God, thank You that I can feel good about myself because I am Your child. Thank You that I can get off the treadmill of proving myself to others because I don’t have to prove anything to anyone.
तुम्हारे और मेरे मौन के बीच _ बसा जो शहर है चुप्पी का, _ बने रहना है मुझे _ उस शहर का बाशिंदा !
_ तब समझ पाया कि ख़ुशी के आंसू क्या होते हैं..!!
_ मैं तुम्हे लिखकर खुश रहूं !! और तुम पढ़ कर …
_ क्योंकि मैं उसकी पसंद हूँ, जिसे हर कोई पसंद नहीं आता !!
_ जो अभी तक तुझसे लिया है, लौटा जाऊंगा.
_ किसी दिन यहीं फना हो जाऊंगा..
_ तूने मुझे मेला देखने भेजा था और मैं खिलौनों में उलझकर रह गया !!
— “संसार उसे कहते हैं” जो दिखता है ‘वह है ही नहीं’.. और जो नहीं दिखाई देता है ‘वही सब कुछ है.’
_ तुम मेरे साथ रहते हो इसके लिए मेरा दिल खुशी के आंसुओं से रोता है..
I am glad that you came in my life and even more happy that because of you I am seeing life with me. For you stay with me, my heart cries with tears of joy.
Inside every one of us, the voice of God is saying, “You are made in My image.”
_ होगा नहीं पूरा कभी ये मुझको पता है, ख्वाब इन आँखों को जो तूने दिखा दिया !!
“*– मेरा तुम्हें भूल न पाना इसलिए भी कठिन है _ क्योंकि मैंने तुम्हारे साथ बिताये प्यार के पलों को इतनी गहराई से जिया है कि वो मेरे ह्रदय की पृष्ठभूमि पर हमेशा के लिए छप गये हैं !!
_ जो अक्सर ही मुझे तुम्हारे खयालों में डुबो देते हैं और मन बार बार से उन्हीं पलों में जीना चाहता है !.
_ जिंदगी की उलझनों की धूप में झुलस गया है वजूद मेरा..
मैं कौन हूँ ? यह दुनिया क्या है ? और इस दुनिया से मेरा क्या रिश्ता है ?
_ बंधनों में प्रेम मुझे अच्छा नहीं लगता..
_ हम शायद कहीं बंध से जाते हैं..!!
_ देखना है तो उसे देखो … जिसके होने से आपकी दुनिया सुंदर है .!!
_ फिर देखना कि क्या होता है _ उसी को जरिया बना देगा जो रुकावट है..!!
“उसके पास तुम्हारे हर मसले का हल मौजूद है तुम कह कर तो देखो.”
His plan for you is good because HE is good !
ये वही लोग है, जो मेरी हैसियत नही मेरा दिल देखते हैं_ मैं शुक्र गुजार हूँ ऊपर वाले का,
उस ने मेरी ज़िन्दगी में बहुत कुछ छीना, पर सब कुछ नही छीना.
_ इसलिए सबकुछ पाने की कोशिश छोड़कर तुमको पाने की कोशिश कर रहा हूं !!
मगर वक़्त के साथ आगे बढ़ना ” मैंने तुमसे सीखा है “
_ बस यार तू रहना हमेशा साथ मेरे, तो निकलते आंसुओ में भी मुसकुरा लूंगा मैं ..
_ जब तू मेरे लिए खड़ा होता है, तो कोई तेरे सामने खड़ा नहीं हो सकता !!!
_ तू लाख खफा सही पर इतना तो देख, कोई टूट गया है तेरे चुप हो जाने से.
_मेरे पास तो बस तेरी मीठी सी याद है ” बता किस कोने में सुखाऊँ तेरी यादें,”
_ बरसात बाहर भी है…और भीतर भी है..
_ मैं तुम्हारे लिए इतना तरसता हूं !!!
_ पर ये नहीं जाना था कि, ये दिल तुम्हारी दीवानगी में और बेकरार हो जायेगा..!!
_ जहां झुक जाना है – झरोखा यहीं से खुलेगा..
_ और मुझे संतुष्टि रहे कि मैंने अपना काम पुरा किया..!!
_ कि इक रोज़ सारे रास्ते जाने तो तुझ तक ही हैं”
_ जो डर हमेशा से था, वो मिटा दिया, _ इस काले पत्थर को एक कोहिनूर बना दिया ;
मैं यार का हाथ गलती से छोड़ सकता हूँ पर वो मेरा हाथ पकड़ेगा तो कभी नहीं छोड़ेगा !!
क्या जल की बून्द ही समस्त सागरों को प्रमाणित नहीं कर देती है ?
साँसे गिनती की… और ख्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है..
_ तू फना कर दे य़ा गले लगा ले मुझको…
_ लौटा तो सिर्फ़ मैं लौटा,, अपनी जगह से अपनी ही जगह पर..!!
_ दुनियां की सबसे बड़ी ताकत तुम्हारे साथ है, और तुम अकेले नहीं हो !!
_ कोशिशें कर लो तोड़ने की ये और भी गहरे होते हैं..!!
अस्तित्व उनकी सुरक्षा करता है जो सत्य की खोज में हैं.🌹🌹
_ वो बैठे रहें मेरी नज़रों के आगे _ वो कुछ भी न बोलें मगर बात कर लें..
_ बस तुम्हे देखते हैं तो…..नजरें थम सी जाती हैं !!
_तुम में, तुम से, तुम पर ही मेरी दुनिया पूरी हो जाती है !
_ दिन की ये पहली ख़ुशी भी कमाल होती है…!!
वरना परेशां कौन नहीं, अपनी- अपनी ज़िंदगी में..
मुद्दत के बाद गुजरे जो उसकी गली से हम.
_ हम तेरे बाद किसी और के होने से रहे..
_ तू जिसको देखता है,,,, वो तड़पता जरूर है .!!
_ हर बात मेरे यार बताने की नहीं होती.
_ कहते हैं, इबादत में बोला नहीं करते ..
_ वो तुम्हें खोजने में नहीं ..
_ अब बात इतनी बढ़ गई, कि तुम बिन कुछ अच्छा नहीं लगता..!!
_ मैं ताज़ा रहता हूँ और हर लम्हा खिला रहता रहता हूँ ..!!
_ हर चीज मिल जाती थी दो आंसू बहाने से…
_ मेरे पास तू है तो, मुझे किसी की तलाश क्यूँ है ?
_ तू ही सम्हालना क्यूंकि ज़ालिम ये ज़माना है !!
_ तू बस अपनी मौज में रहा कर __बाकी सब मैं देख लूंगा ..
_ मैं झांका ही था _ _ और वो झलक गया !!!
_ कब्जा तेरा, कुछ ज्यादा ही हो गया है !!
_मगर मैं सिर्फ तुम्हारा हूँ, ये तो हक़ से कहूँगा..!!
_ जिस दिन तुझे देखा, यकीन भी हो गया !!!
_ वरना हर मीठी नदी समंदर से मिलने नहीं आती ..!!
” — तमाम नदियों के आँसुओ को पीकर _ ख़ुद खारा हो गया …. समंदर मेरा — “
_ तुम्हें किस्मत के हवाले नहीं छोड़ सकता मैं !!
_तुम देर से मिले, नुकसान इतना ही काफी है !!
_ बात ये है कि तेरे बिना जीना नहीं चाहते..
पर तू, _ पर तू बड़ी मुश्किल से मिलता है.
_ जो रंग भरता है सारी कायनात में.
_ ये किसने कह दिया कि, तुम्हें भूल गये हम..
एक तेरे सिवा कुछ ना मिला मुझको मुझमें..
_ जब पता तेरा लगा अब पता मेरा नहीं..!!
_यकीन मान तू ” काबिले – तारीफ़ है ” .!!
_ मेरी चंद लाइनों में सिर्फ तेरा ही ” जिक्र ” होता है ..!!!!
_जब – जब मौन हुआ है जीवन ” केवल तुम्हें पुकारा “
_ बाकी हम सब कुछ लिखते तुम्हीं पर हैं..!
काश कि तुमने मुझे इतने गौर से ना देखा होता…
_ ये तो तेरी नज़रों का जाम है, कमबख्त कहीं और मिलता ही नहीं..
_ कभी बे पिए ही बहक गए, कई बार पी के सम्हल गए.
_ मेरे पास तुमसे मिलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है..
_ मैं तुम्हें महसूस कर सकता हूँ छू सकता नहीं ..
_जगत झूठा था और सदा झूठा रहेगा..!!
_ मग़र जो मुझ में कमी है, वो मेरी अपनी ही है !!
” खुशनसीब हो ” – पढ़ लेता है वो तुम्हारी आंखों की भाषा को !!
_ यकीं रख अपने खुदा पर, यूँ बार बार खुदा मत बदल .!!
मस्ती भी तब ही आती है, _ जब याद तेरी ही आती है.
_ तेरे ” इश्क़ ” ने मुझे मेरा पता दे दिया ..
जब मैंने अपनी आंखों से तलाशा ” तो तू मिल गया !!
” खुली आंखो से देखते हो, _ कभी बंद आंखो से कोशिश कर “
_ मेरी दुनिया में तेरी मौजूदगी _ यूं ही तो नहीं..
_मैंने तो तुम को भुला दिया _ पर तुम ने मुझे न भुलाया.
_ धन्यवाद है, ज़िन्दगी में रंग लाने के लिए..
_ बंद आँख से भीतर देखा तो _ तू ही दिल में समाया..
जो दिल में बस जाते हैं, उन्हें भीड़ में क्यूं ढूंढ़ना !!
हर बात मेरे यार बताने की नहीं होती.
_ हर बात लफ़्ज़ों से हो, तो मज़ा क्या है !!
_ काश हम अजनबी ही रहते तो अच्छा था !
अगर फुरसत मिले तो ख्वाबों में आ जाना.
_ काश कभी तुम भी कह देते कि ” तुम मेरे हो “
_ मुझको तो एक झलक मेरे यार की मिले !!”
_ एक दर पर जो रहता है, वो दर- दर नहीं होता..!!
मैंने तुम्हारे सिवा किसी को तरज़ीह नहीं दी…!!!
_ तुझे ढूंढते ढूंढते ख़ुद को पा लिया ..
_ कि तस्वीर की भी अब कोई जरूरत नहीं ..
ये किसने कह दिया कि भूल गए हम…
_ तेरी याद का आना भी, तेरे दीदार से कम नहीं..
_ मुझे क्या पता था की तू… मेरे रग रग में समा जाएगा !!
तुम्हें खामोशी से चाहना __ मुझे अच्छा लगता है..
तू भी तो समझे _ मैं कितना बैचैन हूँ तेरे लिए..
_ बात दोनो ही नही करते हैं, मगर याद दोनो करते हैं ..
_ बहुतों से बात करके भी पूरी नहीं होती ..
_ परंतु जो सुकून तेरे साथ मिला,,, वह कहीं नहीं मिला ,,,!!!!
_ तुम्हें भी खो दूंगा तो, फिर क्या बचेगा मेरे पास ?
_ जो मेरे ना होने पर भी मुझे ढूंढ़ता है ..
_ पर खुद को खो दूंगा, ये सोचा न था ! !
_ जब मेरे लिए मुझ से बढ़ कर तू सोचता है ..
मुझको संभालना तुम, ज़ालिम ये ज़माना है !!
_ एक तुम्हे ही चाहा और तुमसे ही दूर हूं मैं….
_ जब तू, सामने आये __ तुझे तेरे जैसा ही नज़र आऊं …
_ कभी मेरी आँखों से आकर पूछो, कितने लाजवाब हो तुम !!
_ कभी वक्त निकाल कर, मेरी आंखे पढ़ लो ना..
_ जानता हूं वक़्त कीमती है तुम्हारा, थोड़ा सा मुझ पर खर्च कर दो ना..
_ जो करूँ अगर किसी और से तो भी ज़िक्र तुम्हारा ही करता हूँ !!
_ यह दिल तेरी यादों में रहना चाहता है ..!!
_ बात हो या ना हो, खयाल तुम्हारा ही रहता है..
_ कोशिशें कर लो तोड़ने की _ ये और भी गहरे होते हैं !!
_ कभी देखना आकर कि मेरा क्या हाल होता है.
_मुझे तू दगा न देगा _ये एतबार क्यू है … !!
_ तेरी तलाश को ये आवारगी समझते हैं “
_ कहीं मिले तो साथ ले आना उसे ..!!
बस इक तेरे _ हंसने की देर है.
_ जरा सी देर सही, लाजवाब होता हूँ ..
_ जो हर क़ीमत पे मुझको चाहिए था..
_ हर वक़्त जाने क्यूँ महसूस होते हो तुम .!!
_ ऐसे हुआ मुझमें शामिल, मुझको ही बेमिशाल कर गया !!
_ चैन मिलता है तो साक़ी तेरे मैख़ाने मे..
_ लेकिन फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था..
_ यार तुझे सिर्फ़ छू कर ही लौट आऊँगा !!
_ न मैं जा रहा हूँ, न वो जा रहा है !!!
पर हर पल सोचता हूं कि _ तू अब तक आया क्यों नहीं..!!
_ पर तू कितना बेपरवाह है, मेरे ही सलाम से..
_ मुझे अपने रंग में, वापस तू ही ला दे.
हमने तेरी याद को ही दुनिया बना लिया.
ये पागल दिल तो इबादत कर बैठा..!!!!
_ तुम खुशबू बनो _ उस की नाक तुमको सूंघ लेगी..
और तेरे मार्ग पर दुख भी सुख हो जाता है..
_ मैं जीत सकता था ना जाने क्यूं हारा..!!
फिर चाहे तुम दूर हो या क़रीब मेरे…
_ वर्ना मुझे खामोशी अच्छी लगती हैं.!
_ जीतना सोचता हूँ …_ उतना महक जाता हूँ ..!!
_ मैं तुम्हें लिखता हूं “इसलिए तुम खूबसूरत हो”
_ जो तुम ना हो पास मेरे, तो बर्बाद लगती है ..
_ तेरा बंदा बस बिखरा है अभी तक टूटा नही…
_ पर जब से वास्ता तुझ से हुआ है, मैं तेरा हो कर रह गया हुँ !!
मैं मंजिलें तेरी दहलीज से मिला देता..
_ तुम हो…तब भी कौन है…?
_ मुझे तुमसे कुछ भी नहीं चाहिए था….” तुम्हारे सिवा॥”
फ़ूल सारे खरीद कर ,,,,,देखे हैं हमने..
मसला फूल का है फूल किधर जाएगा !!
_ होश तो खुशबू के भी उड़ गए होंगे !!
_ असली चुभन तो गुलाब देते हैं ..
_ फूल जो हमने गुलाब चुना था…!
बस जिसमें तू और मैं भावो में बहते रहें नितांत..
_ जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली ”
थोड़ा अंदर से जियो, देखो अलग प्रभाव !!
इसीलिए तो, हो, बे-परवाह, मैं, मस्ती में जीता हूँ.
_ कि मुझको अपनी खबर नहीं है ..
आँखें जो बंद हों तो वो जल्वा दिखाई दे.
_ क्यूंकि मैं भी बड़ा ख़ास हूँ उसके लिए..
सुना है पागलो से दुनिया कम उलझती है.
_ बस’ इसलिए तुमसे कई दफ़ा हार जाता हूँ ..!!
_ मेरी हर ख्वाहिश पर पूर्णविराम हो तुम..!!
सबको कैसे समझाऊं की – मंजिल के कितना पास हूं मैं,,,
_ तो हर इबादत में तुम्हे पाने की दुआ हमारी है ..
_ इसलिए शब्दों से तुझे छूने की कोशिश करता हूँ..!!
_ तुम्हारे ख्याल से _ बेख्याल होना भी तो नही आता*
_ सिर्फ तेरे ही ख्याल में इतने बेख्याल रहते हैं हम !!
तुम से आगे _ कोई ख़्याल ही नही जाता…!!
_ अगर तुम मिल जाते तो यह सफ़र मुक्कमल हो जाता..
_ इक तुम से दोस्ती के लिए, सैकड़ों दुश्मन बनाएं हैं मैंने ..
मैं वो खोई हुई एक चीज़ हूँ, जिसका पता तुम हो …
_बाकि मैं सब-कुछ तुम पर ही लिखता हूँ..!!
_ तुझ में और मुझ में मगर फ़ासला यूँ कितना है..
_ तुझे तराशने की ज़िद में कहीं खो न बैठूं तुम्हें ..
_ मेरे तौर- तरीकों ने तो मुझे चूर- चूर ही किया है.
_ ज़ख्म तेरी मेरी सोच से कहीं गहरे हैं.
_लोग जो भी तेरे नजदीक रहा करते हैं.
जिद्द पर आऊं तो खुदा को भी ढूंढ लूँ.
जो कहता है ख़ुदा है तो नजर आना जरुरी है..
तेरी रहमतों से पहले, मेरा जिक्र ही कहाँ था..
अगर तेरी नज़र में हूँ तो सबकी नज़र में हूँ…
मेरा रब हजारों रास्ते निकाल देता है.
_ फिर इन्तजार तो हम सारी उम्र कर लेंगे.
_ जिसके होने से _ मेरी दुनिया सुंदर है !
_ हैरान तो आँखें हैं जो तड़पती है तेरे दीदार को !!
तकलीफों को बड़ी आसानी से झेल लेता हूँ मैं..__!!!
_ मेरे हर वक़्त को ये अच्छा रखती है ..
_ मेरे हर अल्फ़ाज़ में तुम महकते हो ..
_ मुसीबत तो हमारे लिए है, एहसास वाले जो हैं ..
_बन कर तैयार हुआ तो तू बदल चुका था !!
_ फुर्सत ही नहीं मिलती है मुझे _ तुझसे आ कर मिलने की !!
_ कितना भी मुस्कुराऊँ आँखों में नमी सी रहती है..!!
_ मैं खुद में कमी बताकर तेरी इज्ज़त बढ़ा देता हूं !!
मैं जब भी बिखरा हूं, मैं और निखरा हूं॥
इस ख़ाक के पुतले का हर रंग निराला है..
पर कौन सा है उसका घर ये तलाश जारी है..
_ इम्तिहान भी कठिन लेता है और फेल भी नहीं होने देता !!
देखते हैं अब तुझे हम _ कब याद आयेंगे..
_ इतना कमजोर भी नहीं है इश्क़ मेरा ..
मैं हूं ____तुम हो__फिर__कुछ और की जरुरत क्या है..
_ मैं पकड़ूँ हाथ तेरा और कहूं तेरा साथ चाहिए…
_ जो रंगता है रुह को….वो असली रंगरेज..
_ कमाल ये है कि फिर भी तू …मुझ पर मरता है ..
_ कि तेरा साथ भी नहीं हो तो भी अकेला नहीं हूं मैं !!
आप को पाने की ख्वाहिश नहीं _ आप का होना ही काफी है..
_ कि तू ही इलाज़ है मेरी हर उदासी का.!!
संभाल लेता हूँ खुद को _तुम्हरी यादों के सहारे !!
_बात यह है की मुझे कोई और चाहिए नहीं !!
_ तू देख कि क्या रंग है मेरा, तेरे आगे”
_ पर महफ़िल में तेरा मुड़ मुड़ कर देखना बदनाम कर गया ..
_ मैं ही पंख फैला कर उड़ने की हिम्मत न कर पाया .!!
ये इश्क़ वाले हैं _ जो हर चीज़ लुटा देते..
_ जो बिछ गया तेरे क़दमों में, आसमाँ की तरह
मैं तेरी इबादत में किसी मलंग सा हो जाऊँ..
_ बन के रगों में नगमा तेरी चाहत में झूम जाऊं.
_ ये कैसी नज़र लगी कि मैं, हर नज़र में आ गया.!!
जबसे फ़िक्र है तेरा…..बेफ़िक्र हो गया हूँ…
_ पर मस्ती के सिवा, कोई अंदाजे बयां नज़र नहीं आता ..!!
कहीं मिल जाऊँ तो मुझे जरूर बता देना..!!
_ एक हाथ, जो थाम ले मुझे तब, जब मेरे पांव डगमगाएं.!!
ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम तू देता नही….
_ मगर हम भी याद आने की काबलियत रखते हैं..
_ अगर तू छीन ले तो कोई दे नहीं सकता…
ज़िन्दगी….ज़िन्दगी नहीं होती !!
तलाश तुम से शुरू हो कर तुम पर ही रुक गई.
भूलना चाहूँ तो भी तुम्हें नहीं भूल सकता यार.
मेरे मन की गहराई में तेरी तस्वीर जो बस गई.
__ तो इससे बड़ी और कड़ी सुरछा क्या हो सकती है.
_” जिसके साथ तू है _ वो असुरक्षित नही, जिसके साथ तू नही _ वो सुरक्षित नही !! “
तू क्या गया सब सूना हो गया, तेरे जाते ही मैं अकेला हो गया..!!
तुझे भुलाने की सोचूं भी तो कैसे, बहोत ही मुश्किल से पाया है तुझे !!
तू नही तो ये कहानी _ ताश के पत्तो सी बिखर जाएगी.
_मैंने हर ओर की दीवार गिरा रखी है !!!
उसकी जिद थी मुझे और तराशा जाए.
_ और मैं बंद दरवाजों पर भी अर्जी छोड़ आता हूँ..
_ बस हम ही खटखटाना छोड़ देते हैं..
_ जिसकी मर्जी के बिना, एक पत्ता तक नहीं हिलता..!!
बस, एक तू ही मिला ! बाकी सब रूठ गए !
_ पर खुद को खो दूंगा ये सोचा न था !!
_ पहाड़ नजर आये _ जहां उठते ही _ तुम याद आए…”
सारी कुदरत सामने जो कुछ नुमाया मैं ही हूँ.
फिर आएंगे तेरी आँखों में _ तू अपना सा लगता है.
लेकिन मै चाहता था कि तू आज़ाद रहे..
तुम्ही को याद किया, तुमको भूलने के लिए !
तू भी मेरी तरह कभी ढूंढता मुझे…
दिल में वह पर्दानशी था मुझे मालूम न था !!!!
_ पर फितरत नहीं है मेरी कि, तेरा नाम लेकर तुझे बदनाम कर दूं ..
_ मेरे ख़्याल से _ वैसी मुस्कान, अपने चेहरे पर _ पहले कभी _ किसी ख़्याल से नहीं देखी..!!
अब खुद को तुझमें और तुमको पाते हैं मुझमें.
_ थोड़े भी तुम और ज्यादा भी तुम, _आज भी तुम और कल भी तुम ..
_ बस यार तू रहना हमेशा साथ मेरे, तो निकलते आंसुओ में भी मुसकुरा लूंगा मैं ..
पता नही ये #ज़िन्दगी सांसों से चलती है, या तेरी #यादों से चलती हैं…..!!
_ क्या बोलूं _ मुझे _ आदत हो गई है तेरी..
कोई तो वजह जरूर है _ जो तुम इतने खास हो..
_ खुले हैं तुम पे तो…. इस घर की आबरू रखना….
कुछ तो है जो मेरा ध्यान सिर्फ तेरी और मोड़े रखता है !
_ अब आँख तो भर आती है, मगर तुम नजर नहीं आते !!
_ हमारे अंदर का खाली आकाश है..
_ रिश्तों को निभाने के लिए, दूर रहना कितना ज़रूरी है..!!
सुना है..उधार वालों को लोग भुलाया नहीं करते…!!
_मेरी जीत तुम्हारी जीत से ज्यादा ज़रूरी है.!!
_ लफ्ज़ “जी उठे” तो, खौफ से मर जाऊंगा ..!!
_ होश उड़ाने के लिए तेरी नज़रें बहुत हैं यार !!
_ तुमने झुकाई नहीं,,,,, मैंने हटाई नहीं !!!
_ तेरे साथ की कुरबत क्या होगी ..
_ कैसे तुम्हारा जीवन जगमगा उठेगा..
_ उन मंज़िलों को भी छोड़ दिया, जो मेरे मुकद्दर में थीं !!
_ तुम आ क्यों नहीं जाते, मेरी इक ख्वाहिश ही मुकम्मल कर दो..!!
_थक कर मुस्कुरा देते हैं,, जब हम रो नहीं पाते !!
_ कि खुद से पहले, एहसास तुम्हारा होता है !!!
_ जो बिखर जाऊ मै ,_, तो सहारा हो तुम,,
_ फिर भी तेरे इंतज़ार का शौक पाल रखा है ..
_ पर तू जैसा है _ वैसा कोई ना मिला…
_ वरना इस कठिन जीवन में संघर्ष आसान नहीं है !!
_ तूने मुझे वंचित कर के बचा लिया.
जो चीज हमेशा पास रहती है हमें उसकी कद्र कहां होती है…!
_ फिर जहां पर छांव मिली, वहीं ठिठक कर बैठ गए .!!
_ मैं तो जब डरता ..गर तू मेरे साथ न होता..!!
_ दर्द कैसा ही क्यों ना हो याद हमेशा तेरी ही आती है.!!
पिलाई है किस नज़र से तूने कि _ मुझको अपनी ख़बर नहीं है..!!
अब नज़ारों में क्या रखा है, _ तेरा चेहरा काफी है.
कैसे रहूं तुझे याद किए बिना _ बात बात पे तेरी बात याद आती है !
मेरी खुद्दारी इजाजत नहीं देती, _ कैसे कहूँ कि मुझे तेरी जरूरत है.!!
तुझे भूलने में दिक्कत ये भी है कि _ बदले में किस को याद करूँ !!!
अब तो सिर्फ तुमसे ही बात होती है _ और किसी से बात करने का मन होता ही नहीं .!!
लाज़मी है तुम्हारा खुद पर गुरुर करना _ हम जिसे चाहें _वो मामूली हो भी नहीं सकता.
तू बेखबर सा रहता है, खबर भी रखता है _ बात भी नहीं करता और प्यार भी करता है..
जो ” जानता ” है वो जानता है कि बताने की कोई जरुरत नहीं, _ जानना काफ़ी है !!!
तेरी शिकायत करूँ भी तो किस से करूँ, _ हर किसी को तुझे मैंने ” अच्छा बताया है.”
तुझसे अच्छी तो तेरी यादें हैं, _ कम से कम मेरे करीब आ एक मुस्कान तो दे जाती हैं.!
अपने अपने हौसले अपनी तलब की बात है _ चुन लिया तुम्हें सारा जहां रहने दिया !!
तेरी खोज ने किसी मंज़िल पे ठहरने न दिया, _ मैं भटकता रहा आवारा ख़यालों की तरह !!
_ तेरा नाम आते ही चेहरा गुलाबी हो जाता है..! !
_ जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल..
_ जिसकी ये तमन्ना … इसे रंगो से अभी ….. और निखारा जाये..
“_ तेरे सिवा भी कई रंग थे हसीन मगर,_ जो तुझको देख चुका हो, वो और क्या देखे…!!
” _ मैं तेरे इश्क़ के हर रंग में इस कदर रंग जाऊं, __ मैं… मैं न रहूं, तू बन जाऊं._”
” _ तेरे रंग में रंग कर ही तो मैं..खुशनुमा हूँ,_ तुम ही तो हो मुझमें… मैं कहाँ हूँ .._”
” _ मैं तो खुद बेरंग हो गया , _ _तेरे इश्क़ को रंगीन करते करते ….._ “
” _ रंग बदलती इस दुनिया में., मुझे मेरा, _बेरंग होना पसंद आया …_”
” _ हज़ार रंग हैं इस दुनिया में _ मैं रंगना चाहूं _ बस तेरे रंग में…!! _”
“_ धीरे – धीरे तेरा रंग चढ़ गया _ चढ़े तो उतरे ना …..वह है रंग _”
“_ तमाम रंग लगा कर देखे, _ तेरे एहसास जैसा कोई रंग नहीं _”
” _ हर रंग में जला हूं यार, _ इसीलिए इतना रंगीन बना हूं .!! _”
” _ रंगों से सीखा है, _ अगर निखरना है तो बिखरना पड़ेगा.!!_ “
_ ” जब तलक तू मेरे संग है, _ _हर तरफ रंग ही रंग है_ “
” _ हर रंग कुछ कहता है,, __ कभी रंगहीन हुआ कर.. _”
” _ तुम्हें महसूस करके _ मैंने ख़ुद को रंग लगा लिया ! _”
” _ सारे रंगों के मायने _ _एक तुम्हारे होने से है _ “
” _ रंगो में वो रंग कहां _ जो रंग _ लोग बदलते हैं _”
तुमने मेरे जीवन में, आनन्द का रंग भर दिया._मेरे यार,
लाजवाब हो तुम ; हर वक़्त आते हो याद. _
_ जब से मै तुम से मिला, मेरा जीवन भी खिला दिया.
_ ऎसा रस तू ही बरसा दे, जीवन में नया रंग खिला दे.
_ कोई कुछ भी कहे मुझे बेपरवाह बना दिया._
_ बोझिल जीवन को मस्त बनाना सीखा दिया._
_ जीवन को रंगीन बनाना सीखा दिया._
_ मै जैसा चाहता था वैसा तूने बना दिया.
_ जीने का ढंग भी तूने सिखाया, _ जीवन को रंगना भी तूने सिखाया.
_ उलझा था मन दुनिया की उलझन में._ _ ऐ यार, तूने आकर सुलझाया._
_ मन के अँधेरे दूर हुए. __ ” आकर तूने दिया जलाया. ”
“- हम हैं कि ढूँढ़ते रहे _ वो है कि बरसता ही रहा -“
_ तेरी यादों का खजाना है जो लुटाए जा रहा हूँ..
_ आपस में रिश्ता किसी तरह तो निभाता जा..!!
_ अब इसे प्रेम कहो या पागलपन तुम्हारी मर्जी..!!
_ तू खुद ही सोच के बता कि तेरे जैसा कोई और है क्या..
_ वीरान थी ज़िन्दगी, ठहरी – सी ज़िन्दगी._
_ तूने आकर मुझे झझकोरा. _ सोयी वीणा के तारों को तूने छेड़ा._
_ धन्यवाद है, ज़िन्दगी में रंग लाने के लिए.
… इसीलिए बार बार यूहीं घर से निकल पड़ता हूँ मैं..
_ कोई आस पास आया तो नहीं, मेरे साथ मेरा साया तो नहीं..
_ तू आज भी बे-खबर है, बीते हुए कल की तरह !
_ यही सोचकर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट होती है…
_ तुम्हारे बिन दिन नही गुजरता _ जिन्दगी क्या गुजरेगी,,,,,
_ न उसने कभी क़ैद किया, न मैं कभी फ़रार हुआ ..!!
_ हर एक बला से तू मुझको टाल देता है .!!
_ कभी फ़ुरसत में आओ तो मिलकर बताएंगे तुम्हें .!!
_ कि तुम बस गये हो मुझमे या हम खो गए है तुझमे…!
_ तोड़ दो खामोशी हमें जिन्दा रखने के लिए..!
_ बड़ा गुमान था कि हम बिकते नहीं ..
_ पराये होते तो मुस्कुरा कर जाने देते..
_ अब हम में तुम ही तुम महकोगे ..
_ कि और क्यों बढ़ाऊँ मुश्किलें तेरी.. ऐ यार..
_ तेरी देकर छीन लेने की आदत मुझे मंजूर नहीं “
_ पुरे संसार को दांव पर लगा कर हार जाना पड़ता है !!!
_ जहां वालों की नजरों से छुपाता भी नहीं तुमको !!
_ मुझे नजर तुझ से मिलानी है, लोगों से नहीं..
_ बताओ ना इश्क करते हो या इलाज करते हो __!!
_ पर हमारी बदनसीबी तो देखिये, _ बस जिक्र नही कर सकते ..
_ मैं अपनी सीमाओं मे रहना सीख चूका हूँ ..!!
_ तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आएँ कैसे.
_ मगर मालूम है कि तुम्हारे आते ही _ यह भी अपने आप आ जायेंगी ..
_ तुम्हें हो या ना हो लेकिन मुझे तेरी जरूरत है…
_ अच्छा लगता है, यूँ तन्हाइयों में तुम्हारा दस्तक देना…!
_ बेकरार सा रह कर भी बरकरार हूँ ..!
_ मुझे उनकी याद आयी और बरस तू गया..
_ तेरे जिक्र में बहकते हैं और तेरे सजदे में बिखरते हैं ..
किस्मत वाला हूँ मैं, _ मैं ख्वाबों में भी किसी ख़ास से ही मिला करता हूँ ..
_ उसके हक़दार हम नहीं, या हमारी दुआओं में दम नहीं..!!
_ तुमने जो अपना कहा _ तो सारा ज़माना पराया हो गया ..
_ मैंने तो हर जगह तुम्हें अपने साथ पाया है ..
_ एक तेरा दीदार मुझे इतना पाबंद कर गया ..
_ मगर फिर भी इंतज़ार किया खुशी से ..
_ तुम्हें लिखना कितना मुश्किल है..
_ सब कुछ तो लुटा दिया, इसलिए तुम्हें खोने से डरते हैं ..
_ जिस को हारा है वो अनमोल बहुत था..!
_ मुझे दुनिया जहान की कभी हवा न लगे ..
_ तेरा ज़िक्र भी तो मुझको छेड़ता है..!!
_ या फिर ….दुनिया सारी रख.
_ मगर हर सांस कहती है कि दिल अभी भरा नहीं ..
_ बस एक तुम हो जो बेहद अच्छे लगते हो…
_ अब ये तुम्हें देखना है कब कहाँ कैसे..
_ कि तूने भी ग़मे दुनिया से हार मान ली..
_ फासले भी हैरान हैं नजदीकियां देखकर……
_ सुबह बहुत रोया, तेरे पैरों के निशां देखकर..
_मुझको मेरे ख़्याल की मौज तुझ तक बहा के ले गयी’..
_ तो फिर किस बात का गम है ” अगर तू पूछ ले मुझसे “
_ तुम्हारी हर अदा के हम तो पहले ही दीवाने हैं !!
_ मुट्ठी में हमारी हैं काबू में तुम्हारी हैं..!!
_ मेरी मुस्कान में भी तुम नजर आने लगे हो ..
_ तुने मुझे… मैने तुझे….
_ पढ़ते हैं वों लोग जो मुझें जानते भी नहीं….!!
_ न करीब आते हो न दूर जाने देते हो मुझे !!!!
_ हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे..
_ ” नज़ारा कुछ ऐसा है ” जैसे पतझड़ में बहार आयी है..
_ आंख में आंसू सजा रखे हैं मैंने तुम्हें हँसाने को !!
_ मानो जिंदगी में कोई फरिश्ता आ गया हो !!
_ मन की मटकी फूट जाए ..!!
_ वो बंद लबों की इल्तजा सुनता है,,,
_ जब तेरा दर देखा यार, तो जिदंगी ही तेरे नाम हो गई ..
_ जो कहता है ख़ुदा है तो नजर आना जरुरी है..
_ लिखते रहे तेरे बारे में ; और खुद मशहूर हो गए _
_ उसके शहर का तो पानी भी नशा देता है.
_ लोग कहते हैं तेरा इत्र लाजवाब है..
_ और मैं भूल गया हूँ तुझे ..ऐसा भी नहीं !!
_ पाँव को अपनी मोच ने चलने नहीं दिया !!
_एक ज़ख्म सिलता नहीं कि दूसरा लग जाता है..!!
_जो हाथ थामे उसी को खुदा मान रखा है.
_ खुद को समझो, खुद को जानो, खुद को मानो
मैं तो उसके भाव को व्यक्त करता हूँ..
_ यह मेरे जीवन की पद्दति है …जो बह कहता है मैं बोलता हूँ..
ना कोई बस्ती मकान अपना, खुले गगन मंडराते.
ध्यान गंगा का जल हैं पीते, ज्ञान के गीत हैं गाते.
सुख- दुख खाली जाल बिछावे, अब नहीं धोखा खाते.
तेरी कृपा से सीखा हमने, मस्ती में पंख फैलाते.
प्रेम नगर के हम हैं पंछी, प्रेम के गीत हैं गाते.
क्या मांगू ये तो याद नही रहता, लेकिन जितना दिया उतना बहुत है ;
इसको ही बरकरार रखना बस यही मन्नत है, कठिनाइयों से भागूं ना इतनी हिम्मत देना !!
क्यों कि मैंने कई बार मौत भी माँगी है ; _
_ इसलिए _ ऐ यार ,,, तेरा धन्यवाद जो तू मुझको मुझसे ही बचाता है !!
_ बे-ढंगी दुनिया में एक तू ही अपना, अपना कहने वालों के संग देख लिए..
_वो कभी मुकम्मल नहीं होना,
_लेकिन ये सफ़र मुझे _बेहद हसीं लगता है,
_क्योंकि इसके रास्ते में _तुमसे जुड़ी तमाम यादें हैं
_और उम्मीद की उस छोर पर तुम हो..
_ तेरे प्यालों में पड़ के विष भी अमृत बनता._
_ कर देते हो सबको मतवाले,_ ” अपने ही रंग में रंग देते हो.”
मस्त हूँ तेरी मस्ती में तू देख ले, लोग पीते हैं बोतल से, मैंने पी है तेरी आँखों से. नशा चढ़ा है तेरा तू देख ले, मैंने पीया नहीं कुछ तू देख ले.
मेरी हर तकलीफ को तूने हर बार मिटाया है.
कैसे करूं तेरा शुक्रिया मेरे यार,
तू ने ही तो मुझ जैसे कंकर को हीरा बनाया है.
लोगों का तुझे डर है _ तू ख़्वाबों में मिला कर.
फूलों का खुशबू से तालुक है जरुरी
तू महक बन कर मुझ से गुलाबों मे मिला कर,
जिसे छू कर मै महसूस कर सकूँ.
तू मस्ती की तरह मुझ से शराबों मे मिला कर,
मैं भी इंसान हूँ, _ है डर मुझ को भी बहकने का,
इस वास्ते तू हिजाबों मे मिला कर.
तू साथ है तो कुछ ख़ास लगती है ये ज़िंदगी ।
तू ना हो तो उदास लगती है ये जिंदगी,
तू साथ है तो कुछ ख़ास लगती है ये जिंदगी ।
तू ना हो तो बेस्वाद लगती है ये जिंदगी,
तू साथ है तो कुछ खास लगती है ये जिंदगी ।
एक दर्द उठे मीठा, और हम मुस्काते हैं l
तेरी याद में जब आँसू …
जब दुनियाँ सोती है, हम रात को जगते हैं ll
जब दुनियाँ जगती है ll, तब ‘हम खो जाते हैं ll’
तेरी याद में जब आँसू …
तेरे मिलने की आस नहीं, पर प्यास जगी दिल में ll
तड़फेंगे या कि मिलें ll, ‘राजी हुए जाते हैं ll’
तेरी याद में जब आँसू …
सब टूट चुके बन्धन, मन कर रहा वन्दन ll
दिन रात तेरे नग्मे ll, हम ‘गाए जाते हैं ll’
तेरी याद में जब आँसू … Anandmurti Gurumaa