं होना,

_लेकिन ये सफ़र मुझे _बेहद हसीं लगता है,

_क्योंकि इसके रास्ते में _तुमसे जुड़ी तमाम यादें हैं

_और उम्मीद की उस छोर पर तुम हो..

करना है जब कुछ काम, तो गीत उसी 👆के गाऊँ..

_ जीवन अपना खोल, उसका 👆🏻रास दिखाऊँ..
_यही रास जो जान गया, वो हुआ काम ( संसार ) से मुक्त..!!
_ हुआ काम से मुक्त, तभी तो जीवन जीता..
_ वरना जीवन कोई भी हो … बेहोशी में बीता..
कुछ दिन दूर क्या रहा तेरी गलियों से

मानो दूर रहा मैं खुद की रंगरलियों से
मायूस हुआ तो तेरी याद आयी
फिर से जैसे कोई टोक रहा हो, बन काँटा कलियों से
बस साथ तेरा ही सच्चा है
मैं नहीं कहता मुझे अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाए रखना,
दूर रह कर भी _ दूरियाँ ना लगे_ वही रिश्ता बनाए रखना,
छोटी सी है जिंदगी _ ख़त्म हो ही जाएगी,
पर ख़त्म ना हो कभी _ वही किस्सा बनाए रखना..
तुझसे मिल कर दुःख भी हँसता._

_ तेरे प्यालों में पड़ के विष भी अमृत बनता._

_ कर देते हो सबको मतवाले,_ ” अपने ही रंग में रंग देते हो.”

मैंने पीया नहीं कुछ तू देख ले,

मस्त हूँ तेरी मस्ती में तू देख ले,

लोग पीते हैं बोतल से,

मैंने पी है तेरी आँखों से.

नशा चढ़ा है तेरा तू देख ले,

मैंने पीया नहीं कुछ तू देख ले.

दुःखों की धूप में तू छांव बन कर आया है.

मेरी हर तकलीफ को तूने हर बार मिटाया है.

कैसे करूं तेरा शुक्रिया मेरे यार,

तू ने ही तो मुझ जैसे कंकर को हीरा बनाया है.

तू लफ्जों की तरह मुझ से किताबों में मिला कर,

लोगों का तुझे डर है _ तू ख़्वाबों में मिला कर.

फूलों का खुशबू से तालुक है जरुरी

तू महक बन कर मुझ से गुलाबों मे मिला कर,

जिसे छू कर मै महसूस कर सकूँ.

तू मस्ती की तरह मुझ से शराबों मे मिला कर,

मैं भी इंसान हूँ, _ है डर मुझ को भी बहकने का,

इस वास्ते तू हिजाबों मे मिला कर.

मेरे हर ज़ख़्म का हिसाब रखता है.

_ वो मुझे हर पल अपने साथ रखता है.
_ कभी पहलू में बिठा लेता है अपने.
_ कभी आँसुओ में भी साथ बसता है.
_ वो मुझे हर पल साथ रखता है.
_ हर धड़कन में धड़कता है वो, मेरे रंगो में खून बनकर..
_ मौन में वो मुझसे, सभी बात करता है..
_ वो मुझे हर पल साथ रखता है..
तेरा साथ है तो आसान लगती है ये ज़िंदगी

तू साथ है तो कुछ ख़ास लगती है ये ज़िंदगी ।

तू ना हो तो उदास लगती है ये जिंदगी,

तू साथ है तो कुछ ख़ास लगती है ये जिंदगी ।

तू ना हो तो बेस्वाद लगती है ये जिंदगी,

तू साथ है तो कुछ खास लगती है ये जिंदगी ।

तेरी याद में जब आँसू, आँखों में आते हैं ll

एक दर्द उठे मीठा, और हम मुस्काते हैं l

तेरी याद में जब आँसू …

जब दुनियाँ सोती है, हम रात को जगते हैं ll

जब दुनियाँ जगती है ll, तब ‘हम खो जाते हैं ll’

तेरी याद में जब आँसू …

तेरे मिलने की आस नहीं, पर प्यास जगी दिल में ll

तड़फेंगे या कि मिलें ll, ‘राजी हुए जाते हैं ll’

तेरी याद में जब आँसू …

सब टूट चुके बन्धन, मन कर रहा वन्दन ll

दिन रात तेरे नग्मे ll, हम ‘गाए जाते हैं ll’

तेरी याद में जब आँसू … Anandmurti Gurumaa

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