केवल मौन ही सम्मानजनक और आदरणीय है. मैं रब को मौन मानता हूं.
I am fairly tired–bored beyond endurance–by the world we live in, and its ideals, and am ready to say so, not violently, but kindly, as one rubs salt into the back of a flogged sailor as though one loved him.
जिस दुनिया में हम रहते हैं, और उसके आदर्शों से मैं काफी थक गया हूं – सहनशक्ति से परे ऊब गया हूं, और यह कहने के लिए तैयार हूं, हिंसक रूप से नहीं, बल्कि दयालुता से, जैसे कोई कोड़े खाये हुए नाविक की पीठ पर नमक छिड़कता है मानो कोई उससे प्यार करता हो.
वे काफी जानते हैं जो सीखना जानते हैं.
नैतिकता एक निजी और महँगी विलासिता है.
‘कोई भी आदमी अपने शब्दों से अपनी पूरी बात लोगों को नहीं समझा पाता. कुछ ही होते हैं जो अपनी बात शब्दों में रख पाते हैं क्योंकि शब्दों में फिसलन होती है, अनजाने में निकल जाते हैं. जबकि विचार खुरदुरे होते हैं जो कहीं भी अटक जाते हैं और आसानी से निकलते नहीं.’
हर किसी को अपना ब्रह्मांड संभालना होगा, और अधिकांश लोग यह जानने में मामूली रुचि रखते हैं कि उनके पड़ोसियों ने अपना ब्रह्मांड कैसे संभाला है.
इंसान सबसे ज्यादा उसी चीज से प्यार करता है जो उसकी अपनी होती है.
प्रशिक्षण की कमी के कारण मन तर्क का सहारा लेता है.
नवयुवकों में अपने बड़ों को बूढ़ा समझने का शौक होता है.
हर कोई स्वाद का अपना इंच नियम लेकर चलता है, और जहां भी वह यात्रा करता है, विजयी रूप से इसे लागू करके खुद का मनोरंजन करता है.